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TikTok Ban In India: टिकटॉक स्टार्स पर हंसना ज़रूरी है क्या?

    • सिद्धार्थ अरोड़ा सहर
    • Updated: 02 जुलाई, 2020 01:15 PM
  • 02 जुलाई, 2020 01:15 PM
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मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा टिकटॉक (TikTok ban in India) समेत 59 चीनी ऐप्स बैन (Chinese Apps Banned In India) किये जाने के बाद भारत में एक बड़ा वर्ग बहुत खुश है और उन लोगों का मजाक उड़ा रहा है जो टिकटॉक पर सक्रिय थे. सवाल ये है कि क्या लोगों की इस सोच को जायज ठहराया जा सकता है.

मोदी सरकार (Modi Government) ने डेटा प्राइवेसी (Data Privacy) के मुद्दे के सहारे टिकटॉक (Tiktok) समेत 58 चीन के apps बंद किए हैं जो प्राइवेसी के इतर भी रेवेन्यु जेनेरेट करने के नाम पर भारत से अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे थे. लेकिन इन 58 की चिंता एक तरफ और एक अकेले टिकटॉक को लेकर होता हंगामा समाज का एक अलग ही रंग दिखा रहा है. टिकटॉक बंद (Tiktok Banned In India) होने पर बहुत से ऐसे टिकटॉकर हैं जिनकी रोती हुई विडियो अपलोड हुई है. बहुत बड़ी संख्या उनकी भी है जो नाच-गाकर जश्न मना रहे हैं कि टिकटॉक बंद हो गया है अब ऑनलाइन मुजरा नहीं होगा. ऐसे बहुत से ट्रोल हैं जिन्हें देखकर एक वरिष्ठ बैंक कर्मचारी भी हंसे बिना न रह सके. लेकिन जो लोग रो रहे हैं उनपर हंसना, उनका मज़ाक बनाना समझ से परे बात लगती है. कोई बच्चा अगर रो रहा है, दिल से उदास हो रहा है तो उसे चुप कराने की बजाए, उसका हौसला बढ़ाने की बजाए उसके घरवाले समेत सारा सोशल मिडिया उनपर हंस रहा है. आप एक तरफ किसी बच्चे के रोने पर दांत-फाड़ हंसने के बाद किसी व्यसक की आत्महत्या पर दुनिया को असंवेदनशील कह सकते हैं? कितने मुंह हैं आख़िर आपके?

टिक टॉक बैन के बाद एक बड़े वर्ग का टिक टॉकर्स का मजाक उड़ाना वाक़ई समझ से परे है

ये टिकटॉक वालों पर हंसने का नहीं उन्हें दिलासा देने और समझाने का वक़्त है कि दुनिया सिर्फ फॉलोवर्स और लाइक्स तक सिमित नहीं थी. आपको अपनी कला को और विकसित करना होगा, आज ये युग में मंचों की कमी नहीं है, एक टिकटॉक गया है, दस और उसके जैसे apps मौका भुनाने चले आयेंगे, आपमें योग्यता है तो आप फिर चमकोगे और पहले से बेहतर चमकोगे. बच्चों आपको ख़ुद पर यकीन रखना होगा, उदास होने, डिप्रेस होने या किसी के हंसने से अगर आज ख़ुद पर असर होने दिया तो कल की सुबह आज से ज़्यादा...

मोदी सरकार (Modi Government) ने डेटा प्राइवेसी (Data Privacy) के मुद्दे के सहारे टिकटॉक (Tiktok) समेत 58 चीन के apps बंद किए हैं जो प्राइवेसी के इतर भी रेवेन्यु जेनेरेट करने के नाम पर भारत से अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे थे. लेकिन इन 58 की चिंता एक तरफ और एक अकेले टिकटॉक को लेकर होता हंगामा समाज का एक अलग ही रंग दिखा रहा है. टिकटॉक बंद (Tiktok Banned In India) होने पर बहुत से ऐसे टिकटॉकर हैं जिनकी रोती हुई विडियो अपलोड हुई है. बहुत बड़ी संख्या उनकी भी है जो नाच-गाकर जश्न मना रहे हैं कि टिकटॉक बंद हो गया है अब ऑनलाइन मुजरा नहीं होगा. ऐसे बहुत से ट्रोल हैं जिन्हें देखकर एक वरिष्ठ बैंक कर्मचारी भी हंसे बिना न रह सके. लेकिन जो लोग रो रहे हैं उनपर हंसना, उनका मज़ाक बनाना समझ से परे बात लगती है. कोई बच्चा अगर रो रहा है, दिल से उदास हो रहा है तो उसे चुप कराने की बजाए, उसका हौसला बढ़ाने की बजाए उसके घरवाले समेत सारा सोशल मिडिया उनपर हंस रहा है. आप एक तरफ किसी बच्चे के रोने पर दांत-फाड़ हंसने के बाद किसी व्यसक की आत्महत्या पर दुनिया को असंवेदनशील कह सकते हैं? कितने मुंह हैं आख़िर आपके?

टिक टॉक बैन के बाद एक बड़े वर्ग का टिक टॉकर्स का मजाक उड़ाना वाक़ई समझ से परे है

ये टिकटॉक वालों पर हंसने का नहीं उन्हें दिलासा देने और समझाने का वक़्त है कि दुनिया सिर्फ फॉलोवर्स और लाइक्स तक सिमित नहीं थी. आपको अपनी कला को और विकसित करना होगा, आज ये युग में मंचों की कमी नहीं है, एक टिकटॉक गया है, दस और उसके जैसे apps मौका भुनाने चले आयेंगे, आपमें योग्यता है तो आप फिर चमकोगे और पहले से बेहतर चमकोगे. बच्चों आपको ख़ुद पर यकीन रखना होगा, उदास होने, डिप्रेस होने या किसी के हंसने से अगर आज ख़ुद पर असर होने दिया तो कल की सुबह आज से ज़्यादा अंधेरी लगेगी.

आप ही बताइए, चीन, जंग, अर्थव्यवस्था, राजनीति, कूटनीति वगैरह कोड्स हम तो अबतक पूरी तरह समझ नहीं पाए, बच्चे क्या समझेंगे? उनके लिए तो वो तारीफों के पुल बनाते कमेंट्स और दिल की शेप में आई लाइक्स ही दुनिया बन गयी थी न, ये वक़्त उन्हें ये बताने का है कि दुनिया वो नहीं थी. दुनिया ये है, जहां आप कभी नहीं हारते हैं, जहाँ आप जबतक ज़िन्दा हैं तब तक लड़ सकते हैं.

बच्चों को ये भी समझना चाहिए कि इन छोटी चीज़ों से बना मोह सारी ज़िन्दगी आपके दुःख और अवसाद का कारण हो सकता है. आप क्या लेकर आए थे? न ये मोबाइल आपको पैदा होते ही मिला था और न ही ये apps, ये फॉलोवर्स, ये फैन्स आपने ख़ुद अपनी मेहनत से बनाए थे जो आप फिर बना लोगे, बल्कि इस बार पहले से बेहतर बनाओगे.

बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी ये समझने की ज़रुरत है कि बड़े होने का मतलब सिर्फ ज्यादा ताकतवर होना ही नहीं बल्कि ज़्यादा ज़िम्मेदार होना भी है. अगर आप किसी से ख़ुद को बड़ा समझते हैं तो उसके दुःख, उसके अवसाद के वक़्त उसे फिर खड़ा करने की ज़िम्मेदारी भी आप ही की होती है. किसी के रोने पर हंसना अपनी आत्मा शैतान को बेचने जैसा है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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