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लड़की में आत्मविश्वास जगाने के लिए उसे लड़के जैसा बनाना 'रांग नंबर' डायल करना है

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 28 दिसम्बर, 2021 06:23 PM
  • 28 दिसम्बर, 2021 06:22 PM
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आखिर वो कौन सी मजबूरी होती है जिससे माता-पिता अपनी बेटियों को बेटा बनाने पर तुल जाते हैं, आइये जानते हैं...

लड़कियां क्यों खुद को लडकों की तरह दिखाने की कोशिश करती हैं. क्या बाहरी पहनावे को बदलने से सच्चाई बदल जाएगी कि वह एक लड़की है. क्या लड़की होना उन्हें छोटेपन का एहसास करवाता है? आखिर वो कौन सी मजबूरी है जो माता-पिता अपनी बेटियों को बेटा बनाने पर तुल जाते हैं?

बेटियां (Daughter) कहीं से भी बेटों (Son) से कम नहीं होती हैं. लोग बेटियों को भी पढ़ाते-लिखाते हैं और उन्हें किसी चीज की कमी नहीं होने देते. कई घरों में तो बेटियों को बेटों से ज्यादा प्यार किया जाता है. हालांकि इन बातों में एक सोच है अभी भी कायम है वह है बेटियों को बेटों की तरह रखने की कोशिश करना. कई लोग अपनी बेटियों को बेटों की तरह ट्रीट करते हैं. चलिए बताते हैं एक लड़की को लड़के की तरह दिखाने के लिए माता-पिता क्या-क्या करते हैं?

बेटी को बेटा कहकह बुलाना

कई लोग प्यार से बेटी को बेटा कहकर पुकारते हैं. अगर किसी दिन बेटी ने अच्छा काम कर दिया है उससे कहेंगे शाबाश बेटा, बहुत अच्छा किया...आखिर शाबाश बेटी कहने में क्या कमी है. वहीं कई लोग अपने बेटियों को बड़ी शान के साथ कहते हैं कि ये तो हमारी बेटी नहीं बेटा है. क्यों बेटी कहने में क्या दिक्कत है. जब वह बेटी होकर आपको गर्व महसूस करा रही है तो आप उसे बेटा बुलाकर कमतर महसूस क्यों करवा रहे हैं.

कई लोग प्यार से बेटी को बेटा कहकर पुकारते हैं

कई लोग बेटियों को बेटू कहते हैं...भले ही माता-पिता अपनी बेटियों को बहुत प्यार करते हैं लेकिन जाने-अनजाने में उसे यह महसूस करवाते हैं कि तुम हमारा बेटा हो...आखिर में वह है तो बेटी ही और वह बेटी होकर ही पूरी है उसे बेटा-बेटा कहना बंद कर दीजिए. वह आपकी संतना है और बेटियां अपना फर्ज निभा सकती हैं. इसके लिए उन्हें बेटा बोलकर पुकारने की जरूरत...

लड़कियां क्यों खुद को लडकों की तरह दिखाने की कोशिश करती हैं. क्या बाहरी पहनावे को बदलने से सच्चाई बदल जाएगी कि वह एक लड़की है. क्या लड़की होना उन्हें छोटेपन का एहसास करवाता है? आखिर वो कौन सी मजबूरी है जो माता-पिता अपनी बेटियों को बेटा बनाने पर तुल जाते हैं?

बेटियां (Daughter) कहीं से भी बेटों (Son) से कम नहीं होती हैं. लोग बेटियों को भी पढ़ाते-लिखाते हैं और उन्हें किसी चीज की कमी नहीं होने देते. कई घरों में तो बेटियों को बेटों से ज्यादा प्यार किया जाता है. हालांकि इन बातों में एक सोच है अभी भी कायम है वह है बेटियों को बेटों की तरह रखने की कोशिश करना. कई लोग अपनी बेटियों को बेटों की तरह ट्रीट करते हैं. चलिए बताते हैं एक लड़की को लड़के की तरह दिखाने के लिए माता-पिता क्या-क्या करते हैं?

