• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
टेक्नोलॉजी

5जी तकनीक एक ऐसी यात्रा है, जो पीछे जाने के पुल तोड़ देगी!

    • मंजीत ठाकुर
    • Updated: 30 जनवरी, 2022 04:58 PM
  • 30 जनवरी, 2022 04:58 PM
offline
वायरलेस संचार तकनीकों जैसे डीईसीटी कॉर्डलेस फोन, वाई-फाई, ब्लूटूथ, 2जी, 3जी और 4जी से आप परिचित ही होंगे. यह सारी तकनीक सभी फ्रीक्वेंसी के बीच उच्चतम ईएमएफ एक्सपोजर स्तर को कई गुना बढ़ा चुकी हैं. वायरलेस तकनीकों से पैदा होने वाला इलेक्ट्रोस्मॉग पहले से ही प्राकृतिक स्तर से 10 लाख खरब (आप गिन नहीं पाएंगे) गुना अधिक है. 5जी इसमें रेडिएशन की एक और परत जोड़ देगा.

हर खगोलीय पिंड की तरह हमारी धरती का भी विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र (ईएमएफ) है और इस धरती पर अरबों बरसों के दौरान जीवन ने इस ईएमएफ के साथ रहने के लिए सामंजस्य बिठा लिया है. हर सजीव पर इस ईएमएफ का प्रभाव पड़ता है. हम अपनी शरीर की कोशिकाओं के बीच भी संवाद के लिए ईएमएफ का इस्तेमाल करके हैं. जीवविज्ञान में विद्युत, चुंबकीय और विद्यु-चुंबकीय क्षेत्रों की भूमिकाओं पर खोजबीन अभी शुरुआती दौर में ही है.

वैज्ञानिक अध्ययनों में साबित किया जा चुका है कि मानव निर्मित ईएमएफ के कारण जीवों पर प्रतिकूल जैविक प्रभाव पड़ते हैं, पिछले दशकों में तैनात वायरलेस तकनीकों ने हमारे पर्यावरण में ईएमएफ के स्तर को लगातार बढ़ाया ही है, वायरलेस संचार तकनीकों जैसे डीईसीटी कॉर्डलेस फोन, वाई-फाई, ब्लूटूथ, 2जी, 3जी और 4जी से आप परिचित ही होंगे. यह सारी तकनीक सभी फ्रीक्वेंसी के बीच उच्चतम ईएमएफ एक्सपोजर स्तर को कई गुना बढ़ा चुकी हैं. वायरलेस तकनीकों से पैदा होने वाला इलेक्ट्रोस्मॉग पहले से ही प्राकृतिक स्तर से 10 लाख खरब (आप गिन नहीं पाएंगे) गुना अधिक है. 5जी इसमें रेडिएशन की एक और परत जोड़ देगा.

भारत में तो बातें हो ही रही थीं 5जी टेक्नीक अमेरिका के लिए भी एक बड़ी चुनौती साबित होती नजर आ रही है

5जी के शुरू होते ही विद्युत चुम्बकीय रेडिएशन काफी बढ़ जाएगी. हालांकि, द काउंसिल ऑफ यूरोप और हजारों वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने दशकों से इस जोखिम के मद्देनजर अधिक बंदिशों की मांग करते रहे हैं. आप के मन में एक सवाल पैदा हो सकता है कि कोरोना के बाद के समय में जब घर से काम करना अनिवार्य हो गया है और इंटरनेट हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है क्या हम 5जी का विरोध करके खुद को तनखैय्या नहीं बना लेंगें?

हां. डर है इसका कि तकनीक की दौड़ में हम पीछे रह सकते...

हर खगोलीय पिंड की तरह हमारी धरती का भी विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र (ईएमएफ) है और इस धरती पर अरबों बरसों के दौरान जीवन ने इस ईएमएफ के साथ रहने के लिए सामंजस्य बिठा लिया है. हर सजीव पर इस ईएमएफ का प्रभाव पड़ता है. हम अपनी शरीर की कोशिकाओं के बीच भी संवाद के लिए ईएमएफ का इस्तेमाल करके हैं. जीवविज्ञान में विद्युत, चुंबकीय और विद्यु-चुंबकीय क्षेत्रों की भूमिकाओं पर खोजबीन अभी शुरुआती दौर में ही है.

वैज्ञानिक अध्ययनों में साबित किया जा चुका है कि मानव निर्मित ईएमएफ के कारण जीवों पर प्रतिकूल जैविक प्रभाव पड़ते हैं, पिछले दशकों में तैनात वायरलेस तकनीकों ने हमारे पर्यावरण में ईएमएफ के स्तर को लगातार बढ़ाया ही है, वायरलेस संचार तकनीकों जैसे डीईसीटी कॉर्डलेस फोन, वाई-फाई, ब्लूटूथ, 2जी, 3जी और 4जी से आप परिचित ही होंगे. यह सारी तकनीक सभी फ्रीक्वेंसी के बीच उच्चतम ईएमएफ एक्सपोजर स्तर को कई गुना बढ़ा चुकी हैं. वायरलेस तकनीकों से पैदा होने वाला इलेक्ट्रोस्मॉग पहले से ही प्राकृतिक स्तर से 10 लाख खरब (आप गिन नहीं पाएंगे) गुना अधिक है. 5जी इसमें रेडिएशन की एक और परत जोड़ देगा.

भारत में तो बातें हो ही रही थीं 5जी टेक्नीक अमेरिका के लिए भी एक बड़ी चुनौती साबित होती नजर आ रही है

5जी के शुरू होते ही विद्युत चुम्बकीय रेडिएशन काफी बढ़ जाएगी. हालांकि, द काउंसिल ऑफ यूरोप और हजारों वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने दशकों से इस जोखिम के मद्देनजर अधिक बंदिशों की मांग करते रहे हैं. आप के मन में एक सवाल पैदा हो सकता है कि कोरोना के बाद के समय में जब घर से काम करना अनिवार्य हो गया है और इंटरनेट हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है क्या हम 5जी का विरोध करके खुद को तनखैय्या नहीं बना लेंगें?

