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गौ-रक्षा एंबुलेंस तो ठीक है योगी जी, सड़क पर पैदा होते बच्चे के लिए क्या?

    • रिम्मी कुमारी
    • Updated: 31 मई, 2017 07:38 PM
  • 31 मई, 2017 07:38 PM
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हे माननीय! जितनी जरूरी हमारे लिए गईया मईया हैं उतनी ही जरुरी इंसान के बच्चे को जन्म देने वाली मय्या भी है. कृप्या इस बात पर ध्यान दीजिए वरना, ऐसा ना हो कि बेटियों की जगह गईया मईया से ही काम चलाना पड़े.

32 साल की मंजू देवी ने सोमवार की रात नोएडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन के सामने सड़क पर बच्ची को जन्म दिया. महिला का पति उसे अपने रिक्शे में बिठाकर नजदीक के सरकारी अस्पताल ले जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही महिला ने बच्ची को जन्म दे दिया. ये हाल उस प्रदेश का है जहां पर गायों की देखभाल के लिए सरकार एंबुलेंस सेवा शुरू करती है, लड़कियों की सुरक्षा के लिए अनाधिकृत रूप में शोहदों को संस्कृति की ठेकेदारी करने का हक दे देती है. लेकिन इस राज्य का प्रशासन कितना सजग है ये घटना इस बात की तस्दीक करती है.

बेहोलपुर स्थित अपने घर से महिला का पति यूपी सरकार की एंबुलेंस सेवा के फोन नंबर 102 और 108 पर लगातार एक घंटे तक कॉल करके थक गया लेकिन या तो फोन लगा नहीं और जब लगा तो किसी ने फोन उठाया नहीं. इस कारण महिला के पति ने एंबुलेंस का इंतजार करने के बजाए खुद के इलेक्ट्रिक रिक्शा में उसे नोएडा के सेक्टर 30 स्थित सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने के लिए ले जाने लगा.

मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ के यूपी के सीएम पद की शपथ लेने के पहले नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे- 2015-16 में देश की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले इस राज्य को पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 78 मौतें प्रति 1000 जीवित बच्चे थी. आलम ये है कि यूपी की तुलना मोजाम्बिक जैसे अफ्रीकी देश से हो रही है जिसकी जीडीपी हमारी जीडीपी के आधी से भी कम है.

20 करोड़ की जनसंख्या वाले इस राज्य में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से पूरा माहौल ही बदल गया है. एक ओर जहां एंटी रोमियो स्क्वाड बनाकर लड़कियों की सुरक्षा के नाम पर संस्कृति के ठेकेदारों को मनमानी करने की पूरी छूट मिल चुकी है तो दूसरी तरफ गौ-रक्षा के नाम पर तमाम तरीके के गुंडागर्दी की खबरें रोजना सुनने के लिए मिल रही है. आलम ये है कि इंसानों की रक्षा...

32 साल की मंजू देवी ने सोमवार की रात नोएडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन के सामने सड़क पर बच्ची को जन्म दिया. महिला का पति उसे अपने रिक्शे में बिठाकर नजदीक के सरकारी अस्पताल ले जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही महिला ने बच्ची को जन्म दे दिया. ये हाल उस प्रदेश का है जहां पर गायों की देखभाल के लिए सरकार एंबुलेंस सेवा शुरू करती है, लड़कियों की सुरक्षा के लिए अनाधिकृत रूप में शोहदों को संस्कृति की ठेकेदारी करने का हक दे देती है. लेकिन इस राज्य का प्रशासन कितना सजग है ये घटना इस बात की तस्दीक करती है.

बेहोलपुर स्थित अपने घर से महिला का पति यूपी सरकार की एंबुलेंस सेवा के फोन नंबर 102 और 108 पर लगातार एक घंटे तक कॉल करके थक गया लेकिन या तो फोन लगा नहीं और जब लगा तो किसी ने फोन उठाया नहीं. इस कारण महिला के पति ने एंबुलेंस का इंतजार करने के बजाए खुद के इलेक्ट्रिक रिक्शा में उसे नोएडा के सेक्टर 30 स्थित सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने के लिए ले जाने लगा.

मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ के यूपी के सीएम पद की शपथ लेने के पहले नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे- 2015-16 में देश की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले इस राज्य को पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 78 मौतें प्रति 1000 जीवित बच्चे थी. आलम ये है कि यूपी की तुलना मोजाम्बिक जैसे अफ्रीकी देश से हो रही है जिसकी जीडीपी हमारी जीडीपी के आधी से भी कम है.

20 करोड़ की जनसंख्या वाले इस राज्य में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से पूरा माहौल ही बदल गया है. एक ओर जहां एंटी रोमियो स्क्वाड बनाकर लड़कियों की सुरक्षा के नाम पर संस्कृति के ठेकेदारों को मनमानी करने की पूरी छूट मिल चुकी है तो दूसरी तरफ गौ-रक्षा के नाम पर तमाम तरीके के गुंडागर्दी की खबरें रोजना सुनने के लिए मिल रही है. आलम ये है कि इंसानों की रक्षा के लिए समय और संसाधन हो न हो गायों की रक्षा करने के लिए पूरी संजीदगी है.

बीते 1 मई को यूपी के उप-मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने गायों के लिए ‘गौवंश चिकित्‍सा मोबाइल वैन्‍स’ नाम की सेवा को हरी झंडी दिखाई. ये एम्‍बुलेंस बीमार व घायल गायों को ‘गौशालाओं’ या पशु चिकित्‍सकों के पास ले जाएंगी साथ ही एक ‘गौ सेवा टोल-फ्री’ नंबर भी जारी किया गया जिससे आम नागरिक गायों की मदद कर सके. यही नहीं एम्‍बुलेंस में एक पशु-चिकित्‍सक के साथ एक असिस्‍टेंट भी मौजूद रहेगा.

किसी भी राज्य के लिए इससे बड़ी शर्मिंदगी की बात क्या होगी कि उसके यहां महिलाएं तो सड़क पर बच्चा जन्म दे रही हैं और गायों की चिंता में पूरा समाज घुला जा रहा है. हे माननीय! जितनी जरूरी हमारे लिए गईया मईया हैं उतनी ही जरुरी इंसान के बच्चे को जन्म देने वाली मईया भी है. कृप्या इस बात पर ध्यान दीजिए वरना ऐसा ना हो कि बेटियों की जगह गईया मैया से ही काम चलाना पड़े.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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