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बुर्का और हिजाब में क्या अंतर है, तालिबान ने कहा इसे लगाने से काम चल जाएगा!

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 26 अगस्त, 2021 02:37 PM
  • 26 अगस्त, 2021 02:37 PM
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अब बात यह है कि अलग-अलग देशों में बुर्का, नकाब, अबाया, अल-अमीरा आदि को लेकर कई नियम बनाए गए हैं. इन सभी परिधानों का काम महिला के शरीर और बाल को इस तरह ढकना है ताकि वे किसी दूसरे इंसान की नजर में न आएं. अब किसी देश में सिर के बाल न ढकने पर पहनने पर सजा का प्रवाधान है तो कहीं इसे पहनने पर पाबंदी है.

तालिबानी कब्जे के बाद अफगानिस्तान की महिलाओं की हालात दयनीय है. तालिबान ने कहा कि महिलाओं को शरिया कानून के अनुसार ही आजादी मिलेगी. हालांकि तालिबान की कहनी और कथनी में काफी फर्क है. वहीं तालिबान ने अपने क्रूर शासन के बीच एक बात कही थी कि वहां की महिलाओं को बुर्का पहनने की जरूरत नहीं है लेकिन हिजाब पहनना जरूरी है. अब यह किस हद तक लागू होता है यह तो बाद में ही पता चलेगा क्योंकि कुछ दिन पहले ही तालिबानी लड़ाकों ने एक महिला को इसलिए गोली मार दी क्योंकि उसने बुर्का नहीं पहना था.

तालिबान ने कहा हिजाब पहनने की उम्मीद करते हैं

अक्सर गैर-मुस्लिम धर्म के लोगों को बुर्का और हिजाब में कन्फ्यूजन रहता है. जिन लोगों को पता नहीं होता वे बुर्का और हिजाब को एक ही समझ लेते हैं. मुस्लिम धर्म में अलग-अलग जगहों पर बुर्का, नकाब, हिजाब आदि पहनने के पीछे कई तरह की धार्मिक मान्यताएं हैं. चलन के हिसाब से मुस्लिम महिलाएं शरीर को ढकने के लिए अलग-अलग तरह के इन पारंपरिक परिधानों को पहनती हैं. चलिए जानते हैं कि बुर्का और हिजाब में क्या अंतर है. आखिर क्यों अफगानिस्तान की महिलाएं तालिबान राज से भयभीत हैं.

बुर्का क्या है?

अफगानिस्तान की महिलाएं तालिबान राज के बाद बेहद पारंपरिक पहनावे में नजर आ रही हैं. वहां ज्यादातर महिलाएं बुर्का पहनें ही नजर आ रही हैं. उनके अंदर इस बात का डर है कि कहीं बुर्का ना पहनने की वजह से उन्हें गोली न मार दी जाए. दरअसल, बुर्का में महिला पूरी तरह यानी सिर से लेकर पांव तक ढकी रहती है. इसमें पूरा चेहरा भी ढका रहता है, सिर्फ आखों पर जालीनुमा बनी होती है ताकि बारह की चीजें दिखाईं दें, बाहर से देखने पर किसी महिला की आंखें तक नहीं दिखाई देती हैं. बुर्के में किसी महिला का एक अंग भी दिखाई नहीं देता है. बुर्के का...

तालिबानी कब्जे के बाद अफगानिस्तान की महिलाओं की हालात दयनीय है. तालिबान ने कहा कि महिलाओं को शरिया कानून के अनुसार ही आजादी मिलेगी. हालांकि तालिबान की कहनी और कथनी में काफी फर्क है. वहीं तालिबान ने अपने क्रूर शासन के बीच एक बात कही थी कि वहां की महिलाओं को बुर्का पहनने की जरूरत नहीं है लेकिन हिजाब पहनना जरूरी है. अब यह किस हद तक लागू होता है यह तो बाद में ही पता चलेगा क्योंकि कुछ दिन पहले ही तालिबानी लड़ाकों ने एक महिला को इसलिए गोली मार दी क्योंकि उसने बुर्का नहीं पहना था.