बेटी को बेटा कहकह बुलाना

कई लोग प्यार से बेटी को बेटा कहकर पुकारते हैं. अगर किसी दिन बेटी ने अच्छा काम कर दिया है उससे कहेंगे शाबाश बेटा, बहुत अच्छा किया...आखिर शाबाश बेटी कहने में क्या कमी है. वहीं कई लोग अपने बेटियों को बड़ी शान के साथ कहते हैं कि ये तो हमारी बेटी नहीं बेटा है. क्यों बेटी कहने में क्या दिक्कत है. जब वह बेटी होकर आपको गर्व महसूस करा रही है तो आप उसे बेटा बुलाकर कमतर महसूस क्यों करवा रहे हैं.

कई लोग प्यार से बेटी को बेटा कहकर पुकारते हैं

कई लोग बेटियों को बेटू कहते हैं...भले ही माता-पिता अपनी बेटियों को बहुत प्यार करते हैं लेकिन जाने-अनजाने में उसे यह महसूस करवाते हैं कि तुम हमारा बेटा हो...आखिर में वह है तो बेटी ही और वह बेटी होकर ही पूरी है उसे बेटा-बेटा कहना बंद कर दीजिए. वह आपकी संतना है और बेटियां अपना फर्ज निभा सकती हैं. इसके लिए उन्हें बेटा बोलकर पुकारने की जरूरत नहीं है.

बेटियों के बाल लड़कों जैसे छोटे रखना

कई लोग बेटे की चाह में लड़की का हुलिया एकदम लड़कों जैसे कर देते हैं. मुझे याद है स्कूल के दिनों में कई सारे लड़कियों के बाल ब्वॉय कट थे. जब भी हेयर थोड़े बड़े होते उनके पापा जेंस सैलून में ले जाकर दोबोरा बाल छोटा करवा देते. उन्हें इस बात पर गर्व भी होता कि हमारी बेटियों को हमने बेटों की तरह रखा है. कुछ लड़कियां कहती कि मुझे बाल बड़े रखने हैं तो उन्हें डांट पड़ती. घरवालों का ऐसा मानना होता था कि बेटों की तरह बाल रखने से बेटियां भी बेटों की तरह दिखेंगी.

लड़कों की तरह कपड़े पहनाना

कई माता-पिता बचपन से ही अपनी बेटियों को लड़कों वाले कपड़े पहनाते हैं. स्कूल ड्रेस में भी वे स्कर्ट की जगह पैंट पहनाते हैं. स्कूल यूनिफॉर्म में जूती नहीं बल्कि जूते पहनाते हैं. लड़कियों के मन में ये बातें डाली जाती हैं कि ऐसा करके वे बाकी लड़कियों से अच्छी हैं. इन लड़कियों के घर पहनने से लेकर बाहर जाने वाले कपड़े भी लड़कों वाले ही होते हैं, जिन्हें पहनकर वे एकदम लड़कों जैसी लगती हैं. ऐसे में कई लोग इन लड़कियों को टॉम ब्वॉय ही कहने लगते हैं. 

लड़कों की तरह बातें करना सीखाना

कई लोग अपनी बेटियों से बचपन से ही ऐसे बात करते हैं जैसे वे लड़का हों. मैंने कई लड़कियों को लड़कों जैसे बात करते हुए सुना है. बचपन से ही उन्हें ‘मैं खा रही हूं कि जगह पर मैं खा रहा हूं’ बोलने की आदत होती है. लड़कियों के मुंह से मैं लड़कों जैसी बातें सुनकर अजीब लगता है. घर में तो ठीक है लेकिन जब वे आदतन कहीं बाहर जा रहा हूं, आ रहा हूं बोलती हैं तो उनका मजाक उड़ाया जाता है, क्योंकि घरवालों की लाख कोशिश के बाद भी वे होती तो लड़कियां ही हैं.

जब आप अपनी बेटियों से इतना प्यार करते हैं को उन्हें बेटी ही रहने दीजिए. आखिर बेटियों में ऐसी क्या कमी है जो आप उन्हें बेटा बनाने पर जोर देते हैं, ऐसा करने की जरूरत ही क्या है? क्या बेटियां अपने आप में पूर्ण नहीं है? तो इस बार बेटी जब कुछ अच्छा करके आए तो उसे शाबाश बेटा नहीं शाबास बेटी कहिएगा... 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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