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समाज

हिजाब मांगने वाली छात्राओं को क्यों अब्दुल्ला मुसलियार जैसों से डरना चाहिए?

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 12 मई, 2022 10:48 PM
  • 12 मई, 2022 10:43 PM
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केरल (Kerala) के मल्लपुरम में एक हिजाब पहने हुए मुस्लिम छात्रा (Muslim Girl Student) को मंच पर बुलाने पर मौलवी अब्दुल्ला मुसलियार (Abdulla Musaliyar) भड़क गए. आयोजकों को धमकाते हुए कहने लगे कि हमारे यहां बैठे होने पर ऐसी चीजें नहीं चलेंगी? आखिर अब्दुल्ला मुसलियार का इशारा किस तरफ था?

आमतौर पर किसी छात्रा को सम्मानित किया जाना, उसके और परिवार के लिए गर्व करने का एक बड़ा मौका होता है. केरल की एक छात्रा को भी ये मौका मिला. उसे स्टेज पर बुलाकर सम्मानित किया गया. लेकिन, उसके बाद जो कुछ भी हुआ, उसने कर्नाटक में हिजाब को अपना मजहबी अधिकार बताने वाली छात्राओं के सामने एक बड़ी लकीर खींच दी है. दरअसल, केरल में एक सम्मान समारोह के दौरान एक छात्रा को मंच पर बुलाए जाने से नाराज मुस्लिम नेता अब्दुल्ला मुसलियार ने आयोजकों फटकार लगा दी. और, नाराजगी की वजह केवल इतनी थी कि सम्मान लेने आई बच्ची का चेहरा हिजाब पहनने के बावजूद नजर आ रहा था. अब्दुल्ला मुसलियार ने नाराज होकर आयोजकों को डांटते हुए कहा कि क्या ये सब मीडिया में नहीं आएगा? कहना गलत नहीं होगा कि हिजाब के लिए लड़ने वाली छात्राओं को अब्दुल्ला मुसलियार जैसे लोगों से डरना चाहिए.

हिजाब को इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा मानने वाली छात्राओं को अब्दुल्ला मुसलियार को देखना चाहिए.

मामला क्या था?

केरल के मल्लपुरम में एक सम्मान समारोह के दौरान एक छात्र के बाद छात्रा को बुलाया गया. जिससे नाराज हुए मुस्लिम नेता अब्दुल्ला मुसलियार ने कार्यक्रम के आयोजक समस्त केरल जेम-इयातुल उलेमा (एसकेजेयू) के सदस्यों पर छात्रा को मंच पर बुलाने के लिए नाराजगी जताई. अब्दुल्ला मुसलियार ने एसकेजेयू के सदस्यों को डांटते हुए कहा कि इस लड़की को किसने मंच पर बुलाया? मैं तुम्हें दिखा दूंगा कि मैं कौन हूं, अगर अगली बार किसी लड़की को बुलाया. क्या तुमको नहीं पता कि हमारे नियमों के हिसाब से उसके माता-पिता को बुलाया जाना चाहिए. क्या इसकी तस्वीर मीडिया में नहीं आएगी? अब्दुल्ला मुसलियार जब आयोजकों हड़का रहे थे, तब सभी लोग मंच पर माफी मांगने की मुद्रा में खड़े नजर आ रहे थे.

हिजाब की मांग...

आमतौर पर किसी छात्रा को सम्मानित किया जाना, उसके और परिवार के लिए गर्व करने का एक बड़ा मौका होता है. केरल की एक छात्रा को भी ये मौका मिला. उसे स्टेज पर बुलाकर सम्मानित किया गया. लेकिन, उसके बाद जो कुछ भी हुआ, उसने कर्नाटक में हिजाब को अपना मजहबी अधिकार बताने वाली छात्राओं के सामने एक बड़ी लकीर खींच दी है. दरअसल, केरल में एक सम्मान समारोह के दौरान एक छात्रा को मंच पर बुलाए जाने से नाराज मुस्लिम नेता अब्दुल्ला मुसलियार ने आयोजकों फटकार लगा दी. और, नाराजगी की वजह केवल इतनी थी कि सम्मान लेने आई बच्ची का चेहरा हिजाब पहनने के बावजूद नजर आ रहा था. अब्दुल्ला मुसलियार ने नाराज होकर आयोजकों को डांटते हुए कहा कि क्या ये सब मीडिया में नहीं आएगा? कहना गलत नहीं होगा कि हिजाब के लिए लड़ने वाली छात्राओं को अब्दुल्ला मुसलियार जैसे लोगों से डरना चाहिए.

