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अफगानिस्तान में महिलाओं का प्रदर्शन तालिबान का PR तो नहीं?

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 19 अगस्त, 2021 01:17 PM
  • 19 अगस्त, 2021 01:17 PM
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अफगानिस्तान में हाल-फिलहाल महिलाओं की कुछ तस्वीरों और वीडियो देखने के बाद लगा कि क्या सच में तालिबान लड़ाके उदारवादी हो गए हैं? क्या सच में उनका दिल बड़ा हो गया? क्या अब वे कट्टर नहीं रहे? लेकिन कुछ घंटे बीता नहीं कि उनकी असलियत समझ में आ गई कि यह सब बस एक ढोंग था.

अफगानिस्तान में हाल-फिलहाल महिलाओं की कुछ तस्वीरों और वीडियो देखने के बाद लगा कि क्या सच में तालिबान लड़ाके उदारवादी हो गए हैं, क्या सच में उनका दिल बड़ा हो गया, क्या अब वे कट्टर नहीं रहे लेकिन कुछ घंटे बीता नहीं कि उनकी असलियत समझ में आ गई कि यह सब बस एक ढोंग था.

तालिबानी हुकूमत कैसी होती है, इसके बारे में हम सब जान चुके हैं. खासकर महिलाओं की क्या हालात होती है यह पहले भी देखा जा चुका है कि कैसे उनपर कोड़े बरसाए जाते हैं. महिलाओं को अकेले घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं होती. महिलाओं को बुर्का पहनकर रहना होता है. उनकी नौकरी, उनकी शिक्षा पर भी रोक लगा दी जाती है.

लड़कियों का बालविवाह कर दिया जाता है. एक तरह से यह कहना गलत नहीं होगा कि उनकी जिंदगी किसी और के हाथों में होती है. यही सारी बातें हैं जिसकी वजह से वहां की महिलाएं किसी तरह से अफगानिस्तान से बाहर निकलना चाहती हैं.

कुछ दिन पहले एक तस्वीर आई थी कि पश्चिमी पहनावे वाले महिलाओं को तस्वीरों को दुकानों से हटाया जा रहा था. उनपर पोताई की जा रही थी. हमें और आपको लग सकता है कि ये क्या जाहिलीयत है भाई लेकिन यही तालिबान का असली चेहरा है.

तालिबान के उदारवादी चेहरे का ढोंग कुछ घंटे भी नहीं टिक पाया

असल में तालिबान अपनी छवि दुनिया के सामने सही करना चाहता है. इसलिए ऐसी पीआर की रणनीति अपना रहा है. कुछ तस्वीरों में देखा गया कि महिलाएं तालिबानों लड़ाकों के बीच प्रदर्शन कर रही हैं. महिला एंकर तालिबान के प्रवक्ता का इंटरव्यू ले रही हैं. कल एक तस्वीर काफी वायरल हुई, जिसमें अफगान महिला एंकर बेहेश्ता ने तालिबान के प्रवक्ता अब्दुल हक हम्माद का इंटरव्यू लिया. इसी दौरान टोलो न्यूज की ये महिला एंकर काबुल की सड़कों पर रिपोर्टिंग करती भी देखी देखी गई. इस बीच चैनल के...

अफगानिस्तान में हाल-फिलहाल महिलाओं की कुछ तस्वीरों और वीडियो देखने के बाद लगा कि क्या सच में तालिबान लड़ाके उदारवादी हो गए हैं, क्या सच में उनका दिल बड़ा हो गया, क्या अब वे कट्टर नहीं रहे लेकिन कुछ घंटे बीता नहीं कि उनकी असलियत समझ में आ गई कि यह सब बस एक ढोंग था.

तालिबानी हुकूमत कैसी होती है, इसके बारे में हम सब जान चुके हैं. खासकर महिलाओं की क्या हालात होती है यह पहले भी देखा जा चुका है कि कैसे उनपर कोड़े बरसाए जाते हैं. महिलाओं को अकेले घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं होती. महिलाओं को बुर्का पहनकर रहना होता है. उनकी नौकरी, उनकी शिक्षा पर भी रोक लगा दी जाती है.

लड़कियों का बालविवाह कर दिया जाता है. एक तरह से यह कहना गलत नहीं होगा कि उनकी जिंदगी किसी और के हाथों में होती है. यही सारी बातें हैं जिसकी वजह से वहां की महिलाएं किसी तरह से अफगानिस्तान से बाहर निकलना चाहती हैं.

कुछ दिन पहले एक तस्वीर आई थी कि पश्चिमी पहनावे वाले महिलाओं को तस्वीरों को दुकानों से हटाया जा रहा था. उनपर पोताई की जा रही थी. हमें और आपको लग सकता है कि ये क्या जाहिलीयत है भाई लेकिन यही तालिबान का असली चेहरा है.

