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जानिए किन कारणों से बोल्ट ने जीते 9 ओलंपिक गोल्ड मेडल

    • अभिषेक पाण्डेय
    • Updated: 21 अगस्त, 2016 09:24 AM
  • 21 अगस्त, 2016 09:24 AM
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उसैन बोल्ट ने रियो ओलंपिक में 100, 200 और 4x100 मीटर रिले इवेंट्स में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. वह तीन ओलंपिक मेंं 9 गोल्ड मेडल जीतने वाले एकमात्र एथलीट हैं, क्या है बोल्ट की कामयाबी का राज?

रियो ओलंपिक में 100 मीटर की रेस में 9.81 सेकेंड के साथ गोल्ड मेडल, 200 मीटर की रेस में 19.78 सेकेंड के साथ गोल्ड मेडल और फिर 4x100 मीटर रिले रेस में 37.27 सेकेंड के समय के साथ फिर से गोल्ड मेडल.

अभी रुकिए इस महान एथलीट की महानता के किस्से बाकी हैं. इस एथलीट ने लंदन 2012 ओलंपिक में तीन और 2008 बीजिंग ओलंपिक में भी तीन गोल्ड मेडल जीते थे. यानी पिछले तीन ओलंपिक में 9 गोल्ड मेडल, अब तक तो आपने अनुमान लगा ही लिया होगा, इस एथलीट का नाम है धरती का सबसे तेज इंसान उसैन बोल्ट.

रियो ओलंपिक शुरू होने से पहले इस बात में भी संदेह था कि बोल्ट इसमें भाग ले भी पाएंगे या नहीं? लेकिन ओलंपिक से पहले लय में नजर नहीं आ रहे बोल्ट को ओलंपिक में जैसे एक अलग सी प्रेरणा मिलती है. माना जा रहा था कि अमेरिकी रेसर जस्टिन गैटलिन से बोल्ट को रियो में कड़ी टक्कर मिलेगी और रियो में गैटलिन बोल्ट की वर्षों से चली आ रही बादशाहत को खत्म कर देंगे. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और बोल्ट ने न सिर्फ 100 मीटर बल्कि 2000 मीटर और फिर 4x100 मीटर रिले दौड़ में भी दिखाया क्यों उन्हें सर्वकालिक महान धावकों में से एक गिना जाता है.

यह भी पढ़ें: अपने मेडल को दांतों से क्यों काटते हैं ओलंपियन, जानें वजह?

2008 बीजिंग ओलंपिक में शुरू हुआ बोल्ट की कामयाबी का सफर रियो में उनके संन्यास तक जारी रहा. इस बीच उनके हमवतन योहान ब्लैक, अमेरिकी जस्टिन गैटलिन और असाफा पावेल जैसे कई स्टार धावक आते अपनी चुनौतियां लेकर आते रहे लेकिन कोई भी उनका रिकॉर्ड तोड़ना तो दूर बोल्ट को छू तक नहीं पाया. 2009 में बोल्ट ने 100 मीटर की रेस में 9.58 सेकेंड और 200 मीटर की रेस 19.19 सेकेंड में पूरी करके जो वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया उसे आज तक कोई भी नहीं तोड़ पाया.

रियो ओलंपिक में 100 मीटर की रेस में 9.81 सेकेंड के साथ गोल्ड मेडल, 200 मीटर की रेस में 19.78 सेकेंड के साथ गोल्ड मेडल और फिर 4x100 मीटर रिले रेस में 37.27 सेकेंड के समय के साथ फिर से गोल्ड मेडल.

अभी रुकिए इस महान एथलीट की महानता के किस्से बाकी हैं. इस एथलीट ने लंदन 2012 ओलंपिक में तीन और 2008 बीजिंग ओलंपिक में भी तीन गोल्ड मेडल जीते थे. यानी पिछले तीन ओलंपिक में 9 गोल्ड मेडल, अब तक तो आपने अनुमान लगा ही लिया होगा, इस एथलीट का नाम है धरती का सबसे तेज इंसान उसैन बोल्ट.

रियो ओलंपिक शुरू होने से पहले इस बात में भी संदेह था कि बोल्ट इसमें भाग ले भी पाएंगे या नहीं? लेकिन ओलंपिक से पहले लय में नजर नहीं आ रहे बोल्ट को ओलंपिक में जैसे एक अलग सी प्रेरणा मिलती है. माना जा रहा था कि अमेरिकी रेसर जस्टिन गैटलिन से बोल्ट को रियो में कड़ी टक्कर मिलेगी और रियो में गैटलिन बोल्ट की वर्षों से चली आ रही बादशाहत को खत्म कर देंगे. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और बोल्ट ने न सिर्फ 100 मीटर बल्कि 2000 मीटर और फिर 4x100 मीटर रिले दौड़ में भी दिखाया क्यों उन्हें सर्वकालिक महान धावकों में से एक गिना जाता है.

