• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

UP board results से सामने आया नकल का निज़ाम

    • हिमांशु सिंह
    • Updated: 27 अप्रिल, 2019 01:15 PM
  • 27 अप्रिल, 2019 01:15 PM
offline
यूपी बोर्ड नकल करवाने वाले बोर्ड के रूप में इस कदर कुख्यात है कि जब कभी सरकारें नकल पर कड़ा रुख अपनाती हैं, नकल के भरोसे पास होने की आस लगाए लाखों विद्यार्थी परीक्षा ही छोड़ देते हैं.

आज यूपी बोर्ड के हाई स्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं का रिजल्ट आ गया है. आज लाखों बच्चों से समाज के उन 'चार लोगों' की पहली मुलाकात होगी जो अब हमेशा उनका जीना मुहाल करते रहेंगे. आज का रिजल्ट इन लाखों बच्चों का करैक्टर सर्टिफिकेट भी होगा जिसे ये 'चार लोग' जारी करेंगे. और फिर वो 'शर्मा जी का लड़का' तो है ही, जो सबसे ज़्यादा नंबर लाकर सबको कॉम्प्लेक्स देगा.

आज ही के दिन तमाम बच्चे ज्यादा नंबर लाकर 'तेज' और 'पढ़ने वाले' घोषित हो जाएंगे. इनपर परिवार और समाज के लोग 'कुछ बड़ा' कर दिखाने का सपना लेकर सवार हो जाएंगे. यानी इन बच्चों की ज़िन्दगी का सुकून खत्म. आज ही तमाम बच्चे कम नंबर ला पाने के चलते अगले तमाम सालों के लिए 'सेकंड डिविजनर' या 'थर्ड क्लास स्टूडेंट' घोषित कर दिए जाएंगे. अब इनके मां-बाप को इनका हंसना-खेलना भी अच्छा नहीं लगेगा.

और जो बच्चे आज के रिजल्ट में फेल होंगे, उन्हें तो छात्र समाज से लगभग बहिष्कृत ही कर दिया जाएगा. परीक्षा में पास हो चुके सहपाठियों को अब ये मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे. गर्मी की छुट्टियों में, शादी-ब्याह में वो सबसे मुंह छुपाते फिरेंगे. सड़क पर वो बाईं ओर नहीं दाहिनी ओर चलेंगे, बस इसीलिये कि कहीं कोई उनका रिजल्ट न पूछ ले. लेकिन फिर भी अगले कई महीनों तक उनसे उनका रिजल्ट पूछा जाता रहेगा. ओह! अच्छा! जैसे शब्द बोलकर ऐसा माहौल बनाया जाता रहेगा जैसे वो ज़िन्दगी के इम्तिहान में फेल हो गए हों. यानी इनकी ज़िन्दगी का भी सुकून खत्म.

बाकी खराब रिजल्ट के चलते आत्महत्या कर लेने वाले बच्चों की खबरें आपको आज शाम से मिलनी शुरू हो जाएंगी.

कमजोर छात्रों के लिए बहुत कठिन समय होता है रिजल्ट का दिन

तो सवाल ये है कि आखिर हमने कैसी शिक्षा व्यवस्था और कैसा समाज तैयार किया है, जिसमें हर श्रेणी का विद्यार्थी किसी न...

आज यूपी बोर्ड के हाई स्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं का रिजल्ट आ गया है. आज लाखों बच्चों से समाज के उन 'चार लोगों' की पहली मुलाकात होगी जो अब हमेशा उनका जीना मुहाल करते रहेंगे. आज का रिजल्ट इन लाखों बच्चों का करैक्टर सर्टिफिकेट भी होगा जिसे ये 'चार लोग' जारी करेंगे. और फिर वो 'शर्मा जी का लड़का' तो है ही, जो सबसे ज़्यादा नंबर लाकर सबको कॉम्प्लेक्स देगा.

