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रियो ओलंपिकः इन एथलीटों की हार तो जीत से भी बड़ी है!

    • आईचौक
    • Updated: 17 अगस्त, 2016 02:59 PM
  • 17 अगस्त, 2016 02:59 PM
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जरूरी नहीं है कि आप हमेशा खेल के मैदान में रेस जीतकर ही जीत हासिल करें. रियो ओलंपिक में दो महिला एथलीटों ने एकदूसरे की मदद करके खेल भावना का ऐसा बेहतरीन नजारा पेश किया, दुनिया कह उठी वाह!

रेस जिंदगी की हो या खेल के मैदान की, आप हमेशा अपने प्रतिद्वंद्वी को मात देकर हर हाल में जीतना ही चाहते हैं. खेल का मैदान अगर ओलंपिक हो तब तो हर खिलाड़ी जी जान लगाकर जीतने की कोशिश करता है क्योंकि दुनिया के करोड़ों लोगों की निगाहें उस पर होत हैं.

लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि कोई एथलीट अपनी हार की परवाह किए बिना अपने प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी की मदद करे. इसे आप क्या कहेंगे? किसी एथलीट का ऐसा कदम तो खेल भावना का सबसे बेहतरीन उदाहरण होगा. यही हुआ भी और रियो ओलंपिक में न्यूजीलैंड और अमेरिकी की महिला एथलीट्स ने किया वो कारनामा जिसकी वजह से उन्हें उनकी हार के बावजूद हमेशा याद रखा जाएगा.

हारकर भी जीत गईं ये दो एथलीट्सः

रियो ओलंपिक में महिलाओं की 5000 मीटर रेस का क्वालिफाइंग मुकाबला चल रहा था. पहले 3000 मीटर तो सबकुछ सामान्य चला लेकिन इसके बाद अचानक न्यूजीलैंड की निक्की हैम्बलिन अमेरिकी एथलीट ऐबे डि एगोस्टिनो एकदूसरे से टकराकर गिर पड़ीं.

अचानक हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण टक्कर के बाद अमेरिका की एगोस्टिनो पहले उठ खड़ी हईं. लेकिन न्यूजीलैंड की हैम्बलिन जमीन पर ही पड़ी रहीं और रो पड़ीं. उन्हें रेस पूरी न कर पाने का अफसोस था. तभी उनके कंधे पर किसी ने हाथ रखा और कहा, 'उठो, हमें ये रेस पूरी करनी है!' हैम्बलिन के कंधे पर हाथ रखा था एगोस्टिनो ने.

यह भी पढ़ें: जिमनास्टिक देखने के लिए इस देश ने अपनी नींद कब खराब की थी?

मैदान में गिर पड़ी अमेरिक एथलीट...

रेस जिंदगी की हो या खेल के मैदान की, आप हमेशा अपने प्रतिद्वंद्वी को मात देकर हर हाल में जीतना ही चाहते हैं. खेल का मैदान अगर ओलंपिक हो तब तो हर खिलाड़ी जी जान लगाकर जीतने की कोशिश करता है क्योंकि दुनिया के करोड़ों लोगों की निगाहें उस पर होत हैं.

लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि कोई एथलीट अपनी हार की परवाह किए बिना अपने प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी की मदद करे. इसे आप क्या कहेंगे? किसी एथलीट का ऐसा कदम तो खेल भावना का सबसे बेहतरीन उदाहरण होगा. यही हुआ भी और रियो ओलंपिक में न्यूजीलैंड और अमेरिकी की महिला एथलीट्स ने किया वो कारनामा जिसकी वजह से उन्हें उनकी हार के बावजूद हमेशा याद रखा जाएगा.

