• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
टेक्नोलॉजी

आखिर कितना जरूरी था फ्लाइट से कॉल करना?

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 02 मई, 2018 03:00 PM
  • 02 मई, 2018 03:00 PM
offline
भारत जैसे देश में, जहां लोग फोन पर गाने भी बिना ईयरफोन के आवाज तेज कर के सुनने लग जाते हैं, वहां पर उड़ान के दौरान मोबाइल इस्तेमाल करने की इजाजत देने का मतलब है कि सिर फुटव्वल के कुछ किस्से सुनने को जरूर मिलेंगे.

राष्‍ट्रीय दूरसंचार नीति (National telecom policy) का ड्राफ्ट पेश करते हुए दूरसंचार आयोग ने उड़ान के दौरान फोन कॉल करने और इंटरनेट का इस्तेमाल करने को मंजूरी दे दी है. यानी अब आप धरती पर हों या फिर हजारों फुट ऊपर हवा में, आप हर वक्त मोबाइल सेवा का इस्तेमाल कर सकते हैं. फिलहाल फ्लाइट में फोन के इस्‍तेमाल पर पाबंदी है, क्‍यो‍ंकि इससे एयरलाइंस और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के बीच कम्‍युनिकेशन में बाधा पड़ती है. लेकिन नई टेक्‍नोलॉजी के आ जाने से इस पाबंदी की जरूरत नहीं रह जाएगी. अब सवाल ये उठ रहा है कि भारत जैसे देश में, जहां ज्‍यादातर उड़ान दो घंटे के भीतर पूरी हो जाती हैं, वहां इस सुविधा के उपयोग का कितना औचित्‍य रहेगा? कहीं यही सुविधा, नई समस्‍या तो नहीं बन जाएगी? देश में इसे लेकर व्‍यापक बहस चल रही है...

एक प्लेन ही तो था जहां पर कुछ घंटों के लिए लोग मोबाइल छोड़ते थे, लेकिन अब वहां भी मोबाइल से चिपके रहेंगे.

क्या वाकई में इसकी जरूरत थी? क्या कुछ घंटे मोबाइल बंद नहीं रखा जा सकता था? जब उड़ते हुए प्लेन में लोग फोन पर बात करेंगे तो क्या इससे आस-पास बैठे यात्रियों को दिक्कत नहीं होगी? एक प्लेन ही तो था जहां पर कुछ घंटों के लिए लोग मोबाइल छोड़ते थे, लेकिन अब हवा में भी लोग मोबाइल से चिपके रहेंगे. भारत जैसे देश में, जहां लोग फोन पर गाने भी बिना ईयरफोन के आवाज तेज कर के सुनने लग जाते हैं, वहां पर उड़ान के दौरान मोबाइल इस्तेमाल करने की इजाजत देने का मतलब है कि सिर फुटव्वल के कुछ किस्से सुनने को जरूर मिलेंगे. इस सुविधा के बाकी पहलू पर बात करने से पहले जान लीजिए कि उड़ान के दौरान मोबाइल इस्‍त‍ेमाल करना, आम मोबाइल इस्‍तेमाल करने से किस तरह अलग होगा.

फ्लाइट में जाकर हमारा फोन हो जाएगा...

राष्‍ट्रीय दूरसंचार नीति (National telecom policy) का ड्राफ्ट पेश करते हुए दूरसंचार आयोग ने उड़ान के दौरान फोन कॉल करने और इंटरनेट का इस्तेमाल करने को मंजूरी दे दी है. यानी अब आप धरती पर हों या फिर हजारों फुट ऊपर हवा में, आप हर वक्त मोबाइल सेवा का इस्तेमाल कर सकते हैं. फिलहाल फ्लाइट में फोन के इस्‍तेमाल पर पाबंदी है, क्‍यो‍ंकि इससे एयरलाइंस और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के बीच कम्‍युनिकेशन में बाधा पड़ती है. लेकिन नई टेक्‍नोलॉजी के आ जाने से इस पाबंदी की जरूरत नहीं रह जाएगी. अब सवाल ये उठ रहा है कि भारत जैसे देश में, जहां ज्‍यादातर उड़ान दो घंटे के भीतर पूरी हो जाती हैं, वहां इस सुविधा के उपयोग का कितना औचित्‍य रहेगा? कहीं यही सुविधा, नई समस्‍या तो नहीं बन जाएगी? देश में इसे लेकर व्‍यापक बहस चल रही है...

