• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

Thappad की कहानी को आगे बढ़ाने में हम सबकी भूमिका है

    • हिमांशु सिंह
    • Updated: 26 फरवरी, 2020 03:03 PM
  • 26 फरवरी, 2020 03:03 PM
offline
तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) की फिल्‍म थप्‍पड़ (Thappad movie release) तो पति-पत्‍नी के बीच होने वाली घरेलू हिंसा (Domestic Violence) की शुरुआत पर फोकस है. लेकिन, इसकी व्‍यापाक पहलू समाज की उस तस्‍वीर को उजागर करता है जिसमें हम सब भूमिका निभाते हैं.

एक औरत खूंटे में एड़ियों से बंधी थी. एक आदमी, जो शायद उसका पति था, उसने अपने पैर से उसका गला दबा रखा था. उसके हाथ में एक बेंत थी, जिससे वो लगातार उस औरत को पीट रहा था, और धाराप्रवाह गालियां दिए जा रहा था. औरत लगभग बेसुध हो चुकी थी, पर आदमी का पैर अपने गले से हटाना चाहती थी. हर बार जब डंडा पड़ता था, उसकी देह ऐंठ जाती थी. पर वो चीख नहीं पा रही थी, क्योंकि उसके पति ने पैर से उसका गला दबा रखा था. वो औरत वहां अकेली नहीं थी. ये तमाशा तो गांव  के बीचोबीच हो रहा था और लोग बाकायदा खाट और कुर्सियां लगाकर बैठे थे. पहली नज़र में ही पता चल गया था कि मामला एडल्ट्री (Adultry) का है. औरत को पड़ रहीं गालियां खुद इसकी तस्दीक किये दे रहीं थीं. छोटे-छोटे बच्चे हाथ में डंडियां लिए खड़े थे और पूरे उत्साह में थे. मालूम होता था जैसे उनकी सोशल ट्रेनिंग का प्रैक्टिकल चल रहा हो. ये बिलकुल वैसा ही था जैसे मेडिकल कॉलेजों में नये छात्र पहली बार मानव शरीर की चीरफाड़ देखते वक्त चकित और उत्साहित हो जाते हैं.

कई मामले ऐसे भी देखने को मिले हैं जिनमें पुरुष सिर्फ अपना पौरुष दिखाने के लिए घरेलू हिंसा को अंजाम देता है

खैर, औरत का पति अपने काम में जुटा हुआ था और पूरी ताकत से बेंत चला रहा था, मानो वो अपनी मर्दानगी का इम्तेहान दे रहा हो. वो साबित कर देना चाहता था कि वो स्वस्थ और मजबूत है, और बहुत तेज 'वार' करता है. वहां मौजूद औरतें मार खा रही औरत को ही भला-बुरा कह रहीं थीं, और पुरुष उस आदमी की हौसलाअफजाई कर रहे थे.

अगले चरण में उस आदमी ने अपनी पैन्ट से बेल्ट निकाल कर उस औरत के मुंह पर मारना शुरू कर दिया था. वो लगातार बेल्ट मार रहा था, जैसे वो कोई सनकी हो, और पत्नी को पीटने के किसी अज्ञात-आदिम खेल में अपने प्रदर्शन से पूरे समाज को मोह लेना चाहता हो....

एक औरत खूंटे में एड़ियों से बंधी थी. एक आदमी, जो शायद उसका पति था, उसने अपने पैर से उसका गला दबा रखा था. उसके हाथ में एक बेंत थी, जिससे वो लगातार उस औरत को पीट रहा था, और धाराप्रवाह गालियां दिए जा रहा था. औरत लगभग बेसुध हो चुकी थी, पर आदमी का पैर अपने गले से हटाना चाहती थी. हर बार जब डंडा पड़ता था, उसकी देह ऐंठ जाती थी. पर वो चीख नहीं पा रही थी, क्योंकि उसके पति ने पैर से उसका गला दबा रखा था. वो औरत वहां अकेली नहीं थी. ये तमाशा तो गांव  के बीचोबीच हो रहा था और लोग बाकायदा खाट और कुर्सियां लगाकर बैठे थे. पहली नज़र में ही पता चल गया था कि मामला एडल्ट्री (Adultry) का है. औरत को पड़ रहीं गालियां खुद इसकी तस्दीक किये दे रहीं थीं. छोटे-छोटे बच्चे हाथ में डंडियां लिए खड़े थे और पूरे उत्साह में थे. मालूम होता था जैसे उनकी सोशल ट्रेनिंग का प्रैक्टिकल चल रहा हो. ये बिलकुल वैसा ही था जैसे मेडिकल कॉलेजों में नये छात्र पहली बार मानव शरीर की चीरफाड़ देखते वक्त चकित और उत्साहित हो जाते हैं.

