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अपने मेडल को दांतों से क्यों काटते हैं ओलंपियन, जानें वजह?

    • आईचौक
    • Updated: 20 अगस्त, 2016 05:01 PM
  • 20 अगस्त, 2016 05:01 PM
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ओलंपिक में पदक जीतने के बाद अक्सर एथलीट मेडल्स को दांतों से काटने की पोज देते नजर आते हैं. इसे देखकर सबके मन में ये सवाल तो जरूर उठता है कि आखिर एथलीट ऐसा करते क्यों है?

ओलंपिक में मेडल जीतना किसी भी एथलीट का सपना होता है. लेकिन क्या आपने इस बात पर ध्यान दिया कि मेडल जीतने के बाद अक्सर एथलीट मेडल को अपने दांतों से दबाकर क्यों पोज देते हैं? है ना एकदम वाजिब सवाल? क्या ऐसा किसी खास तरह के जश्न के लिए किया जाता है. जिस ओलंपिक मेडल को जीतना किसी भी एथलीट का सपना होता है उसके सच होने पर आखिर क्यों वह उस मेडल को दांतों से दबाकर जश्न मनाते हैं, आइए जानें.

आखिर क्यों मेडल को दांतों से काटते हैं एथलीट?

ओलंपिक में मेडल जीतने के बाद पोडियम पर खड़े एथलीट चेहरे पर मुस्कुराहट लिए मेडल के एक हिस्से को अपने दांतों से काटते हुए नजर आते हैं. अगर आपको लगता है कि ऐसा करने के पीछे कोई खास वजह है तो ऐसा नहीं है, दरअसल ऐसा एथलीट उनकी तस्वीर खींचने के लिए जमा फोटोग्राफर्स द्वारा बेहतरीन पोज देने के लिए कहने पर करते हैं. यानी एथलीट ऐसा अपनी मर्जी से नहीं करते बल्कि बेहतरीन पोज देने के लिए करते हैं.

यह भी पढ़ें: पर्दे के 'सुल्तान' को रियल लाइफ की 'आरफा' का जवाब है साक्षी की ये जीत

इंटरनेशल सोसाइटी ऑफ ओलंपिक हिस्टोरियंस के प्रेसिडेंट डेविड वालेचिंस्की ने सीएनएन से कहा था कि मेडल जीतने के बाद एथलीट फोटोग्राफर्स द्वारा निवेदन किए जाने पर अच्छी पोज के लिए अपने मेडल को दांतों से काटते हैं. 'द कम्पलीट बुक ऑफ द ओलंपिक' के लेखर वालेचिंस्की ने कहा, 'यह फोटोग्राफर्स के लिए जुनून बन गया है. मुझे लगता है कि वे इसे आइकॉनिक शॉट की तरह देखते हैं, कुछ ऐसा जिसे बेचा जा सकता है. मुझे नहीं लगता कि एथलीट खुद से ऐसा करेंगे.'

ओलंपिक में मेडल जीतना किसी भी एथलीट का सपना होता है. लेकिन क्या आपने इस बात पर ध्यान दिया कि मेडल जीतने के बाद अक्सर एथलीट मेडल को अपने दांतों से दबाकर क्यों पोज देते हैं? है ना एकदम वाजिब सवाल? क्या ऐसा किसी खास तरह के जश्न के लिए किया जाता है. जिस ओलंपिक मेडल को जीतना किसी भी एथलीट का सपना होता है उसके सच होने पर आखिर क्यों वह उस मेडल को दांतों से दबाकर जश्न मनाते हैं, आइए जानें.

आखिर क्यों मेडल को दांतों से काटते हैं एथलीट?

ओलंपिक में मेडल जीतने के बाद पोडियम पर खड़े एथलीट चेहरे पर मुस्कुराहट लिए मेडल के एक हिस्से को अपने दांतों से काटते हुए नजर आते हैं. अगर आपको लगता है कि ऐसा करने के पीछे कोई खास वजह है तो ऐसा नहीं है, दरअसल ऐसा एथलीट उनकी तस्वीर खींचने के लिए जमा फोटोग्राफर्स द्वारा बेहतरीन पोज देने के लिए कहने पर करते हैं. यानी एथलीट ऐसा अपनी मर्जी से नहीं करते बल्कि बेहतरीन पोज देने के लिए करते हैं.

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मो फराह रियो ओलंपिक में 10 हजार मीटर की रेस में गोल्ड मेडल जीतने के बाद मेडल को दांतों से काटते हुए

वालेचिंस्की ने ये बातें 4 साल पहले 2012 के लंदन ओलंपिक के दौरान कही थीं. उस ओलंपिक में एथलीट मेडल को दांतों से काटते हुए सबसे ज्यादा पोज देते हुए दिखाई दिए थे, खासकर तैराकों ने ये सबसे ज्यादा किया था. लेकिन वालेचिंस्की भी इस बात की जानकारी नहीं दे पाए थे कि ऐसा सबसे पहली बार कब किया गया था. लेकिन इतना तय है कि ऐसा पोज देने का चलन 2012 लंदन ओलंपिक से ज्यादा लोकप्रिय हुआ जोकि रियो ओलंपिक 2016 तक जारी है.

यह भी पढ़ें: रियो ओलंपिकः इन एथलीटों की हार तो जीत से भी बड़ी है!

रियो ओलंपिक में यूएस के जेफ हेंडरसन पुरुषों के लॉन्ग जंप में गोल्ड मेडल जीतने के बाद मेडल को दांतों से काटने की पोज में

दरअसल सोने को दांत से काटने की ऐतिहासिक परंपरा रही है जोकि इस धातु की शुद्धता के परीक्षण के लिए होती थी क्योंकि मुलायम धातु होने के कारण सोने दांतों से काटने पर इस पर निशान पड़ जाते हैं.

अब आप सोचेंगे कि फिर तो ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता मेडल को दांतों से काटकर उस पर निशान बना देते होंगे. लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि गोल्ड मेडल पूरी तरह सोने के नहीं बने होते हैं. जैसे इस बार के ओलंपिक में गोल्ड मेडल में महज 1.34 फीसदी ही सोना है, जबकि बाकी 93 फीसदी सिल्वर और 6 फीसदी कॉपर मिला है.

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वैसे न सिर्फ ओलंपिक में बल्कि बाकी खेलों में भी चैंपियन खिलाड़ी ट्रॉफी को दांतों से काटते हुए पोज देते रहे हैं. स्पेन के राफेल नाडेल ऐसे पोज देने के लिए काफी चर्चित रहे हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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