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स्वामी आग्निवेश और लाइव टीवी शो पर महिला की पिटाई, दोनों लिंचिंग की निशानी है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 19 जुलाई, 2018 01:46 PM
  • 19 जुलाई, 2018 01:45 PM
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चाहे स्वामी अग्निवेश के साथ हुई मारपीट हो या फिर एक लाइव टीवी शो में महिला के साथ हई थप्‍पड़बाजी. दोनों घटनाएं बताती हैं कि विरोधी विचारों का दमन करने के लिए हम किसी भी हद तक जा सकते हैं.

लिंचिंग क्‍या है? सिर्फ यही न कि किसी को दुश्‍मन मानकर उसे सारेआम मौत के घाट उतार दिया जाए. चाहे वह कितना ही अंजान हो. अब ही में हुई दो घटनाएं के उदाहरण से इसे समझते हैं. पहले झारखंड में स्‍वामी अग्निवेश को निशाना बनाकर हुई मारपीट. और फिर एक लाइव टीवी शो में बहस के दौरान एक मौलाना का महिला वकील पर हमला. दोनों ही मामलों में विरोधी विचारों से नफरत का मामला सामने आया है. गनीमत ये है कि स्‍वामी अग्निवेश की जान बच गई और टीवी शो पर महिला को बचाने वाले मौजूद थे.

दूरदर्शन का दौर हम में से शायद ही कोई भूला हो. हमारे पास टीवी देखने का एक्सेस बहुत लिमिटेड था. न्यूज हम सिर्फ कुछ मिनटों के लिए देखते थे. उन कुछ मिनटों में ही हमें ये बता दिया जाता था कि कहां क्या हुआ. तब की बात अलग थी आज की बात अलग है. आज हमारे पास 24 घंटे के खबरिया चैनल के रूप में सैकड़ों विकल्प हैं. मगर समस्या ये है कि हम क्या देखें. आज न्यूज चैनल से न्यूज गायब हैं. उनकी जगह बड़े बड़े पैनल हैं जिनकी हर एक मुद्दे पर राय है. ऐसे पैनल उन तमाम डिबेट में तल्लीन हैं, जिसका नतीजा शायद ही आज तक कभी निकला हो.

टीवी चैनल्स की इन डिबेट की एक खास बात ये भी है कि शुरू में शांत लगने वाले ये पैनल कब उग्र हो जाते हैं और गली गलौज और उसके बाद मार पीट पर उतर आते हैं हमें पता ही नहीं चलता. इस बात को जो हमें समझना हो तो हमें 17 जुलाई 2018 इस तारीख को अपने जहन में रखना होगा. ये तारीख इतिहास में दर्ज हो चुकी है. इस तारीख के इतिहास में इंगित होने के दो कारण हैं पहला स्वामी अग्निवेश दूसरा एक निजी टीवी चैनल पर तीन तलाक के विषय में चल रही लाइव डिबेट.

जिस तरह स्वामी अग्निवेश की पिटाई हुई उसने हमारे कानून को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है

17 जुलाई 2018 को बंधुओं मज़दूरों के हक की लड़ाई...

लिंचिंग क्‍या है? सिर्फ यही न कि किसी को दुश्‍मन मानकर उसे सारेआम मौत के घाट उतार दिया जाए. चाहे वह कितना ही अंजान हो. अब ही में हुई दो घटनाएं के उदाहरण से इसे समझते हैं. पहले झारखंड में स्‍वामी अग्निवेश को निशाना बनाकर हुई मारपीट. और फिर एक लाइव टीवी शो में बहस के दौरान एक मौलाना का महिला वकील पर हमला. दोनों ही मामलों में विरोधी विचारों से नफरत का मामला सामने आया है. गनीमत ये है कि स्‍वामी अग्निवेश की जान बच गई और टीवी शो पर महिला को बचाने वाले मौजूद थे.

दूरदर्शन का दौर हम में से शायद ही कोई भूला हो. हमारे पास टीवी देखने का एक्सेस बहुत लिमिटेड था. न्यूज हम सिर्फ कुछ मिनटों के लिए देखते थे. उन कुछ मिनटों में ही हमें ये बता दिया जाता था कि कहां क्या हुआ. तब की बात अलग थी आज की बात अलग है. आज हमारे पास 24 घंटे के खबरिया चैनल के रूप में सैकड़ों विकल्प हैं. मगर समस्या ये है कि हम क्या देखें. आज न्यूज चैनल से न्यूज गायब हैं. उनकी जगह बड़े बड़े पैनल हैं जिनकी हर एक मुद्दे पर राय है. ऐसे पैनल उन तमाम डिबेट में तल्लीन हैं, जिसका नतीजा शायद ही आज तक कभी निकला हो.

