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मोदी सरकार के नाम पर चल रही इन दुकानों पर गए तो 'लुटना' तय समझिए

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 28 जुलाई, 2018 03:38 PM
  • 28 जुलाई, 2018 03:38 PM
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मोदी सरकार मुफ्त में साइकिल और हेलमेट बांट रही है. इसके लिए आपको सिर्फ अपना नाम, पता और स्कूल का नाम भरना है, जिसके बाद आपको 15 अगस्त को साइकिल या हेलमेट दिया जाएगा. आपको भी ऐसा मैसेज मिलें तो सावधान रहें.

'फ्री साइकिल वितरण योजना भारत सरकार

सभी लड़के और लड़कियों को मिलेगी मुफ्त में साइकिल

सभी साइकिलें 15 अगस्त को बांटी जाएंगी, यहां से अपना फॉर्म भरें- http://Bharat-Sarkar.co/साइकिल

विनती: कृपया इस मैसेज को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और सारे ग्रुप्स में शेयर करें.'

ये वो मैसेज है जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और कह रहा है कि मोदी सरकार मुफ्त में साइकिल और हेलमेट बांट रही है. इसके लिए आपको सिर्फ अपना नाम, पता और स्कूल का नाम भरना है, जिसके बाद आपको 15 अगस्त को साइकिल या हेलमेट दिया जाएगा. मैसेज के साथ कुछ वेबसाइट के लिंक शेयर किए जा रहे हैं. इन लिंक में भारत सरकार और पीएम योजना जैसे शब्द लिखे हुए हैं, जिन्हें देखकर किसी को भी ऐसा लग सकता है कि ये सरकारी वेबसाइट है, लेकिन ये सिर्फ एक फर्जीवाड़े के अलावा और कुछ नहीं है. यहां आपसे कोई पैसे तो नहीं मांगे जा रहे हैं, लेकिन आपकी जानकारी जरूर ली जा रही है. और अगर आपकी जानकारी का गलत इस्तेमाल किया गया तो वो आपको लूटने जैसा ही है.

इन वेबसाइट के पेज पर पीएम मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है.

इन वेबसाइट के लिंक शेयर करने के लिए यूं तो सबसे अधिक वाट्सऐप का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन फेसबुक पर भी लोग इसे खूब शेयर कर रहे हैं. चलिए आपको बताते हैं इसका सच.

वाट्सऐप के अलावा फेसबुक पर भी ये मैसेज और लिंक तेजी से शेयर किए जा रहे हैं.

ये हैं वो लिंक

मैसेज में...

'फ्री साइकिल वितरण योजना भारत सरकार

सभी लड़के और लड़कियों को मिलेगी मुफ्त में साइकिल

सभी साइकिलें 15 अगस्त को बांटी जाएंगी, यहां से अपना फॉर्म भरें- http://Bharat-Sarkar.co/साइकिल

विनती: कृपया इस मैसेज को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और सारे ग्रुप्स में शेयर करें.'

ये वो मैसेज है जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और कह रहा है कि मोदी सरकार मुफ्त में साइकिल और हेलमेट बांट रही है. इसके लिए आपको सिर्फ अपना नाम, पता और स्कूल का नाम भरना है, जिसके बाद आपको 15 अगस्त को साइकिल या हेलमेट दिया जाएगा. मैसेज के साथ कुछ वेबसाइट के लिंक शेयर किए जा रहे हैं. इन लिंक में भारत सरकार और पीएम योजना जैसे शब्द लिखे हुए हैं, जिन्हें देखकर किसी को भी ऐसा लग सकता है कि ये सरकारी वेबसाइट है, लेकिन ये सिर्फ एक फर्जीवाड़े के अलावा और कुछ नहीं है. यहां आपसे कोई पैसे तो नहीं मांगे जा रहे हैं, लेकिन आपकी जानकारी जरूर ली जा रही है. और अगर आपकी जानकारी का गलत इस्तेमाल किया गया तो वो आपको लूटने जैसा ही है.

इन वेबसाइट के पेज पर पीएम मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है.

इन वेबसाइट के लिंक शेयर करने के लिए यूं तो सबसे अधिक वाट्सऐप का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन फेसबुक पर भी लोग इसे खूब शेयर कर रहे हैं. चलिए आपको बताते हैं इसका सच.

वाट्सऐप के अलावा फेसबुक पर भी ये मैसेज और लिंक तेजी से शेयर किए जा रहे हैं.

