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हवा और पानी की जरूरत नहीं, देश के 82% लोगों का नशा एक है !

    • आईचौक
    • Updated: 08 सितम्बर, 2017 03:51 PM
  • 08 सितम्बर, 2017 03:51 PM
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इन लोगों के लिए फेसबुक, व्हाट्स ऐप, ट्वीटर, यू-ट्यूब है जिंदगी. धड़कन चले ना चले, सांसे चले ना चले, लेकिन इंटरनेट जरूर चलना चाहिए.

मेरा दावा है कि आप बिना इंटरनेट के नहीं रह सकते हैं. खास तौर से गुगल, फेसबुक, ट्वीटर, व्हाट्स ऐप के बिना तो आप अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. इस लिस्ट में यू-ट्युब, हॉटस्टार और जिओ टीवी तो रह ही गया. अब टीवी भी तो हम इंटरनेट के जरिए ही देखते हैं. और फिर बीबी की वाइन्स, एआईबी के शोज को हम कैसे भूल सकते हैं. इनके बिना तो सच में जीने का कोई मतलब नहीं है. मतलब साफ है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स और मैसेजिंग एप पर समय बर्बाद करना ही जिंदगी है ? या फिर इंटरनेंमेंट को हम जिंदगी मान लें ? मैं कोई फालतू के दावे नहीं कर रहा हूं. बल्कि ताजा कुछ रिपोर्ट्स में आए तथ्यों के आधार पर मैं अपनी बात रख रहा हूं.

टेक्नोलॉजी के पीछे लोगों की सोच को लेकर इप्सोस ने एक सर्वे किया है. 23 देशों में किए गए इस सर्वे का नतीजा चौंकानेवाला निकला. इन 23 देशों के 18,180 लोगों से एक ही सवाल पूछा गया था- 'क्‍या आप इंटरनेट के बिना अपने जीवन की कल्‍पना करते हैं ?' तो हम भारतीयों ने बढ़-चढ़कर इंटरनेट के प्रति गुलामी का इजहार किया. देश के 82 फीसदी इंटरनेट यूजर्स ने कहा कि हम इंटरनेट के बिना अपने जीवन की कल्‍पना नहीं कर सकते. जबकि दुनियाभर में यह औसत 66 प्रतिशत था.

सर्वेबता दें कि भारत में करीब 42 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. यह संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है. हैरानी की बात यह है कि शहरी यूजर्स के मुकाबले ग्रामीण यूजर्स की संख्या में काफी तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है. खैर उन 82 प्रतिशत लोगों की बात करते हैं, जिनके लिए इंटरनेट ही जिंदगी है. मेरी मीकर इंटरनेट ट्रेंड्स की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार एक भारतीय इंटरनेट पर अपने कुल समय का 45 प्रतिशत हिस्सा इंटरटेंमेंट के लिए व्यतीत करता है. जैसे यूट्यूब पर वीडियो देखना, मोबाइल टीवी के लिए आदि....

मेरा दावा है कि आप बिना इंटरनेट के नहीं रह सकते हैं. खास तौर से गुगल, फेसबुक, ट्वीटर, व्हाट्स ऐप के बिना तो आप अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. इस लिस्ट में यू-ट्युब, हॉटस्टार और जिओ टीवी तो रह ही गया. अब टीवी भी तो हम इंटरनेट के जरिए ही देखते हैं. और फिर बीबी की वाइन्स, एआईबी के शोज को हम कैसे भूल सकते हैं. इनके बिना तो सच में जीने का कोई मतलब नहीं है. मतलब साफ है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स और मैसेजिंग एप पर समय बर्बाद करना ही जिंदगी है ? या फिर इंटरनेंमेंट को हम जिंदगी मान लें ? मैं कोई फालतू के दावे नहीं कर रहा हूं. बल्कि ताजा कुछ रिपोर्ट्स में आए तथ्यों के आधार पर मैं अपनी बात रख रहा हूं.