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2008 बीजिंग ओलंपिक में शुरू हुआ बोल्ट की कामयाबी का सफर रियो में उनके संन्यास तक जारी रहा. इस बीच उनके हमवतन योहान ब्लैक, अमेरिकी जस्टिन गैटलिन और असाफा पावेल जैसे कई स्टार धावक आते अपनी चुनौतियां लेकर आते रहे लेकिन कोई भी उनका रिकॉर्ड तोड़ना तो दूर बोल्ट को छू तक नहीं पाया. 2009 में बोल्ट ने 100 मीटर की रेस में 9.58 सेकेंड और 200 मीटर की रेस 19.19 सेकेंड में पूरी करके जो वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया उसे आज तक कोई भी नहीं तोड़ पाया.

उसैन बोल्ट ने रियो ओलंपिक में 100, 200 और 4x100 मीटर रिले इवेंट्स में गोल्ड मेडल जीते

जमैका का यह महान एथलीट ओलंपिक के 120 वर्षों के इतिहास में 'ट्रिपल ट्रिपल' का कारनामा करने वाला पहला एथलीट बन गया है. ट्रिपल ट्रिपल यानी तीन लगातार ओलंपिक में ट्रैक ऐंड फील्ड के तीन इवेंट्स में गोल्ड मेडल जीतना. 100 मीटर, 200 मीटर और 4x100 मीटर रिले स्पर्धा में बोल्ट ने पिछले तीन ओलंपिक में 9 गोल्ड मेडल जीते हैं. ट्रैक ऐंड फील्ड में बोल्ट से पहले 9 ओलंपिक गोल्ड मेडल कार्ल लुइस और पावो नूरमी ने भी जीते थे लेकिन बोल्ट की तरह लगातार नहीं. यही वजह है कि बोल्ट का ये रिकॉर्ड इन दोनों की तुलना में कहीं ज्यादा खास है.

क्या है उसैन बोल्ट की कामयाबी का राज?

दुनिया के सबसे तेज इंसान होने का गौरव हासिल करने वाले उसैन बोल्ट की कामयाबी का राज क्या है जिससे उन्हें लगातार इतनी सफलताएं मिली हैं? इसमें सबसे बड़ा योगदान उनके कोच ग्लेन मिल्स का है. मिल्स ने जमैका के मुख्य कोच के तौर पर जमैका को ट्रैक ऐंड फील्ड का बेताज बादशाह बना दिया. उनके कोचिंग के दौरान पिछले कुछ वर्षों में जमैका ने 71 वर्ल्ड चैंपियनशिप और 33 ओलंपिक मेडल्स जीते हैं. मिल्स का लक्ष्य हमेशा से ही परफेक्शन हासिल करने का रहा है.

यह भी पढ़ें: रियो ओलंपिकः इन एथलीटों की हार तो जीत से भी बड़ी है!

यही बात बोल्ट की रेस में भी नजर आती है. उन्होंने पिछले तीन ओलंपिक के दौरान कोई भी रेस अधूरी नहीं छोड़ी है और न ही सिल्वर मेडल से संतुष्ट हुए हैं. गोल्ड मेडल ही उनका पहला और आखिर लक्ष्य रहा है. इसके अलावा सबसे खास बात जो बोल्ट तो बाकी एथलीटों से अलग बनाती है वह है अपनी गलतियों और ताकत का अहसास. बोल्ट का कहना है कि वह कभी अच्छे र्स्टाटर नहीं रहे हैं इसीलिए उनके कोच उन्हें 100 मीटर की रेस में अंतिम 50 मीटर पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी.

बोल्ट को दुनिया के सर्वकालिक महान धावकों में से एक गिना जाता है

यही वजह है कि बोल्ट अक्सर 100 मीटर की शुरुआती रेस में पिछड़े नजर आते हैं लेकिन बाद में अचानक ही रेस खत्म होने से पहले ही सबसे आगे निकल जाते हैं. रियो में भी 100 मीटर की रेस में वह पहले 60 मीटर तक जस्टिन गैटलिन से पीछे थे लेकिन आखिरी 40 मीटर में टॉप गियर लगाकर रेस जीत ली. और हां एक और बात बोल्ट की हाईट है 6 फीट 5 इंच और निस्संदेह रेस में उन्हें अपनी लंबाई का भी फायदा मिलता है. तो अब आप जान ही गए होंगे कि आखिर बोल्ट ने क्यों पिछले तीन ओलंपिक में 9 गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है.

हालांकि महज 29 वर्षीय बोल्ट का ये आखिरी ओलंपिक है और 23 गोल्ड मेडल जीतने वाले माइकल फेल्प्स के ओलंपिक को अलविदा कहने से फैंस को निश्चित तौर पर निराशा होगी. लेकिन आने वाली पीढ़ियों को हमारी ही तरह बोल्ट और फेल्प्स जैसे महान एथलीटों की सफलता पर नाज होगा और वे कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत की भूमिका निभाते रहेंगे.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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