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Digilocker को लेकर लोगों में फैले हैं ये 5 बड़े कंफ्यूजन

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 10 अगस्त, 2018 06:29 PM
  • 10 अगस्त, 2018 06:29 PM
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Digilocker के लॉन्च होने के बाद जहां एक ओर लोगों को अपने दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए एक खास जगह मिल गई, वहीं दूसरी ओर इसे लेकर बहुत सारे कंफ्यूजन भी फैल गए. यहां आपके सारे कंफ्यूजन दूर हो जाएंगे.

मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया के तहत Digilocker की शुरुआत की थी, जहां पर आप अपने जरूरी दस्तावेज सुरक्षित कर सकते थे. लोगों ने अपने लाइसेंस, गाड़ी के कागज और एजुकेशनल सर्टिफिकेट तक यहां सुरक्षित कर लिए, लेकिन लोगों ने जब भी ट्रैफिक पुलिस को Digilocker के जरिए ड्राइविंग लाइसेंस या गाड़ी के रजिस्ट्रेशन के कागज दिखाए तो उसे वैध नहीं माना गया. नतीजा ये हुआ कि इसकी शिकायतें और आरटीआई सरकार के पास पहुंचने लगीं. अब सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि डिजीलॉकर के जरिए उपलब्ध कराए जा रहे ड्राइविंग लाइसेंस और आरसी को सभी राज्यों के ट्रैफिक विभाग वैध मानें.

भले ही सरकार ने एडवाइजरी जारी करते हुए अपनी बात कह दी है, लेकिन लोगों में अभी भी डिजीलॉकर को लेकर बड़े कंफ्यूजन हैं. चलिए आपके ऐसे ही 10 कंफ्यूजन हम दूर कर देते हैं.

1- ड्राइविंग लाइसेंस की फोटो डिजीलॉकर में अपलोड करनी है?

जब डिजीलॉकर की शुरुआत हुई थी, तो इसी तरह प्रचार किया गया था कि इसमें आप अपने दस्तावेजों के स्कैन कर के सुरक्षित रख सकते हैं. बहुत से लोगों ने अपने ड्राइविंग लाइसेंस की भी तस्वीर खींच कर इसमें सुरक्षित रखी है. आपको बता दें, कि सरकार की एडवाइजरी के मुताबिक वो ड्राइविंग लाइसेंस या आरसी वैध माने जाएंगे जो डिजीलॉकर के जरिए ऑटोमेटिक तरीके से उपलब्ध होंगे. इसके लिए डिजीलॉकर ने ट्रांसपोर्ट विभाग के साथ पार्टनरशिप भी की है. डिजिलॉकर में जाकर आप अपने दस्तावेजों को अन्य विभागों से डिजीलॉकर में खींच (PLL) कर सुरक्षित रख सकते हैं. तरीका जानने के लिए यहां क्लिक करें.

मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया के तहत Digilocker की शुरुआत की थी, जहां पर आप अपने जरूरी दस्तावेज सुरक्षित कर सकते थे. लोगों ने अपने लाइसेंस, गाड़ी के कागज और एजुकेशनल सर्टिफिकेट तक यहां सुरक्षित कर लिए, लेकिन लोगों ने जब भी ट्रैफिक पुलिस को Digilocker के जरिए ड्राइविंग लाइसेंस या गाड़ी के रजिस्ट्रेशन के कागज दिखाए तो उसे वैध नहीं माना गया. नतीजा ये हुआ कि इसकी शिकायतें और आरटीआई सरकार के पास पहुंचने लगीं. अब सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि डिजीलॉकर के जरिए उपलब्ध कराए जा रहे ड्राइविंग लाइसेंस और आरसी को सभी राज्यों के ट्रैफिक विभाग वैध मानें.

भले ही सरकार ने एडवाइजरी जारी करते हुए अपनी बात कह दी है, लेकिन लोगों में अभी भी डिजीलॉकर को लेकर बड़े कंफ्यूजन हैं. चलिए आपके ऐसे ही 10 कंफ्यूजन हम दूर कर देते हैं.

1- ड्राइविंग लाइसेंस की फोटो डिजीलॉकर में अपलोड करनी है?