टेक्नोलॉजी के पीछे लोगों की सोच को लेकर इप्सोस ने एक सर्वे किया है. 23 देशों में किए गए इस सर्वे का नतीजा चौंकानेवाला निकला. इन 23 देशों के 18,180 लोगों से एक ही सवाल पूछा गया था- 'क्‍या आप इंटरनेट के बिना अपने जीवन की कल्‍पना करते हैं ?' तो हम भारतीयों ने बढ़-चढ़कर इंटरनेट के प्रति गुलामी का इजहार किया. देश के 82 फीसदी इंटरनेट यूजर्स ने कहा कि हम इंटरनेट के बिना अपने जीवन की कल्‍पना नहीं कर सकते. जबकि दुनियाभर में यह औसत 66 प्रतिशत था.

सर्वेबता दें कि भारत में करीब 42 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. यह संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है. हैरानी की बात यह है कि शहरी यूजर्स के मुकाबले ग्रामीण यूजर्स की संख्या में काफी तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है. खैर उन 82 प्रतिशत लोगों की बात करते हैं, जिनके लिए इंटरनेट ही जिंदगी है. मेरी मीकर इंटरनेट ट्रेंड्स की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार एक भारतीय इंटरनेट पर अपने कुल समय का 45 प्रतिशत हिस्सा इंटरटेंमेंट के लिए व्यतीत करता है. जैसे यूट्यूब पर वीडियो देखना, मोबाइल टीवी के लिए आदि. वहीं 34 प्रतिशत हिस्सा सर्च इंजन, सोशल मीडिया और मैसेजिंग एप (फेसबुक, वॉट्सएप आदि) के फिजूल इस्तेमाल पर खर्च कर देता है. 4 फीसदी समय ऑनलाइन शॉपिंग के हवाले कर दिया जाता है. जहां तक इंटरनेट पर समय के सदुपयोग की बात करें तो माना जा सकता है कि 2 प्रतिशत हिस्सा न्यूज और मीडिया को मिलता हैं. वहीं 2 प्रतिशत फाइनेंस से जुड़ा काम के लिए.

सर्वेइंटरनेट पर इंटरटेंमेंट के बढ़ते डिमांड के कारण, वेब वीडियो शोज का भी मार्केट बढ़ा है. ज्यादातर लोग मनोरंजन के लिए शॉर्टफार्म कंटेंट, जैसे कि 'हिंग्लिश' स्टैंडअप कॉमेडी को तरजीह देते हैं. जो कि मोबाइल के फॉर्मेट को सेट करता हो, और मैसेजिंग चैनल के जरिए शेयर की जा सके. वहीं प्ले स्टोर से डाउनलोड किए जाने वाले ऐप्स की बात करें तो इसमें मैसेंजिग ऐप्स का बोलवाला है. यूएस के दो मैसेंजिग ऐप्स व्हाटसऐप और फेसबुक मैसेंजर गुगल प्ले स्टोर से सबसे ज्यादा डाउनलोड किए जाने ऐप्स है. इस लिस्ट में सबसे उच्ची छलांग जियो टीवी ने लगाई है. पिछले साल तक यह ऐप लिस्ट में 301 नंबर पर थी. अब 9 वें स्थान पर आ गई है. जाहिर है लोगों में इंटरटेंमेंट का क्रेज ही इंटरनेट को चला रही है.

सर्वे

...तो भारत में इंटरनेट की दीवानगी की वजह आप जान गए होंगे. हालांकि, इंटरनेट का यह नशा फैलाने में जियो ने भी बड़ा योगदान दिया है. जब मुफ्त में डेटा मिले तो सर्फिंग करने में क्‍या हर्ज है. आप किसी सोसाइटी के चौकीदार से लेकर स्‍कूल, कॉलेज को छात्रों तक को देख लीजिए. सबकी नजर मोबाइल स्‍क्रीन पर ही नजर आएगी. लेकिन इस सबमें वह वक्‍त आने में समय है, जब यही इंटरनेट बड़े पैमाने पर ज्ञान और रोजगार का जरिया बनेगा !

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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