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Divorce Party: तलाक ही सही, यदि 17 साल के संघर्ष के बाद मिल जाए तो उपलब्धि ही है

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 28 सितम्बर, 2021 04:15 PM
  • 28 सितम्बर, 2021 04:15 PM
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किसी को तलाक मिलने की आखिर कितनी खुशी हो सकती है? असल में एक महिला ने अपने तलाक के बाद खुशी में Divorce party ही रख दी. सोचिए उसे अपने तलाक का कबसे इंतजार होगा? कई बार तो ऐसा भी होता है कि दो लोग तलाक चाहते हैं लेकिन फिर भी उन्हें मिल नहीं पाता.

तलाक, यह शब्द सुनते ही हमारे दोस्त और घरवाले टीवी सीरियल की तरह स्लो मोशन में जाकर रिएक्शन देने लगते हैं. वो बस इस तरह हमें समझाते हैं कि हम उनकी बात मानकर तलाक लेने के फैसले को बदल दें. लोग क्या कहेंगे, हमारी इज्जत का क्या होगा? उन्हें बस इन्ही बातों की चिंता रहती है. हमारे समाज में शादी को इस तरह से लिया जाता है जैसे लड़की का जन्म ही शादी करने के लिए हुआ है.

शादी के पवित्र बंधन में बंधकर ही किसी लड़की का जीवन सार्थक होता है और ऐसे में अगर वो तलाक ले ले तो वो उसकी असफलता समझा जाता है. तलाक की बात सुनते ही पहले तो हमारे परिवार और दोस्त हमें समझाने की कोशिश करते हैं कि कैसे तलाक लेने से हमारी जिंदगी तबाह हो जाएगी, हमारी समाज में इज्जत खत्म हो जाएगी और अगर हम उनकी बातों में ना आए तो वे तो हमसे दूरी भी बना लेते हैं.

हमारे देश में चाहते हुए भी तलाक लेना आसान नहीं है

लोगों के लिए पति आज भी परमेश्वर है और तलाक पाप. एक लड़की अपनी शादी को हर तरह से निभाने की कोशिश करती है, वो शादी में खुश न हो तो भी और यही वजह भी है कि भारत दुनियां का एकमात्र ऐसा देश है जहां तलाक दर सबसे कम है यानी भारत में 1000 शादियों में से केवल 13 मामलों में ही तलाक होता है.

कोई अगर तलाक लेनाी भी चाहे तो कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं, उसमें समय लगता है. चरित्र की धज्जियां उड़ाईं जाती हैं, बिना यह जाने की गलती किसकी थी? या फिर तलाक की वजह क्या थी? कई बार दो लोगों में स्वाभाविक तौर पर असहमति होती ही है. पति-पत्नी में भी होती है. सामाजिक मनोवैज्ञानिकों के अनुभव कहते हैं कि असहमति की गंभीरता नहीं बल्कि असहमति की मात्रा ही है जो तलाक की आवश्यकता को दर्शाती है.

खैर, हम आपको एक ऐसी सच्ची घटना बता रहे हैं जो आपको हैरान कर सकती है....

तलाक, यह शब्द सुनते ही हमारे दोस्त और घरवाले टीवी सीरियल की तरह स्लो मोशन में जाकर रिएक्शन देने लगते हैं. वो बस इस तरह हमें समझाते हैं कि हम उनकी बात मानकर तलाक लेने के फैसले को बदल दें. लोग क्या कहेंगे, हमारी इज्जत का क्या होगा? उन्हें बस इन्ही बातों की चिंता रहती है. हमारे समाज में शादी को इस तरह से लिया जाता है जैसे लड़की का जन्म ही शादी करने के लिए हुआ है.

शादी के पवित्र बंधन में बंधकर ही किसी लड़की का जीवन सार्थक होता है और ऐसे में अगर वो तलाक ले ले तो वो उसकी असफलता समझा जाता है. तलाक की बात सुनते ही पहले तो हमारे परिवार और दोस्त हमें समझाने की कोशिश करते हैं कि कैसे तलाक लेने से हमारी जिंदगी तबाह हो जाएगी, हमारी समाज में इज्जत खत्म हो जाएगी और अगर हम उनकी बातों में ना आए तो वे तो हमसे दूरी भी बना लेते हैं.

हमारे देश में चाहते हुए भी तलाक लेना आसान नहीं है

लोगों के लिए पति आज भी परमेश्वर है और तलाक पाप. एक लड़की अपनी शादी को हर तरह से निभाने की कोशिश करती है, वो शादी में खुश न हो तो भी और यही वजह भी है कि भारत दुनियां का एकमात्र ऐसा देश है जहां तलाक दर सबसे कम है यानी भारत में 1000 शादियों में से केवल 13 मामलों में ही तलाक होता है.

