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वो 18 सबक जो 18 के होने पर ही मिलते हैं....

    • आईचौक
    • Updated: 28 नवम्बर, 2017 07:46 PM
  • 28 नवम्बर, 2017 07:46 PM
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बचपन में सभी को लगता है कि बड़े होने पर सारी समस्याएं हल हो जाएंगी और हम वो कर पाएंगे जो करना चाहते हैं, लेकिन बड़े होने पर जिंदगी में कई बड़े बदलाव आते हैं..

ये कई बार सुना है कि उम्र बढ़ने के साथ ही कुछ बातें समझ आती हैं. सही भी है. उम्र के साथ-साथ कुछ अनुभव आ जाते हैं. 18 साल के होते - होते लोगों को कई बातें समझ आने लगती हैं. जैसे...

1. सिर्फ हमारे पास ही समस्या नहीं है...

बचपन में अपनी समस्या ही सबसे बड़ी लगती है, लेकिन 18 के बाद जैसे - जैसे उम्र बढ़ती है ये समझ आता है कि हम अकेले नहीं हैं और एक छोटी सी समस्या नैशनल इशू नहीं उसे आराम से सॉल्व किया जा सकता है. सोशल मीडिया पर हमेशा खुश दिखने वाले लोग भी उदास होते हैं ये उम्र बढ़ने के बाद ही समझ आता है.

2. लेटेस्ट स्टाइल भविष्य में बुरा ही लगेगा...

अगर 90 के दशक के बच्चों की बात करें तो अभी अपनी पुरानी तस्वीरें देखकर उन्हें कैसा लगता है? कई लोग तो शायद अपनी तस्वीरों को किसी बक्से में बंद कर छुपा देना चाहते हैं. चाहें पुराने बेल बॉटम हों या फिर चमकीले शर्ट.. पुराना स्टाइल आगे चलकर हमेशा बुरा ही लगेगा.

3. रोने का तरीका बदल जाएगा..

बचपन में सबके सामने रोना कोई बड़ी बात नहीं होती, लेकिन अगर यही बात बड़े होने पर अजीब लगती है और ये समझ आता है कि अपने दुखों को दूसरे के सामने दिखाना जरूरी नहीं होता.

4. हर चीज सोशल मीडिया पर डालनी जरूरी नहीं है...

ये अक्ल तभी आएगी जब सोशल मीडिया पर अच्छा खासा समय बिता चुके होंगे. किसी की जिंदगी में क्या चल रहा है, किसी को कैसा दुख है उसके लिए 'Feeling Sad with 40 Others' जैसा स्टेटस डालने की बिलकुल जरूरत नहीं.

5. राय बनाना जरूरी है..

18 की उम्र पार करने के बाद सरकार भी ये उम्मीद करती है कि आप वोट दें, तो यकीनन राय बनाना जरूरी है. जरूरी नहीं हर मामले में अपनी राय दी जाए, लेकिन ये जरूरी है...

ये कई बार सुना है कि उम्र बढ़ने के साथ ही कुछ बातें समझ आती हैं. सही भी है. उम्र के साथ-साथ कुछ अनुभव आ जाते हैं. 18 साल के होते - होते लोगों को कई बातें समझ आने लगती हैं. जैसे...

1. सिर्फ हमारे पास ही समस्या नहीं है...

बचपन में अपनी समस्या ही सबसे बड़ी लगती है, लेकिन 18 के बाद जैसे - जैसे उम्र बढ़ती है ये समझ आता है कि हम अकेले नहीं हैं और एक छोटी सी समस्या नैशनल इशू नहीं उसे आराम से सॉल्व किया जा सकता है. सोशल मीडिया पर हमेशा खुश दिखने वाले लोग भी उदास होते हैं ये उम्र बढ़ने के बाद ही समझ आता है.

2. लेटेस्ट स्टाइल भविष्य में बुरा ही लगेगा...

अगर 90 के दशक के बच्चों की बात करें तो अभी अपनी पुरानी तस्वीरें देखकर उन्हें कैसा लगता है? कई लोग तो शायद अपनी तस्वीरों को किसी बक्से में बंद कर छुपा देना चाहते हैं. चाहें पुराने बेल बॉटम हों या फिर चमकीले शर्ट.. पुराना स्टाइल आगे चलकर हमेशा बुरा ही लगेगा.

3. रोने का तरीका बदल जाएगा..

बचपन में सबके सामने रोना कोई बड़ी बात नहीं होती, लेकिन अगर यही बात बड़े होने पर अजीब लगती है और ये समझ आता है कि अपने दुखों को दूसरे के सामने दिखाना जरूरी नहीं होता.

4. हर चीज सोशल मीडिया पर डालनी जरूरी नहीं है...

ये अक्ल तभी आएगी जब सोशल मीडिया पर अच्छा खासा समय बिता चुके होंगे. किसी की जिंदगी में क्या चल रहा है, किसी को कैसा दुख है उसके लिए 'Feeling Sad with 40 Others' जैसा स्टेटस डालने की बिलकुल जरूरत नहीं.