हिजाब को इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा मानने वाली छात्राओं को अब्दुल्ला मुसलियार को देखना चाहिए.

मामला क्या था?

केरल के मल्लपुरम में एक सम्मान समारोह के दौरान एक छात्र के बाद छात्रा को बुलाया गया. जिससे नाराज हुए मुस्लिम नेता अब्दुल्ला मुसलियार ने कार्यक्रम के आयोजक समस्त केरल जेम-इयातुल उलेमा (एसकेजेयू) के सदस्यों पर छात्रा को मंच पर बुलाने के लिए नाराजगी जताई. अब्दुल्ला मुसलियार ने एसकेजेयू के सदस्यों को डांटते हुए कहा कि इस लड़की को किसने मंच पर बुलाया? मैं तुम्हें दिखा दूंगा कि मैं कौन हूं, अगर अगली बार किसी लड़की को बुलाया. क्या तुमको नहीं पता कि हमारे नियमों के हिसाब से उसके माता-पिता को बुलाया जाना चाहिए. क्या इसकी तस्वीर मीडिया में नहीं आएगी? अब्दुल्ला मुसलियार जब आयोजकों हड़का रहे थे, तब सभी लोग मंच पर माफी मांगने की मुद्रा में खड़े नजर आ रहे थे.

हिजाब की मांग करने वाली छात्राओं के लिए क्या सीख है?

कर्नाटक में उपजे हिजाब विवाद के बाद देश के कई राज्यों में मुस्लिम छात्राओं के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद करने वालों के लिए अब्दुल्ला मुसलियार की आयोजकों को लगाई गई डांट एक बड़ा इशारा है. दरअसल, अब्दुल्ला मुसलियार जैसे मुस्लिम समाज के नेता आखिर इनसे चाहते क्या हैं? एक तरफ मुस्लिम युवतियों को हिजाब को इस्लाम का जरूरी हिस्सा बताकर पहनने के लिए कानूनी लड़ाई के लिए आगे करता है. वहीं, दूसरी ओर एक बच्ची (जो हिजाब पहने हुई थी) जब मंच पर सम्मान लेने आ जाती है, तो ये उसके माता-पिता को बुलाने की बात करते हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो अब्दुल्ला मुसलियार जैसे तमाम मुस्लिम स्कॉलर शरिया और इस्लाम के कानूनों के नाम पर महिलाओं को घरों में कैद करने की तालिबानी सोच पर ही चलते हैं. 

वैसे इस मामले को समझने के लिए अफगानिस्तान में तालिबान के राज से समझा जा सकता है. दरअसल, ब्रिटेन की स्पेशल पॉलिसी एडवाइजर शबनम नसीमी ने स्काई न्यूज की एक टॉक शो का वीडियो शेयर किया है. जिसमें सुहैल शाहीन अपनी दोनों लड़कियों के स्कूल जाने की बात स्वीकार करता है. यहां बताना जरूरी है कि सुहैल शाहीन की बेटियां अफगानिस्तान में नहीं, बल्कि कतर के दोहा में अपनी स्कूलिंग कर रही हैं. वैसे, तालिबान सरकार का प्रवक्ता सुहैल शाहीन दावा करता है कि उसकी लड़कियां स्कूल जाती हैं. जबकि, तालिबान सरकार ने अफगानिस्तान में लड़कियों के स्कूल जाने तक पर पाबंदी लगा दी है. और, महिलाओं के लिए सार्वजनिक स्थानों पर पूरी तरह से ढंकने वाला बुर्का पहनने का फरमान जारी कर दिया है. क्या अब्दुल्ला मुसलियार में सुहैल शाहीन की झलक नजर नहीं आती है?

केरल के राज्यपाल ने मुस्लिम नेता को लगाई लताड़

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इस मामले पर ट्वीट करते हुए कहा कि यह दु:खद है कि मलप्पुरम में एक युवा प्रतिभाशाली लड़की को अवॉर्ड लेने के दौरान केवल इस वजह से अपमानित किया गया. क्योंकि, वह एक मुस्लिम परिवार में पैदा हुई. आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि यह उदाहरण है कि कैसे मौलवी मुस्लिम महिलाओं को हाशिये पर धकेलते के लिए कुरान के आदेशों और संविधान के प्रावधानों की अवहेलना करते हुए उनके व्यक्तित्व को दबाने की कोशिश करते हैं. अपनी बात को समझाने के लिए केरल के राज्यपाल ने कुरान की एक आयत भी साझा की. 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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