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याद रखिये फेसबुक के लाइक और ट्विटर के ट्वीट से कहीं ऊपर देश की सुरक्षा है...

    • नीरज पाल
    • Updated: 01 मार्च, 2019 12:12 PM
  • 01 मार्च, 2019 12:12 PM
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देश की सुरक्षा के लिहाज से ये एक महत्वपूर्ण वक्त है. ऐसे में हमें सबसे ज्यादा सतर्कता सोशल मीडिया पर बरतनी होगी. सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट करने से पहले हमें ये समझना होगा कि कहीं उससे हमारे देश की सुरक्षा तो नहीं प्रभावित होगी.

विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई की खबर के साथ ही पूरे देश में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है. और यह जायज़ भी है, अभिनंदन ने पाकिस्तानी सेना के गिरफ्त में रहते हुए जिस साहस, शौर्य और सूझ बूझ का परिचय दिया है, वह काबिले तारीफ है. साथ ही भारतीय शीर्ष अधिकारियों का यह कहना कि "विंग कमांडर अभिनंदन भारतीय हैं, उन्हें हैं तुरंत वापस चाहते हैं. इसके बदले किसी भी तरह की सौदेबाजी या बातचीत नहीं होगी." भारत के मजबूत कूटनीतिक इरादों की सिर्फ़ एक बानगी भर है.

पाकिस्तान द्वारा अभिनंदन को रिहा किये जाने के बाद पूरे सोशल मीडिया पर खुशी की लहर है

लेकिन इन सबके बीच पिछले दो दिनों में देश के अंदर के उन्माद और गुस्से को भी नहीं भूलना चाहिए. सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के रास्ते भारतीय जनता ने अपने गुस्से और वतनपरस्ती के जज्बे को पूरे दम खम के साथ रखा है.लेकिन इस उन्माद और देशभक्ति के नशे में हम वह बात भूल गए जो अभिनंदन पाकिस्तानी सैनिकों के बीच भी नहीं भूले.

अपना नाम, सर्विस नंबर और धर्म बताने के अलावा उन्होंने कुछ भी नहीं कहा और आगे पूछने पर धैर्य के साथ हर बार सिर्फ एक ही बात कही कि "क्षमा करें, मैं आपको इससे ज्यादा कुछ भी बता पाने में असमर्थ हूं." यहां तक कि उनसे यह भी पूछने पर कि वह किस जेट को उड़ा रहे थे, उनका उत्तर वहीं रहा कि वह इससे ज्यादा कुछ भी नहीं बता सकते. पर हमने क्या किया? यह सोचने का विषय है?

हमने उनके परिवार, सेना में उनकी स्थिति, बचपन से लेकर आज तक के उनके बारे में सब कुछ सोशल मीडिया पर उड़ेल दिया. जरा सोचिए कि भारत का वह सैनिक जो दुश्मनों के बीच में है, जहां उसके साथ अगले पल कुछ भी हो सकता था, कुछ भी बताने से इंकार करता है और हम और आप अपनी थोथी देशभक्ति और राष्ट्रीयता के नाम पर सोशल मीडिया पर वह सब कुछ बक देते...

विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई की खबर के साथ ही पूरे देश में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है. और यह जायज़ भी है, अभिनंदन ने पाकिस्तानी सेना के गिरफ्त में रहते हुए जिस साहस, शौर्य और सूझ बूझ का परिचय दिया है, वह काबिले तारीफ है. साथ ही भारतीय शीर्ष अधिकारियों का यह कहना कि "विंग कमांडर अभिनंदन भारतीय हैं, उन्हें हैं तुरंत वापस चाहते हैं. इसके बदले किसी भी तरह की सौदेबाजी या बातचीत नहीं होगी." भारत के मजबूत कूटनीतिक इरादों की सिर्फ़ एक बानगी भर है.

पाकिस्तान द्वारा अभिनंदन को रिहा किये जाने के बाद पूरे सोशल मीडिया पर खुशी की लहर है

लेकिन इन सबके बीच पिछले दो दिनों में देश के अंदर के उन्माद और गुस्से को भी नहीं भूलना चाहिए. सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के रास्ते भारतीय जनता ने अपने गुस्से और वतनपरस्ती के जज्बे को पूरे दम खम के साथ रखा है.लेकिन इस उन्माद और देशभक्ति के नशे में हम वह बात भूल गए जो अभिनंदन पाकिस्तानी सैनिकों के बीच भी नहीं भूले.

