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योगी जी! जब यूपी में पुलिस ही महफूज नहीं तो मैं खुद को कैसे मानूं सुरक्षित

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 02 जुलाई, 2017 11:33 AM
  • 02 जुलाई, 2017 11:33 AM
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भले ही जितना भी अपराध नियंत्रण का डंका पीट लें, मगर राज्य की जमीनी सच्चाई कुछ और ही है. बिजनौर की ये घटना बता रही है कि अब न तो देश की जनता ही सुरक्षित है और न ही उसकी सुरक्षा में लगे नौकरशाह और अफसर.

आए दिन देश में जो घटनाएं हो रही हैं उनके बाद समाज का एक बड़ा वर्ग ये बात भली प्रकार स्वीकार कर चुका है कि देश एक बड़े ही मुश्किल दौर से गुजर रहा है. एक ऐसा दौर जब न तो देश की जनता ही सुरक्षित है और न ही उसकी सुरक्षा में लगे नौकरशाह और अफसर. बात ज्यादा पुरानी नहीं है अभी कुछ दिन पूर्व ही हम कश्मीर के डीएसपी अयूब पंडित की मौत देख चुके हैं. अयूब पंडित आवारा भीड़ के खतरे की भेंट चढ़ गए जहां उन्हें पीट-पीटकर मार डाला गया.        

अभी हम अयूब की मौत पर विरोध दर्ज कर अपना रोष प्रकट ही कर रहे थे कि उत्तर प्रदेश से जो खबर आई उसने हमें फिर से शर्मसार कर दिया और ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर हम समाज को किस दिशा में लेकर जा रहे हैं. क्यों हम अपनी आंखों से अपने देश को सीरिया बनते देखने के लिए इतने आतुर हैं.  

उत्तर प्रदेश की ये घटना ये बताने के लिए काफी है कि अभी भी प्रदेश में अपराध नियंत्रण में वक़्त लगेगा

मामला उत्तर प्रदेश के बिजनौर के बालावाली इलाके का है. हां वही उत्तर प्रदेश जहां बीते दिनों ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने 100 दिनों का कच्चा चिटठा पेश किया. साथ ही अपने को 100 में से 100 नंबर देकर ये बताने का प्रयास किया है कि अब उनके शासन में उत्तर प्रदेश ऐसा बन गया है कि लोग उसकी मिसाल देंगे. हां आज उत्तर प्रदेश की मिसाल दी जा रही है मगर ये सकारात्मक न होकर के नकारात्मक है जो न सिर्फ प्रदेश वासियों के लिए चिंता का सबब है बल्कि खुद योगी आदित्यनाथ जैसे काबिल मुख्यमंत्री की छवि धूमिल कर रही है.

खबर है कि बिजनौर में अज्ञात बदमाशों ने यूपी पुलिस के सब-इंस्पेक्टर शहजोर सिंह की गला रेत कर हत्या कर दी. सब इंस्पेक्टर के हत्यारे कितने बेखौफ थे इसका अंदाजा आप इस बात से लगा लीजिये कि न सिर्फ...

आए दिन देश में जो घटनाएं हो रही हैं उनके बाद समाज का एक बड़ा वर्ग ये बात भली प्रकार स्वीकार कर चुका है कि देश एक बड़े ही मुश्किल दौर से गुजर रहा है. एक ऐसा दौर जब न तो देश की जनता ही सुरक्षित है और न ही उसकी सुरक्षा में लगे नौकरशाह और अफसर. बात ज्यादा पुरानी नहीं है अभी कुछ दिन पूर्व ही हम कश्मीर के डीएसपी अयूब पंडित की मौत देख चुके हैं. अयूब पंडित आवारा भीड़ के खतरे की भेंट चढ़ गए जहां उन्हें पीट-पीटकर मार डाला गया.        

अभी हम अयूब की मौत पर विरोध दर्ज कर अपना रोष प्रकट ही कर रहे थे कि उत्तर प्रदेश से जो खबर आई उसने हमें फिर से शर्मसार कर दिया और ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर हम समाज को किस दिशा में लेकर जा रहे हैं. क्यों हम अपनी आंखों से अपने देश को सीरिया बनते देखने के लिए इतने आतुर हैं.  

उत्तर प्रदेश की ये घटना ये बताने के लिए काफी है कि अभी भी प्रदेश में अपराध नियंत्रण में वक़्त लगेगा

मामला उत्तर प्रदेश के बिजनौर के बालावाली इलाके का है. हां वही उत्तर प्रदेश जहां बीते दिनों ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने 100 दिनों का कच्चा चिटठा पेश किया. साथ ही अपने को 100 में से 100 नंबर देकर ये बताने का प्रयास किया है कि अब उनके शासन में उत्तर प्रदेश ऐसा बन गया है कि लोग उसकी मिसाल देंगे. हां आज उत्तर प्रदेश की मिसाल दी जा रही है मगर ये सकारात्मक न होकर के नकारात्मक है जो न सिर्फ प्रदेश वासियों के लिए चिंता का सबब है बल्कि खुद योगी आदित्यनाथ जैसे काबिल मुख्यमंत्री की छवि धूमिल कर रही है.

खबर है कि बिजनौर में अज्ञात बदमाशों ने यूपी पुलिस के सब-इंस्पेक्टर शहजोर सिंह की गला रेत कर हत्या कर दी. सब इंस्पेक्टर के हत्यारे कितने बेखौफ थे इसका अंदाजा आप इस बात से लगा लीजिये कि न सिर्फ उन्होंने सब इंस्पेक्टर की बेहरहमी से हत्या की और उसका शव सड़क किनारे खेत में फेंका बल्कि उसकी सरकारी पि‍स्तौल भी चुरा ली और फरार हो गए.

गौरतलब है कि भले ही मुख्यमंत्री जितना भी अपराध नियंत्रण का डंका पीट लें मगर राज्य की जमीनी सच्चाई कुछ और ही है. हालांकि योगी को उत्तर प्रदेश की सत्ता हासिल किये महज 3 महीने हुए हैं मगर इसके बावजूद जिस तरह अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है वो ये दर्शाने के लिए काफी है कि उत्तर प्रदेश जैसे जटिल राज्य में लचर कानून व्यवस्था को सुधारना इतना भी आसन नहीं है. अंत में हम यही कहेंगे कि जिसतरह सूबे में सरे आम एक पुलिस वाले की हत्या हुई वो ये बताने के लिए काफी है कि इतने काबिल मुख्यमंत्री के बावजूद उत्तर प्रदेश की स्थिति दयनीय है.  

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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