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बागेश्वर धाम में महिला की मौत का दोषी कौन? सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 16 फरवरी, 2023 08:33 PM
  • 16 फरवरी, 2023 08:33 PM
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कुछ लोगों का कहना है कि अगर नीलम देवी को उनके घरवाले बागेश्वर धाम की जगह अस्पताल ले गए होते तो वे जिंदा होतीं. उनकी किडनी में परेशानी थी. जब उन्हें डॉक्टर की जरूरत थी तो बाबा के सामने ले गए.

एक बीमार महिला अपनी अर्जी लेकर पति के साथ बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) पहुंची थी मगर नंबर आने से पहले ही उसकी तबियत बिगड़ गई और मौत हो गई. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिस पर बहस छिड़ी हुई है. महिला का नाम नीलम देवी है जो फिरोजाबाद की रहने वाली थी. वह अपना इलाज कराने की जगह आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के दरबार में चमत्कार की आस में पहुंची थी.

इस घटना में गलती किसकी है?

कुछ लोगों का कहना है कि अगर नीलम देवी को उनके घरवाले बागेश्वर धाम की जगह अस्पताल ले गए होते तो वे जिंदा होतीं. उनकी किडनी में परेशानी थी. जब उन्हें डॉक्टर की जरूरत थी तो बाबा के सामने ले गए. अपने घरवालों की गलती का खामियाजा यह रहा कि नीलम की जान चली गई. महिला का पति भी बेवकूफ निकला. वहीं कुछ का कहना है कि इसमें बाबा का कुछ लेना-देना नहीं है. वे उस महिला को जबरदस्ती बुलाने नहीं गए थे.

कुछ लोगों का कहना है कि अगर नीलम देवी को उनके घरवाले बागेश्वर धाम की जगह अस्पताल ले गए होते तो वे जिंदा होतीं

देखिए लोग क्या कह रहे हैं?

आप नेता नरेश बाल्यान ने ट्विट किया है कि, आज बागेश्वर धाम में एक बीमार महिला की मौत हो गई. किडनी की बीमारी से महिला परेशान थीं. फर्जी बाबाओं के चक्कर में फंस कर बागेश्वर धाम का चक्कर काट रही थी. कल अचानक तबियत बिगड़ी और दम तोड़ दिया. इस मौत के जिम्मेदार वो सरकार और मीडिया है जो इस ढोंगी बाबा को TV पर दिखाता है.

इस पर राहुल पंडित ने लिखा है कि इनकी मृत्यु की खबर काफी दुखदाई है, पर वहां पर किसी को भी बुलाया नहीं जाता है सब अपनी मर्जी से जाते...

एक बीमार महिला अपनी अर्जी लेकर पति के साथ बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) पहुंची थी मगर नंबर आने से पहले ही उसकी तबियत बिगड़ गई और मौत हो गई. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिस पर बहस छिड़ी हुई है. महिला का नाम नीलम देवी है जो फिरोजाबाद की रहने वाली थी. वह अपना इलाज कराने की जगह आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के दरबार में चमत्कार की आस में पहुंची थी.

इस घटना में गलती किसकी है?

कुछ लोगों का कहना है कि अगर नीलम देवी को उनके घरवाले बागेश्वर धाम की जगह अस्पताल ले गए होते तो वे जिंदा होतीं. उनकी किडनी में परेशानी थी. जब उन्हें डॉक्टर की जरूरत थी तो बाबा के सामने ले गए. अपने घरवालों की गलती का खामियाजा यह रहा कि नीलम की जान चली गई. महिला का पति भी बेवकूफ निकला. वहीं कुछ का कहना है कि इसमें बाबा का कुछ लेना-देना नहीं है. वे उस महिला को जबरदस्ती बुलाने नहीं गए थे.

कुछ लोगों का कहना है कि अगर नीलम देवी को उनके घरवाले बागेश्वर धाम की जगह अस्पताल ले गए होते तो वे जिंदा होतीं

देखिए लोग क्या कह रहे हैं?