आज ही के दिन तमाम बच्चे ज्यादा नंबर लाकर 'तेज' और 'पढ़ने वाले' घोषित हो जाएंगे. इनपर परिवार और समाज के लोग 'कुछ बड़ा' कर दिखाने का सपना लेकर सवार हो जाएंगे. यानी इन बच्चों की ज़िन्दगी का सुकून खत्म. आज ही तमाम बच्चे कम नंबर ला पाने के चलते अगले तमाम सालों के लिए 'सेकंड डिविजनर' या 'थर्ड क्लास स्टूडेंट' घोषित कर दिए जाएंगे. अब इनके मां-बाप को इनका हंसना-खेलना भी अच्छा नहीं लगेगा.

और जो बच्चे आज के रिजल्ट में फेल होंगे, उन्हें तो छात्र समाज से लगभग बहिष्कृत ही कर दिया जाएगा. परीक्षा में पास हो चुके सहपाठियों को अब ये मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे. गर्मी की छुट्टियों में, शादी-ब्याह में वो सबसे मुंह छुपाते फिरेंगे. सड़क पर वो बाईं ओर नहीं दाहिनी ओर चलेंगे, बस इसीलिये कि कहीं कोई उनका रिजल्ट न पूछ ले. लेकिन फिर भी अगले कई महीनों तक उनसे उनका रिजल्ट पूछा जाता रहेगा. ओह! अच्छा! जैसे शब्द बोलकर ऐसा माहौल बनाया जाता रहेगा जैसे वो ज़िन्दगी के इम्तिहान में फेल हो गए हों. यानी इनकी ज़िन्दगी का भी सुकून खत्म.

बाकी खराब रिजल्ट के चलते आत्महत्या कर लेने वाले बच्चों की खबरें आपको आज शाम से मिलनी शुरू हो जाएंगी.

कमजोर छात्रों के लिए बहुत कठिन समय होता है रिजल्ट का दिन

तो सवाल ये है कि आखिर हमने कैसी शिक्षा व्यवस्था और कैसा समाज तैयार किया है, जिसमें हर श्रेणी का विद्यार्थी किसी न किसी तरह का टॉर्चर झेल रहा है?

यूँ तो देश में तमाम शिक्षा बोर्ड हैं, लेकिन माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश यानी यूपी बोर्ड का रिजल्ट आना खास इसलिए भी होता है क्योंकि ये महज एक अकादमिक घटना न होकर सामाजिक और राजनीतिक घटना भी होती है.

सन 1921 में गठित यूपी बोर्ड देश के सबसे पुराने शिक्षा परिषदों में शामिल है. एनरोल्ड छात्रों की संख्या के हिसाब से ये एशिया का सबसे बड़ा एजुकेशनल बोर्ड है, जो सन 1923 से हर साल दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं आयोजित करने के साथ-साथ अन्य शैक्षिक कार्य भी व्यापक स्तर पर करता रहा है. इससे पहले ये सब काम इलाहाबाद विश्वविद्यालय के जिम्मे था. तो ये तो हुई इसकी लीजेंड्री की बात. पर जानना हमें ये भी चाहिए कि ये वही यूपी बोर्ड है जो बीते कई दशकों से देश भर में शिक्षा विभाग के भ्रष्टाचार का बड़ा अड्डा बनकर मशहूर हुआ है. चाहे सामूहिक नकल की बात हो, या शिक्षकों की नियुक्ति में अनियमितता का मामला हो, बिहार बोर्ड के अलावा और कोई बोर्ड इसे टक्कर नहीं दे सकता.

यूपी बोर्ड नकल करवाने वाले बोर्ड के रूप में इस कदर कुख्यात है कि जब कभी सरकारें नकल पर कड़ा रुख अपनाती हैं, नकल के भरोसे पास होने की आस लगाए लाखों विद्यार्थी परीक्षा ही छोड़ देते हैं. इसी साल परीक्षा भवन में CCTV कैमरों और कोडेड आंसर शीट की व्यवस्था के कारण नकल न कर पाने के चलते लाखों छात्रों ने परीक्षा छोड़ दी थी.

