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टेक्नोलॉजी

फेसबुक पहले हमारे रिश्‍तों में घुसा, अब दिगाम में घुसने जा रहा है

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 20 अप्रिल, 2017 09:09 PM
  • 20 अप्रिल, 2017 09:09 PM
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फेसबुक ऐसी टेक्नोलॉजी पर कर रहा है काम, जिसके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे. ये कोई चमत्कार से कम नहीं है...

फेसबुक अब वो करने जा रहा है जो किसी ने सोचा नहीं होगा. फेसबुक पर आपको ख्वाबों की दुनिया में ले जाएगा. जी हां, अब जो सोचेंगे वो होगा. फेसबुक ऐसी टेक्नोलॉजी पर कर रहा है काम, जिसके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे. इसे 'साइलेंट कम्युनिकेशन' का नाम दिया गया है. यानी आप जो अपने दिमाग में सोच रहे होंगे, वह आपके कंप्यूटर में टाइप हो जाएगा.

पिछले कुछ सालों से फेसबुक बिल्डिंग 8 पर काम कर रहा था, अब उसने आखिरकार पर्दा हटा ही दिया. फेसबुक के सालाना डेवलपर कॉन्फ्रेंस F8 में अपने इस अत्याधुनिक प्रोजेक्ट Buiding 8 के बारे में बताया है. फेसबुक के वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंजीनियरिंग एंड हेड ऑफ सीक्रेटिव बिल्डिंग 8, रेजिना डुगन ने बताया भविष्य क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी से भरा हुआ है, जो हमें बिना टाइप किए लोगों से संवाद करने में सक्षम बनाएगी.

फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्क के मुताबिक सोशल नेटवर्क फेसबुक ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है जो एक दिन सिर्फ दिमाग के जरिए बातचीत संभव बना देगी. रेगिना डुगन ने बताया की 60 लोगों की उनकी टीम सिर्फ ब्रेन वेव के जरिए एक मिनट में 100 वर्ड्स टाइप करने पर काम कर रही है.

दृष्टिहीनों के लिए वरदान... लेकिन, गलत सोच वालों के लिए खतरनाक

फेसबुक का ये आइडिया दृष्टिहीनों के लिए सबसे बेस्ट हैं... टाइप करने की जरूरत नहीं, जो सोचा वो अपने आप स्क्रीन पर आ गया. लेकिन ये फैसिलिटी उनके लिए खतरनाक है जो गलत सोच के साथ फेसबुक करते हैं. मसलन आप अपने दोस्तों के साथ फेसबुक कर रहे हैं और कुछ गलत सोच दिमाग में आ गई और स्क्रीन पर अपने आप आ गई तो क्या होगा.

फेसबुक अब वो करने जा रहा है जो किसी ने सोचा नहीं होगा. फेसबुक पर आपको ख्वाबों की दुनिया में ले जाएगा. जी हां, अब जो सोचेंगे वो होगा. फेसबुक ऐसी टेक्नोलॉजी पर कर रहा है काम, जिसके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे. इसे 'साइलेंट कम्युनिकेशन' का नाम दिया गया है. यानी आप जो अपने दिमाग में सोच रहे होंगे, वह आपके कंप्यूटर में टाइप हो जाएगा.

पिछले कुछ सालों से फेसबुक बिल्डिंग 8 पर काम कर रहा था, अब उसने आखिरकार पर्दा हटा ही दिया. फेसबुक के सालाना डेवलपर कॉन्फ्रेंस F8 में अपने इस अत्याधुनिक प्रोजेक्ट Buiding 8 के बारे में बताया है. फेसबुक के वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंजीनियरिंग एंड हेड ऑफ सीक्रेटिव बिल्डिंग 8, रेजिना डुगन ने बताया भविष्य क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी से भरा हुआ है, जो हमें बिना टाइप किए लोगों से संवाद करने में सक्षम बनाएगी.

फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्क के मुताबिक सोशल नेटवर्क फेसबुक ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है जो एक दिन सिर्फ दिमाग के जरिए बातचीत संभव बना देगी. रेगिना डुगन ने बताया की 60 लोगों की उनकी टीम सिर्फ ब्रेन वेव के जरिए एक मिनट में 100 वर्ड्स टाइप करने पर काम कर रही है.

दृष्टिहीनों के लिए वरदान... लेकिन, गलत सोच वालों के लिए खतरनाक

फेसबुक का ये आइडिया दृष्टिहीनों के लिए सबसे बेस्ट हैं... टाइप करने की जरूरत नहीं, जो सोचा वो अपने आप स्क्रीन पर आ गया. लेकिन ये फैसिलिटी उनके लिए खतरनाक है जो गलत सोच के साथ फेसबुक करते हैं. मसलन आप अपने दोस्तों के साथ फेसबुक कर रहे हैं और कुछ गलत सोच दिमाग में आ गई और स्क्रीन पर अपने आप आ गई तो क्या होगा.

स्किन के जरिए आप सुन सकेंगे

यह दूसरा प्रोजेक्ट है जिसके तहत इंसान अपनी स्किन के जरिए सुन सकता है. कंपनी ने कहा है कि वो स्किन के जरिए लैंग्वेज डिलिवर करने के लिए जरूरी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर तैयार कर रही है. इंसान की स्किन 2m2 नर्व्स का नेटवर्क होता है जो दिमाग तक इनफॉर्मेशन ले जाता है.

एक चश्मे से बदलेगी दुनिया

फेसबुक F8 डेवलपर कॉन्फ्रेंस के पहले दिन जकरबर्ग ने फ्यूचर टेक्नीक्स के बारे में ब्रीफ किया. AR (ऑगमेंटेड रियलटी) के बारे में बताते हुए जकरबर्ग ने कहा कि यह टेक्नीक दुनिया देखने के नजरिया बदल देगी. जकरबर्ग का कहना है कि फ्यूचर में लोगो को कोई गैजेट या स्क्रीन खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) ग्लासेस से ही लोगों को डिजिटल कन्टेंट एक्सपीरियंस करने का मौका मिलेगा.

जकरबर्ग का कहना है कि हम पहला AR कैमरा लाने पर काम कर रहें हैं. इसमें कैमरा टूल्स और इफेक्ट्स भी होंगे. यानी इंडिया में लोगों को फेसबुक पर वो सबकुछ मिलने जा रहा है जिसका उन्होंने सोचा भी नहीं होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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