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क्या गूगल की ये नई सुविधा बेरोजगारी को बढ़ा देगी? बातें तो ऐसी ही हो रही हैं !

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 09 जुलाई, 2018 10:22 PM
  • 09 जुलाई, 2018 10:21 PM
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अभी तो आप गूगल के आर्टिफीशियल असिस्टेंट से सिर्फ बातें करते हैं, लेकिन गूगल का डुप्लेक्स आपके एक्पीरियंस को और भी शानदार बना देगा. लेकिन गूगल की ये नई तकनीक ही कॉल सेंटर के कर्मचारियों को डरा रही है.

कंप्यूटर क्रांति का दौर तो आपको याद ही होगा. जब हर ऑफिस में कंप्यूटर लगने शुरू हुए तो लोगों में सबसे बड़ा डर ये फैला कि आखिर अब उन लोगों का क्या होगा जो इन दफ्तरों के काम किया करते थे. डर ये था कि अब कंप्यूटर ही इंसानों के सारे काम करेगा, तो इंसानों का क्या होगा. उनकी तो नौकरी ही छिन जाएगी. एक फिर वही डर कॉल सेंटर के कर्मचारियों को खाए जा रहा है. दरअसल, इसकी वजह ही गूगल की नई नकनीक, जिसे उनसे गूगल डुप्लेक्स नाम दिया है. माना जा रहा है कि गूगल डुप्लेक्स कॉल सेंटर में काम करने वाले इंसानों के बहुत से काम कर सकेगा. इसके चलते अब ये डर जताया जा रहा है कि गूगल की ये नई तकनीक कॉल सेंटर में काम करने वालों की नौकरी खा जाएगी.

क्या है गूगल डुप्लेक्स?

अभी तो आप गूगल के आर्टिफीशियल असिस्टेंट से सिर्फ बातें करते हैं, लेकिन गूगल का डुप्लेक्स आपके एक्पीरियंस को और भी शानदार बना देगा. गूगल एक नई तकनीक पर काम कर रहा है, जिसे गूगल डुप्लेक्स का नाम दिया गया है. इसमें गूगल वास्तविक आवाज की टेस्टिंग कर रहा है. अगर सब कुछ सही रहा तो गूगल डुप्लेक्स का इस्तेमाल कॉल सेंटर में बहुत सारे कामों के लिए किया जाएगा. अब गूगल डुप्लेक्स से बातचीत करना लोगों के लिए कितना आरामदायक होगा, ये देखने वाली बात होगी.

तो क्या वाकई लोगों की नौकरी खा जाएगी ये तकनीक?

लोगों के डर को देखते हुए गूगल ने खुद इस सवाल का जवाब दिया है. गूगल के अनुसार ऐसा कुछ नहीं होने वाला है. गूगल के अनुसार इस नई तकनीक को इंसानों को सुविधा मुहैया कराने के लिए बनाया गया है ना कि उनकी नौकरी खाने के मकसद से. गूगल ने कहा है कि डुप्लेक्स का काम आपकी तरफ से कॉल करना है, ताकि आपका काम आसान हो सके. जैसे, अगर आपको किसी सैलून में बाल कटवाने जाना है तो डुप्लेक्स आपकी तरफ से कॉल करेगा, ताकि...

कंप्यूटर क्रांति का दौर तो आपको याद ही होगा. जब हर ऑफिस में कंप्यूटर लगने शुरू हुए तो लोगों में सबसे बड़ा डर ये फैला कि आखिर अब उन लोगों का क्या होगा जो इन दफ्तरों के काम किया करते थे. डर ये था कि अब कंप्यूटर ही इंसानों के सारे काम करेगा, तो इंसानों का क्या होगा. उनकी तो नौकरी ही छिन जाएगी. एक फिर वही डर कॉल सेंटर के कर्मचारियों को खाए जा रहा है. दरअसल, इसकी वजह ही गूगल की नई नकनीक, जिसे उनसे गूगल डुप्लेक्स नाम दिया है. माना जा रहा है कि गूगल डुप्लेक्स कॉल सेंटर में काम करने वाले इंसानों के बहुत से काम कर सकेगा. इसके चलते अब ये डर जताया जा रहा है कि गूगल की ये नई तकनीक कॉल सेंटर में काम करने वालों की नौकरी खा जाएगी.

क्या है गूगल डुप्लेक्स?

अभी तो आप गूगल के आर्टिफीशियल असिस्टेंट से सिर्फ बातें करते हैं, लेकिन गूगल का डुप्लेक्स आपके एक्पीरियंस को और भी शानदार बना देगा. गूगल एक नई तकनीक पर काम कर रहा है, जिसे गूगल डुप्लेक्स का नाम दिया गया है. इसमें गूगल वास्तविक आवाज की टेस्टिंग कर रहा है. अगर सब कुछ सही रहा तो गूगल डुप्लेक्स का इस्तेमाल कॉल सेंटर में बहुत सारे कामों के लिए किया जाएगा. अब गूगल डुप्लेक्स से बातचीत करना लोगों के लिए कितना आरामदायक होगा, ये देखने वाली बात होगी.

तो क्या वाकई लोगों की नौकरी खा जाएगी ये तकनीक?

लोगों के डर को देखते हुए गूगल ने खुद इस सवाल का जवाब दिया है. गूगल के अनुसार ऐसा कुछ नहीं होने वाला है. गूगल के अनुसार इस नई तकनीक को इंसानों को सुविधा मुहैया कराने के लिए बनाया गया है ना कि उनकी नौकरी खाने के मकसद से. गूगल ने कहा है कि डुप्लेक्स का काम आपकी तरफ से कॉल करना है, ताकि आपका काम आसान हो सके. जैसे, अगर आपको किसी सैलून में बाल कटवाने जाना है तो डुप्लेक्स आपकी तरफ से कॉल करेगा, ताकि आपको सैलून का अप्वाइंटमेंट लेने के लिए होल्ड पर रहकर समय बर्बाद न करना पड़े. द इंफॉर्मेशन वेबसाइट की खबर के मुताबिक गूगल का डुप्लेक्स कॉल सेंटर में लोगों से बात करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. हालांकि, गूगल के एक प्रवक्ता ने इस संभावना को नकार दिया है.

मान लेते हैं कि गूगल डुप्लेक्स को कॉल सेंटर में इस्तेमाल किया जा सकेगा, लेकिन क्या जितनी आसानी से कोई शख्स किसी के सवाल को समझ सकता है, उतनी आसानी से कंप्यूटर समझ पाएगा? खासकर उस देश में, जहां सभी लोग शिक्षित भी नहीं है. गूगल असिस्टेंट पर वॉइस कमांड देना अलग बात है और किसी इंसान से सीधे बात करना अलग. खैर, गूगल डुप्लेक्स लोगों और कंपनियों की उम्मीदों पर कितना खरा उतरेगा, ये देखना दिलचस्प होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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