• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

मैरिटल रेप क्या है? जिसे केरल उच्च न्यायालय ने तलाक के लिए आधार घोषित किया है

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 10 अगस्त, 2021 06:55 PM
  • 10 अगस्त, 2021 06:55 PM
offline
पत्नी की मर्जी के खिलाफ जाकर संबंध बनाना वैवाहिक बलात्कार है लेकिन इसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है. जबकि खुद संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर वर्ष शादीशुदा रेप के करीब 75 फीसदी मामले होते हैं.

मैरिटल रेप (marital rape case) यानी अगर पति अपनी पत्नी की मर्जी के खिलाफ जाकर संबंध बनाता है तो उसे बालात्कार कहा जाएगा. यह हम नहीं कह रहे बल्कि यह फैसला तो केरल केरल उच्च न्यायालय ने सुनाया है. कोर्ट के अनुसार, पत्नी के शरीर को अपनी संप्पति समझना और उसकी इच्छा के बिना यौन संबंध बनाना वैवाहिक दुष्कर्म है.

केरल हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि मैरिटल रेप तलाक का दावा करने के लिए एक मजबूत आधार है. कोर्ट के अनुसार, भारत में मैरिटल रेप के लिए सजा का प्रावधान नहीं किया गया है, लेकिन इसके बावजूद यह तलाक का आधार हो सकता है. हाई कोर्ट ने पति की अर्जी को खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.

दरअसल, हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक फैमिली कोर्ट के तलाक की मंजूरी देने के फैसले को चुनौती देने वाली एक व्यक्ति की दो अपीलें खारिज करते हुए कहीं. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब मैरिटल रेप को लेकर बहस छिड़ी हुई है और मैरिटल रेप की कई ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं.

देश में रेप को तो अपराध माना जाता है लेकिन वैवाहिक बालात्कार को नहीं

क्या है मैरिटल रेप

सीधी भाषा में कहा जाए तो पत्नी की मर्जी के खिलाफ जाकर संबंध बनाना वैवाहिक बलात्कार है लेकिन इसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है. जबकि खुद संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर वर्ष शादीशुदा रेप के करीब 75 फीसदी मामले होते हैं.

कोर्ट ने कहा कि ‘इस तरह के आचरण को दंडित नहीं किया जा सकता है लेकिन इसे शारीरिक और मानसिक क्रूरता के दायरे में मना जाएगा. ये केस एक महिला के साथ ज्यादती को दिखाता है.’ वहीं कुछ लोगों का मानना है कि पतियों को सताने के लिए पत्नियां इसे एक आसान औजार के रूप में इस्तेमाल कर सकती हैं.

क्या कहता है...

मैरिटल रेप (marital rape case) यानी अगर पति अपनी पत्नी की मर्जी के खिलाफ जाकर संबंध बनाता है तो उसे बालात्कार कहा जाएगा. यह हम नहीं कह रहे बल्कि यह फैसला तो केरल केरल उच्च न्यायालय ने सुनाया है. कोर्ट के अनुसार, पत्नी के शरीर को अपनी संप्पति समझना और उसकी इच्छा के बिना यौन संबंध बनाना वैवाहिक दुष्कर्म है.

केरल हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि मैरिटल रेप तलाक का दावा करने के लिए एक मजबूत आधार है. कोर्ट के अनुसार, भारत में मैरिटल रेप के लिए सजा का प्रावधान नहीं किया गया है, लेकिन इसके बावजूद यह तलाक का आधार हो सकता है. हाई कोर्ट ने पति की अर्जी को खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.

दरअसल, हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक फैमिली कोर्ट के तलाक की मंजूरी देने के फैसले को चुनौती देने वाली एक व्यक्ति की दो अपीलें खारिज करते हुए कहीं. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब मैरिटल रेप को लेकर बहस छिड़ी हुई है और मैरिटल रेप की कई ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं.

देश में रेप को तो अपराध माना जाता है लेकिन वैवाहिक बालात्कार को नहीं

क्या है मैरिटल रेप

सीधी भाषा में कहा जाए तो पत्नी की मर्जी के खिलाफ जाकर संबंध बनाना वैवाहिक बलात्कार है लेकिन इसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है. जबकि खुद संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर वर्ष शादीशुदा रेप के करीब 75 फीसदी मामले होते हैं.