एक प्लेन ही तो था जहां पर कुछ घंटों के लिए लोग मोबाइल छोड़ते थे, लेकिन अब वहां भी मोबाइल से चिपके रहेंगे.

क्या वाकई में इसकी जरूरत थी? क्या कुछ घंटे मोबाइल बंद नहीं रखा जा सकता था? जब उड़ते हुए प्लेन में लोग फोन पर बात करेंगे तो क्या इससे आस-पास बैठे यात्रियों को दिक्कत नहीं होगी? एक प्लेन ही तो था जहां पर कुछ घंटों के लिए लोग मोबाइल छोड़ते थे, लेकिन अब हवा में भी लोग मोबाइल से चिपके रहेंगे. भारत जैसे देश में, जहां लोग फोन पर गाने भी बिना ईयरफोन के आवाज तेज कर के सुनने लग जाते हैं, वहां पर उड़ान के दौरान मोबाइल इस्तेमाल करने की इजाजत देने का मतलब है कि सिर फुटव्वल के कुछ किस्से सुनने को जरूर मिलेंगे. इस सुविधा के बाकी पहलू पर बात करने से पहले जान लीजिए कि उड़ान के दौरान मोबाइल इस्‍त‍ेमाल करना, आम मोबाइल इस्‍तेमाल करने से किस तरह अलग होगा.

फ्लाइट में जाकर हमारा फोन हो जाएगा सैटेलाइट फोन

बहुत सारे देशों में उड़ान के दौरान मोबाइल सेवा इस्तेमाल करने यानी 'इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी' की इजाजत है, जिसे देख कर भारत के लोगों को ये जरूर लगता होगा कि हम पिछड़े हैं. यहां एक बात जाननी जरूरी है कि इसके लिए ग्राहकों को एक कीमत भी चुकानी होती है और भारत में अब ये सुविधा शुरू होगी यानी आपकी भी जेब खंगाली जाएगी. खैर, आपको ये बताते चलें कि उड़ान के दौरान फोन पर बात करने या इंटरनेट इस्तेमाल करने की ये मंजूरी सशर्त दी गई है. आप कम से कम 3000 फुट की ऊंचाई पर विमान के पहुंचने के बाद ही मोबाइल फोन का इस्‍तेमाल कर पाएंगे. ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि फ्लाइट के कम्युनिकेशन सिस्टम में कोई बाधा न पड़े. हालांकि, लोगों को इस शर्त से कोई दिक्कत नहीं होने वाली, क्योंकि विमान को उड़ान भरने के बाद 3000 फुट की ऊंचाई पर पहुंचने में करीब 5 मिनट का ही समय लगता है.

एक बात समझना जरूरी है कि उड़ान के दौरान आपको अपने मोबाइल नेटवर्क के इस्‍तेमाल की जो इजाजत पहले नहीं थी, वो आगे भी नहीं होगी. यानी आप मोबाइल पर अपने नेटवर्क की सेवाओं का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. बल्कि फ्लाइट के अंदर आपको एक अलग नेटवर्क से जोड़ा जाएगा, जो सैटेलाइट के जरिए होगा. उड़ान के दौरान इस तरह आपका फोन एक सैटेलाइट फोन बन जाएगा. जिसका इस्तेमाल करते हुए आप मोबाइल कॉल कर सकेंगे और इंटरनेट इस्तेमाल कर सकेंगे. आपको बता दें कि इस सुविधा के लिए आपको अलग से पैसे भी चुकाने होंगे.

तो कितने रुपए निकालने होंगे जेब से?

इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी के लिए कंपनियों को अलग से लाइसेंस दिए जाएंगे, जिनसे सरकार लाइसेंस फीस के नाम पर औपचारिकता पूरी करते हुए 1 रुपए सालाना की लाइसेंस फीस वसूलेगी. यानी लाइसेंस का बोझ ग्राहकों की जेब पर नहीं पड़ेगा. वहीं दूसरी ओर आपको ये जानना जरूरी है कि कंपनियों को विमान यात्रियों से अंतरराष्ट्रीय चलन के हिसाब से पैसे वसूलने की आजादी होगी. यानी ये कंपनियां दाम कितने रखेंगी, इसमें सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी. इस तरह से देखा जाए तो इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी की सुविधा ग्राहकों को फायदा पहुंचाने से अधिक कंपनियों की कमाई बढ़ाने का जरिया लगती है. ऐसे में अगर आप सोच रहे हैं कि उड़ान के दौरान जियो का मुफ्त वाला डेटा इस्तेमाल करेंगे तो ऐसा नहीं होगा. माना जा रहा है कि यात्रियों से दो-तीन घंटों की फ्लाइट के दौरान इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए 200-300 रुपए लिए जा सकते हैं, जिसे ग्राहक आसानी से दे भी देंगे.

