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भूकंप आने का पूर्वानुमान बताने के करीब पहुंचे वैज्ञानिक

    • आईचौक
    • Updated: 24 सितम्बर, 2019 04:43 PM
  • 17 अप्रिल, 2016 07:07 PM
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भूंकप आने को लेकर जानकारी का अभाव ही इसे और खतरनाक बना देता है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने भूकंप आने के पूर्वानुमान की दिशा में एक नई खोज करके उम्मीद की किरण जगाई है.

तीन साल पहले नेपाल में आए भूकंप से हुई तबाही को याद कीजिए. उस भूकंप में 10 हजार से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी जबकि अरबों रुपये की संपत्ति कुछ पलों में ही मटियामेट हो गई थी.

भूकंप उन प्राकृतिक आपदाओं में से है जिसके आने का पूर्वानुमान बता पाने में विज्ञान असहाय नजर आता है. दुनिया में ऐसी कोई तकनीक नहीं है जो ये बता सके कि दुनिया की अमुक जगह भूकंप आ सकता है. भूंकप आने को लेकर यही अनिश्चततिता इसे और खतरनाक बना देती है. यानी एक ऐसी आपदा जो बहुत ही मारक होती है लेकिन उसके आने की कोई जानकारी नहीं होती और इसलिए बचने के उपाय का सवाल ही कहां उठता है.

ये भी पढ़ें: ज्यादातर भूकंप हिमालय क्षेत्र में ही क्यों आते हैं ?

ऐसे में सोचिए अगर भूंकप आने का पूर्वानुमान हो जाए तो कितनी जानें बच जाएंगी. इस दिशा में वैज्ञानिकों को उत्साह बढ़ाने वाली सफलता हाथ लगी है. या यूं कहें कि वैज्ञानिकों ने भूकंप आने के पूर्वानुमान की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा दिया है. खास बात ये है कि इस खोज की टीम को लीड एक भारतीय मूल की वैज्ञानिक कर रही थीं. आइए जानें इस खास खोज के बारे में.

पिछले वर्ष नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप ने हजारों लोगों की जिंदगियां निगल ली थी

भूकंप के पूर्वानुमान का नया तरीका खोजा गयाः भारतीय मूल की वैज्ञानिक दीपा मेले वीदू के नेतृत्व में एक रिसर्च टीम ने धरती की प्लेटों के हिलने के कारण पैदा हुए स्लो फॉल्ट मूवमेंट्स के आधार पर...

तीन साल पहले नेपाल में आए भूकंप से हुई तबाही को याद कीजिए. उस भूकंप में 10 हजार से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी जबकि अरबों रुपये की संपत्ति कुछ पलों में ही मटियामेट हो गई थी.

भूकंप उन प्राकृतिक आपदाओं में से है जिसके आने का पूर्वानुमान बता पाने में विज्ञान असहाय नजर आता है. दुनिया में ऐसी कोई तकनीक नहीं है जो ये बता सके कि दुनिया की अमुक जगह भूकंप आ सकता है. भूंकप आने को लेकर यही अनिश्चततिता इसे और खतरनाक बना देती है. यानी एक ऐसी आपदा जो बहुत ही मारक होती है लेकिन उसके आने की कोई जानकारी नहीं होती और इसलिए बचने के उपाय का सवाल ही कहां उठता है.

ये भी पढ़ें: ज्यादातर भूकंप हिमालय क्षेत्र में ही क्यों आते हैं ?

ऐसे में सोचिए अगर भूंकप आने का पूर्वानुमान हो जाए तो कितनी जानें बच जाएंगी. इस दिशा में वैज्ञानिकों को उत्साह बढ़ाने वाली सफलता हाथ लगी है. या यूं कहें कि वैज्ञानिकों ने भूकंप आने के पूर्वानुमान की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा दिया है. खास बात ये है कि इस खोज की टीम को लीड एक भारतीय मूल की वैज्ञानिक कर रही थीं. आइए जानें इस खास खोज के बारे में.

पिछले वर्ष नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप ने हजारों लोगों की जिंदगियां निगल ली थी

भूकंप के पूर्वानुमान का नया तरीका खोजा गयाः भारतीय मूल की वैज्ञानिक दीपा मेले वीदू के नेतृत्व में एक रिसर्च टीम ने धरती की प्लेटों के हिलने के कारण पैदा हुए स्लो फॉल्ट मूवमेंट्स के आधार पर भूकंप के पूर्वानुमान का नया रास्ता खोज निकाला है.अब तक वैज्ञानिकों का मानना था कि स्लो फॉल्ट मूवमेंट्स या छोटे कंपनों के कारण रिक्टर स्केल पर 2 की तीव्रता वाले झटकों या भूकंप से बड़े भूकंप के आने की संभावना नहीं होती है.

ये भी पढ़ेः देखिए नेपाल भूकंप के वीडियो जो आपको दहला देंगे

लेकिन अब न्यायांग टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी (एनटीयू) के रिसर्चर्स ने पाया कि ये छोटे कंपन भूकंप आने का संकेत देते हैं. इस टीम ने इसे समझने योग्य पैटर्न भी खोज निकाला. एनटीयू के एशियन स्कूल ऑफ द एनवायरमेंट ऐंड ऐन अर्थ साइंटिस्ट ऐट अर्थ ऑब्जरवेटरी ऑफ सिंगापुर (ईओएस) की सिल्वेन बारबोट ने कहा,'अगर सिर्फ स्लो मूवमेंट्स की पहचान की जाए तो इसका यह मतलब नहीं है कि वहां कोई बड़ा भूकंप नहीं आ सकता है. इसके उलट,'फॉल्ट के उसी क्षेत्र में एक विनाशकारी भूकंप का विस्फोट हो सकता है.'

इस स्टडी टीम का नेतृ्त्व करने वाली बारबोट की पीएचडी स्टूडेंट दीपा मेले वीदू का भूकंप के पूर्वानुमान की स्टडी में अहम रोल रहा है. जर्नल नेचर मैगजीन में छपी इस स्टडी में कहा गया है कि दक्षिणपश्चिम एशिया के पडांग क्षेत्र में कभी भी बड़ा भूकंप आ सका है-क्योंकि बड़े फॉल्ट्स का यही एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां पिछली दो सदियों से कोई भूकंप नहीं आया है.

इस खोज से संभावित बड़े भूकंपों के बारे में ज्यादा सटीक अनुमान लगाया जा सकता है.भले ही अभी भूकंप के पूर्वानुमान के क्षेत्र में बहुत कुछ किया जाना बाकी हो लेकिन निश्चित तौर पर यह खोज आशा की किरण तो जगाती ही है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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