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केरल चर्च में यौन उत्पीड़न का सिलसिला आखिर कब खत्म होगा ?

    • प्रवीण शेखर
    • Updated: 12 सितम्बर, 2018 09:19 PM
  • 12 सितम्बर, 2018 09:19 PM
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ज्यादातर वंचित पृष्ठभूमि से आने वाली नन अपने परिवार और दुनिया को त्याग कर चर्च में दाखिला लेती हैं. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उनके साथ चर्च की दासी के रूप में व्यवहार किया जाये, जिनका शोषण किया जाए.

अन्य रूढ़िवादी धर्मों की तुलना में, कैथोलिक चर्च उन महिलाओं के लिए पूरक भूमिका निभाने में सुधारवादी साबित रहा है जो नन के रूप में इनमें प्रवेश करती हैं. लेकिन यह प्रगति खत्म होती नज़र आ रही है. हाल ही में चर्च कई विवादों के कारण सुर्ख़ियों में रहा है जो पितृसत्ता से लिप्त होना दर्शाता है. चर्च के पदानुक्रम में नन निचले भाग की श्रेणी में मानी जाती हैं. वो पादरी का हिस्सा नहीं होती हैं. इसलिए, नन के यौन शोषण के किसी भी मामले को इनकार, बर्खास्तगी और काउंटरचार्ज से खारिज किया जाता रहा है.

हाल ही में, केरल में पादरी द्वारा बलात्कार और यौन दुर्व्यवहार का मामला सुर्ख़ियों में रहा है. रोमन कैथोलिक और सीरियाई रूढ़िवादी चर्च से जुड़े 10 से अधिक ऐसे पुजारी हैं जिनपर बलात्कार के मामलों में पुलिस की जांच चल रही है. हाल ही में जलंधर बिशप, जेम्स फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ एक वरिष्ठ नन द्वारा बलात्कार की शिकायत दर्ज की गई है. मिशनरी ऑफ़ जीसस की कुछ नन ने बिशप मामले को क्राइम ब्रांच को सौंपने के कदम के खिलाफ आवाज उठाई है और बिशप, जेम्स फ्रैंको मुलक्कल की गिरफ़्तारी की मांग की है.

जलंधर बिशप, जेम्स फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ एक वरिष्ठ नन द्वारा बलात्कार की शिकायत दर्ज की गई है

एक बड़ी संख्या में नन जो ज्यादातर वंचित पृष्ठभूमि से आती हैं वो परिवार और दुनिया को त्याग कर चर्च में दाखिला लेती हैं. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उनके साथ चर्च की दासी के रूप में व्यवहार किया जाये, जिनका शोषण किया जा सकता है. अब चूंकि, नन न्याय की तलाश में अपनी चुप्पी तोड़ने लगी हैं, यह चर्च और उसके विश्वासियों के हित में होगा कि जो अपर्याप्तता स्थापित हुई है उसे जल्द से जल्द साफ किया जाये. कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है, चाहे वो भगवान का अवतार ही क्यों न हो. एक आत्म...

अन्य रूढ़िवादी धर्मों की तुलना में, कैथोलिक चर्च उन महिलाओं के लिए पूरक भूमिका निभाने में सुधारवादी साबित रहा है जो नन के रूप में इनमें प्रवेश करती हैं. लेकिन यह प्रगति खत्म होती नज़र आ रही है. हाल ही में चर्च कई विवादों के कारण सुर्ख़ियों में रहा है जो पितृसत्ता से लिप्त होना दर्शाता है. चर्च के पदानुक्रम में नन निचले भाग की श्रेणी में मानी जाती हैं. वो पादरी का हिस्सा नहीं होती हैं. इसलिए, नन के यौन शोषण के किसी भी मामले को इनकार, बर्खास्तगी और काउंटरचार्ज से खारिज किया जाता रहा है.

