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योगी जी, जब आपकी विधान सभा ही नहीं सुरक्षित, तो हम प्रदेशवासियों का क्या

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 15 जुलाई, 2017 04:05 PM
  • 15 जुलाई, 2017 04:05 PM
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उत्तर प्रदेश विधानसभा में विस्फोटक मिलने के बाद आज मुझे महसूस हो रहा है कि अपनी सुरक्षा के मामले में मैं जितना बेबस और लचर हूं उतनी ही बेबसी और लाचारी का सामना मेरा सीएम भी कर रहा होगा.

बात आज सुबह की है. यूं ही अखबार टटोलते हुए, खबर दिखी की उत्तर प्रदेश विधान सभा में विस्‍फोटक बरामद हुआ है जिससे विधानसभा परिसर में मौजूद नेता खौफ में हैं. साथ ही अधिकारी और सुरक्षाकर्मी इस बात पर फिक्रमंद हैं कि इतनी 'टाइट सिक्योरिटी' होने के बावजूद ये नेता विपक्ष की कुर्सी के करीब 50 मीटर की दूरी पर आया कैसे. बात सही है, वाकई ये एक बहुत गंभीर मुद्दा है कि ये विस्फोटक वहां लाया कैसे गया.

अखबार के अनुसार, उत्तर प्रदेश विधान सभा में बरामद इस विस्फोटक का नाम पीईटीएन था. न जाने क्यों मगर खबर पढ़ने के दौरान इस विस्फोटक का नाम सुनकर मैं बड़ा क्यूरियस हो गया. अपनी जिज्ञासा के चलते, जैसे ही ये नाम मैंने गूगल पर सर्च किया, तो जो परिणाम निकल कर आए वो ये बताने के लिए काफी थे कि, इस विस्फोटक को हंसी मजाक में लेना एक बड़ी भूल है.

ये विस्फोटक, पेनाटेरीथ्रीटोल टेट्रानाइट्रेट जिसे मुख्यतः PETN के नाम से जाना जाता है. स्वाभाव से इतना विध्वंसक है कि इसकी ज़रा सी मात्रा चंद ही मिनटों में एक बड़े से घर के परखच्चे उड़ा सकती है. बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा में इसकी जो मात्रा मिली है वो 150 ग्राम है. विस्फोटक की इतनी मात्रा विधान सभा के एक बड़े भाग को ध्वस्त करने और काफी लोगों को मौत के घाट उतारने के लिए काफी है.

उत्तर प्रदेश विधान सभा में विस्फोटक मिलना सरकार की लचर कानून व्यवस्था को दर्शाता हैखैर ये PETN कहा से आया इसकी जांच हो रही है और शायद आने वाले 4 या 6 महीनों में हमें योगी सरकार द्वारा पेश की जाने वाली किसी रिपोर्ट के जरिये ये भी पता चल ही जाए कि इसे क्यों लाया गया. मगर इसके बाद प्रदेश के किसी आम नागरिक के तौर पर, मेरे मन में कई सारे प्रश्न आने स्वाभाविक हैं.

हां वो प्रश्न जो मेरी या किसी भी प्रदेशवासी की सुरक्षा से जुड़े...

बात आज सुबह की है. यूं ही अखबार टटोलते हुए, खबर दिखी की उत्तर प्रदेश विधान सभा में विस्‍फोटक बरामद हुआ है जिससे विधानसभा परिसर में मौजूद नेता खौफ में हैं. साथ ही अधिकारी और सुरक्षाकर्मी इस बात पर फिक्रमंद हैं कि इतनी 'टाइट सिक्योरिटी' होने के बावजूद ये नेता विपक्ष की कुर्सी के करीब 50 मीटर की दूरी पर आया कैसे. बात सही है, वाकई ये एक बहुत गंभीर मुद्दा है कि ये विस्फोटक वहां लाया कैसे गया.

अखबार के अनुसार, उत्तर प्रदेश विधान सभा में बरामद इस विस्फोटक का नाम पीईटीएन था. न जाने क्यों मगर खबर पढ़ने के दौरान इस विस्फोटक का नाम सुनकर मैं बड़ा क्यूरियस हो गया. अपनी जिज्ञासा के चलते, जैसे ही ये नाम मैंने गूगल पर सर्च किया, तो जो परिणाम निकल कर आए वो ये बताने के लिए काफी थे कि, इस विस्फोटक को हंसी मजाक में लेना एक बड़ी भूल है.