कोई अगर तलाक लेनाी भी चाहे तो कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं, उसमें समय लगता है. चरित्र की धज्जियां उड़ाईं जाती हैं, बिना यह जाने की गलती किसकी थी? या फिर तलाक की वजह क्या थी? कई बार दो लोगों में स्वाभाविक तौर पर असहमति होती ही है. पति-पत्नी में भी होती है. सामाजिक मनोवैज्ञानिकों के अनुभव कहते हैं कि असहमति की गंभीरता नहीं बल्कि असहमति की मात्रा ही है जो तलाक की आवश्यकता को दर्शाती है.

खैर, हम आपको एक ऐसी सच्ची घटना बता रहे हैं जो आपको हैरान कर सकती है. सोचिए किसी को तलाक मिलने की आखिर कितनी खुशी हो सकती है? असल में एक महिला ने अपने तलाक के बाद खुशी में Divorce party ही रख दी. सोचिए उसे अपने तलाक का कबसे इंतजार होगा?

कई बार तो ऐसा भी होता है कि दो लोग तलाक चाहते हैं लेकिन फिर भी उन्हें मिल नहीं पाता. इस महिला ने समाज की दूसरी को यह संदेश दिया है कि महिलाओं के लिए जरूरी है कि वो घुट-घुटकर जीने के बजाए, सबकुछ ठीक हो जाएगा के दिलासे सुनने के बजाए अपने जीवन के लिए कठोर फैसला लें. 

पता है तलाक के बाद मुश्किल आती है, हमें अकेलेपन से डर लगता है क्योंकि शादी के बाद दो लोगों को एक-दूसरे की आदत पड़ जाती है. वहीं जब दोनों के बीच कलह जगह लेले औऱ शांति ही ना बचे तो ऐसे में अलग हो जाना ही बेहतर है.

दरअसल, यह कहानी 45 साल की सोनिया गुप्ता की है जो शादी के 17 साल बाद पति से अलग हो गई हैं. तलाक मिलने में सोनिया को तीन साल का वक्त लग गया. इतने सालों के इंतजार के बाद जब उन्हें आजादी मिली तो वह इतनी खुश हुईं कि डायवोर्स पार्टी ही रख ली. पार्टी में उन्होंने अपने रिश्तेदार और दोस्तों काे बुलाकर खूब धमाल मचाया. पार्टी में रंगीन कपड़े पहनें और मेहमानों से भी कुछ चटख रंग पहनने की गुजारिश की. अब तक हमने ब्रेकअप पार्टी तो सुना था लेकिन अब इस डायवोर्स पार्टी ने खूब चर्चे बटोरे हैं.

सोनिया का कहना है कि 17 साल पहले उनकी भारत में अरेंज मैरेज हुई थी. जिसके बाद वो अपने पति के साथ ब्रिटेन शिफ्ट हो गई थी. मैं एक अकाउंट मैनेजर हूं. शादी के बाद शुरु में तो सब अच्छा था लेकिन मैंने खुद को ही खो दिया था. मेरा स्वभाव पूरी तरह बदल गया था. मेरे बेटों ने मुझे समझा और मेरा साथ दिया. 

वह अपनी शादी से बिल्कुल भी खुश नहीं थीं. उन्होंने कुछ सालों तक बहुत एडजस्ट किआ लेकिन उन्होंने फिर अपने पति से अलग होने काै फैसला लिया. हर महिला की तरह कई लोगों ने उनके तलाक का विरोध किया, मुश्किलें आईं लेकिन परिवार और कुछ दोस्तों ने सपोर्ट किया तो चीजें आसान हो गईं.

सोनिया का कहना है कि लोगों का ऐसा लगता है कि डिवोर्स के बाद जिंदगी खत्म नहीं होती. इसलिए लोग भरपूर कोशिश करते हैं कि पत्नी जिस हाल में भी रहे लेकिन रहे पति के साथ ही. तलाक का प्रोसेस 2018 में शुरू हुआ फिर कोर्ट में 5 अपियरेंस, 3 ट्रायल और तीन साल के लंबे समय़ के बाद मेरे तलाक को मंजूरी मिली. अब मैं बेहद खुद हूं और अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीना चाहती हूं.

आम जिंदगी में तो तलाक का नाम लेते ही लोग भड़क जाते हैं. जोड़ों के अलगाव के नाम पर रामायण और महाभारत दोनों शुरू हो जाती है. एक-दूसरे पर किचड़ उछालने से लेकर परिवार वालों पर भी इल्जामों की खूब बारिश होती है. वहीं आम जिंदगी में चाहते हुए भी तलाक लेना आसान नहीं होता. आम जिंदगी में किसी का तलाक होता है तो लोग उसे तलाकशुदा नाम देकर उसे बुरा महसूस करवाते हैं, जैसे तलाक लेकर उन लोगों ने कोई पाप कर दिया हो.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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