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सिंधू का गोल्ड मेडल जीतना पक्‍का है, जानिए वजह...

    • अभिषेक पाण्डेय
    • Updated: 18 अगस्त, 2016 09:41 PM
  • 18 अगस्त, 2016 09:41 PM
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बैडमिंटन खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत ओलंपिक में लिन डेन डैन से हारकर बाहर हो गए. अब सारा दारोमदार पीवी सिंधू पर है. जो शानदार प्रदर्शन करते हुए रियो ओलंपिक के बैडमिंटन फाइनल में जगह बना चुकी हैं.

रियो ओलंपिक में हर बीतते दिन के साथ भारत की पदक जीतने की उम्मीद धूमिल होती जा रही हैं. बैडमिंटन खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत ओलंपिक में लिन डेन डैन से हारकर बाहर हो गए. अब सारा दारोमदार पीवी सिंधू पर है. जो शानदार प्रदर्शन करते हुए रियो ओलंपिक के बैडमिंटन फाइनल में जगह बना चुकी हैं.

जब देश के लिए पदक की सबसे बड़ी उम्मीद मानी जा रही साइना नेहवाल भी दूसरे ही दौर में हार गईं तो लगा ये उम्मीद अब उम्मीद ही रह जाएगी. लेकिन तभी एक और युवा स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने ये उम्मीदें फिर से जगा दी हैं. 

सिंधू ने रियो ओलंपिक में महिलाओं के सिंगल्स मुकाबले के सेमीफाइनल में जगह बनाकर भारत के लिए ओलंपिक मेडल जीतने की उम्मीदें बरकार रखी हैं. सिंधू की उपलब्धियां इसलिए भी बड़ी बन जाती हैं क्योंकि अब तक अपना सबसे बड़ा दल भेजने और ओलंपिक का आधे से ज्यादा सफर खत्म करने के बावजूद भारत पदक का खाता भी नहीं खोल सका है. तो क्यों पीवी सिंधू एक पदक की आस में पदक तालिका को निहारते सवा सौ करोड़ भारतीयों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरी हैं और सिंधू से पदक जीतने की आस लगाना कितना सही है? आइए जानें.

क्यों भारत के पदक का सूखा खत्म कर सकती हैं सिंधू:

रियो के क्वॉर्टर फाइनल में मिली जीत सिंधू के लिए कितनी महत्वपूर्ण है इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उन्होंने इसे अपने करियर की सबसे यादगार जीतों में से एक करार दिया है. न सिर्फ सिंधू बल्कि भारत के लिए भी ये जीत बहुत महत्वपूर्ण है. अब तक इस ओलंपिक के 11 दिन बीत जाने के बाद भी भारत की झोली में  एक भी पदक नहीं आ सका है.

यह भी पढ़ेंः रियो ओलंपिकः इन एथलीटों की हार तो जीत से भी बड़ी है!

लंदन ओलंपिक में ब्रॉन्ज...

रियो ओलंपिक में हर बीतते दिन के साथ भारत की पदक जीतने की उम्मीद धूमिल होती जा रही हैं. बैडमिंटन खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत ओलंपिक में लिन डेन डैन से हारकर बाहर हो गए. अब सारा दारोमदार पीवी सिंधू पर है. जो शानदार प्रदर्शन करते हुए रियो ओलंपिक के बैडमिंटन फाइनल में जगह बना चुकी हैं.

जब देश के लिए पदक की सबसे बड़ी उम्मीद मानी जा रही साइना नेहवाल भी दूसरे ही दौर में हार गईं तो लगा ये उम्मीद अब उम्मीद ही रह जाएगी. लेकिन तभी एक और युवा स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने ये उम्मीदें फिर से जगा दी हैं. 

सिंधू ने रियो ओलंपिक में महिलाओं के सिंगल्स मुकाबले के सेमीफाइनल में जगह बनाकर भारत के लिए ओलंपिक मेडल जीतने की उम्मीदें बरकार रखी हैं. सिंधू की उपलब्धियां इसलिए भी बड़ी बन जाती हैं क्योंकि अब तक अपना सबसे बड़ा दल भेजने और ओलंपिक का आधे से ज्यादा सफर खत्म करने के बावजूद भारत पदक का खाता भी नहीं खोल सका है. तो क्यों पीवी सिंधू एक पदक की आस में पदक तालिका को निहारते सवा सौ करोड़ भारतीयों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरी हैं और सिंधू से पदक जीतने की आस लगाना कितना सही है? आइए जानें.

क्यों भारत के पदक का सूखा खत्म कर सकती हैं सिंधू:

रियो के क्वॉर्टर फाइनल में मिली जीत सिंधू के लिए कितनी महत्वपूर्ण है इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उन्होंने इसे अपने करियर की सबसे यादगार जीतों में से एक करार दिया है. न सिर्फ सिंधू बल्कि भारत के लिए भी ये जीत बहुत महत्वपूर्ण है. अब तक इस ओलंपिक के 11 दिन बीत जाने के बाद भी भारत की झोली में  एक भी पदक नहीं आ सका है.