किस तकनीक का होगा इस्तेमाल?

इंडियन एयरस्पेस में लोगों को इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी की सुविधा देने के लिए INSAT सिस्टम (इंडियन सैटेलाइट सिस्टम या स्पेस डिपार्टमेंट द्वारा लीज पर लिए गया विदेशी सैटेलाइट) का इस्तेमाल किया जाएगा या फिर INSAT सिस्टम से बाहर के विदेशी सैटेलाइट का इस्तेमाल किया जाएगा. ट्राई के अनुसार अभी एशिया, यूरोपियन यूनियन और ऑस्ट्रेलिया समेत करीब 40 क्षेत्रों में उड़ान के दौरान मोबाइल सेवा इस्तेमाल करने की इजाजत है. ये सेवा 30 से भी अधिक एयरलाइन कंपनियां दे रही हैं, जिनमें एयरएशिया, एयर फ्रांस, ब्रिटिश एयरवेज, इजिप्ट एयर, एमीरेट्स, एयर न्यूजीलैंड, मलेशिया एयरलाइंस, कतर एयरवेज और वर्जिन अटलांटिक भी शामिल हैं.

ट्विटर पर बहस का मुद्दा बना ये फैसला

इंडिया टुडे के मैनेजिंग एडिटर राहुल कवल ने दूरसंचार आयोग के इस फैसले पर ट्वीट करते हुए कहा है कि फ्लाइट में उड़ान के दौरान फोन कॉल करने को मंजूरी देना डराने वाला है. तेज आवाज में बात करने के हमारे जुनून को देखा जाए तो यह फैसला एक डरावना ख्वाब बन सकता है. अभी भी बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें लगता है कि बिना ईयरफोन के गाने सुनने में भी कोई दिक्कत नहीं है.

बिना ईयरफोन के मोबाइल में तेज आवाज में गाने सुनने से सिर्फ राहुल कवल ही परेशान नहीं है, बल्कि और भी लोगों को इससे दिकक्त है.

इससे सिर्फ दिक्कत होगी, ऐसा सबका मानना नहीं है. कुछ लोग यह भी मानते हैं कि फ्लाइट में मिलने वाली ये सुविधाएं काफी महंगी होंगी, जिन्हें हर कोई इस्तेमाल नहीं कर सकेगा.

एक ट्विटर यूजर का मानना है कि लोगों को सभ्य होना पड़ेगा, इनोवेशन और तकनीक को रोका नहीं जा सकता है.

चलते-चलते इस ट्विटर यूजर का ट्वीट भी देख लीजिए कि कैसे होगा जब ये नई सुविधा शुरू हो जाएगी.

जिस नई सुविधा को दूरसंचार आयोग ने मंजूरी दी है, उससे कुछ लोग खुश हैं तो कुछ को यह एक बड़ी दिक्कत वाली बात लग रही है. खैर, इस सुविधा का इस्तेमाल कैसे और कितना होगा, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, क्योंकि हवा में होने वाल कॉल जियो जैसी मुफ्त तो होगी नहीं. हर मिनट के लिए आपको कीमत चुकानी होगी.

 

ये भी पढ़ें-

फ्लाइट टिकट कैंसिलेशन चार्ज का ये गणित हर यात्री को समझ लेना चाहिए

VIDEO: हेलमेट ना पहनने पर यहां चालान नहीं कटता, जूतों से होती है पिटाई!

इनके लिए IPL का मतलब बाउंडरी पर खड़ी चीयर-लीडर्स हैं


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    मेटा का ट्विटर किलर माइक्रो ब्लॉगिंग एप 'Threads' आ गया...
  • offline
    क्या Chat GPT करोड़ों नौकरियों के लिये खतरा पैदा कर सकता है?
  • offline
    Google Bard है ही इतना भव्य ChatGPT को बुरी तरह से पिछड़ना ही था
  • offline
    संभल कर रहें, धोखे ही धोखे हैं डिजिटल वर्ल्ड में...
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