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बेटियां क्यों कभी-कभी मां से बना लेती हैं दूरी, इन 5 कारणों से समझिए

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 18 मार्च, 2021 02:21 PM
  • 18 मार्च, 2021 02:21 PM
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मां-बेटी का रिश्ता (Mother daughter Relation) होता ही कुछ ऐसा है, बेटियां बड़ी होने के साथ-साथ मां की सहेली भी बन जाती हैं, तो फिर वे कभी-कभी मां से दूरी क्यों बनाने लगती हैं.

बेटियां खुदा की रहमत होती हैं, जिस घर में जन्म लेती हैं वहां चिड़ियों सी चहकती रहती हैं. माना जाता है कि बेटियां पिता से ज्यादा अटैच होती हैं लेकिन करीब मां के होती हैं. मां-बेटी का रिश्ता (mother-daughter relationship) होता ही कुछ ऐसा है, बेटियां बड़ी होने के साथ-साथ मां की सहेली भी बन जाती हैं. कहा जाता है कि बेटियां समय से पहले ही मैच्योर हो जाती हैं और इमोशनल भी बहुत होती हैं. एक-दूसरे की दोस्त कही जाने वाली मां और बेटी के खूबसूरत रिश्ते में भी कभी-कभी दूरियां आ जाती हैं. क्या आपने कभी अपने घर में मां और बेटी के बीच नोंकझोंक पर गौर किया है, खैर यह तो हर घर की कहानी है. तो चलिए अब बताते हैं कि ऐसी कौन सी वजहें हैं जिस कारण बेटियां कभी-कभी अपनी मां से ही दूरी बनाने लगती हैं.

माना जाता है कि मां अपनी बेटियों के सबसे करीब होती हैं

समय से पहले जिम्मेदारी का एहसास करवाना

बेटियों के जब खेलने-कूदने के दिन होते हैं तभी से मां उन्हें जिम्मेदारियों का एहसास कराने लगती हैं. बचपन में ही उनसे कहा जाता है कि अभी से यह सब काम नहीं सीखोगी तो आगे चलकर परेशानी होगी. तुम्हें तो पराए घर जाना है. ऑफिसर बन जाओगी तो भी घर के सारे काम आने चाहिए. ससुराल वाले सिर्फ डिग्री देखकर खुश नहीं होंगे. इन जिम्मेदारियों के बोझ तले बेटियों का बचपन खो जाता है और वे अपनी मां से दूरी बनाने लगती हैं.

हर बात पर रोक-टोक

मां अक्सर हर बात पर बेटी को टोकती रहती हैं. यह रोक-टोक लगभग हर घर की कहानी है. छोटी-छोटी बात पर लड़कियों को टोका जाता है. जबकि बेटों को लगभग हर बात की आजादी रहती है. इस वजह से बेटियां हीन भावना की शिकार हो जाती हैं. उन्हें लगता है कि उनकी मां भी उन्हें नहीं समझतीं. इसलिए वे मां से दूर होने की कोशिश करती हैं,...

बेटियां खुदा की रहमत होती हैं, जिस घर में जन्म लेती हैं वहां चिड़ियों सी चहकती रहती हैं. माना जाता है कि बेटियां पिता से ज्यादा अटैच होती हैं लेकिन करीब मां के होती हैं. मां-बेटी का रिश्ता (mother-daughter relationship) होता ही कुछ ऐसा है, बेटियां बड़ी होने के साथ-साथ मां की सहेली भी बन जाती हैं. कहा जाता है कि बेटियां समय से पहले ही मैच्योर हो जाती हैं और इमोशनल भी बहुत होती हैं. एक-दूसरे की दोस्त कही जाने वाली मां और बेटी के खूबसूरत रिश्ते में भी कभी-कभी दूरियां आ जाती हैं. क्या आपने कभी अपने घर में मां और बेटी के बीच नोंकझोंक पर गौर किया है, खैर यह तो हर घर की कहानी है. तो चलिए अब बताते हैं कि ऐसी कौन सी वजहें हैं जिस कारण बेटियां कभी-कभी अपनी मां से ही दूरी बनाने लगती हैं.