तालिबान के उदारवादी चेहरे का ढोंग कुछ घंटे भी नहीं टिक पाया

असल में तालिबान अपनी छवि दुनिया के सामने सही करना चाहता है. इसलिए ऐसी पीआर की रणनीति अपना रहा है. कुछ तस्वीरों में देखा गया कि महिलाएं तालिबानों लड़ाकों के बीच प्रदर्शन कर रही हैं. महिला एंकर तालिबान के प्रवक्ता का इंटरव्यू ले रही हैं. कल एक तस्वीर काफी वायरल हुई, जिसमें अफगान महिला एंकर बेहेश्ता ने तालिबान के प्रवक्ता अब्दुल हक हम्माद का इंटरव्यू लिया. इसी दौरान टोलो न्यूज की ये महिला एंकर काबुल की सड़कों पर रिपोर्टिंग करती भी देखी देखी गई. इस बीच चैनल के सीईओ ने ट्वीट कर कहा, 'हमारी बहादुर महिला पत्रकार काबुल में घूम रही है.' एक और तस्वीर सामने आई जिसमें स्कूल खुले दिख रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ एक महिला को तालिबानियों ने सिर्फ इसलिए मौत के घाट उतार दिया क्योंकि उसने बुर्का नहीं पहना था.

अब देखिए इस छलावे का हकीकत क्या है...दरअसल, अफगानिस्तान पर कब्जा लेने के बाद काबुल एयरपोर्ट का एक वीडियो सामने आया था जिसमें डरे-सहमे लोग प्लेन पर चढ़ने के लिए भगदड़ मचा रहे हैं. वे अपनी जान बचाने के लिए कैसे भी करके वहां से निकलना चाहते थे. हालांकि इस बीच 5 लोगों की मौत हो गई. एक और खबर आई कि एक व्यक्ति को तालिबानियों ने गोली मार दी क्योंकि वह भागने की कोशिश कर रहा था.

इसके बाद लोगों ने तालिबान पर अपना गुस्सा जाहिर करना शुरु कर दिया. कुछ महिलाओं के खत और वीडियो सामने आए जिसमें उन्होंने कहा कि हमारे देश को बचा लीजिए. हमारी महिलाओं का जीवन नर्क हो जाएगा. हमने पिछले 20 सालों में महिलाओं के अधिकारों के लिए जो संघर्ष किया है, सबपर पानी फिर जाएगा. तालिबानियों ने जब देखा कि दूसरे देशों के लोग महिलाओं के हक चिंता कर रहे हैं तब उन्होंने अपना झूठा रूप दिखाना शुरु किया.

इसी के बाद तालिबान ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करके उदारवादी होने का नाटक किया. जिसमें उन्होंने अफगानियों की सुरक्षा करने, महिलाओं को पढ़ने और कुछ खास क्षेत्रों में काम करने की इजाजत देकर उदारवादी होने की बात कही. उन्होंने कहा कि बुर्का पहनने की जरूरत नहीं है लेकिन हिजाब पहनना होगा. हम आफगानिस्तान के उन लोगों को भी माफ करते हैं जिन्होंने हमारे खिलाफ काम किया. हम शांति चाहते हैं, हमसे किसी को डरने की जरूरत नहीं है लेकिन लेकिन सच आने में कुछ घंटों का भी वक्त नहीं लगा.

एक तरफ तालिबान के लड़ाकों ने तखर प्रांत में एक महिला को बुर्का न पहनने के कारण बेरहमी से कत्‍ल कर दिया. तो दूसरी तरफ महिला न्यूज एंकरों को बैन कर दिया है. दरअसल, सरकारी न्यूज चैनल की महिला न्यूज एंकर को तालिबान ने नौकरी से हटा दिया है. खदीजा अमीना नाम की एक महिला सरकारी न्यूज चैनल में एंकर थी, उनको भी हटा दिया गया है. ये है असली तालिबान का चेहरा.

एक दिन पहले ही जब तालिबान ने कहा था कि हम महिलाओं के हितों की रक्षा करेंगे ये उनका ढोंग था. वहीं सत्ता में आने के बाद अब तालिबान कह रहा है कि सिर्फ शरीयत कानून के तहत ही महिलाओं को रहना होगा. असल में यही तालिबान है और यही रहेगा, जिसने सत्ता पाते ही अपने सुर बदल दिए. यहां के लोग आंतक के साए में जीने को मजबूर हैं. महिलाएं डर कर छिपकर रह रही हैं, ताकि उनकी लाज बची रहे.

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अपने हकों, अधिकारों के लिए प्रदर्शन करती देखी गईं महिलाएं काबुल के वजीर अकबर खान इलाके में जुटी थीं. महिलाओं की मांग है कि अफगानिस्तान से जुड़े अहम मसलों पर महिलाओं की भी राय ली जाए. हो सकता है कि महिलाओं के प्रदर्शन की ऐसी तस्वीरें सामने आती रहें लेकिन होगा वही जो तालिबान चाहेगा.

अब आप खुद समझ जाइए कि तालिबान महिलाओं के साथ कैसे सलूक करेगा. हाथी के दांत खाने के और दिखाने के ​और…बस इतना समझ जाइए कि ये महिलाओं के आजादी की झलक दिखाती तस्वीर भरोसे के काबिल नहीं है क्योंकि महिलाओं को शरीयत का ही पालन करना है. ऐसे तालिबान का क्या भरोसा जो एक तरफ अफगानिस्तना के लोगों के रक्षा की बात करें और दूसरे तरफ वहां के सैनिकों को गोली से छलनी किया जा रहा हो... ऐसे होगा महिलाओं का सम्मान, उनको जान से मारकर, उनकी नौकरी छीनकर, उनकी इज्जत लूटकर, बच्चियों की शादी कराकर?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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