आप नेता नरेश बाल्यान ने ट्विट किया है कि, आज बागेश्वर धाम में एक बीमार महिला की मौत हो गई. किडनी की बीमारी से महिला परेशान थीं. फर्जी बाबाओं के चक्कर में फंस कर बागेश्वर धाम का चक्कर काट रही थी. कल अचानक तबियत बिगड़ी और दम तोड़ दिया. इस मौत के जिम्मेदार वो सरकार और मीडिया है जो इस ढोंगी बाबा को TV पर दिखाता है.

इस पर राहुल पंडित ने लिखा है कि इनकी मृत्यु की खबर काफी दुखदाई है, पर वहां पर किसी को भी बुलाया नहीं जाता है सब अपनी मर्जी से जाते हैं, अगर आपको वो फर्जी लगते हैं तो आप वहां जाइए और साबित करिए.

कुमार विपुल सेन ने लिखा है कि अभी तो कुछ भी नहीं हुआ है. हिन्दू धर्म सभी धर्मों से श्रेष्ठ है, लेकिन आज इसी हिन्दू धर्म में दीमक लग गया है जो अन्दर ही अन्दर इसे खोखला कर रहा है.

मलिराम ने लिखा है कि बागेश्वर धाम शास्त्री बीजेपी और RSS के एजेंडे पर ही चल रहा है. चुनाव जीतने, अपनी गिरती हुई शाख बचाने, धर्म भीरू भारतीय जनता को मूर्ख बनाने के लिए नए- नए हथकंडे अपना रही है.

रोफल नामक यूजर ने लिखा है कि काश वो दिल्ली आ जाती, यहां के सरकारी अस्पताल में बेहतर इलाज मिल जाता. अफ़सोस है कि, शकुनी मामा...अच्छा अस्पताल 19 साल में भी नहीं बनवा पाया.

असीम कुमार का कहना है कि बाबा की पर्ची से अच्छा था कि डॉक्टर की पर्ची बनाते, जान बच जाती. कुमार विपुल सेन ने लिखा है कि जब तक केन्द्र में बीजेपी की सरकार रहेगी तब तक इन बाबाओं का पाखण्ड चलता रहेगा, इन पर रोक तभी लगेगा जब सरकार चाहेगा लेकिन सरकार तो इस विषय पर खामोश और चुप्पी साध लिया है.

इस पर नानूमल ने कहा है कि जिम्मेदार केवल वो है जिसने बागेश्वर के बाग में जाने की सलाह दी. हरीश गौर ने लिखा है कि हिन्दू हो कर हिंदुत्व का विरोध...ये तो जयचंदों की निशानी है. यही बात किसी फादर या मौलवी के लिए तुम्हारे मुंह से क्यू नहीं आती. डीएनए तो ठीक है ना??

डॉ. देवतीर्थ साहू ने लिखा है कि अगर बागेश्वर धाम में ले गए तो शव अस्पताल में क्या कर रहा है? वैसे भी 1 दिन में किडनी खराब होती नहीं है, मृत्यु के कारण कई हो सकते हैं और धीरेंद्र शास्त्री जी ने हमेशा दुआ और दवा दोनों की बात कही है इसलिए वह कैंसर हॉस्पिटल भी बनवा रहे हैं.

इस पर ओशक पाल ने लिखा है कि अंध भक्ति के परिणाम हमेशा गलत होते हैं. पता नहीं हम लोग कब समझेंगे? क्या सही है क्या गलत कि परख हमेशा शिक्षा से आती है. इस परिवार को जरा सी लापरवाही का कितना बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

विकास ने लिखा है कि पाखंड से बचो वरना ऐसे ही जान से हाथ धो दोगे. हिमांश यादव कहते हैं कि भगवान की भक्ति अवश्य होनी चाहिए लेकिन अंधभक्ति नहीं. भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण को जब मूर्छा आई थी तो उन्होंने भी वैद्य को लंका बुलवाया था और फिर औषधि के लिए हनुमान जी को भेजा था. प्रभु राम ने खुद भगवान थे फिर भी इलाज करने नहीं बैठ गए थे. जागो भक्तों जागो.

