• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

टिकटॉक से बड़ा गुनाहगार तो बच निकला...

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 18 अप्रिल, 2019 06:37 PM
  • 18 अप्रिल, 2019 06:37 PM
offline
क्या सच में कसूर टिकटॉक का ही था? या फिर टिक टॉक जैसा ऐप बेवजह बैन हुआ. जवाब है कि टिकटॉक से बड़े गुनाहगार पर तो अब तक किसी का ध्यान ही नहीं गया. वो तो साफ बच निकला है.

सुप्रीम कोर्ट ने चाइनीज़ ऐप टिकटॉक पर प्रतिबंध लगा दिया है. अब एपल और गूगल पर आपको टिकटॉक एप देखने नहीं मिलेगा. अच्छी बात ये है कि नए लोग इस एप को डाउलोड नहीं कर सकेंगे लेकिन अफसोस इसी बात का है कि पुराने यूजर्स इसपर ऐसे ही बने रहेंगे. सवाल ये उठता है कि अगर टिकटॉक का इस्तेमाल इसी तरह किया जाता रहेगा तो फिर इसपर बैन लगाने का फायदा ही क्या हुआ.

सबसे पहले हमें इसकी तरह तक जाना होगा कि आखिर इस एप पर बैन लगाया ही क्यों गया. तो टिकटॉक पर आरोप ये थे कि ये ऐप बच्चों पर बुरा असर डालते हुए पॉर्नोग्राफी को बढ़ावा दे रहा है और यूजर्स को यौन हिंसक बना रहा है. शिकायतें आईं तो सरकार ने इसे बैन करने की योजना बनाई. सरकारों के लिए किसी भी वेबसाइट के खिलाफ कार्रवाई करना आसान होता है, क्‍योंकि जनता के खिलाफ कार्रवाई करके वह अलोकप्रिय नहीं होना चाहती.

सिर्फ टिकटॉक को दोषी मानना ठीक नहीं होगा

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गूगल और ऐपल ने अपने-अपने प्लेटफॉर्म से इस एप को हटा लिया है. लेकिन क्या सच में कसूर टिकटॉक का ही था? या फिर टिकटॉक जैसा ऐप बेवजह बैन हुआ. जवाब है कि टिकटॉक से बड़े गुनाहगार पर तो अब तक किसी का ध्यान ही नहीं गया. वो तो साफ बच निकला है. और वो गुनहगार कोई और नहीं बल्कि वो यूजर्स हैं जो किसी भी सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म का गलत इस्‍तेमाल करते हैं. और जिनकी वजह से ऐसे प्‍लेटफॉर्म विवादों में पड़ जाते हैं. कार्रवाई प्लैटफॉर्म पर होती है और ये बच निकलते हैं.

वो कंटेंट जिस पर लोगों की आपत्ति थी, वो जिन्हें अश्लील कहा जाता है क्या उसे बनाने और शेयर करने वाले लोग अश्लीलता फैलाने के दोषी नहीं हैं? टिकटॉक ने तो बस लोगों को एक प्लैटफॉर्म दिया लेकिन उस प्लैटफॉर्म का गलत इस्तेमाल किया लोगों ने. क्या इन...

सुप्रीम कोर्ट ने चाइनीज़ ऐप टिकटॉक पर प्रतिबंध लगा दिया है. अब एपल और गूगल पर आपको टिकटॉक एप देखने नहीं मिलेगा. अच्छी बात ये है कि नए लोग इस एप को डाउलोड नहीं कर सकेंगे लेकिन अफसोस इसी बात का है कि पुराने यूजर्स इसपर ऐसे ही बने रहेंगे. सवाल ये उठता है कि अगर टिकटॉक का इस्तेमाल इसी तरह किया जाता रहेगा तो फिर इसपर बैन लगाने का फायदा ही क्या हुआ.

सबसे पहले हमें इसकी तरह तक जाना होगा कि आखिर इस एप पर बैन लगाया ही क्यों गया. तो टिकटॉक पर आरोप ये थे कि ये ऐप बच्चों पर बुरा असर डालते हुए पॉर्नोग्राफी को बढ़ावा दे रहा है और यूजर्स को यौन हिंसक बना रहा है. शिकायतें आईं तो सरकार ने इसे बैन करने की योजना बनाई. सरकारों के लिए किसी भी वेबसाइट के खिलाफ कार्रवाई करना आसान होता है, क्‍योंकि जनता के खिलाफ कार्रवाई करके वह अलोकप्रिय नहीं होना चाहती.

सिर्फ टिकटॉक को दोषी मानना ठीक नहीं होगा

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गूगल और ऐपल ने अपने-अपने प्लेटफॉर्म से इस एप को हटा लिया है. लेकिन क्या सच में कसूर टिकटॉक का ही था? या फिर टिकटॉक जैसा ऐप बेवजह बैन हुआ. जवाब है कि टिकटॉक से बड़े गुनाहगार पर तो अब तक किसी का ध्यान ही नहीं गया. वो तो साफ बच निकला है. और वो गुनहगार कोई और नहीं बल्कि वो यूजर्स हैं जो किसी भी सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म का गलत इस्‍तेमाल करते हैं. और जिनकी वजह से ऐसे प्‍लेटफॉर्म विवादों में पड़ जाते हैं. कार्रवाई प्लैटफॉर्म पर होती है और ये बच निकलते हैं.