हारकर भी जीत गईं ये दो एथलीट्सः

रियो ओलंपिक में महिलाओं की 5000 मीटर रेस का क्वालिफाइंग मुकाबला चल रहा था. पहले 3000 मीटर तो सबकुछ सामान्य चला लेकिन इसके बाद अचानक न्यूजीलैंड की निक्की हैम्बलिन अमेरिकी एथलीट ऐबे डि एगोस्टिनो एकदूसरे से टकराकर गिर पड़ीं.

अचानक हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण टक्कर के बाद अमेरिका की एगोस्टिनो पहले उठ खड़ी हईं. लेकिन न्यूजीलैंड की हैम्बलिन जमीन पर ही पड़ी रहीं और रो पड़ीं. उन्हें रेस पूरी न कर पाने का अफसोस था. तभी उनके कंधे पर किसी ने हाथ रखा और कहा, 'उठो, हमें ये रेस पूरी करनी है!' हैम्बलिन के कंधे पर हाथ रखा था एगोस्टिनो ने.

यह भी पढ़ें: जिमनास्टिक देखने के लिए इस देश ने अपनी नींद कब खराब की थी?

मैदान में गिर पड़ी अमेरिक एथलीट एगोस्टिनो की मदद करतीं न्यूजीलैंड की हैम्बलिन

एगोस्टिनो के ऐसे व्यवहार से निराश हो चुकीं हैम्बलिन में नए उत्साह का संचार हुआ. इसके बाद इन दोनों ने फिनिश लाइन तक पहुंचने के लिए फिर से दौड़ शुरू की. लेकिन जल्द ही ये स्पष्ट हो गया कि अमेरिकी एथलीट एगोस्टिनो के एड़ी में गहरी चोट आई है.

न्यूजीलैंड की हैम्बलिन जब फिनिश लाइन के करीब पहुंची और उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो एगोस्टिनो दर्द से कराह रही थीं और उनके आंखों में आंसू थे. फिर क्या इस बार मदद का हाथ बढ़ाया हैम्बलिन ने और फिर दोनों ने एक साथ रेस पूरी की. वे दोनों इस रेस में अंतिम पायदान पर रहीं और अगेल राउंड के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाईं.

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इन दोनों एथलीटों ने रेस पूरी करने के बाद एकदूसरे को गले लगा लिया

फिनिश लाइन पर पहुंचने के बाद एगोस्टिनो को व्हील चेयर पर ले जाया गया. लेकिन जाने से पहले उन्होंने अपनी बांहे फैलाई और हैम्बलिन से लिपट गईं. इस नजारे ने वहां मौजूद दर्शकों और दुनिया भर में टेलिविजन पर इस रेस को देख रहे लोगों का दिल जीत लिया. ओलंपिक में ऐसी खेल भावना की मिसाल बहुत कम मिलती है. लोगों ने इन दोनों महिलाओं की एकदूसरे की मदद के लिए दिखाई गई खेल भावना की जमकर तारीफ की.

रेस के बाद हैम्बिलन ने कहा, ‘उन्होंने पहले मेरी मदद की. मैंने उनकी मदद करने की कोशिश की. वह बुरी तरह घायल थीं.’ उन्होंने कहा, 'जब मैं पीछे मुड़कर रियो 2016 को देखूंगी तो मैं इस बात को याद नहीं रखूंगी कि मैंने रेस कहां पूरी की, मैं रेस पूरा करने के समय को याद नहीं रखूंगी...लेकिन मैं हमेशा वह पल याद रखूंगी.'

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हालांकि इन एथलीटों की टीमों के विरोध के बाद इन्हें शुक्रवार को होने वाले फाइनल में जगह दे दी गई है लेकिन ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये दोनों उस मुकाबले के लिए फिट हो पाएंगी की नहीं.

लेकिन इतना तो यह है कि इन दोनों एथलीटों ने जिस खेल भावना का प्रदर्शन किया उसके आगे तो गोल्ड मेडल भी फीका है, उनकी हार भी सही मायनों में जीत से बढ़कर है. यही वजह है कि पूरी दुनिया उन्हें सलाम कर रही है!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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