जब डिजीलॉकर की शुरुआत हुई थी, तो इसी तरह प्रचार किया गया था कि इसमें आप अपने दस्तावेजों के स्कैन कर के सुरक्षित रख सकते हैं. बहुत से लोगों ने अपने ड्राइविंग लाइसेंस की भी तस्वीर खींच कर इसमें सुरक्षित रखी है. आपको बता दें, कि सरकार की एडवाइजरी के मुताबिक वो ड्राइविंग लाइसेंस या आरसी वैध माने जाएंगे जो डिजीलॉकर के जरिए ऑटोमेटिक तरीके से उपलब्ध होंगे. इसके लिए डिजीलॉकर ने ट्रांसपोर्ट विभाग के साथ पार्टनरशिप भी की है. डिजिलॉकर में जाकर आप अपने दस्तावेजों को अन्य विभागों से डिजीलॉकर में खींच (PLL) कर सुरक्षित रख सकते हैं. तरीका जानने के लिए यहां क्लिक करें.

डिजी लॉकर की वेबसाइट पर तक पहुंचने के लिए दो तरह के यूआरएल हैं.

2- सही Digilocker url क्या है?

डिजी लॉकर की वेबसाइट पर तक पहुंचने के लिए दो तरह के यूआरएल हैं. पहला है https://digilocker.gov.in और दूसरा https://digitallocker.gov.in है. कुछ लोगों में भ्रम है कि https://digitallocker.gov.in नकली यूआरएल है, लेकिन ऐसा नहीं है. दोनों ही यूआरएल सरकारी हैं और पूरी तरह से सुरक्षित हैं. हालांकि, जब भी आप https://digitallocker.gov.in खोलेंगे तो वो आपको रीडायरेक्ट कर के https://digilocker.gov.in पर ले जाएगा.

3- किस-किस काम आ सकता है डिजीलॉकर?

डिजीलॉकर के जरिए आप अपना ड्राइविंग लाइसेंस, गाड़ी की आरसी, आधार, पैन, एजुकेशनल सर्टिफिकेट आदि सीधे इन्हें जारी करने वाले संस्थानों की वेबसाइट से खींच सकते हैं. इसके अलावा आप इसमें अपनी जरूरी दस्तावेजों को स्कैन कर के भी रख सकते हैं. खुद से अपलोड किए दस्तावेजों को ई-साइन करने की भी सुविधा है, जो एक तरह से सेल्फ अटेस्ट करने का विकल्प भी कहा जा सकता है. ई-साइन करने के लिए ओटीपी का इस्तेमाल होता है.

4- कितना स्पेस मिलता है डॉक्युमेंट रखने के लिए?

डिजीलॉकर में jpg, png और pdf फॉर्मेट की फाइलें अपलोड की जा सकती हैं, जिनका साइज 10 एमबी से अधिक नहीं होना चाहिए. डिजीलॉकर में 1 जीबी तक का स्पेस दिया जाता है, जिसमें आप अपने दस्तावेज सुरक्षित रख सकते हैं. स्पेस बचाने के लिए फाइलों को पीडीएफ फॉर्मेंट में रखना अच्छा होता है.

5- बिना आधार के डिजीलॉकर चलेगा?

आप बिना आधार के डिजीलॉकर में साइन-इन तो कर लेंगे, लेकिन अधिकतर काम नहीं कर पाएंगे. जैसे- बिना आधार के आप ये नहीं देख सकते कि कौन-कौन से विभागों की डिजीलॉकर के साथ पार्टनरशिप है, बिना आधार आप किसी भी पार्टनर विभाग से कोई भी दस्तावेज नहीं हासिल कर सकते हैं. यानी देखा जाए तो अगर आपने डिजीलॉकर के साथ अपना आधार लिंक नहीं किया तो इसकी सुविधाओं का फायदा आपको नहीं मिलेगा. हालांकि, आधार को डिजीलॉकर से लिंक करने में महज 2 मिनट से भी कम लगते हैं.

डिजीलॉकर जब से लॉन्च हुआ है, तब से ही इसे लेकर कंफ्यूजन फैलते रहे. एक समस्या का समाधान हुआ तो दूसरा कंफ्यूजन फैल गया. इसी बीच लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस को डिजीलॉकर में सुरक्षित रखने को कंफ्यूजन हुआ. ये कंफ्यूजन सिर्फ लोगों तक ही सीमित नहीं था, बल्कि ट्रैफिक पुलिस में भी था, इसीलिए अक्सर ट्रैफिक पुलिस डिजीलॉकर के डिजिटल ड्राइविंग लाइसेंस को वैध नहीं मानती थी. हालांकि, अब सरकार के आदेश के बाद इस समस्या से तो समाधान मिल ही जाएगा. इससे सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि अब आपको अपने दस्तावेजों की हार्ड कॉपी हर जगह लेकर नहीं घूमनी पड़ेगी, बल्कि आपका डिजीलॉकर ही आपके दस्तावेजों की फाइल बन जाएगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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