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4 साल के 'रेपिस्ट' के पीछे कहीं ये लॉजिक तो नहीं...

    • ऑनलाइन एडिक्ट
    • Updated: 23 नवम्बर, 2017 08:56 PM
  • 23 नवम्बर, 2017 08:56 PM
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एक 4 साल के बच्चे ने आखिर कैसे रेप किया? क्या कारण है कि बच्चे अपनी उम्र से पहले ही सेक्शुएलिटी के बारे में बात करने लगते हैं और बड़ों जैसी हरकतें करने लगते हैं?

एक 4 साल के बच्चे से क्या उम्मीद की जा सकती है? वो ठीक से स्कूल जाए, ज्यादा रोए न. मां को ज्यादा परेशान न करे. उसे टॉयलेट ट्रेनिंग दी जा चुकी हो. उसे अपने कपड़े ठीक करना आता हो.. या ऐसी ही बातें. लेकिन उससे ये उम्मीद तो किसी भी तरह से नहीं की जा सकती न कि वो किसी का रेप कर सकता है. दिल्ली के एक निजी स्कूल में पढ़ने वाले एक 4 साल के छात्र ने अपनी ही क्लासमेट के साथ एक तरह से रेप को अंजाम दिया.

मामला भी बड़ा पेचीदा है. लड़की की मां ने इसके बारे में लिखित शिकायत भी दर्ज करवाई है. लेकिन पुलिस ये नहीं सोच पा रही कि एक 4 साल का बच्चा आखिर कैसे किसी लड़की के साथ रेप कर सकता है. शिकायत ये है कि उस बच्चे ने पेंसिल और उंगली का इस्तेमाल कर अपनी क्लासमेट के साथ रेप किया. सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली गई इस बात को लेकर .. ये साफ जाहिर हो गया कि उस वक्त क्लास में सिर्फ वो लड़का और लड़की थे. लेकिन सभी इस बहस पर जुटे हुए हैं कि आखिर ऐसा हुआ कैसे. कैसे एक 4 साल के बच्चे ने काम किया... डॉक्टरों का कहना है कि इसे किसी भी हालत में सेक्शुअल डिजायर से जोड़कर नहीं देखा जा सकता.

बच्चों की साइकोलॉजी पर काम करने वाले विशेषज्ञों का कहना थोड़ा अलग है. उनके अनुसार कुछ बच्चों में सेक्शुएलिटी बाकियों से जल्दी विकसित हो जाती है. इस घटनाक्रम में कई सारे पैटर्न आते हैं. यूं कहें कि बच्चे के अंदर कई सारे बदलाव देखे जाते हैं. उदाहरण के तौर पर बच्चे अक्सर 'डॉक्टर- डॉक्टर' खेलते हैं. जब तक उनकी उम्र एक जैसी है, उनकी जिज्ञासा और उनके डर एक जैसे हैं. तब तक ऐसे खेल सोचे और समझे जा सकते हैं और ये आम बात है.

ऐसे भी कई बच्चे होते हैं जिन्हें जीन्स (जेनेटिक) में बदलाव के कारण इस तरह का सुख मिलता है और उनकी सेक्शुएलिटी जल्दी दिखने लगती है. अगर छोटी उम्र में कोई बच्चा अपने गुप्तांग से खेलता है तो...

एक 4 साल के बच्चे से क्या उम्मीद की जा सकती है? वो ठीक से स्कूल जाए, ज्यादा रोए न. मां को ज्यादा परेशान न करे. उसे टॉयलेट ट्रेनिंग दी जा चुकी हो. उसे अपने कपड़े ठीक करना आता हो.. या ऐसी ही बातें. लेकिन उससे ये उम्मीद तो किसी भी तरह से नहीं की जा सकती न कि वो किसी का रेप कर सकता है. दिल्ली के एक निजी स्कूल में पढ़ने वाले एक 4 साल के छात्र ने अपनी ही क्लासमेट के साथ एक तरह से रेप को अंजाम दिया.

मामला भी बड़ा पेचीदा है. लड़की की मां ने इसके बारे में लिखित शिकायत भी दर्ज करवाई है. लेकिन पुलिस ये नहीं सोच पा रही कि एक 4 साल का बच्चा आखिर कैसे किसी लड़की के साथ रेप कर सकता है. शिकायत ये है कि उस बच्चे ने पेंसिल और उंगली का इस्तेमाल कर अपनी क्लासमेट के साथ रेप किया. सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली गई इस बात को लेकर .. ये साफ जाहिर हो गया कि उस वक्त क्लास में सिर्फ वो लड़का और लड़की थे. लेकिन सभी इस बहस पर जुटे हुए हैं कि आखिर ऐसा हुआ कैसे. कैसे एक 4 साल के बच्चे ने काम किया... डॉक्टरों का कहना है कि इसे किसी भी हालत में सेक्शुअल डिजायर से जोड़कर नहीं देखा जा सकता.

बच्चों की साइकोलॉजी पर काम करने वाले विशेषज्ञों का कहना थोड़ा अलग है. उनके अनुसार कुछ बच्चों में सेक्शुएलिटी बाकियों से जल्दी विकसित हो जाती है. इस घटनाक्रम में कई सारे पैटर्न आते हैं. यूं कहें कि बच्चे के अंदर कई सारे बदलाव देखे जाते हैं. उदाहरण के तौर पर बच्चे अक्सर 'डॉक्टर- डॉक्टर' खेलते हैं. जब तक उनकी उम्र एक जैसी है, उनकी जिज्ञासा और उनके डर एक जैसे हैं. तब तक ऐसे खेल सोचे और समझे जा सकते हैं और ये आम बात है.

