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गर्भवती महिलाओं को दी गई सरकारी सलाह पर ये 'पेटदर्द' बेमानी है !

    • रिम्मी कुमारी
    • Updated: 14 जून, 2017 06:39 PM
  • 14 जून, 2017 06:39 PM
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सिगरेट के डिब्बों पर फोटो लगाने का मतलब सिगरेट पर बैन लगाना नहीं है. वैसे ही प्रेग्नेंसी में क्या करना चाहिए क्या नहीं, कहने का मतलब ये नहीं कि अब उसका पालन करना ही पड़ेगा.

2015 में संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया था. विश्व का तो पता नहीं लेकिन भारत में इस दिन को बीजेपी सरकार पूरे जोश-खरोश से मनाया जाता है. इस साल भी सरकार योग दिवस की तैयारियों में व्यस्त है. लेकिन इसी बीच आयुष मंत्रालय अपनी एक किताब को लेकर विवाद में फंस गया है. किताब में मंत्रालय ने गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ रहने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं जिन पर सवाल खड़े हो गए हैं.

आयुष मंत्रालय ने एक बुकलेट जारी कर कहा है कि गर्भधारण के बाद महिलाओं को सेक्स नहीं करना चाहिए और अंडा या मीट से भी दूर रहना चाहिए. मातृ व शिशु स्वास्थ्य योगिक व प्राकृतिक चिकित्सा नामक की इस किताब में गर्भावस्था के दौरान औरतों को क्या करना चाहिए क्या नहीं जैसे सुझाव दिए गए हैं. इसमें गर्भवती महिला को मन में हमेशा धार्मिक विचार रखते हुए ईर्ष्या, क्रोध और वासना से दूर रहने की सलाह दी गई है. इसके अलावा चाय, कॉफी, चीनी के साथ-साथ अंडा और मांस को वर्जित बताया गया है.

हमने तो हद ही कर दी

हालांकि डॉक्टरों ने आयुष मंत्रालय की बुकलेट में दिए गए इन सुझावों को नकारते हुए कहा है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाएं मांस का सेवन कर सकती हैं. इस समय में मांस खाने से मां और बच्चे दोनों को कोई नुकसान नहीं होता बल्कि इससे उन्हें प्रोटीन और आयरन मिलता है. साथ ही अगर महिला के यूट्रस में कोई दिक्कत नहीं है तो फिर सेक्स करने में भी कोई परेशानी नहीं है.

आयुष राज्य मंत्री श्रीपद नाईक ने हाल में ही खुद इस बुकलेट को रिलीज किया था. इसका मकसद गर्भावस्था में योग पर जोर देना था और ये बताना था कि योग के जरिए किस तरह स्वस्थ रहा जा सकता है. हालांकि आयुष मंत्रालय ने ये बुकलेट तो जारी की है लेकिन उसने इसके साथ कोई बंधन नहीं लगाया कि प्रेग्नेंट महिलाओं को...

2015 में संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया था. विश्व का तो पता नहीं लेकिन भारत में इस दिन को बीजेपी सरकार पूरे जोश-खरोश से मनाया जाता है. इस साल भी सरकार योग दिवस की तैयारियों में व्यस्त है. लेकिन इसी बीच आयुष मंत्रालय अपनी एक किताब को लेकर विवाद में फंस गया है. किताब में मंत्रालय ने गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ रहने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं जिन पर सवाल खड़े हो गए हैं.

आयुष मंत्रालय ने एक बुकलेट जारी कर कहा है कि गर्भधारण के बाद महिलाओं को सेक्स नहीं करना चाहिए और अंडा या मीट से भी दूर रहना चाहिए. मातृ व शिशु स्वास्थ्य योगिक व प्राकृतिक चिकित्सा नामक की इस किताब में गर्भावस्था के दौरान औरतों को क्या करना चाहिए क्या नहीं जैसे सुझाव दिए गए हैं. इसमें गर्भवती महिला को मन में हमेशा धार्मिक विचार रखते हुए ईर्ष्या, क्रोध और वासना से दूर रहने की सलाह दी गई है. इसके अलावा चाय, कॉफी, चीनी के साथ-साथ अंडा और मांस को वर्जित बताया गया है.

हमने तो हद ही कर दी

हालांकि डॉक्टरों ने आयुष मंत्रालय की बुकलेट में दिए गए इन सुझावों को नकारते हुए कहा है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाएं मांस का सेवन कर सकती हैं. इस समय में मांस खाने से मां और बच्चे दोनों को कोई नुकसान नहीं होता बल्कि इससे उन्हें प्रोटीन और आयरन मिलता है. साथ ही अगर महिला के यूट्रस में कोई दिक्कत नहीं है तो फिर सेक्स करने में भी कोई परेशानी नहीं है.

आयुष राज्य मंत्री श्रीपद नाईक ने हाल में ही खुद इस बुकलेट को रिलीज किया था. इसका मकसद गर्भावस्था में योग पर जोर देना था और ये बताना था कि योग के जरिए किस तरह स्वस्थ रहा जा सकता है. हालांकि आयुष मंत्रालय ने ये बुकलेट तो जारी की है लेकिन उसने इसके साथ कोई बंधन नहीं लगाया कि प्रेग्नेंट महिलाओं को इस एडवाइजरी का पालन करना होगा. मंत्रालय सिर्फ सुझाव दिए हैं. अब ये सुझाव जिसे सही लगे वो पालन करे, जिसे नहीं लगता वो ना करे.

अब लोगों को इससे भी तकलीफ हो गई है. हमारे यहां यही दिक्कत है, किसी चीज के बाल की खाल निकालने में कोई कोताही नहीं करते. आयुष मंत्रालय ने एक एडवाइजरी क्या जारी कर दी सभी के पेट में दर्द हो गया. ऐसे हल्ला मचा रहे हैं जैसे कोई फतवा जारी हो गया हो. इतनी सी बात किसी के समझ में नहीं आ रही कि जैसे सिगरेट के डिब्बों पर तंबाकू से होने वाले खतरों को फोटो के रूप में छाप कर सरकार लोगों को सावधान करने की कोशिश करती है ये भी ठीक वैसा ही है.

सिगरेट के डिब्बों पर फोटो लगाने का मतलब सिगरेट पर बैन लगाना नहीं है वैसे ही प्रेग्नेंसी में क्या करना चाहिए क्या नहीं कहने का मतलब ये नहीं कि अब उसका पालन करना ही पड़ेगा. हम ये क्यों भूल जाते हैं कि जैसे निजी जीवन में सलाह देने में पीछे नहीं रहते उसी तरह सरकार पर तो जनता के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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