ये विस्फोटक, पेनाटेरीथ्रीटोल टेट्रानाइट्रेट जिसे मुख्यतः PETN के नाम से जाना जाता है. स्वाभाव से इतना विध्वंसक है कि इसकी ज़रा सी मात्रा चंद ही मिनटों में एक बड़े से घर के परखच्चे उड़ा सकती है. बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा में इसकी जो मात्रा मिली है वो 150 ग्राम है. विस्फोटक की इतनी मात्रा विधान सभा के एक बड़े भाग को ध्वस्त करने और काफी लोगों को मौत के घाट उतारने के लिए काफी है.

उत्तर प्रदेश विधान सभा में विस्फोटक मिलना सरकार की लचर कानून व्यवस्था को दर्शाता हैखैर ये PETN कहा से आया इसकी जांच हो रही है और शायद आने वाले 4 या 6 महीनों में हमें योगी सरकार द्वारा पेश की जाने वाली किसी रिपोर्ट के जरिये ये भी पता चल ही जाए कि इसे क्यों लाया गया. मगर इसके बाद प्रदेश के किसी आम नागरिक के तौर पर, मेरे मन में कई सारे प्रश्न आने स्वाभाविक हैं.

हां वो प्रश्न जो मेरी या किसी भी प्रदेशवासी की सुरक्षा से जुड़े हैं. वो प्रश्न जो ये बताने के लिए काफी हैं कि जब प्रदेश की विधान सभा ही नहीं सुरक्षित है तो फिर मुझ जैसा एक आम आदमी कितना सुरक्षित होगा. आप मेरी स्थिति का अंदाजा लगा के देखिये मेरे साथ -साथ आपके रोएं भी खड़े हो जाएंगे.

शपथ के बाद मैं योगी आदित्यनाथ को एक मजबूत और बलशाली मुख्यमंत्री के रूप में देखता था. तब मैंने ये धारणा बना ली थी कि विस्फोटक बयान देने वाला मेरा ये मुख्यमंत्री ही मुझे और मुझ जैसे कइयों को सुरक्षा दे पाएगा, जिससे मेरा प्रदेश जमाने के सामने एक मिसाल कायम करेगा.

आज मैं पूरे विश्वास के साथ ये कह सकता हूं कि अब वो समय आ गया है जब मुझे अपने सीएम के लिएअपनी धारणा बदल लेनी चाहिए. मुझे अब ये बात स्वीकार कर लेनी चाहिए कि सुरक्षा के मामले में मैं जितना बेबस और लचर हूं उतनी ही बेबसी और लाचारी का सामना मेरा सीएम भी कर रहा होगा. 

उत्तर प्रदेश विधानसभा में हुआ उसे न तो खारिज किया जा सकता है न ही नजरअंदाज.

आज उत्तर प्रदेश विधान सभा में जो हुआ उसके बाद मुझे महसूस हो रहा है कि, कैसे प्रदेश में अपराधी, अपराध करके निकल जाते हैं. कैसे सरे आम एक लड़की का बलात्कार हो जाता है और हम कुछ नहीं कर पाते हैं. कैसे एक छोटा सा बवाल दंगे का रूप ले लेता है और स्थिति बाद से बदतर होती चली जाती है. कैसे भरे बाजार हत्या और लूट  करके अपराधियों द्वारा अपनी दहशत फैलाई जाती है.

उत्तर प्रदेश विधानसभा में जो हुआ वो निश्चित तौर पर हैरत में डालने वाला है. ये घटना, न सिर्फ सरकार के कुशल लॉ एंड आर्डर के दावे पर करारा तमाचा है बल्कि ये भी बताने के लिए काफी है कि प्रदेश में सुरक्षा के दावे झूठे हैं. इस बात से कोई भी आम आदमी सहमत होगा कि जो सरकार अपने घर को सुरक्षित रखने में लाचार है वो कैसे दूसरों की सुरक्षा का ठेका अपने कमजोर कन्धों पर उठा सकती है.

अंत में इतना ही कि अब तक हमनें नेताओं के मुंह से कड़ी निंदा से लेकर कठोर कदम उठाने तक कई बातें सुनी हैं और उन्हें सिरे से नजरंदाज़ किया है. लेकिन आज जो उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य की विधानसभा में हुआ उसे न तो खारिज किया जा सकता है न ही नजरअंदाज. ऐसा इसलिए क्योंकि ये मुद्दा बतौर नागरिक मेरा अपना है और इससे मैं खुद को जुड़ा हुआ महसूस कर रहा हूं.  

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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