ऐसे भी कई बच्चे होते हैं जिन्हें जीन्स (जेनेटिक) में बदलाव के कारण इस तरह का सुख मिलता है और उनकी सेक्शुएलिटी जल्दी दिखने लगती है. अगर छोटी उम्र में कोई बच्चा अपने गुप्तांग से खेलता है तो इसे मास्टरबेशन नहीं कहा जा सकता है. ऐसा कई बच्चे करते हैं, लेकिन अगर ये आदतन है तो माता-पिता को इसके बारे में बच्चे को समझाना चाहिए और डॉक्टर की सलाह भी लेनी चाहिए. ये स्थिति‍ तब तक नहीं बिगड़ती जब तक बच्चों के इस बारे में ठीक से बताया जाता है और उन्हें ये समझाया जाता है कि अपनी सेक्शुएलिटी को कैसे डील करना है बिना किसी अन्य को कोई परेशानी दिए. अगर बच्चे को इसके बारे में पूरी जानकारी है तो ये उसके लिए एक सेहतमंद एक्सरसाइज होती है.

इस आम व्यवहार से परे भी कुछ ऐसी हरकतें होती हैं जो किसी भी माता-पिता के लिए खतरे की घंटी की तरह होती हैं.. इन बातों को ध्यान में रखना जरूरी है. बच्चों और उनके साथियों में अगर इस तरह की कोई भी आदत दिखाई देती है तो ये इस बात का सबूत है कि बच्चे को मदद की जरूरत है. अगर इसे जल्दी नहीं देखा गया तो ये आगे चलकर बहुत बड़ी समस्या हो जाती है...

ऐसा है तो खतरे की घंटी बज रही है...

1. पोर्नोग्राफी...

जहां टीनएजर पोर्नोग्राफी की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं वहीं अगर 12 साल से पहले कोई बच्चा ऐसा करता है तो ये जरूर सोचने वाली बात है. प्लेब्वॉय मैगजीन हो, पोर्न वेबसाइट हो, या किसी और तरह का पोर्न हो इससे मतलब नहीं, लेकिन इसे अगर नजरअंदाज कर दिया गया तो आगे चलकर बहुत समस्या हो सकती है. कारण ये है कि पोर्न सामग्री जो आम तौर पर उपलब्ध होती है वो काफी कुछ फेक होता है. इस छोटी सी उम्र में अगर उसकी आदत लग गई या फिर उस फेक बात को सच मान लिया तो समस्या काफी बढ़ सकती है.

2. किसी अन्य बच्चे के साथ अनचाहा सेक्शुअल कॉन्टैक्ट...

जैसा कि कहा जाता है बच्चों का खुद से साथ थोड़ा फिजिकल एक्टिविटी करना जरूरी होता है, लेकिन अगर किसी अन्य बच्चे के साथ हमेशा ऐसी हरकत हो रही है और किसी न किसी तरह से हर बार बच्चे एक दूसरे के प्राइवेट पार्ट छू रहे हैं या देख रहे हैं तो ये बात गलत है. खास तौर पर अगर कोई उम्र में बड़ा बच्चा छोटे के साथ ऐसा कर रहा है तो इसे देखने की आवश्यकता है. ये आगे चलकर हैरेस्मेंट और रेप तक पहुंच सकता है.

3. सबके सामने ऐसी हरकतें...

एक 5 साल का बच्चा अगर पब्लिक में अपनी पैंट उतार दे तो अलग बात है और अगर यही काम एक 10 साल का बच्चा करे तो अलग. बच्चों को ये समझाना चाहिए कि उनके शरीर में क्या बदलाव आ रहे हैं और उन्हें कैसे अपने शरीर के साथ बर्ताव करना है. अगर वो कोई गलती करते हैं तो उन्हें समझाइए कि कैसे उसे सुधारा जाए और आगे क्या करना है. अगर समझाने के बाद भी बच्चा बार-बार यही कर रहा है तो मेडिकल मदद लें. ये बेहतर है क्योंकि इससे बच्चे और उसके माता-पिता दोनों के लिए बेहतर है. किसी प्रोफेशनल की मदद लेने से शर्माना सही नहीं होगा.. बेहतर तो ये होगा कि बच्चों को सभी पहलुओं के बारे में अवगत करवाया जाए.

बच्चे को हमेशा बताएं कि वो घर पर ये सभी बातें बताए...

  1. अगर कोई उसे गलत तरीके से छू रहा है.
  2. अगर वो किसी और को ऐसे छू रहा है.
  3. अगर कोई उसे कपड़े उतारने को कह रहा है या फिर वो किसी को कपड़े उतारने को कहता है.
  4. किसी के ज्यादा नजदीक बैठने या किसी के बार-बार अपने पास बुलाने को.
  5. किसी साथ वाले या बड़े को बिना कपड़ों के देखने या ऐसी इच्छा होने की बात.
  6. किसी भी इंसान के गलत तरह से बात करने और बच्चे को बहकाने की बात.

अगर बच्चा घर आकर ये सब बताएगा और मां-बाप थोड़ा ध्यान रखेंगे तो इस तरह की घटनाओं की संभावना कम हो जाएगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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