यह भी पढ़ेंः रियो ओलंपिकः इन एथलीटों की हार तो जीत से भी बड़ी है!

लंदन ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वालीं साइना नेहवाल भी रियो ओलंपिक के दूसरे ही दौर में बाहर हो गईं. लेकिन सिंधू ने क्वॉर्टर फाइनल में दुनिया की नंबर 2 खिलाड़ी चीन की वांग यिहान को हराकर भारत की पदक जीतने की उम्मीदें जिंदा रखी. सेमीफाइनल जीतकर सिंधू ने न सिर्फ मैडल पक्‍का किया, बल्कि अब गोल्‍ड की आस बढ़ा दी है.

पीवी सिंधू को गोल्ड मेडल जीतने का दावेदार माना जा रहा है!

सिंधू जीत सकती हैं गोल्ड मेडलः

सिंधू ने जिस वांग यिहान को हराकर ये मैच जीता, उनके खिलाफ इससे पहले हुए मुकाबलों में सिंधू का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा था. यिहान के खिलाफ इससे पहले सिंधू का रिकॉर्ड 1-3 रहा था. उन्होंने यिहान को सिर्फ एक बार पिछले साल डेनमार्क ओपन में हराया था. लेकिन ओलंपिक के क्वॉर्टर फाइनल में जोरदार प्रदर्शन करते हुए सिंधू ने यिहान को 22-20 और 21-19 से हराकर अंतिम चार में जगह पक्की कर ली.

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सिंधू के इस जोरदार प्रदर्शन के बाद अब अटकलें उनके पदक जीतने पर नहीं बल्कि इस बात पर लग रही हैं कि क्या सिंधू गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच सकती है. अगर उन्होंने ऐसा किया तो वह ओलंपिक में व्यक्तित स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन जाएंगी. भारत के लिए एकमात्र व्यक्तिगत ओलंपिक मेडल 2008 में बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने जीता था.

पीवी सिंधू ने क्ववॉर्टर फाइनल में दुनिया की नंबर 2 खिलाड़ी यांग यिहान को हराया

दुनिया में 10वीं नंबर की खिलाड़ी सिंधू से अगर गोल्ड जीतने की उम्मीदें की जा रही हैं तो वे बेमानी भी नहीं हैं. इसके लिए उन्हें सिर्फ दो जीत हासिल करने की जरूरत थी. पहली बाधा सेमीफाइनल में जापानी चुनौती नोजोमी ओकूहारा को हराने की थी. दुनिया की छठे रैंकिंग वाली ओकूहारा के खिलाफ सिंधू का रिकॉर्ड वैसे तो बहुत प्रभावशाली नहीं रहा है और वह 1-3 से पीछे रहीं लेकिन फिर भी सिंधू से ओकूहारा को हराने की उम्मीद की जा रही थी. सिंधू ने इस जापानी खिलाड़ी को एकमात्र बार 2012 में यूथ अंडर-19 चैंपियनशिप में हराया था. इसके बाद औकूहारा 2014, 2015 और इस साल एशियन चैंपियनशिप में सिंधू से हुई कुल तीन भिड़ंतों में हर बार उन्हें मात दे चुकी थीं.

लेकिन सिंधू सेमीफाइनल मुकाबले में ओकूहारा की चुनौती ध्‍वस्‍त कर दिया. उन्‍होंने सीधे सेटों में 21-19 और 21-10 जीत दर्ज की. अब उनका मुकाबला चीन की ली जुरेई और स्पेन की कैरोलिना मारिन के बीच खेले जाने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा. सिंधू वर्तमान में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी कैरोलिना मारिन और ली जुरेई दोनों को ही अतीत में मात दे चुकी हैं.

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उन्होंने पिछले साल डेनमार्क ओपन की अपनी खिताबी जीत में कैरोलिना मारिन और फाइनल में ली जुरेई को मात दी थी. हालांकि मारिन (3-4) और ली जुरेई (2-3) दोनों के खिलाफ सिंधू का रिकॉर्ड थोड़ा कमतर रहा है. लेकिन खास बात ये है कि सिंधू ने इन दोनों को ही हराया है. यानी फाइनल में संभावित प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ भी सिंधू जीत हासिल कर चुकी हैं. इसलिए उनसे गोल्ड जीतने की उम्मीद करना गलत नहीं है.

अब तक मेडल को लेकर नाउम्मीदी का शिकार हुए देश को पीवी सिंधू से अब मेडल ही नहीं बल्कि गोल्ड मेडल जीतने की उम्मीदें हैं. उम्मीद है सिंधू देश को निराश नहीं करेंगी!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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