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पुरुषों के कपड़े धोने और सुखाने की जिम्मेदारी पत्नियों की क्यों?

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 09 जनवरी, 2023 06:35 PM
  • 09 जनवरी, 2023 06:31 PM
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वॉशरूम में जाते ही कई पुरुष चिल्लाना शुरु कर देते हैं कि मेरा तौलिया कहां है? नहा कर आने के बाद मेरा अंडरवियर कहां है? मेरा शर्ट प्रेस है कि नहीं? मेरे मोजे नहीं मिल रहे. अरे यार मैं पर्स तो भूल ही गया. मेरी टाई देखी है क्या? मेरा टिफिन टेबल पर नहीं है. तुम्हें समझ में नहीं आता कि मैं ऑफिस के लिए लेट हो रहा हूं. पता नहीं ध्यान कहां रहता है तुम्हारा?

पुरुषों के कपड़े संभालने की जिम्मेदारी पत्नियों की क्यों? पुरुषों को वॉशरूम में तौलिए देने की जिम्मेदारी पत्नियों की क्यों? वॉशरूम में जाते ही कई पुरुष चिल्लाना शुरु कर देते हैं कि मेरा तौलिया कहां है? नहा कर आने के बाद मेरा अंडरवियर कहां है? मेरा शर्ट प्रेस है कि नहीं? मेरे मोजे नहीं मिल रहे. अरे यार मैं पर्स तो भूल ही गया. मेरी टाई देखी है क्या? मेरा टिफिन टेबल पर नहीं है. तुम्हें समझ में नहीं आता कि मैं ऑफिस के लिए लेट हो रहा हूं. पता नहीं ध्यान कहां रहता है तुम्हारा? मेरी फाइल देना, बेडरूम में होगी. एक तो मेरा मोबाइल भी चार्ज नहीं है, अब क्या चार्जर मेरे बोलने पर दोगी?

इस तरह के सीन अक्सर कई फिल्मों में देखने को मिलते हैं. जहां महिलाएं घर में चकरी की तरह भागती फिरती हैं. जैसे उनके अंदर कोई मशीन लगी है. ये सीन अक्सर आम घरों का हिस्सा हैं. जहां पति रात को बेफिक्र हो कर सो जाता है औऱ महिला अगले दिन की तैयारी करके सोती है.

महिला सुबह जल्दी जग जाती है मगर पति आराम से सोकर उठते हैं. उनको जगते के साथ ही चाय चाहिए होती है. चाय पीने के बाद वे फ्रेश होंगे और ब्रश करने के साथ ही उनका नाश्ता तैयार होना चाहिए. पति को टिफिन देना है, इसलिए वह सुबह-सुबह रसोई में रमी रहती है. पति को आलमारी में सामने रखा हुआ सामान भी अपने हाथों से नहीं लेना होता है, उनकी आदत जो नहीं होती है. कई बार इस चक्कर में महिला की रोटी जल जाती है. पति गुस्सा करते हैं क्योंकि वे कर सकते हैं. पत्नी का क्या है, जब पति गुस्सा करे तो उसे चुप हो जाना पड़ता है. यही उसे सिखाया गया है.

जमाना कहां से कहां बदल गया मगर महिलाओं के हिस्से का यह काम नहीं बदला

पत्नी अपने पति के रूमाल से लेकर टाई तक का ध्यान रखती है. वह पति के कपड़ों को धोती है. भले मशीन में धोए या किसी...

पुरुषों के कपड़े संभालने की जिम्मेदारी पत्नियों की क्यों? पुरुषों को वॉशरूम में तौलिए देने की जिम्मेदारी पत्नियों की क्यों? वॉशरूम में जाते ही कई पुरुष चिल्लाना शुरु कर देते हैं कि मेरा तौलिया कहां है? नहा कर आने के बाद मेरा अंडरवियर कहां है? मेरा शर्ट प्रेस है कि नहीं? मेरे मोजे नहीं मिल रहे. अरे यार मैं पर्स तो भूल ही गया. मेरी टाई देखी है क्या? मेरा टिफिन टेबल पर नहीं है. तुम्हें समझ में नहीं आता कि मैं ऑफिस के लिए लेट हो रहा हूं. पता नहीं ध्यान कहां रहता है तुम्हारा? मेरी फाइल देना, बेडरूम में होगी. एक तो मेरा मोबाइल भी चार्ज नहीं है, अब क्या चार्जर मेरे बोलने पर दोगी?

इस तरह के सीन अक्सर कई फिल्मों में देखने को मिलते हैं. जहां महिलाएं घर में चकरी की तरह भागती फिरती हैं. जैसे उनके अंदर कोई मशीन लगी है. ये सीन अक्सर आम घरों का हिस्सा हैं. जहां पति रात को बेफिक्र हो कर सो जाता है औऱ महिला अगले दिन की तैयारी करके सोती है.