वो कंटेंट जिस पर लोगों की आपत्ति थी, वो जिन्हें अश्लील कहा जाता है क्या उसे बनाने और शेयर करने वाले लोग अश्लीलता फैलाने के दोषी नहीं हैं? टिकटॉक ने तो बस लोगों को एक प्लैटफॉर्म दिया लेकिन उस प्लैटफॉर्म का गलत इस्तेमाल किया लोगों ने. क्या इन प्‍लेटफॉर्म के खिलाफ कार्रवाई से पहले इन यूजर्स के खिलाफ कार्रवाई नहीं करना चाहिए?

दुनिया में इंटरनेट के फैलाव के पीछे बड़ा कारण पोर्न रहा है. जबकि इंटरनेट का आविष्कार इसलिए किया गया था कि अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों को एक ऐसा नेटवर्क मिल सके जिसके द्वारा सारे कम्प्यूटर्स को जोड़ा जा सके और एक ही जगह से सारे कम्प्यूटरों को इस्तेमाल में लाया जा सके. शुरुआत में सिर्फ मेल भेजे गए, फिर धीरे-धीरे फाइलें, फोटो भेजे जाने लगे, और गूगल के आते ही इंटरनेट का स्वरूप ही बदल गया. जब हर तरह की सामग्री इंटरनेट पर मौजूद थी तो लोगों ने इसका ज्यादातर इस्तेमाल पोर्न देखने के लिए किया. लोगों को इसका चसका लगा. और इसी चसके ने इंटरनेट को इतना विशाल बना दिया. वो पोर्न ही है जिसकी वजह से पूरे विश्व में इंटरनेट सबसे ज्यादा पॉपुलर बन गया.

गूगल खुद बताता है कि इंटरनेट पर सबसे ज्यादा अश्लील सामग्री ही खोजी जाती है

इंसान अपने मोबाइल या डेस्कॉप पर किसी को भी बिना बताए, प्राइवेट रूप में क्या-क्या नहीं खोजता. और ये गूगल खुद बताता है कि इंटरनेट पर सबसे ज्यादा अश्लील सामग्री ही खोजी जाती है. और अगर पोर्न ही असली गुनाहगार है तो फिर इंटरनेट को ही बैन क्यों न कर दिया जाए. लेकिन ये तो संभव नहीं है. पर क्या यहां गलती इंटरनेट की है. गलत तो वो लोग ही हुए जो यहां कुछ भी देखकर कुछ भी करके निकल जाते हैं और बुरा बनता है इंटरनेट. लेकिन जनता के खिलाफ कार्रवाई करना बहुत अच्छा नहीं समझा जाता इसलिए कसूरवार उस साधन को ठहरा दिया जाता है जिसकी वजह से ये सब हो रहा है.

ये तो शुक्र है कि इंटरनेट का जन्म भारत में नहीं हुआ था अमेरिका में हुआ जहां के लोगों में इसे समझने और इसका आकलन करने का धैर्य था, वरना जिस तरह शुरुआत में इस पर पॉर्न प्रसारित किया गया था और तब अगर भारत की तरह इसपर संवेदनाएं दिखाई जातीं तो इंटरनेट भी टिकटॉक की तरह कब का बंद हो चुका होता. म्यूजिकली एप भी इसी तरह बैन कर दिया गया था. हालांकि टिकटॉक पर अगर कंटेंट सही तरह से सेंसर किया जाता या योजनाबद्ध तरीके से प्रसारित किया जाता तो शायद लोग इतनी बड़ी तादात में ये सब न कर रहे होते.

पर सवाल अब भी वही है कि क्या ये बैन सिर्फ टिकटॉक पर लगना चाहिए .या फिर उन यूजर्स पर भी जो ऐसे वीडियो बनाते हैं. जाहिर तौर पर टिकटॉक को बैन न करके उन यूजर्स को बैन करना चाहिए जो अश्लील कंटेट दे रहे हैं और उसे प्रसारित करते हैं. कम दोषी वो भी नहीं हैं जो उसे बढ़-चढ़कर दूसरे प्लैटफॉर्म पर शेयर कर रहे हैं. क्या सरकार को इन लोगों पर बैन नहीं लगाना चाहिए? मेरे ख्याल से इसपर एक बहस की गुंजाइश बनती है.

ये भी पढ़ें-

टिकटॉक बैन होने से मैं बहुत खुश हूं, क्योंकि...

याद रखिये फेसबुक के लाइक और ट्विटर के ट्वीट से कहीं ऊपर देश की सुरक्षा है...

आखिर क्यों बैन कर दिए जाते हैं वायरल एप्स?

 


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