तालिबान ने कहा हिजाब पहनने की उम्मीद करते हैं

अक्सर गैर-मुस्लिम धर्म के लोगों को बुर्का और हिजाब में कन्फ्यूजन रहता है. जिन लोगों को पता नहीं होता वे बुर्का और हिजाब को एक ही समझ लेते हैं. मुस्लिम धर्म में अलग-अलग जगहों पर बुर्का, नकाब, हिजाब आदि पहनने के पीछे कई तरह की धार्मिक मान्यताएं हैं. चलन के हिसाब से मुस्लिम महिलाएं शरीर को ढकने के लिए अलग-अलग तरह के इन पारंपरिक परिधानों को पहनती हैं. चलिए जानते हैं कि बुर्का और हिजाब में क्या अंतर है. आखिर क्यों अफगानिस्तान की महिलाएं तालिबान राज से भयभीत हैं.

बुर्का क्या है?

अफगानिस्तान की महिलाएं तालिबान राज के बाद बेहद पारंपरिक पहनावे में नजर आ रही हैं. वहां ज्यादातर महिलाएं बुर्का पहनें ही नजर आ रही हैं. उनके अंदर इस बात का डर है कि कहीं बुर्का ना पहनने की वजह से उन्हें गोली न मार दी जाए. दरअसल, बुर्का में महिला पूरी तरह यानी सिर से लेकर पांव तक ढकी रहती है. इसमें पूरा चेहरा भी ढका रहता है, सिर्फ आखों पर जालीनुमा बनी होती है ताकि बारह की चीजें दिखाईं दें, बाहर से देखने पर किसी महिला की आंखें तक नहीं दिखाई देती हैं. बुर्के में किसी महिला का एक अंग भी दिखाई नहीं देता है. बुर्के का मतलब पूरे शरीर पर बिना फिटिंग वाला एक लबादा. यह अक्सर एक ही रंग का होता है.

हिजाब क्या है?

अब जानिए कि हिजाब क्या है, जिसे तालिबान ने अफगानिस्तान में अनिवार्य करार दिया है. हिजाब बुर्के से काफी अलग होता है. हिजाब एक ऐसा परिधान होता है जिससे महिलाएं बांधकर अपने सिर, कान, गले और बालों को पूरी तरह ढक लेती हैं. मॉडर्न इस्लाम में हिजाब का अर्थ का पर्दा है. हिजाब में महिला का चेहरा दिखता रहता है. यह इस्लाम धर्म की मान्यता और परंपरा पर निर्भर करता है कि महिला क्या पहनती है.

अब बात यह है कि अलग-अलग देशों में बुर्का, नकाब, अबाया, अल-अमीरा आदि को लेकर कई नियम बनाए गए हैं. इन सभी परिधानों का काम महिला के शरीर और बाल को इस तरह ढकना है ताकि वे किसी दूसरे इंसान की नजर में न आएं. अब किसी देश में सिर के बाल न ढकने पर पहनने पर सजा का प्रवाधान है तो कहीं इसे पहनने पर पाबंदी है.

वहीं तालिबान ने अफगानिस्तान की महिलाओं को भले ही हिजाब पहनने की बात कही, लेकिन एक महिला को सरेआम गोली मारकर उन्होंने साबित कर दिया कि वे बदले नहीं हैं. मतलब कि वो भले कुछ भी कहें लेकिन महिलाओं को पालन पुराने तालिबानी कानून का ही करना है. उनके अंदर दहशत भर दी गई है जिसका सबूत वहां से हर रोज आ रही खबरें हैं. वहां की वो महिलाएं हैं जो खुद लोगों के सामने आकर तालिबानियों के झूठे चहेरे से नकाब हटा रही हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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