महिला सुबह जल्दी जग जाती है मगर पति आराम से सोकर उठते हैं. उनको जगते के साथ ही चाय चाहिए होती है. चाय पीने के बाद वे फ्रेश होंगे और ब्रश करने के साथ ही उनका नाश्ता तैयार होना चाहिए. पति को टिफिन देना है, इसलिए वह सुबह-सुबह रसोई में रमी रहती है. पति को आलमारी में सामने रखा हुआ सामान भी अपने हाथों से नहीं लेना होता है, उनकी आदत जो नहीं होती है. कई बार इस चक्कर में महिला की रोटी जल जाती है. पति गुस्सा करते हैं क्योंकि वे कर सकते हैं. पत्नी का क्या है, जब पति गुस्सा करे तो उसे चुप हो जाना पड़ता है. यही उसे सिखाया गया है.

जमाना कहां से कहां बदल गया मगर महिलाओं के हिस्से का यह काम नहीं बदला

पत्नी अपने पति के रूमाल से लेकर टाई तक का ध्यान रखती है. वह पति के कपड़ों को धोती है. भले मशीन में धोए या किसी को धोने को दे. वही कपड़ों को सुखाती है और सूखने के बाद वही फोल्ड करके रखती है. वही कपड़ों की स्त्री करती या फिर अलमीरा में सेट करके रखती है.

अगर पत्नी एक दिन वह छोड़ दे तो पति का अंडर वियर वैसे ही बाथरूम में पड़ा रहेगा जैसे वह उतार कर जाते हैं. महिलाएं पति के अंडर वियर और बनियान रोज नहाने से पहले धोती हैं और सुखाकर रखती हैं. जमाना कहां से कहां बदल गया मगर महिलाओं के हिस्से का यह काम नहीं बदला.

भले हाथ के बदले कपड़े मशीन में धाए जाने लगे मगर यह जिम्मेदारी आज भी महिलाओं के हिस्से ही आती है. इतना करने के बाद जब पति नहाने जाते हैं तो महिलाएं उनका तौलियां, और कपडे निकालकर रखती हैं. पति लोग पत्नी पर इतने निर्भर रहते हैं कि वे बाथरूम में तौलिया भी अपने साथ लेकर नहीं जाते. पतियों को लगता है कि यह सब करना एक पत्नी का फर्ज है.

आलम यह है कि अगर पत्नी कुछ दिनों के लिए मायके चली जाए तो पति लोग सारे कपड़े पहन डालते हैं और गंदे कपड़े एक जगह इकट्ठा करते जाते हैं. वे गंदे कपड़े रिपीट कर लेंगे, एक ही जींस से काम चला लेंगे मगर क्या मजाल है कि वे अपने कपड़े धोकर, सुखा दें. ऐसे पति अगर कहीं बाहर या रिश्तेदार के घर जाते हैं तो वहां से अपने गंदे कपड़े वापस वैसे ही लाते हैं. घर में कपड़े धोने के लिए बीवी तो है ही.

इसके उलट अगर उनसे यह पूछ लो कि वे पत्नी के लिए क्या करते हैं तो जवाब क्या होगा आपको भी पता है. वे भला पत्नी के कपड़े कैसे धो सकते हैं. धोना तो दूर वे ना सुखा सकते हैं ना सूखने के बाद आलमारी में रख सकते हैं. ऐसा करने से उनकी बेइज्जती जो हो जाएगी. वे पुरुष जो ठहरे.

महिलाओं के ऊपर घर की जिम्मेदारी होती है. बच्चों की जिम्मेदारी होती है, सास-ससुर की जिम्मेदारी होती है, इसके अलावा उसे पति की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ती है. पत्नियों के नसीब में आराम नहीं होता है.

कुछ पति अपनी पत्नी के साथ ऐसा बिहैव करते हैं जैसे वे घर में नहीं होटल में रहते हैं. उनको सबकुछ एक आवाज पर तैयार चाहिए होता है. समझ नहीं आता कि आखिर ऐसा क्यों है और यह कब तक चलता रहेगा.

पत्नियों चाहिए कि वे अपने पति पर ध्यान दें मगर चकरी की तरह नांचना छोड़ दें. उन्हें एहसास दिलाएं कि वे भी एक इंसान हैं जिसके अंदर एक जान है. इसलिए वे अपना काम खुद कर लें, कम से कम अपने कपड़ों की जिम्मेदारी तो खुद ले लें. कब तक पत्नियां उनके बाथरूप में छोड़े हुए अंडरवियर और बनियान धोती रहेंगी? इतना छोटा सा काम क्या वे खुद नहीं कर सकते?

नोट: यहां उन पतियों की बात नहीं हो रही है जो कपड़े क्या बर्तन भी धो लेते हैं, क्योंकि ऐसे प्राणी इस धरती पर कम ही पाए जाते हैं. यहां उनके बारे में बात की जा रही है, जो हर काम के लिए पत्नी का नाम पुकारते हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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