माना जाता है कि मां अपनी बेटियों के सबसे करीब होती हैं

समय से पहले जिम्मेदारी का एहसास करवाना

बेटियों के जब खेलने-कूदने के दिन होते हैं तभी से मां उन्हें जिम्मेदारियों का एहसास कराने लगती हैं. बचपन में ही उनसे कहा जाता है कि अभी से यह सब काम नहीं सीखोगी तो आगे चलकर परेशानी होगी. तुम्हें तो पराए घर जाना है. ऑफिसर बन जाओगी तो भी घर के सारे काम आने चाहिए. ससुराल वाले सिर्फ डिग्री देखकर खुश नहीं होंगे. इन जिम्मेदारियों के बोझ तले बेटियों का बचपन खो जाता है और वे अपनी मां से दूरी बनाने लगती हैं.

हर बात पर रोक-टोक

मां अक्सर हर बात पर बेटी को टोकती रहती हैं. यह रोक-टोक लगभग हर घर की कहानी है. छोटी-छोटी बात पर लड़कियों को टोका जाता है. जबकि बेटों को लगभग हर बात की आजादी रहती है. इस वजह से बेटियां हीन भावना की शिकार हो जाती हैं. उन्हें लगता है कि उनकी मां भी उन्हें नहीं समझतीं. इसलिए वे मां से दूर होने की कोशिश करती हैं, क्योंकि एक बेटी को सबसे ज्यादा उम्मीद अपनी मां से ही होती है. 

बेटियों पर भरोसा ना करना

कई बार ऐसा होता कि बेटियां सही होती हैं फिर भी उन पर विश्वास नहीं किया जाता है. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि घर की बेटी कुछ काम करना चाहती है लेकिन घरवालों की नजर में वह कमजोर होती है इसलिए वे उस पर ट्रस्ट ही नहीं करते. कई बार गलती बेटी की नहीं होती फिर भी सब उसे ही गलत समझते हैं. यह बात बेटियों को हमेशा चुभती है. वह चाहती हैं कि कम से कम मां तो उनकी बात पर भरोसा करें और साथ दें, लेकिन जब ऐसा नहीं होता तो वे दूरी बनाने लगती हैं. बेटियों को लगता है कि शायद सच में वे कुछ नहीं कर सकतीं और फिर वे मां से दूर होकर खुद में ही खोई रहती हैं.

हर बात में कमी गिनाना

कई घरों में देखा जाता है कि बेटी कुछ भी करे सब उसमें कमी ही निकालते हैं. साथ ही ढेरों सलाह देने लगते हैं. जब यही बात बार-बार दोहराई जाती है तो बेटियों को अखरने लगती है. कई बार बेटे और बेटी में कंपेयर करके घरवाले सबसे बड़ी गलती करते हैं. बेटा कुछ करे तो शाबाशी और बेटियों को सलाह, ऐसा क्यों? घरवालों को समझना चाहिए कि अगर बेटी कुछ कर रही है तो उसका हौसला बढ़ाएं, उसकी मेहनत और लगन की तारीफ करें, ना की हर बात पर कमी निकालते रहें. दूसरों से तुलना करने से बेटियों के मन को तकलीफ होती है और वे सबसे दूर होने लगती हैं, खासकर मां से. ऐसे हालात में बेटियों के मन में प्यार की जगह नफरत घर करने लगती है.

सिर्फ बेटियों से यह उम्मीद ना करें कि वे ही घर के सभी काम सीखें. अगर घर में मेहमान आएं तो पानी देने के लिए बेटे को भी कहें. यह तो बस एक छोटा सा उदाहरण भर है, जिसे हम सभी समझते हैं. मां अगर बेटियों को समझ लेती हैं तो उनकी जिंदगी आसान हो जाती है. वे अपनी हर बात बेझिझक होकर शेयर कर सकती हैं, मां की दोस्त बन सकती हैं, लेकिन अगर मां ही बेटी को जज करने लगे तो फिर वह कैसे खुलकर अपनी कोई बात रख पाएगी. मां वैसे तो बेटियों से बहुत प्यार करती हैं लेकिन कभी बेटियों के फैसले, कभी उनकी शादी तो कभी उनके लुक को लेकर ओवर केयर करती हैं. इन वजहों से भी बेटियां मां से दूरी मेंटेन करने लगती हैं. बेटियों को ज्यादा कुछ नहीं, बस जरूरत होती है थोड़े प्यार और थोड़ी केयर की.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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