• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

ऑर्गेज़म की बात तो औरतों के लिए नर्क का दरवाजा ही खोल देगी... तौबा, तौबा!

    • अणु शक्ति सिंह
    • Updated: 29 अप्रिल, 2022 01:25 PM
  • 29 अप्रिल, 2022 01:25 PM
offline
पुरुषों की तरह महिलाओं के लिए भी ऑर्गेज़म (orgasm) जरूरी है. सेक्सुअली ऐक्टिव लोगों के लिए सेक्स की चाह पद, क्लास, पढ़ाई, उम्र, पैसा, ज़मीन, जगह और देश नहीं देखती है. हां, इसकी बात करने से नैतिकता के सवाल खड़े हो जाते हैं. औरतों के लिए नर्क का द्वार खोल दिया जाता है.

Orgasm... बात यह है कि यह मुद्दा बेहद बेहूदा है. एकदम पब्लिसिटी स्टंट है. बस लोगों की नज़र पाने को बात कह दी गई है. ऑर्गेज़म स्त्रियों का आंतरिक मामला है. ठीक? अब भले ही वे सामान की तरह इस्तेमाल की जाएं, उन्हें अपनी सेक्सुअलिटी का ज़िक्र भूल कर भी नहीं करना चाहिए. औरतें सेक्सुअलिटी का ज़िक्र करेंगी तो नर्क के रास्ते खुलेंगे. समाज छिन्न-भिन्न हो जाएगा. मीरा के निष्काम प्रेम के देश में काम-वासना की बात! छि: छि:!

हाय! वो अजंता-एलोरा की चित्रकारियां, वो खजुराहो की मूर्तियां… उन्हें कोई पर्दे में बंद कर देता. क्या फ़र्क़ पड़ता है जो दस में सात औरतों (70% औरतों) को अमूमन संतुष्टि नहीं मिलती. क्या ही बिगड़ जाता है जो कई-कई स्त्रियां उन्माद सरीखी बीमारियों के आग़ोश में चली जाती हैं. बंद दरवाज़ों में रिश्ते दरकते हैं, नैतिकता मुंह छिपाती फिरती है.

भारत जैसे देश में हमेशा ही ऑर्गैज्म को एक टैबू के रूप में देखा गया है

बस ऐ लड़की, तुम इसे खुलेआम कुछ मत कहना. तुम जो कहोगी तो पर्दा उठ जाएगा. भेद खुल जाएगा और जो सिटपिटाहट उठेगी वह तुम्हें कोसती फिरेगी. वे जो दिन के उजाले में सफ़ेद हैं और रातों को उससे भी अधिक स्याह. वे कहेंगे- क्या धरा है सेक्स में और सुख में. तुम दिमाग़ से बेहतर बनो. यह मुद्दा तो बस पंद्रह सेकंड का सुख है. वे यह कहेंगे और पंद्रह सेकंड के सुख में अपना हिस्सा पाने को झट एक पोस्ट कर देंगे.

मैं नैतिकता की दुहाई देते, अनैतिकता के प्रश्न से आहत लोगों को देखूंगी और स्वस्थ सेक्स से स्वस्थ दिमाग़ के जुड़े होने का शाश्वत सत्य बयान कर दूंगी. वे फिर तिलमिलाएंगे. उनके तिलमिलाने से क्या शरीर की भूख और तुष्टि से जुड़ा प्रश्न ख़त्म हो जाएगा?

नहीं! आप कितनी भी दलीलें दे दें, अगर आप सेक्सुअल हैं आपकी भूख...

Orgasm... बात यह है कि यह मुद्दा बेहद बेहूदा है. एकदम पब्लिसिटी स्टंट है. बस लोगों की नज़र पाने को बात कह दी गई है. ऑर्गेज़म स्त्रियों का आंतरिक मामला है. ठीक? अब भले ही वे सामान की तरह इस्तेमाल की जाएं, उन्हें अपनी सेक्सुअलिटी का ज़िक्र भूल कर भी नहीं करना चाहिए. औरतें सेक्सुअलिटी का ज़िक्र करेंगी तो नर्क के रास्ते खुलेंगे. समाज छिन्न-भिन्न हो जाएगा. मीरा के निष्काम प्रेम के देश में काम-वासना की बात! छि: छि:!

हाय! वो अजंता-एलोरा की चित्रकारियां, वो खजुराहो की मूर्तियां… उन्हें कोई पर्दे में बंद कर देता. क्या फ़र्क़ पड़ता है जो दस में सात औरतों (70% औरतों) को अमूमन संतुष्टि नहीं मिलती. क्या ही बिगड़ जाता है जो कई-कई स्त्रियां उन्माद सरीखी बीमारियों के आग़ोश में चली जाती हैं. बंद दरवाज़ों में रिश्ते दरकते हैं, नैतिकता मुंह छिपाती फिरती है.

भारत जैसे देश में हमेशा ही ऑर्गैज्म को एक टैबू के रूप में देखा गया है

बस ऐ लड़की, तुम इसे खुलेआम कुछ मत कहना. तुम जो कहोगी तो पर्दा उठ जाएगा. भेद खुल जाएगा और जो सिटपिटाहट उठेगी वह तुम्हें कोसती फिरेगी. वे जो दिन के उजाले में सफ़ेद हैं और रातों को उससे भी अधिक स्याह. वे कहेंगे- क्या धरा है सेक्स में और सुख में. तुम दिमाग़ से बेहतर बनो. यह मुद्दा तो बस पंद्रह सेकंड का सुख है. वे यह कहेंगे और पंद्रह सेकंड के सुख में अपना हिस्सा पाने को झट एक पोस्ट कर देंगे.

मैं नैतिकता की दुहाई देते, अनैतिकता के प्रश्न से आहत लोगों को देखूंगी और स्वस्थ सेक्स से स्वस्थ दिमाग़ के जुड़े होने का शाश्वत सत्य बयान कर दूंगी. वे फिर तिलमिलाएंगे. उनके तिलमिलाने से क्या शरीर की भूख और तुष्टि से जुड़ा प्रश्न ख़त्म हो जाएगा?

नहीं! आप कितनी भी दलीलें दे दें, अगर आप सेक्सुअल हैं आपकी भूख ऑर्गेज़म के साथ ही मिटेगी. चाहे आप इसे मस्टरबेशन से हासिल करें, कथित नैतिक तरीक़े से पाएं या अनैतिक तरीक़े. रास्ता कोई भी हो, वह जो आख़िरी तुष्टि है, जिसे ऑर्गेज़म कहते हैं. वही चाहत है. यह अटल सत्य है जिसे आप भी जानते हैं.

एक बात और- सेक्सुअली ऐक्टिव लोगों के लिए सेक्स की चाह पद, क्लास, पढ़ाई, उम्र, पैसा, ज़मीन, जगह और देश नहीं देखती है. मैं उन महान आत्माओं पर केवल हंस सकती हूं जो शारीरिक चरम सुख को किसी भी अन्य ऑर्गेज़म से विस्थापित करने की बात करते हैं. उन्हें सलाह दूंगी, दोस्त एक बार सुख लेने की कोशिश करो. इसके लिए किसी और की ज़रूरत भी नहीं. आत्म-रति यानी सेल्फ़-सेक्स से भी सम्भव है.

ये भी पढ़ें -

मायके से आई ईदी है बेटी के सुकून की ईएमआई!

Time Table फॉलो करने के बदले बच्चे को पैसे देने वाली मां बड़ी गलती कर रही है

Cyber-childhood: इंटरनेट के चलते आखिर कैसे स्वाहा हो रही है मासूमियत

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