• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
टेक्नोलॉजी

क्यों अहम है लड़ाकू विमान की यमुना एक्सप्रेस-वे पर लैंडिंग

    • आईचौक
    • Updated: 21 मई, 2015 11:32 AM
  • 21 मई, 2015 11:32 AM
offline
जब वायुसेना के पास देशभर में अपनी हवाई पट्टियां हैं, तो लड़ाकू विमान मिराज 2000 को यमुना एक्सप्रेस-वे पर उतारने की क्या जरूरत थी. आइए, समझते हैं...

बुधवार को एयरफोर्स ने अपने लड़ाकू विमान मिराज 2000 को उत्तरप्रदेश के यमुना एक्सप्रेस-वे पर उतारा. इस लैंडिंग के जरिए वायुसेना अपने जेट विमानों का परीक्षण करना चाहती है कि इमरजेंसी के समय वे सिविलियन रोड पर उतर सकते हैं या नहीं. क्यों जरूरी है ये एक्सरसाइज, आइए समझते हैं-

1. युद्ध के समय दुश्मन की मिसाइलों का पहला निशाना हवाई पट्टियां ही होती हैं. ऐसे में रनवे के रूप में इस्तेमाल करने के लिए सड़कें ही विकल्प हो सकती हैं.

2. देश में गिनती के ही ऐसे एक्सप्रेस-वे (रोड) हैं, जहां फाइटर जेट उतर सकते हैं. लेकिन, वहां भी ट्रैफिक, पैदल चलने वाले या आवारा पशु तो चुनौती हैं ही.

3. ऐसे में सड़कों पर से ऐसी लैंडिंग के दौरान ट्रैफिक हटाना भी समस्या है. बुधवार की एक्सरसाइज के दौरान वायुसेना ने स्थानीय प्रशासन से तालमेल बैठाया. मथुरा डीएम और एसपी की मदद से एक्सप्रेस-वे को लैंडिंग के लिए तैयार बनाया गया. ऐसा को-ऑर्डिनेशन इमरजेंसी के दौरान बेहद अहम हो जाता है.

4. भारत में लैंडिंग कॉमन नहीं है, लेकिन विदेशों में ऐसे परीक्षण होते रहते हैं. उदाहरण के लिए शीत युद्ध के दौरान ताकतवर रूस से तनाव के चलते स्वीडन ने ऐसी तैयारी की थी कि वे मिनटों में अपनी एयरफील्ड खाली कर दें.

5. स्वीडन ने अपने लड़ाकू विमानों विगेन और ग्रिपेन को जंगलों में मौजूद सड़कों पर उतरने के काबिल ही बनाया था. उनका रंग-रोगन भी इस तरह किया गया था कि जंगल के बीच उन्हें पहचाना ही न जा सके.

6. ग्रिपेन की तो खूबी ही यही थी कि वह छोटी सड़कों पर आसानी से उतर सकता था और तुरंत फ्यूल और हथियार लेकर दस मिनट में उड़ान भर सकता था.

7. ताइवान भी चीन की चुनौती को ध्यान में रखते हुए अपनी मिराज 2000 विमानों को सड़क पर उतारने की प्रैक्टिस करता रहा है.

8. कई देशों ने अपने विमानों को दुश्मन के हमले से बचाने के लिए...

बुधवार को एयरफोर्स ने अपने लड़ाकू विमान मिराज 2000 को उत्तरप्रदेश के यमुना एक्सप्रेस-वे पर उतारा. इस लैंडिंग के जरिए वायुसेना अपने जेट विमानों का परीक्षण करना चाहती है कि इमरजेंसी के समय वे सिविलियन रोड पर उतर सकते हैं या नहीं. क्यों जरूरी है ये एक्सरसाइज, आइए समझते हैं-

1. युद्ध के समय दुश्मन की मिसाइलों का पहला निशाना हवाई पट्टियां ही होती हैं. ऐसे में रनवे के रूप में इस्तेमाल करने के लिए सड़कें ही विकल्प हो सकती हैं.

2. देश में गिनती के ही ऐसे एक्सप्रेस-वे (रोड) हैं, जहां फाइटर जेट उतर सकते हैं. लेकिन, वहां भी ट्रैफिक, पैदल चलने वाले या आवारा पशु तो चुनौती हैं ही.

3. ऐसे में सड़कों पर से ऐसी लैंडिंग के दौरान ट्रैफिक हटाना भी समस्या है. बुधवार की एक्सरसाइज के दौरान वायुसेना ने स्थानीय प्रशासन से तालमेल बैठाया. मथुरा डीएम और एसपी की मदद से एक्सप्रेस-वे को लैंडिंग के लिए तैयार बनाया गया. ऐसा को-ऑर्डिनेशन इमरजेंसी के दौरान बेहद अहम हो जाता है.

4. भारत में लैंडिंग कॉमन नहीं है, लेकिन विदेशों में ऐसे परीक्षण होते रहते हैं. उदाहरण के लिए शीत युद्ध के दौरान ताकतवर रूस से तनाव के चलते स्वीडन ने ऐसी तैयारी की थी कि वे मिनटों में अपनी एयरफील्ड खाली कर दें.

5. स्वीडन ने अपने लड़ाकू विमानों विगेन और ग्रिपेन को जंगलों में मौजूद सड़कों पर उतरने के काबिल ही बनाया था. उनका रंग-रोगन भी इस तरह किया गया था कि जंगल के बीच उन्हें पहचाना ही न जा सके.

6. ग्रिपेन की तो खूबी ही यही थी कि वह छोटी सड़कों पर आसानी से उतर सकता था और तुरंत फ्यूल और हथियार लेकर दस मिनट में उड़ान भर सकता था.

7. ताइवान भी चीन की चुनौती को ध्यान में रखते हुए अपनी मिराज 2000 विमानों को सड़क पर उतारने की प्रैक्टिस करता रहा है.

8. कई देशों ने अपने विमानों को दुश्मन के हमले से बचाने के लिए बड़े-बड़े बंकर तैयार करवाए थे. लेकिन बंकरभेदी मिसाइलों के आने के बाद ये तरीका कारगर नहीं रह गया है. ऐसे में विमानों के लिए यह जरूरी हो गया है कि उन्हें सड़कों पर उतारने लायक बनाया जाए.

9. हमारी वायुसेना के छोटे जेट विमान मिग 27 और जगुआर को तो खेतों में भी उतारा जा सकता है.

10. भारतीय वायु शक्ति का सबसे अहम किरदार सुखोई-30 कभी भी सड़क पर नहीं उतारा जा सकेगा. वजह है, उसके तेज रफ्तार, जिसके लिए बड़ा रनवे चाहिए.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    मेटा का ट्विटर किलर माइक्रो ब्लॉगिंग एप 'Threads' आ गया...
  • offline
    क्या Chat GPT करोड़ों नौकरियों के लिये खतरा पैदा कर सकता है?
  • offline
    Google Bard है ही इतना भव्य ChatGPT को बुरी तरह से पिछड़ना ही था
  • offline
    संभल कर रहें, धोखे ही धोखे हैं डिजिटल वर्ल्ड में...
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