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डबल एक्सेल फिल्म हमें ये 5 सीख देने के लिए काफी है

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 03 जनवरी, 2023 05:04 PM
  • 03 जनवरी, 2023 05:04 PM
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डबल एक्सेल (Double XL) फिल्म उन लड़कियों की कहानी है, जिन्हें उनके मोटापे की वजह से बार-बार शर्मिंदा होना पड़ता है. मोटापे की वजह से वे अपने सपने पूरे नहीं कर पा रही हैं, क्योंकि लोगों को उनका टैलेंट नहीं बल्कि उनका मोटा शरीर दिखता है.

डबल एक्सेल (Double XL) फिल्म की कहानी मोटी लड़कियों के ऊपर है. वे लड़कियां जिन्हें बार-बार उनके साइज के वजह से ताना सुनने का मिलता है. वे लड़कियां जिनका मजाक बनाया जाता है. वे लड़कियां जिनके सारे गुण उनके मोटाप के पीछे छिप जाते हैं. इस फिल्म को आप नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं. यह फिल्म को मैंने पिछले शुक्रवार को ही देखी है, वैसे तो यह पूरी फिल्म ही सीख है मगर कुछ सीन ऐसे हैं जिनसे सबक ली जानी चाहिए. यह फिल्म हमारी मन की कुंठा को दूर करने के लिए प्रेरित करती है.

30 पार लड़की की शादी हो जाए ये जरूरी नहीं है

फिल्म में हुमा कुरैशी ने एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया है जिसकी उम्र 30 साल की हो गई है और उसकी शादी नहीं हो रही है. उसका सपना शादी करने का नहीं बल्कि स्पोर्ट्स प्रेजेंटर बनने का है. उसके पास नॉलेज तो है मगर वह मोटी है इसलिए उसे मौका नहीं मिलता है. उसकी मां उसकी शादी के पीछे पड़ी है मगर वह अपने सपने पूरे करना चाहती हैं. मां एक बार कहती भी है कि 30 की हो गई है, दिन भऱ पराठे खाती रहती है. ऐसा ही रहा तो इसकी शादी नहीं होगी. फिल्म में दिखाया जाता है कि कैसे हुमा हार नहीं मानती है और एक दिन अपने सपने पूरा कर लेती है. वह एक बड़े चैनल की स्पोर्ट्स प्रेजेंटर बन जाती है, फिर मां को उस पर गर्व होता है. इसलिए अगर बेटियां कुछ करना चाहती हैं तो उन्हें मौका दीजिए. शादी का क्या है वह तो हो ही जाएगी.

फिल्म लोगों के मन की कुंठा को दूर करने की सीख देती है

 

परफेक्ट बॉडी कुछ नहीं होती

फिल्म ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि परफेक्ट बॉडी कुछ नहीं होती. हम सभी को अपने शरीर से प्यार करना चाहिए. फिल्म के एक सीन में सोनाक्षा सिन्हा कहती हैं कि लड़कों को लड़कियों का फिगर एकदम परफेक्ट...

डबल एक्सेल (Double XL) फिल्म की कहानी मोटी लड़कियों के ऊपर है. वे लड़कियां जिन्हें बार-बार उनके साइज के वजह से ताना सुनने का मिलता है. वे लड़कियां जिनका मजाक बनाया जाता है. वे लड़कियां जिनके सारे गुण उनके मोटाप के पीछे छिप जाते हैं. इस फिल्म को आप नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं. यह फिल्म को मैंने पिछले शुक्रवार को ही देखी है, वैसे तो यह पूरी फिल्म ही सीख है मगर कुछ सीन ऐसे हैं जिनसे सबक ली जानी चाहिए. यह फिल्म हमारी मन की कुंठा को दूर करने के लिए प्रेरित करती है.

30 पार लड़की की शादी हो जाए ये जरूरी नहीं है

फिल्म में हुमा कुरैशी ने एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया है जिसकी उम्र 30 साल की हो गई है और उसकी शादी नहीं हो रही है. उसका सपना शादी करने का नहीं बल्कि स्पोर्ट्स प्रेजेंटर बनने का है. उसके पास नॉलेज तो है मगर वह मोटी है इसलिए उसे मौका नहीं मिलता है. उसकी मां उसकी शादी के पीछे पड़ी है मगर वह अपने सपने पूरे करना चाहती हैं. मां एक बार कहती भी है कि 30 की हो गई है, दिन भऱ पराठे खाती रहती है. ऐसा ही रहा तो इसकी शादी नहीं होगी. फिल्म में दिखाया जाता है कि कैसे हुमा हार नहीं मानती है और एक दिन अपने सपने पूरा कर लेती है. वह एक बड़े चैनल की स्पोर्ट्स प्रेजेंटर बन जाती है, फिर मां को उस पर गर्व होता है. इसलिए अगर बेटियां कुछ करना चाहती हैं तो उन्हें मौका दीजिए. शादी का क्या है वह तो हो ही जाएगी.