निकिता ने पूछा है कि अगर स्टूडियो में हार्ट अटैक आ जाए तो गलती किसकी होगी? वहीं नेहा सिंह ने लिखा है कि जब एक पाखंडी का प्रचार प्रसार, इंटरव्यूज लिए जा रहे थे तभी सोचना चाहिए था की आम जनता पर क्या असर पड़ेगा?

विष्णु देव ने लिखा है कि किडनी एक दिन में खराब नहीं होती है और न ही एक दिन में कोई व्यक्ति किडनी से मरता है. जब वो डॉक्टरों को रूपये दे कर हार गया होगा तब वहां गया होगा और वह अंतिम स्थिति में रही होगी तभी गुजर गई. अब इसमें बागेश्वर धाम क्या करें?

मोहिनी सिंह ने कहा है कि वो अस्पताल से निराश होकर और सब जगह इलाज करवा कर ही लास्ट में बागेश्वर धाम पहुंचे थे और शास्त्री जी ने कब कहा कि मैं मरते हुए इंसान को जिंदा कर दूंगा? लगता है तुम लोगों को हमसे भी ज्यादा उम्मीदें है शास्त्री जी से.

वहीं गौरव कुमार ने लिखा है कि, अगर धीरे-धीरे शास्त्री बागेश्वर धाम के बाबा ना बने होते हैं तो इस महिला की जान बच सकती थी. गुनाहगार वो लोग हैं जिन्होंने उन्हें बाबा बनाया है और वो सरकार भी जो इन जैसे लोगों को बढ़ावा देती है.

वहीं विभूति नारायण मिश्रा ने लिखा है कि हम लोग विश्वास और अंधविश्वास के बीच फर्क करना कब सीखेंगे भगवान ही जाने. इस पर मैं भी नेहरु नामक यूजर ने लिखा है कि और साथ दो अंधविश्वास फैलाने वालों का... इस अंधविश्वास में गरीब आदमी ही मारा जाता है. वरना रामदेव का चेला इलाज कराने AIIMS नहीं जाता.

भरत कुमार यादव का कहना है कि सब गलती तो परिवार की ही है. टीवी चैनल वालों की तो कोइ गलती नहीं है. टीवी पर दिन रात बाबा का चमत्कार दिखाते हैं. वो देख कर गरीब लोग क्या करें सोचते हैं काम खर्च में ठीक हो जाएगा सो चले गए वहा पे.

अंकुर यादव ने लिखा है कि किसी सरकारी अस्पताल में चले जाओ वहा गरीब परिवार की कोई सुनवाई नहीं है. सरकार केवल विज्ञापनों पर जनता का पैसा खर्च कर रही. सरकारी कर्मचारी एक दम मस्त हैं.

भरत पालिवाल ने कहा है कि यह धरती ऋषि महर्षि की है ना कि पाखंडी बाबाओं की. महर्षि दयानन्द ने समाज सुधार में कुरुतियों, अन्धविश्वासों, रूढ़ियों. बुराइयों और पाखण्डों का खण्डन कर विरोध किया. बाबाओंकी दुकान बन्द होना चाहिए. पाखण्ड व पाखण्डियों का समर्थन क्यों किया जा रहा है?

मुकेश बामनिया ने कहा है कि मीडिया वाले भी कम कसूरवार नहीं है बागेश्वर धाम बाबा को चमत्कारी बता रहे थे. देश की पब्लिक इन पर विश्वास करती इसलिए बागेश्वर धाम चले गए. दीपक कुमार गुप्ता ने लिखा है कि भेड़चाल चलती है जनता भी, खुद अपने दिमाग का प्रयोग नहीं करती हैं और बाकी बाबा के प्रचार का जिम्मा न्यूज चैनल वालों को मिला है.

बागेश्वर धाम में महिला की मौत पर अब कोई कुछ भी कह वे सच यह है कि वह अब इस दुनिया में नहीं रही. काश कि समय रहते उसका इलाज हो जाता तो वह बच जाती. वैसे आपकी इस मामले पर क्या राय है?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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