कई मामले ऐसे भी देखने को मिले हैं जिनमें पुरुष सिर्फ अपना पौरुष दिखाने के लिए घरेलू हिंसा को अंजाम देता है

खैर, औरत का पति अपने काम में जुटा हुआ था और पूरी ताकत से बेंत चला रहा था, मानो वो अपनी मर्दानगी का इम्तेहान दे रहा हो. वो साबित कर देना चाहता था कि वो स्वस्थ और मजबूत है, और बहुत तेज 'वार' करता है. वहां मौजूद औरतें मार खा रही औरत को ही भला-बुरा कह रहीं थीं, और पुरुष उस आदमी की हौसलाअफजाई कर रहे थे.

अगले चरण में उस आदमी ने अपनी पैन्ट से बेल्ट निकाल कर उस औरत के मुंह पर मारना शुरू कर दिया था. वो लगातार बेल्ट मार रहा था, जैसे वो कोई सनकी हो, और पत्नी को पीटने के किसी अज्ञात-आदिम खेल में अपने प्रदर्शन से पूरे समाज को मोह लेना चाहता हो. वो आदमी औरत को पीटते-पीटते खुद थक कर हांफ रहा था, लेकिन रुक नहीं रहा था. वो ज़ाहिर नहीं करना चाहता था कि वो 'थकता' भी है.

मैं इसके आगे नहीं देख पाया. मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था, पर ये समझने में मुझे बहुत कम समय लगा कि उस तमाशे में सबकी अपनी-अपनी भूमिका थी, जिससे वो बच नहीं सकते थे. मार खा रही औरत के लिए बच पाना जितना कठिन था, उतना ही कठिन उस आदमी के लिए औरत को पीटने से इनकार करना था. मार खा रही औरत को भला-बुरा कहने वाली औरतें भी दरअसल उसे कोसने से नहीं बच सकती थीं. हजारों साल लगे हैं इस तमाशे की स्क्रिप्ट तैयार होने में.

समझने की बात है कि इस सामाजिक घटना का हर चरित्र अपनी भूमिका से इस कदर बंधा हुआ है कि उसकी तय भूमिका से उसका विचलन, उसके समाज में उसकी विश्वसनीयता को संकट में डाल देगा। ऐसे में बहुत हद तक संभव है कि मार खा रही स्त्री ही नहीं, उसे पीट रहा उसका पति भी इस मारपीट से बचना ही चाहते हों। बिल्कुल संभव है कि उस पुरुष को प्रोत्साहित करने वाली पुरुषों की भीड़ में तमाम पुरुष ऐसे हों जो मन ही मन इस हिंसा के विरूद्ध हों, और इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि उस स्त्री को उलाहना देने वाली अनेक स्त्रियों को न चाहते हुए भी उलाहना देने का अभिनय करना पड़ रहा हो, जबकि वे स्वयं उस स्त्री के निर्दोष होने की गवाह हों.

पर ये सभी अपने हालात से मजबूर हैं. ढांचा ऐसा है कि स्त्री पर एडल्ट्री या परपुरुषगमन का आरोप लगने के बाद यदि उसका पति उसके साथ हिंसा नहीं करता तो उसका पौरूष कटघरे में आ जाएगा.अगर अन्य पुरुष इस कृत्य में उसको प्रोत्साहित नहीं करेंगे तो उन पर औरतों को ‘ढील’ देने का आरोप लगना तय है, और उस समाज की बाकी स्त्रियां... उन्होंने अगर पीटी जा रही स्त्री को उलाहना देने में कमी की, तो इस बात का पूरा जोखिम है कि इस सामाजिक घटना के अगले अंक की नायिका वही हों, और खूंटे से बंधी पायी जाएं.

ये भी पढ़ें -

घरेलू हिंसा का मुहतोड़ जवाब देने का एक तरीका यह भी...

दुर्गा की पूजा करने वाले देश में 'लक्ष्मी' की पिटाई तो रिवाज़ है!

महिला दिवस पर अपराध और अत्याचार के ये आंकड़े जानना जरूरी


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