फिल्म लोगों के मन की कुंठा को दूर करने की सीख देती है

 

परफेक्ट बॉडी कुछ नहीं होती

फिल्म ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि परफेक्ट बॉडी कुछ नहीं होती. हम सभी को अपने शरीर से प्यार करना चाहिए. फिल्म के एक सीन में सोनाक्षा सिन्हा कहती हैं कि लड़कों को लड़कियों का फिगर एकदम परफेक्ट चाहिए. कमर तो मुट्ठी में आनी चाहिए. उनसे किसी ने परफेक्ट साइज के लिए बोल दिया जो कहां जाएंगे वो? फिल्म में सोनाक्षी के रोल को काफी स्ट्रांग दिखाया गया है. जो जैसी है वैसे ही रहती है और खुद से प्यार करती है.

वो पहनों जिसमें कंफर्टेबल हो

फिल्म में सोनाक्षी फैशन डिजाइनर बनना चाहती हैं. मगर लोग कहते हैं कि जिसे खुद फैंशन की सेंस नहीं है वह क्या डिजाइनर बनेगी. हर जगह लोग उन्हें जज करते हैं. सोनाक्षी मोटी है इसलिए लोग उनका मजाक उड़ाते हैं और ताने मारते हैं. मगर वह लोगों की बातों का परवाह ना करके अपने डिजाइन के लिए औऱ खुद के लिए ऐसे कपड़ों का चुनाव करती हैं जो सच में आरामदायक हैं.

किसी पर आंख बंद करके भरोसा मत करो

फिल्म में दिखाया गया है कि सोनाक्षी सिन्हा अपने बॉयफ्रेंड पर आंख बंद करके भरोसा करती हैं. जबकि उसे मॉडल बनना है सिर्फ इसलिए वह सोनाक्षी के साथ है. वह सोनाक्षी का फायदा उठा रहा है. सोनाक्षी की बेस्ट फ्रेंड लाख समझाने की कोशिश करती है मगर वह किसी की बात नहीं सुनती हैं. कहने का मतलब यह है कि इस मतलबी दुनिया में लोगों पर थोड़ा डाउट रख लेने में कोई बुराई नहीं है. आगे चलकर आपको धोखा मिले इससे बेहतर है कि आप पहले ही सावधान हो जाएं.

जैसे हो वैसे ही रहो

इस दुनिया में लोगों को जज करने की बुरी आदत है. जैसे फिल्म में मोटी हुमा कुरैशी को देखकर ही उन्हें स्पोर्ट्स प्रेजेंटर का ऑडिशन देने से मना कर दिया जाता है. मतलब परफेक्ट फिगर के आगे टैलेंट की कोई वैल्यू नहीं. एक सीन में सोनाक्षी कहती हैं कि लोगों की निहागें मोटापे को छोड़कर कहीं और पड़ जाएं इसलिए बाल रंगा, लिया, नाक होठ छिदवा लिया, टैटू बनवा लिया मगर लोगों को सबसे पहले दिखता है कि अरे कितनी मोटी है. वजन थोड़ा बढ़ गया है.

इसलिए दुनिया के कारण खुद को बदलने की कोशिश मत करो. जैसे हो वैसे ही रहो, वरना लोग तो पतले लोगों को भी टोक देते हैं, कुछ खाती नहीं क्या शरीर में सिर्फ हड्डी की ही बची है.

कुल मिलाकर यह फिल्म मोटे लोगों की परेशानियों पर आधारित है. कैसे लोगों का मोटापे की वजह से शर्मिंदा होना पड़ता है. कैसे लोग उन्हें जज करते हैं. मगर फिल्म का दूसरा पहलू यह भी है कि जैसे हो वैसे ही खुद को प्यार करो और जिंदगी में कभी हार मत मानो. जिस तरह फिल्म में सोनाक्षी सिन्हा और हुमा कुरैशी अपने किरदार को सकारात्मक मोड़ पर लेकर जाती हैं, उसी तरह अपनी जिंदगी में आगे बढ़ो और दुनिया से लड़कर मंजिल पा लो.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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