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इंद्र को खुश करने के ये कैसे तरीके?

    • ऑनलाइन एडिक्ट
    • Updated: 08 अगस्त, 2017 06:15 PM
  • 08 अगस्त, 2017 06:15 PM
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इंदौर में एक अनोखी शादी हुई. यहां दो दूल्हों ने सात फेरे लिए और बाकायदा पूरी रस्में निभाईं. कारण प्यार नहीं बल्कि भगवान को खुश करना था. जानिए देश में बारिश के लिए लोग क्या क्या करते हैं.

लगान फिल्म का वो सीन याद है आपको.. जहां भुवन की मां अपने खेत में खड़े होकर आसमान की ओर देखते हुए बारिश का इंतजार कर रही होती है. देश के कई हिस्सों में बारिश नहीं हो रही और कई में औसत के काफी कम बारिश है. कुछ इलाकों में तो अभी भी ऐसी गर्मी है कि मौसम का पता ही नहीं चल रहा. लोग अपने-अपने तरीके से इंद्र देव को खुश करने की कोशिश में लगे हैं.

इसी बीच इंदौर में एक शादी की रस्म हुई. पूरे रीति रिवाज से, बारातियों और गाजे बाजे के साथ. मौका था सकाराम अहिरवार और राजेश अद्जन की शादी का. अगर आप सोच रहे हैं कि ये तो लड़कों के नाम है तो सही सोच रहे हैं दोनों ने आपस में शादी भी की है. हम तो एक ऐसे देश में रहते हैं जहां कोई इस तरह के रिश्ते को अपनाएगा ही नहीं फिर भी ऐसी शादी को मंजूरी किसने दी? दरअसल बात ये है कि इस शादी के लिए एक पुजारी ने सलाह दी थी. ये शादी इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए की गई थी. बरातियों में दोनों दूल्हों की पत्नियां और उनके बच्चे भी शामिल थे.

जनाब अब बारिश के लिए कोई राग मह्लार नहीं गाता. अब तो शादी करनी पड़ती है अपने किसी दोस्त से. खैर ये तो हुई एक बात, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंद्र को खुश करने के लिए हमारे देश में लोग क्या-क्या करते हैं?

1. मेंढक की शादी...

असम और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में पुरुष मेंढक और मादा मेंढक की शादी करवाई जाती है वो भी पूरे रीति रिवाज से. नवदंपति को आसमान की तरफ दिखाया भी जाता है ताकि भागवान इंद्र खुश हों और नए जोड़े को अपना आशिर्वाद दें और नए जोड़े का मिलन हो सके.

2. वरुण यज्ञ...

देश के कई कोने में ये प्रथा की जाती है. पुजारी एक पानी से भरे टब में बैठते हैं और 1000 बार विष्णु के नाम लेते हैं. इसके बाद विधिवत पूजन किया जाता है.

लगान फिल्म का वो सीन याद है आपको.. जहां भुवन की मां अपने खेत में खड़े होकर आसमान की ओर देखते हुए बारिश का इंतजार कर रही होती है. देश के कई हिस्सों में बारिश नहीं हो रही और कई में औसत के काफी कम बारिश है. कुछ इलाकों में तो अभी भी ऐसी गर्मी है कि मौसम का पता ही नहीं चल रहा. लोग अपने-अपने तरीके से इंद्र देव को खुश करने की कोशिश में लगे हैं.

इसी बीच इंदौर में एक शादी की रस्म हुई. पूरे रीति रिवाज से, बारातियों और गाजे बाजे के साथ. मौका था सकाराम अहिरवार और राजेश अद्जन की शादी का. अगर आप सोच रहे हैं कि ये तो लड़कों के नाम है तो सही सोच रहे हैं दोनों ने आपस में शादी भी की है. हम तो एक ऐसे देश में रहते हैं जहां कोई इस तरह के रिश्ते को अपनाएगा ही नहीं फिर भी ऐसी शादी को मंजूरी किसने दी? दरअसल बात ये है कि इस शादी के लिए एक पुजारी ने सलाह दी थी. ये शादी इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए की गई थी. बरातियों में दोनों दूल्हों की पत्नियां और उनके बच्चे भी शामिल थे.

जनाब अब बारिश के लिए कोई राग मह्लार नहीं गाता. अब तो शादी करनी पड़ती है अपने किसी दोस्त से. खैर ये तो हुई एक बात, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंद्र को खुश करने के लिए हमारे देश में लोग क्या-क्या करते हैं?

1. मेंढक की शादी...

असम और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में पुरुष मेंढक और मादा मेंढक की शादी करवाई जाती है वो भी पूरे रीति रिवाज से. नवदंपति को आसमान की तरफ दिखाया भी जाता है ताकि भागवान इंद्र खुश हों और नए जोड़े को अपना आशिर्वाद दें और नए जोड़े का मिलन हो सके.

2. वरुण यज्ञ...

देश के कई कोने में ये प्रथा की जाती है. पुजारी एक पानी से भरे टब में बैठते हैं और 1000 बार विष्णु के नाम लेते हैं. इसके बाद विधिवत पूजन किया जाता है.

3. इंद्र के नाम कोर्ट केस...

अब ये कुछ नया है. बात 2012 की है. हरदोई में रहने वाले किसी शख्स ने इंद्र के नाम कोर्ट नोटिस भेज दिया था जिसमें बारिश ना करने के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया गया था. हालांकि, ये किस्सा सिर्फ फेक स्टांप और सिग्नेचर का है. नोटिस पर SDM के सिग्नेचर थे. मामला किसी को खुश करने का नहीं था, लेकिन इसे ना बताया जाता तो ये पोस्ट अधूरी लगती.

4. मट्टी से लपटे बच्चे...

नारी बरी, अलाहबाद जिले का एक छोटा सा गांव है. यहां पर इंद्र देव को खुश करने के लिए कुछ अलग ही रिवाज अपनाते हैं. यहां बच्चे गीली मिट्टे में लेटकर हाथ जोड़कर भगवान से बारिश की प्रार्थना करते हैं.

5. बारिश के लिए वनवास...

तेलांगना में कुछ गांव ऐसे हैं जहां ये मान्यता है कि भगवान को खुश करने के लिए रहवासी अपने घर छोड़कर एक दिन का वनवास लेते हैं. लोगों का मानना है कि इससे भगवान खुश होंगे और बारिश करेंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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