ये हैं वो लिंक

मैसेज में bharat-sarkar.co, bharat-sarkar.com, pm-yojna.in और helmet.pm-yojna.in जैसे लिंक शेयर किए जा रहे हैं. इन पर क्लिक करते ही आपके सामने एक पेज खुलता है, जिसमें आपसे आपकी जानकारी मांगी जा रही है. आपको अपना नाम, पिता का नाम, स्कूल का नाम और पता जैसी जानकारियां भरनी हैं. दावा किया जा रहा है कि ये जानकारियां देकर आप 15 अगस्त को इस सरकारी योजना के तहत फायदा पा सकते हैं. हालांकि, ऐसा होगा कुछ नहीं. आप सिर्फ अपनी जानकारी किसी दूसरे को दे देंगे. हो सकता है कि आपकी जानकारियों का गलत इस्तेमाल भी किया जाए. ये सब सिर्फ एक फर्जीवाड़ा है, इसका पता करने के कई रास्ते हैं. चलिए हर एक तरीके से जानते हैं इस फर्जीवाड़े को.

नियम व शर्तें खोल रही हैं राज

शुरुआत करते हैं हर वेबसाइट पर दिए गए नियम व शर्तों से. जैसे ही इन पर क्लिक करते हैं तो वहां लिखा मिलता है कि यह वेबसाइट न तो सरकार की है ना ही किसी अन्य राजनीतिक पार्टी की है. साथ ही यह भी लिखा है कि साइकिल, लैपटॉप, हेलमेट आदि बांटने या न बांटने का पूरा अधिकार वेबसाइट के पास है, जिसे कभी भी रद्द किया जा सकता है. दरअसल, इस तरह नियम व शर्तें देकर वेबसाइट बनाने वाला खुद को सरकार के नाम पर फर्जीवाड़ा करने के आरोप से बचाने के लिए कर रहा है. इसीलिए उसने लिख दिया है कि यह वेबसाइट सरकार से जुड़ी हुई नहीं है. हालांकि, अभी भी इस वेबसाइट पर फर्जीवाड़ा करने के आरोप में रोक तो लगाई ही जा सकती है.

नियम व शर्तों में साफ लिखा है कि ये सरकारी वेबसाइट नहीं है.

वेबसाइट का डोमेन सरकारी नहीं

जिन भी वेबसाइट के लिंक शेयर हो रहे हैं वो .co या .com या .in डोमेन के हैं, जबकि सरकारी वेबसाइट ऐसे डोमेन पर नहीं होती हैं. सरकारी वेबसाइट या तो gov.in पर होगी या फिर nic.in पर होगी. साथ ही, अगर इन वेबसाइट्स के आईपी एड्रेस चेक करें तो वो सिंगापुर के दिखाता है. जबकि अगर ये सरकारी वेबसाइट होतीं तो इसकी लोकेशन भारत होती.

इन वेबसाइट की लोकेशन भी भारत की नहीं, बल्कि सिंगापुर की है.

आखिर सिर्फ डेटा से क्या मिलेगा?

अगर ध्यान से देखा जाए तो वेबसाइट ने अपनी नियम व शर्तों में कहा है कि वह किसी का डेटा कलेक्ट नहीं कर रही है और इस योजना को कभी भी रद्द कर सकती है. दरअसल, इसके तहत किसी को कुछ नहीं मिलेगा. ये भी हो सकता है कि वाकई ये वेबसाइट कोई डेटा जमा ही नहीं कर रही हो. गौर करें तो पता चलेगा कि हर वेबसाइट पर दिख रहे पेज पर कुछ गूगल एडसेंस के विज्ञापन हैं, जिनसे वेबसाइट बनाने वाला कमाई कर रहा है. जैसे ही आपने किसी विज्ञापन पर क्लिक किया, वैसे ही वेबसाइट बनाने वाले के गूगल एडसेंस के खाते में पैसे पहुंचना शुरू हो जाएंगे.

इन वेबसाइट का इस्तेमाल करते हुए गूगल एडसेंस के विज्ञापन से पैसे कमाए जा रहे हैं.

ऐसा पहली बार नहीं है कि कोई फर्जी वेबसाइट बनाकर पैसे कमा रहा है. इससे पहले भी कभी जियो के नाम पर तो कभी खुद पीएम मोदी द्वारा पैसे दिए जाने के नाम पर फर्जी वेबसाइट चली हैं. इन वेबसाइट से किसी यूजर को कोई नुकसान होने की खबर तो कभी नहीं आई, लेकिन हां, इस तरह से झूठ बोलकर पैसे कमाना भी एक तरह की ठगी ही है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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