हाल ही में, केरल में पादरी द्वारा बलात्कार और यौन दुर्व्यवहार का मामला सुर्ख़ियों में रहा है. रोमन कैथोलिक और सीरियाई रूढ़िवादी चर्च से जुड़े 10 से अधिक ऐसे पुजारी हैं जिनपर बलात्कार के मामलों में पुलिस की जांच चल रही है. हाल ही में जलंधर बिशप, जेम्स फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ एक वरिष्ठ नन द्वारा बलात्कार की शिकायत दर्ज की गई है. मिशनरी ऑफ़ जीसस की कुछ नन ने बिशप मामले को क्राइम ब्रांच को सौंपने के कदम के खिलाफ आवाज उठाई है और बिशप, जेम्स फ्रैंको मुलक्कल की गिरफ़्तारी की मांग की है.

जलंधर बिशप, जेम्स फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ एक वरिष्ठ नन द्वारा बलात्कार की शिकायत दर्ज की गई है

एक बड़ी संख्या में नन जो ज्यादातर वंचित पृष्ठभूमि से आती हैं वो परिवार और दुनिया को त्याग कर चर्च में दाखिला लेती हैं. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उनके साथ चर्च की दासी के रूप में व्यवहार किया जाये, जिनका शोषण किया जा सकता है. अब चूंकि, नन न्याय की तलाश में अपनी चुप्पी तोड़ने लगी हैं, यह चर्च और उसके विश्वासियों के हित में होगा कि जो अपर्याप्तता स्थापित हुई है उसे जल्द से जल्द साफ किया जाये. कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है, चाहे वो भगवान का अवतार ही क्यों न हो. एक आत्म नियामक, आंतरिक तंत्र की जरूरत है जो चर्च के कार्य को नियंत्रण में रख सके.

केरल के विधायक पीसी जॉर्ज बजाय इसके कि वो पीड़ित नन को महरम लगाएं, उन्होंने बहुत ही अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया है. पीसी जॉर्ज जैसे निर्वाचित प्रतिनिधियों का यह वयवहार पूरी तरह से गलत, अमानवीय और निंदनीय है.

इस तरह की घटनाएं चर्च को अपने ही सिद्धांतों और नियमों से दूर करती हैं. चर्च के प्रमुख, जो आध्यात्मिक गुरु हैं और भगवान के वचन की बात करते हैं, उन्हें अपनी उदारता दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहिए.

यह पहली बार नहीं है जो चर्च में यौन शोषण के आरोप लगाए गए हैं. फरवरी 2017 में, एक ईसाई पुजारी फादर रॉबिन वद्दाकुमचिरिल को एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के लिए केरल पुलिस ने गिरफ्तार किया था. यह भी आरोप लगा था कि चर्च ने उस बिशप को बचाने की काफी कोशिश की थी. यहां तक कि एक ईसाई पत्रिका 'संडे शालोम' ने पीड़िता की आलोचना की और बलात्कार को ना रोकने के लिए उसे ही दोषी ठहराया था. इसके अलावा और भी चर्च में यौन उत्पीड़न के कई मामले सामने आए हैं.

केरल की नन अब इंसाफ की मांग कर रही हैं

चर्च से जुड़ी यौन शोषण की अन्य घटनाएं-

2016: 14 वर्षीय लड़की से कई बार बलात्कार के आरोप में पुजारी एडविन फिगारेज़ को दोहरा आजीवन कारावास दिया गया था.

2016: चर्च पुजारी अरोकीयाराज को 17 वर्षीय लड़की से बलात्कार और हत्या के लिए गिरफ्तार किया गया था. लड़की 2013 में अपने कमरे में रहस्यमय परिस्थिति में मृत पाई गयी थी.

2015: चर्च ने सिस्टर अनीता को 12 लाख रुपये का भुगतान किया था. नन अनीता ने आरोप लगाया था कि एक पुजारी ने 2011 में यौन उत्पीड़न करने की कोशिश की थी जब वह एम.पी. में हाईस्कूल शिक्षक के रूप में काम कर रही थीं.

2014: चर्च पुजारी, फ्रा राजू कोकेन को 9 साल की उम्र लड़की से छेड़छाड़ करने के लिए गिरफ्तार किया गया था.

अब समय आ गया है कि चर्च यह सुनिश्चित करे कि जालंधर बिशप जैसी घटना एक आखिरी घटना है, चर्च अपने घर को व्यवस्थित करे और आने वाली आध्यात्मिक पीढ़ी को एक अच्छा रास्ता दिखाए. यह कबूल करने का समय है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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