5. राय बनाना जरूरी है..

18 की उम्र पार करने के बाद सरकार भी ये उम्मीद करती है कि आप वोट दें, तो यकीनन राय बनाना जरूरी है. जरूरी नहीं हर मामले में अपनी राय दी जाए, लेकिन ये जरूरी है कि आपके पास अपनी राय हो.

6. ईंट का जवाब पत्थर जरूरी नहीं...

टीनएज में हमेशा ये लगता है कि जिसने हमारे साथ जैसा किया है उसे वैसा ही जवाब दिया जाए. बड़े होने पर ही ये समझ आएगा कि शांती से किसी चीज का हल निकाला जा सकता है और कई बार चुप रहना ही अच्छा होता है.

7. पहला इम्प्रेशन आखिरी नहीं होता...

यकीनन एक कहावत प्रचलित है कि 'First Impression is the last impression' (पहली छाप ही आखिरी होती है) पर ऐसा नहीं है. ये बात उम्र के साथ ही समझ आएगी कि लोगों को बारे में बहुत जल्दी अपनी राय बना लेने से कई अच्छे रिश्ते दूर हो जाते हैं.

8. वीकएंड पार्टी के अलावा भी कुछ है...

जिंदगी में सैटरडे-सैटरडे करना हमेशा जरूरी नहीं होता है. अपना सारा पैसा और उर्जा सिर्फ वीकएंड पार्टी पर खर्च करना सही नहीं.

9. माता पिता भी हो सकते हैं उदास...

बचपन में मां और पापा सबसे बड़े हीरो होते हैं जो हर बात को आसानी से सुलझा देते हैं और वो किसी भी मुश्किल का सामना कर लेते हैं. पर ऐसा नहीं है. जरूरी नहीं कि वो दिखाते नहीं तो उनकी परेशानी न हो. कोई भी किसी भी समय भावुक हो सकता है.

10. सही और गलत की परिभाषा ही अलग होती है...

सही और गलत की परिभाषा हर किसी के लिए अलग होती है. अगर आपके लिए कोई चीज सही है तो दूसरे इंसान के लिए ये सरासर गलत हो सकती है. ये किसी गणित के सवाल की तरह नहीं होता जहां सिर्फ एक ही उत्तर आता है.

11. प्रेजेंटेशन भी जरूरी है...

प्रेजेंटेशन भी बहुत जरूरी है. कब, क्या और कैसे कहना है इसके बारे में थोड़ी उम्र बढ़ने पर ही समझ आता है. टीनएज बीतने के बाद ही ये समझ आता है कि किसी वाक्य से ज्यादा उसकी प्रेजेंटेशन जरूरी है.

12. आप किसी के लिए जरूरी हो सकते हैं, लेकिन हर वक्त नहीं...

ये जिंदगी का कड़वा सच है और ये सच उम्र बढ़ने के साथ ही समझ आता है. 18, 20, 25 शायद इसी उम्र में ये समझ आने लगता है कि हर वक्त कोई आप पर ध्यान नहीं दे सकता है. कोई किसी की जिंदगी का हिस्सा बन सकता है पूरी जिंदगी नहीं.

13. बॉलीवुड से अलग होती है जिंदगी...

ये बात सोचनी और समझनी जरूरी है कि जिंदगी कोई किताब या कोई फिल्म नहीं है जिसमें बहुत आसानी से सब कुछ दिखा दिया जाता है और काम तमाम हो जाता है. यहां क्लाइमैक्स कभी खत्म नहीं होता.

14. समय सब ठीक कर देता है...

चाहें कितना ही बड़ा दुख क्यों न हो, चाहें कितनी ही बड़ी समस्या क्यों न हो समय जल्दी सब ठीक कर देता है.

15. कॉलेज और जॉब बहुत जरूरी है...

बचपन में सभी डॉक्टर, एस्ट्रोनॉट आदि बनना चाहते हैं, लेकिन 18 साल के आने तक समझ आता है कि IIT, IIM के आगे भी दुनिया है और यकीनन जिंदगी में पैसा कमाना शौक के साथ-साथ बहुत जरूरी है.

16. दिखावा जरूरी नहीं है...

जरूरी नहीं कि आप हर बात पर दिखावा करें. थोड़ा बड़े होने पर समझ आता है कि सबसे अच्छी ड्रेस पहन कर मॉल जाने से बेहतर शॉर्ट्स में बाहर टहलना है.

17. अकेले रहना भी अच्छा है...

बचपन में जहां अकेले रहने से डर लगता था वहीं अब ऐसा लगता है कि अकेले रहना सही है और अकेले रहने का मतलब अकेलापन तो बिलकुल नहीं होता.

18. सोना जिंदगी का अटल सत्य है...

इसे तो शायद समझाने की भी जरूरत नहीं. हर इंसान को ये समझ आ ही जाएगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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