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मां के खाए हुए फ्रेंच फ्राइज, होने वाले बच्चे को भी जंक फूडी ही बना देते हैं

    • आईचौक
    • Updated: 17 जून, 2017 01:31 PM
  • 17 जून, 2017 01:31 PM
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पेट में पल रहे उस छोटी जान को एक दिन में एक सेब और एक कप दही से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए होता है. और ये भी तब जब आप प्रेग्नेंसी के दूसरे या तीसरे स्टेज में हों.

मां. एक ऐसा शब्द जो धरती पर सबसे पवित्र माना जाता है. मां बनना हर माता-पिता के जीवन का सबसे बड़ा दिन होता है. प्रेग्नेंट महिला को घरवालों का स्नेह, उनका अटेंशन सब मिलता है. इस समय महिलाओं को खूब खाने और स्वस्थ रहने की सलाह दी जाती है. उनके खान-पान का खूब ध्यान रखा जाता है. इस वक्त महिलाएं सोचतीं हैं कि वो जो चाहे और जब चाहे खा सकती हैं.

स्टडी क्या कहती है-

जंक फूड का हिरोीन जैसा असर

लेकिन आपके लिए एक बुरी खबर है. एक रिसर्च में पाया गया है कि प्रेग्नेंसी के दौरान जंक फूड जैसे पिज्जा, बर्गर इत्यादि खाने से आपका आने वाला बच्चा भी जंक फूड प्रेमी ही बन जाएगा और घर के खाने में उसे कोई दिलचस्पी नहीं होगी. एडिलेड यूनिवर्सिटी के रिसर्चों का दावा है कि जो भी मांए फैट, चीनी और नमक से भरपूर पैक्ड फूड खाना पसंद करती हैं, दरअसल वो अपने होने वाले बच्चे को भी इस तरह के अस्वस्थकर जीवनशैली की आदत दे रही हैं. जंक फूड का शरीर पर ठीक वैसा ही असर होता है जैसा कोकीन, हिरोइन या गांजा जैसे नशीले पदार्थों को होता है. और प्रेग्नेंसी के दौरान इनका सेवन करने से बच्चे भी जंक फूड प्रेमी ही पैदा होते हैं.

लॉजिक क्या है-

इस तरह के बच्चे शरीर में फैट, शुगर और सॉल्ट के केमिकल रिएक्शन के प्रति असंवेदनशील होते हैं. इस कारण से ही ये लोग ज्यादा से ज्यादा जंक फूड खाते हैं ताकि इन पर फील गुड इफेक्ट का असर हो. इस स्टडी को चूहों पर सही पाया गया है लेकिन इंसानों के बच्चों पर भी इस स्टडी का असर होगा.

बस इतना ही...

मां. एक ऐसा शब्द जो धरती पर सबसे पवित्र माना जाता है. मां बनना हर माता-पिता के जीवन का सबसे बड़ा दिन होता है. प्रेग्नेंट महिला को घरवालों का स्नेह, उनका अटेंशन सब मिलता है. इस समय महिलाओं को खूब खाने और स्वस्थ रहने की सलाह दी जाती है. उनके खान-पान का खूब ध्यान रखा जाता है. इस वक्त महिलाएं सोचतीं हैं कि वो जो चाहे और जब चाहे खा सकती हैं.

स्टडी क्या कहती है-

जंक फूड का हिरोीन जैसा असर

लेकिन आपके लिए एक बुरी खबर है. एक रिसर्च में पाया गया है कि प्रेग्नेंसी के दौरान जंक फूड जैसे पिज्जा, बर्गर इत्यादि खाने से आपका आने वाला बच्चा भी जंक फूड प्रेमी ही बन जाएगा और घर के खाने में उसे कोई दिलचस्पी नहीं होगी. एडिलेड यूनिवर्सिटी के रिसर्चों का दावा है कि जो भी मांए फैट, चीनी और नमक से भरपूर पैक्ड फूड खाना पसंद करती हैं, दरअसल वो अपने होने वाले बच्चे को भी इस तरह के अस्वस्थकर जीवनशैली की आदत दे रही हैं. जंक फूड का शरीर पर ठीक वैसा ही असर होता है जैसा कोकीन, हिरोइन या गांजा जैसे नशीले पदार्थों को होता है. और प्रेग्नेंसी के दौरान इनका सेवन करने से बच्चे भी जंक फूड प्रेमी ही पैदा होते हैं.

लॉजिक क्या है-

इस तरह के बच्चे शरीर में फैट, शुगर और सॉल्ट के केमिकल रिएक्शन के प्रति असंवेदनशील होते हैं. इस कारण से ही ये लोग ज्यादा से ज्यादा जंक फूड खाते हैं ताकि इन पर फील गुड इफेक्ट का असर हो. इस स्टडी को चूहों पर सही पाया गया है लेकिन इंसानों के बच्चों पर भी इस स्टडी का असर होगा.

बस इतना ही नहीं-

पहले ये माना जाता था कि प्लासेंटा हर बेकार के न्यूट्रीशनल चीजों को फील्टर कर देता है. लेकिन हाल के समय में ये बात साफ हो गई है कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है. मां के खाने के साथ फिर चाहे वो प्रेग्नेंसी के पहले ही क्यों ना हो शरीर में जो भी चीज अंदर जाती है वो फीटस यानी की बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकती है.

एक मां क्या खाती है इसका असर बच्चे पर साफ पड़ता है. यही नहीं इसके कारण बच्चे को बाद में पुराने रोगों जैसे मोटापे, उच्च रक्तचाप, मेटाबॉलिक सिंड्रोम और मधुमेह से लड़ने में सहायता मिलती है. तो ये साफ समझ लें कि प्रेग्नेंसी दो लोगों के लिए खाने का समय नहीं है बल्कि अपने खान-पान का ध्यान रखने का है.

कितना खाना सही है

आप मानें या ना मानें लेकिन कुछ डॉक्टरों का मानना है कि पेट में पल रहे उस छोटी जान को एक दिन में एक सेब और एक कप दही से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए होता है. और ये भी तब जब आप प्रेग्नेंसी के दूसरे या तीसरे स्टेज में हों.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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