हां. डर है इसका कि तकनीक की दौड़ में हम पीछे रह सकते हैं.पर, उसी इंटरनेट पर आप यह भी खोज डालिए कि मजबूत ईएमएफ का कीटों पर क्या असर पड़ा है? (क्योंकि यह शोध नेट पर उपलब्ध है) यूरोप में, अस्सी प्रतिशत जगहों पर मधुमक्खियों के छत्ते लगने बंद हो चुके हैं. मानव निर्मित ईएमएफ के संपर्क में आने वाले कीटों में प्रोटीन के उत्पादन, प्रजनन क्षमता में कमी, सुस्ती, उड़ान में परिवर्तन, भोजन खोजने में नाकामी में, रिएक्ट करने में समय अधिक लगना वगैरह जैसे बदलाव देखे गए.

यही नहीं, इन कीटों की यादद्दाश्त में भी कमी देखी गई. एक अन्य शोध में कहा गया है कि अन्य बड़े जीवों और मनुष्यों में भी कुछ जैविक परिवर्तन हो सकते हैं और इस पर थोड़ी गहराई से रिसर्च की जरूरत है. ईएमएफ इंसानों में वोल्टेज नियंत्रित कैल्सियम चैनल्स पर प्रभाव डाल सकता है. असल में, किसी कैल्सियम चैनल के खुलने से कोशिका झिल्लियों (सेल मेंब्रेन) में कैल्सियम आयनों के जरिए एक प्रवाह पैदा होता है.

जीवित कोशिकाओं में कैल्सियम की अधिक मात्रा से जैव-रसायन प्रतिक्रियाओं की सीरीज पैदा हो सकती हैः इससे फ्री रेडिकल्स पैदा होंगे. फ्री रेडिकल्स की मात्रा अधिक होने को आप संक्षेप में समय से पहले बूढ़ा होना (दिखना नहीं, होना) मान सकते हैं.

वैज्ञानिकों का मानना है कि 5जी से पैदा होने वाले मजबूत ईएमएफ से कीटों और परिंदों की उड़ान क्षमता पर असर पड़ेगा. कीटों की जनसंख्या कम होगी तो आपके खेतों में परागण कैसे होगा और इससे हर फसल की उत्पादकता प्रभावित होगी और पैदावार की मात्रा कम होगी.

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस विद्युत-चुंबकीय तरंगों का असर खाद्य श्रृंखला पर भी पडेगा. और कृषि इससे बुरी तरह प्रभावित हो सकता है. साइंस डाइरेक्ट नामक वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि 2005 में ही, परागण पर दुनिया की अर्थव्यवस्था का 153 अरब डॉलर निर्भर था. और यह दुनियाभर में मानवीय खाद्य उत्पादन 9.5 फीसद ही था.

5जी की तकनीक में मिलीमीटर वेव्स का इस्तेमाल किया जाएगा जो असल में अधिक फ्रीक्वेंसी वाले वेव्स होंगे. इनका इस्तेमाल अभी तक किसी और तकनीक में नहीं किया गया है. इसकी रेंज 26 गीगाहर्ट्ज के रेंज में होगी. मिलीमीटर वेव्स को घनी आबादी वाले इलाकों में लगाया जाएगा जहां मोबाइल डाटा ट्रैफिक काफी अधिक होता है. ऑर्नो थीलेंस का एक अध्ययन बताता है कि मिलीमीटर वेव्स का असर थर्मल इफैक्ट के रूप में होगा इससे कीटों, छोटी चिड़ियो, स्तनधारियों और उभयचरों के बर्ताव में बदलाव आ सकता है.

इंसानों पर असर की बात करें तो मिलीमीटर वेव्स के साथ एक्सपोजर से कोशिका की प्लाज्मा झिल्ली और कोशिका में मौजूद जीनोम पर असर पड़ सकता है. हो सकता है आप पर एंटीबायोटिक दवाएं काम करना बंद कर दें या फिर आने वाली संतानों के जीन में बदलाव हो जाए.

वैसे इंग्लैंड में एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पेड़ों की अधिकता से मिलीमीटर वेव्स का प्रसार ठीक से नहीं हो पाता है. इसलिए यह भी हो सकता है कि पेड़ों की कटाई का काम मोबाइल सेवा प्रदाताओं के पक्ष में शुरू कर दिया जाए. पर अभी समय है. चुनना हमें और हमारे नीति नियंताओं को है कि तेज इंटरनेट ज्यादा जरूरी है कि खाने के लिए अनाज, जैव विविधता और यह पर्यावरण.

ये भी पढ़ें -

Wordle क्या है? ये खेल क्यों बन गया इंटरनेट सेंसेशन

Yezdi Roadster या Yezdi Scrambler: कौन सी बाइक ज्यादा पसंद की गई?

Gaganyaan से Chandrayaan-3 तक 2022 का भारतीय अंतरिक्ष मिशन हमारे सपनों से परे

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    मेटा का ट्विटर किलर माइक्रो ब्लॉगिंग एप 'Threads' आ गया...
  • offline
    क्या Chat GPT करोड़ों नौकरियों के लिये खतरा पैदा कर सकता है?
  • offline
    Google Bard है ही इतना भव्य ChatGPT को बुरी तरह से पिछड़ना ही था
  • offline
    संभल कर रहें, धोखे ही धोखे हैं डिजिटल वर्ल्ड में...
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