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जब चांदनी चौक से गुजरी ड्राइवरलेस कार !

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 23 अक्टूबर, 2016 05:08 PM
  • 23 अक्टूबर, 2016 05:08 PM
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कार टेक्‍नोलॉजी की बड़ी छलांग है ड्राइवरलेस कार. टेस्ला मॉडल X दौड़ पेश कर दी है. अब मतलब का सवाल. क्या यह भारतीय सड़कों पर चल पाएगी. इसी सवाल के मद्देनजर इसके फीचर्स का एक जायजा लिया.

जरा सोचो तो अगर आपके पास ड्राइवरलेस कार हो तो क्या करेंगे आप? टेस्ला मोर्टस के सीईओ एलन मस्क ने जब पहली बार अपने ऑटोपायलट सॉफ्टवेर की तारीफ की थी तभी मैंने सोच लिया था कि अब यही गाड़ी बनेगी मेरी सवारी. मास्टर एलन ने इसकी इतनी खूबियां बताईं कि लग रहा है जैसे अब एक्सीडेंट की तो कोई गुंजाइश ही नहीं है. क्या आपने इसके बारे में नहीं सुना ? अरे टेस्ला के एलन मस्क ने ये बात पूरी दुनिया के सामने कही है कि टेस्ला मॉडल S, X और 3 ऑटोपायलेट लेवल 5 के फीचर्स के साथ आएंगी. इसका मतलब ना ही इसे चलाने और ना पार्क करने के लिए ड्राइवर की जरूरत होगी. लेवल 0 का मतलब आपकी कार में कोई ऑटोमेशन नहीं है और लेवल 5 का मतलब ये पूरी तरह से ऑटोमेटेड है. एक वीडियो भी तो जारी किया गया है इसके लिए. भले ही अभी इस तकनीक को पूरी तरह से सड़कों पर आने में 5 साल लग जाएं, लेकिन गुरू खयालों में तो ये आ गई.

इसे लेने की चाह इतनी प्रबल हो गई कि बस मन में सपने बुनने लगी. कोई ड्राइविंग पर सवाल उठाएगा नहीं. कितना अच्छा होगा वो पल कोई मजाक है क्या? मेरी गाड़ी बिना ड्राइवर के चलती है. सलमान के बाद पहली बार भारत में मेरे पास ही ये तकनीक है. दिन में सपने देखते-देखते अचानक ऐसा लगा जैसे किसी टाइम मशीन में बैठकर मैं 5 साल आगे बढ़ गई हूं और दिल्ली की सड़कों पर मेरी टेस्ला मॉडल X दौड़ रही है. भई वाह... मजा आ गया!

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ख्‍यालों में ही नोएडा सेक्टर 16 मेट्रो स्टेशन से मेट्रो लेने की जगह सीधे टेस्ला में बैठकर चांदनी चौक की ओर रवाना हो गई. गूगल ऑन हुआ और उसने कहा कि नोए़डा लिंक रोड से बिना ट्रैफिक के सिर्फ 32 मिनट लगेंगे. दो रास्ते और बताए गूगल देवता ने जिनसे 47 मिनट और 52 मिनट लगने थे. मैंने बिना कुछ सोचे अपनी...

जरा सोचो तो अगर आपके पास ड्राइवरलेस कार हो तो क्या करेंगे आप? टेस्ला मोर्टस के सीईओ एलन मस्क ने जब पहली बार अपने ऑटोपायलट सॉफ्टवेर की तारीफ की थी तभी मैंने सोच लिया था कि अब यही गाड़ी बनेगी मेरी सवारी. मास्टर एलन ने इसकी इतनी खूबियां बताईं कि लग रहा है जैसे अब एक्सीडेंट की तो कोई गुंजाइश ही नहीं है. क्या आपने इसके बारे में नहीं सुना ? अरे टेस्ला के एलन मस्क ने ये बात पूरी दुनिया के सामने कही है कि टेस्ला मॉडल S, X और 3 ऑटोपायलेट लेवल 5 के फीचर्स के साथ आएंगी. इसका मतलब ना ही इसे चलाने और ना पार्क करने के लिए ड्राइवर की जरूरत होगी. लेवल 0 का मतलब आपकी कार में कोई ऑटोमेशन नहीं है और लेवल 5 का मतलब ये पूरी तरह से ऑटोमेटेड है. एक वीडियो भी तो जारी किया गया है इसके लिए. भले ही अभी इस तकनीक को पूरी तरह से सड़कों पर आने में 5 साल लग जाएं, लेकिन गुरू खयालों में तो ये आ गई.

इसे लेने की चाह इतनी प्रबल हो गई कि बस मन में सपने बुनने लगी. कोई ड्राइविंग पर सवाल उठाएगा नहीं. कितना अच्छा होगा वो पल कोई मजाक है क्या? मेरी गाड़ी बिना ड्राइवर के चलती है. सलमान के बाद पहली बार भारत में मेरे पास ही ये तकनीक है. दिन में सपने देखते-देखते अचानक ऐसा लगा जैसे किसी टाइम मशीन में बैठकर मैं 5 साल आगे बढ़ गई हूं और दिल्ली की सड़कों पर मेरी टेस्ला मॉडल X दौड़ रही है. भई वाह... मजा आ गया!

ये भी पढ़ें- ये गाइड पढ़ें, राजनीति में अव्वल आने की शुद्ध गारंटी है !