अपना नाम, सर्विस नंबर और धर्म बताने के अलावा उन्होंने कुछ भी नहीं कहा और आगे पूछने पर धैर्य के साथ हर बार सिर्फ एक ही बात कही कि "क्षमा करें, मैं आपको इससे ज्यादा कुछ भी बता पाने में असमर्थ हूं." यहां तक कि उनसे यह भी पूछने पर कि वह किस जेट को उड़ा रहे थे, उनका उत्तर वहीं रहा कि वह इससे ज्यादा कुछ भी नहीं बता सकते. पर हमने क्या किया? यह सोचने का विषय है?

हमने उनके परिवार, सेना में उनकी स्थिति, बचपन से लेकर आज तक के उनके बारे में सब कुछ सोशल मीडिया पर उड़ेल दिया. जरा सोचिए कि भारत का वह सैनिक जो दुश्मनों के बीच में है, जहां उसके साथ अगले पल कुछ भी हो सकता था, कुछ भी बताने से इंकार करता है और हम और आप अपनी थोथी देशभक्ति और राष्ट्रीयता के नाम पर सोशल मीडिया पर वह सब कुछ बक देते हैं जो दुश्मन सुनना चाहते थे.

देश के लिए महत्वपूर्ण समय है. सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट करने से पहले हमें दो बार सोच लेना चाहिए

हम सच में कितने भोले हैं, हमें लगता है कि हम सोशल मीडिया पर जो भी करते हैं उसकी पहुंच सिर्फ हमारे अपने देश और सीमा के अंदर है, बाहर वाले को तो उसकी भनक तक नहीं लगेगी. है ना? क्या सच में ऐसा है? जरा सोचिएगा? अगर आपको ऐसा लगता है कि ऐसा करके आप अपनी देशभक्ति का परिचय दे रहे हैं, तो आपको एक बात जान लेनी चाहिए कि दुश्मनों के बीच घिरा वह व्यक्ति आपसे बड़ा देशभक्त है और समय पड़ने पर वह देश के लिए जान दे और ले सकने में आपसे ज्यादा सक्षम है.

मसूद अजहर के कांधार में यात्रियों के बदले रिहा किए जाने से लेकर अभिनंदन के रिहाई के लिए किए गए हर एक सवाल में हम चूक जाते हैं. #Nowar के हैश टैग के साथ सोशल मीडिया भर गया है जहां कमांडर की रिहाई के साथ वन्दे मातरम् और नो वार जैसी बातें की जा रही हैं. यकीन मानिए, भारत हमेशा से ही युद्ध के खिलाफ रहा है और अभी भी युद्ध जैसी स्थिति से बचना चाहता है. लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं कि कोई हमारे ऊपर जब चाहे वार कर दे और हम मूक दर्शक बनें देखते रहें. जैसी स्थिति होगी देश उसका जवाब उसी तरह से देने में सक्षम है.

युद्ध से किसी भी देश का भला नहीं हुआ है आज तक और युद्ध की त्रासदी सैनिकों से बेहतर कौन जानता है? क्या वह युद्ध में जाना चाहते हैं? क्या उनके अपने नहीं हैं? दरअसल उनके अपने आपसे और मुझसे कहीं ज्यादा अच्छी तरह से इसे समझ सकते हैं. इसलिए यह समय वह समय है जब देश को अपनी एकता और एकजुटता का परिचय देना है. ऐसा आप कर भी सकते हैं अगर सोशल मीडिया पर कुछ भी शेयर करने से पहले निम्न पहलुओं पर सोच लें :

किसी भी तरह के भड़काऊ पोस्ट को डालने से बचें.

किसी भी खबर को शेयर करने से पहले यह जरूर जांच लें कि वह खबर सही है. और अगर हो सके तो किसी भी तरह की खबर को शेयर करने से बचें.

सैनिकों के परिवार और उनके बारे में किसी भी तरह की पोस्ट डालने से बचें.

जितना हो सके उतनी कोशिश करें कि किसी भी तरह की ऐसी जानकारी आपके पोस्ट में ना हो जो देश  दुश्मनों के हित में हो.

धार्मिक और वैमनस्यता के पोस्ट ना डालें, यह समय एकजुट होकर चलने का समय है. हमारी पहचान भारतीयता है धर्म नहीं.

यकीन मानिए, फेसबुक, ट्विटर के लाइक और ट्वीट से कहीं ऊपर हमारा देश है, जिसे आज हमारी पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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