कोर्ट ने कहा कि ‘इस तरह के आचरण को दंडित नहीं किया जा सकता है लेकिन इसे शारीरिक और मानसिक क्रूरता के दायरे में मना जाएगा. ये केस एक महिला के साथ ज्यादती को दिखाता है.’ वहीं कुछ लोगों का मानना है कि पतियों को सताने के लिए पत्नियां इसे एक आसान औजार के रूप में इस्तेमाल कर सकती हैं.

क्या कहता है कानून

असल में रेप को तो अपराध माना जाता है लेकिन वैवाहिक बालात्कार को नहीं. आईपीसी में रेप की परिभाषा तय की गई है, लेकिन मैरिटल रेप के बारे में कोई जिक्र नहीं है. आईपीसी की इस धारा में पत्नी से रेप करने वाले पति के लिए भी सजा का प्रावधान है, शर्त यह है कि पत्नी की उम्र 12 साल से कम हो.

यानी अगर 12 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ पति बलात्कार करता है, तो उस पर जुर्माना या उसे दो साल तक की कैद या फिर दोनों सजाएं दी जा सकती हैं. जबकि 12 साल से बड़ी उम्र की पत्नी की सहमति या असहमति का रेप से कोई लेनादेना नहीं है. 

क्या कहता है हिंदू विवाह अधिनियम

घर के अंदर महिलाओं को यौन शोषण से बचाने के लिए 2005 में घरेलू हिंसा कानून लाया गया था. यह कानून महिलाओं को घर में यौन शोषण से संरक्षण देता है. हिंदू विवाह अधिनियम पति और पत्नी के लिए एक-दूसरे के प्रति कई जिम्मेदारियां तय करता है. जिसमें संबंध बनाने का अधिकार भी शामिल है. कानूनी तौर पर माना गया है कि शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना क्रूरता है, इस आधार पर तलाक मांगा जा सकता है.

देश में विवाह कानून को फिर से बनाने का समय

केरल हाईकोर्ट के जस्टीस ए मोहम्मद मुस्ताक और जस्टीस कौसर एडप्पागथ की खंडपीठ ने कहा कि शादी और तलाक धर्मनिरपेक्ष कानून के तहत होने चाहिए और देश के विवाह कानून को फिर से बनाने का समय आ गया है. सिर्फ इतना ही नहीं पीठ ने कहा कि दंडात्मक कानून के तहत वैवाहिक बलात्कार को कानून मान्यता नहीं देता, केवल यह कारण अदालत को तलाक देने के आधार के तौर पर इसे क्रूरता मानने से नहीं रोकता है. हमारा विचार है कि वैवाहिक बलात्कार तलाक का दावा करने का एक ठोस आधार हो सकता है.

कितनी अजीब बात है कि जिस देश में लड़की की शादी की उम्र 18 साल है और जहां नाबालिग लड़की द्वारा उसकी सहमति होने पर भी बनाया गया संबंध रेप की श्रेणी में आता है, उसी देश में शादी के नाम पर किसी पुरुष को अपनी नाबालिग पत्नी के साथ यौन संबंध बनाने की इजाजत कानून कैसे दे सकता है? 

क्या था मामला

जिस दंपत्ति पर कोर्ट ने ये बातें कहीं उनकी शादी 1995 में हुई थी. उनके दो बच्चे हैं. कोर्ट ने के अनुसार, पेशे से डॉक्टर पति ने शादी के समय अपनी पत्नी के पिता से सोने के 501 सिक्के, एक कार और एक फ्लैट लिया किया था. फैमिली कोर्ट ने इस केस की जांच में पाया कि पति अपनी पत्नी के साथ ऐसा व्यवहार करता था जैसे वह पैसे कमान की मशीन हो. वहीं पत्नी अपनी शादी बचाने की वजह से शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न सहती रही, लेकिन जब उत्पीड़न और क्रूरता उसके बर्दाश्त के बाहर हो गई तब उसने तलाक लेने का फैसला लिया.

कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यह भी कहा कि ये केस एक महिला के साथ ज्यादती को दिखाता है. 12 साल तक एक महिला अपने पति के बुरे बर्ताव से खिलाफ लड़ती रही. महिलाएं मैरिटल रेप को चुपचाप सहती हैं, किसी को बताने में भी उन्हें शर्म महसूस होती है. समाज में इसे रेप माना ही नहीं जाता...

यह तो पति का अधिकार है, चाहें पत्नी की मर्जी हो या ना हो वह पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बना सकता है, आखिर क्यों ऐसे पुरुषों को महिलाओं का ‘ना’ समझ नहीं आता? रेप तो आखिर रेप ही होता है...पत्नियां कब तक पति को परमेश्वर समझकर मैरिटल रेप का दर्द सहती रहेंगी...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