ख्‍यालों में ही नोएडा सेक्टर 16 मेट्रो स्टेशन से मेट्रो लेने की जगह सीधे टेस्ला में बैठकर चांदनी चौक की ओर रवाना हो गई. गूगल ऑन हुआ और उसने कहा कि नोए़डा लिंक रोड से बिना ट्रैफिक के सिर्फ 32 मिनट लगेंगे. दो रास्ते और बताए गूगल देवता ने जिनसे 47 मिनट और 52 मिनट लगने थे. मैंने बिना कुछ सोचे अपनी टेस्ला दौड़ा दी. दरअसल दौड़ाई तो मेरे ऑटोपायलट ने.

जरा दूर ही गई थी कि जाम मिल गया. अरे नहीं ऑटोपायलट मेरी सुरक्षा की इतनी चिंता करता है कि कोई रुकावट आने के 500 मीटर पहले ही गाड़ी रोक देता है. अब बताइए भला जाम में कैसे गाड़ी चलती? इतनी मुश्किल से तो जाम खत्म हुआ और गाड़ी फिर चलने लगी. अपने दोस्तों को अक्षरधाम के पास से लेकर फिर निकल पड़ी अपनी मंजिल के लिए. इस बार तो सेल्फी स्टिक भी साथ रख ली थी. अब नई गाड़ी के साथ फोटो तो खिंचवानी ही थी ना. सोचा लाल किले के सामने खड़े होकर बड़ी शान से अपनी गाड़ी के साथ पोज देंगे और चांदनी चौक गुरुद्वारे में माथा टेक आएंगे.

 दिल्ली की एक सड़क

गाड़ी अपनी रफ्तार से चले जा रही थी और हम पंजाबी गानों का मजा ले रहे थे तभी अचानक गाड़ी के सामने से आती तेज बाइक कट मारकर चली गई. गाड़ी ने अपने आप कुछ इस तरह से ब्रेक मारे कि लगा जैसे भूचाल आ गया हो. कोल्ड ड्रिंक की बॉटल हाथ से छूट गई गाने एकदम से रुक गए और रोड के बीचो-बीच गाड़ी खड़ी हो गई. दिल को दिलासा दिया कि ऐसा तो होता है.  बार-बार किसी ना किसी के सामने आने या कट मारने के कारण गाड़ी रुक रही थी. दोस्त में लाखों की टेस्ला का मजाक उड़ा रहे थे, लेकिन मेरे मन में अभी भी ये गाड़ी प्यारी थी. रुकते-रुकाते आखिरकार 3 घंटे बाद पुरानी दिल्ली में दाखिल हो ही गए.

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लो आ गई मुसीबत...

अरे जरा साइड देना... आगे बढ़ो भइया... मेरी टेल्सा मॉडल X चांदनी चौक में फंसी हुई है. अब आगे जाए भी तो कैसे. ये तंग गली में फंसी हुई है. अरे आंटी कुल्फी बाद में खाना पहले साइड दो. रोड पर खड़े होकर भी कोई कुल्फी खाता है क्या? हाय रे ये क्या हुआ? कुल्फी खाते-खाते आंटी ने अपना हाथ मेरी टेस्ला के बोनट पर रख दिया. गाड़ी को लगा किसी ने उसपर हमला कर दिया गया हो. रुक गई. अब आंटी को कौन बताए कि मेरी ऑटोपायलट वाली गाड़ी किसी भी खतरे को या रुकावट को अपने आगे देखते ही रुक जाती है.

 चांदनी चौक की कुल्फी

गाड़ी ने तो जी साहब चलने से ही मना कर दिया. दोस्त भी अपनी मस्ती में फ्रूट चाट के स्टॉल से होते हुए पैदल ही पराठे वाली गली निकल लिए. लोगों के हाथ लगते और धूल मिट्टी के कारण मेरी चमचमाती ब्लू टेस्ला अब मैली हो चुकी थी. टाउन हॉल के समाने तो जी जाम लगा दिया मेरी सावरी ने. अंगद का पांव बनी मेरी गाड़ी से उतरकर आखिरकार मुझे धक्का लगाना पड़ा. पर वो कहां हिलने वाली थी चार लोगों को इकट्ठा कर गाड़ी को साइड में लगाया. सेल्फी स्टिक भी अंदर पड़ी रही और मैं भी चुप चाप टाउन हॉल के कबूतरों को दाना डालने लगी. अपनी ना सही तो उनकी ही फोटो खींच लूं. सुबह से शाम हो चुकी थी और थके हाल गाड़ी को किसी तरह से खाली रोड पर लाने की कोशिश जारी थी.

 टाउनहॉल के कबूतर

मेरा सुंदर सपना टूट गया...

मेरी नई गाड़ी जैसी ही पार्किंग में गई उसके अगल-बगल दो गाड़ियां आकर खड़ी हो गईं. भइया तबाही, ऑटोमैटिक दरवाजे ऊपर की ओर खुले और एक गाड़ी की खिड़की के अंदर घुस गए. ये ख्याल जैसे ही टूटा वो चांदनी चौक और दिल्ली के जाम का नजारा मेरी आंखों के सामने आ गया.

 कुछ ऐसी होगी टेस्ला मॉडल एक्स की पार्किंग

उफ्फ... ड्राइवरलेस कार सलमान को ही मुबारक हो. भाई मैं तो ना रख पाऊंगी ये गाड़ी. प्रिय एलन जी, आपकी गाड़ी वाकई बहुत अच्छी है, लेकिन कृपया इसे लॉन्च करने से पहले एक बार भारत की सड़कों पर टेस्ट कर लीजिएगा. अगर एक बार ये यहां दौड़ गई तो लेवल 5 नहीं लेवल 10 की गाड़ी बन जाएगी आपकी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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