नकल के भरोसे पास होने की आस लगाए लाखों विद्यार्थी परीक्षा ही छोड़ देते हैं

सोचने की बात है कि बड़ी संख्या में विद्यार्थियों का परीक्षा छोड़ना या फेल हो जाना सिर्फ विद्यार्थियों का फेल होना है या शिक्षा व्यवस्था और सरकारों का फेल होने भी है?

सच्चाई तो ये है कि विद्यालयों और शिक्षण पर ध्यान न दे पाने वाली सरकारें बच्चों को नकल की छूट ही इसीलिए देती हैं, ताकि सरकारें खुद पास हो सकें. पर ये यू पी बोर्ड के भ्रष्ट होने की अंतिम वजह नहीं है.

प्रदेश भर में यू पी बोर्ड के ज्यादातर स्कूल गांवों और कस्बों में हैं, जहां मध्यवर्ग का बोलबाला है. ये मध्यवर्ग, जो प्रायः आर्थिक कारणों से अपने बच्चों को CBSE या ICSE बोर्ड के स्कूलों में नहीं पढ़ा पाता है, समझता है कि ये बोर्ड अपने बच्चों को यूपी बोर्ड से ज्यादा अंक देते हैं, जो कि काफी हद तक सही भी है. बोर्ड परीक्षाओं के अंक यूनिवर्सिटी की मेरिट लिस्ट से लेकर मेरिट के आधार पर मिलने वाली नौकरियों पर सीधा असर डालते हैं. ऐसे में अभिभावक भी अच्छे भविष्य की उम्मीद में बच्चों को येन केन प्रकारेन ज्यादा नंबर दिलाने में लग जाते हैं. कुछ सरकारें आम लोगों का ये रुझान भांप कर नकल रोकने के उपायों में ढील दे देती हैं, और नतीजा यू पी बोर्ड की बदहाली के रूप में सामने आता है.

ऐसे में शैक्षिक गतिविधियों के बड़े-बड़े झंडे गाड़ने वाला यूपी बोर्ड अपने पाठ्यक्रम पर पुनर्विचार करने का मौका कई दशकों तक नहीं पाता. और साल भर sin, cos, tan के लिए LAL/KKA यानी लंब/कर्ण, आधार/कर्ण, लंब/आधार का फॉर्मूला और पाइथागोरस प्रमेय रटने वाला विद्यार्थी बाकी ज़िन्दगी में इन फॉर्मूलों की उपयोगिता ढूंढता रह जाता है.

खैर, अगर आप एक विद्यार्थी हैं, और आज आपका भी रिजल्ट आ रहा है, तो धैर्य रखें, ये महज एक एग्जाम है जो अगले साल फिर होगा; और अगर आप एक अभिभावक हैं तो आप भी धैर्य रखें. ये पढ़ाई, ये सिलेबस, ये नंबर, ये सब आपके बच्चे के लिए है, आपका बच्चा इनके लिए नहीं है.

शुभकामनाएं आपको.

up board result, up board result 2019, up board result live, up board 10th result, up board 12th result, up board result, live updates, up board 10th result 2019, up board 12th result 2019, upmsp.edu.in, upresults.nic.in, P Board Results, upmspresults.up.nic.in, p 12th result, p 10th result, P Board 12 Results, P Board 10 Results, P Board 12 Result, P Board 10 Result, P Board Class 10 Results 2019, P Board Class 12 Results 2019, How to check up board result, where to check up board result, upresults.nic.in P Board Result

ये भी पढ़ें-

P board results बेहतर होने का इन्तेजार नेता भी कर रहे हैं

आज बस ये याद रखना कि बच्चे नंबरों से ज्यादा कीमती हैं !

'मैं मेरिट में नहीं आई तो लगा जैसे परीक्षा में फेल हो गई'


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