टीवी चैनल्स की इन डिबेट की एक खास बात ये भी है कि शुरू में शांत लगने वाले ये पैनल कब उग्र हो जाते हैं और गली गलौज और उसके बाद मार पीट पर उतर आते हैं हमें पता ही नहीं चलता. इस बात को जो हमें समझना हो तो हमें 17 जुलाई 2018 इस तारीख को अपने जहन में रखना होगा. ये तारीख इतिहास में दर्ज हो चुकी है. इस तारीख के इतिहास में इंगित होने के दो कारण हैं पहला स्वामी अग्निवेश दूसरा एक निजी टीवी चैनल पर तीन तलाक के विषय में चल रही लाइव डिबेट.

जिस तरह स्वामी अग्निवेश की पिटाई हुई उसने हमारे कानून को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है

17 जुलाई 2018 को बंधुओं मज़दूरों के हक की लड़ाई लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश पर पाकुड़ के भीड़-भाड़ वाले इलाके में हमला हुआ था. हमलावरों ने न सिर्फ उनके खिलाफ नारे लगाए  बल्कि उन्हें बीच सड़क पर उन्हें बुरी तरह पीटा. भीड़ में मौजूद लोगों ने उनके कपड़े फाड़ डाले और गलियां भी दीं.

बताया जा रहा है कि इस हमले में उन्हें आंतरिक चोटें भी आई हैं. आपको बताते चलें कि इस घटना के बाद अग्निवेश ने मुख्य सचिव को फ़ोन कर कार्रवाई की मांग की थी. स्वामी अग्निवेश दोपहर में पब्लिक से पिटे थे मगर हद तो तब हुई जब शाम को एक निजी टीवी चैनल पर हुई मारपीट के विजुअल अन्य चैनलों और इंटरनेट पर आए. इन विजुअल्स में एक मौलाना टीवी शो में आई एक अन्य गेस्ट पर हाथ उठाते नजर आए.

क्या था मामला

एक निजी चैनल पर लाइव डिबेट कार्यक्रम के दौरान तीन तलाक मुद्दे पर बहस हो रही थी. बहस के लिए बरेली की निदा खान के अलावा चैनल द्वारा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मुफ्ती एजाज अरशद कासमी, तीन तलाक की मुख्य याचिकाकर्ता फराज फैज, सामाजिक कार्यकर्ता अंबर जैदी को भी बुलाया गया. एंकर के तीखे सवालों के बाद स्टूडियों का माहौल गर्म था. गर्मी थी तो बहस का उग्र होना लाजमी था. बहस ने कब नोक झोंक और गाली गलौज का रूप ले लिया पता ही नहीं चला.

ऐसा पहली बार है जब किसी लाइव शो में महिला की पिटाई हुई है

बरेली के आला हजरत खानदान की बहू रह चुकी निदा खान ने आला हजरत दरगाह की ओर से जारी फतवे का विरोध किया तो मौलाना से उनकी बहस तेज हो गई. यहां तक की स्थिति एंकर ने जैसे तैसे संभल ली मगर इसके बाद जो हुआ वो न सिर्फ आश्चर्य में डालने वाला था बल्कि उसने कहीं न कहीं सम्पूर्ण मीडिया जगत को शर्मिंदा कर दिया है. नोक झोंक के बाद, बात इतनी बढ़ गई की महिला ने मौलाना पर हाथ छोड़ दिया. मार खाने के बाद मौलाना ने भी अपने बचाव में पलटवार करते हुए महिला पर थप्पड़ों की झड़ी लगा दी. चूंकि मामला गंभीर था तो पुलिस आई और मौलाना को हिरासत में  लेकर चली गई.

अब तक इसी की कमी थी

जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि न्यूज चैनल पर चलने वाली ज्यादातर बहस निरर्थक रहती हैं और उनका कोई नतीजा नहीं निकल पाता. अब तक हम केवल पैनल में आए लोगों को एक दूसरे पर चिल्लाते, एक दूसरे के नज्देक आते देखते थे. मगर इस ताजे मामले को देखकर ये कहने में गुरेज नहीं है कि 'मारपीट' ही इन बहसों का अंतिम परिणाम  था जो इस शो के जरिये हमारे सामने आ चुका है.

इससे पहले स्वामी ओम के साथ हुआ था कुछ ऐसा

हिंदुस्तान के इतिहास में ये दूसरी घटना है जब लाइव शो में ऐसी नौबत आई. इससे पहले ऐसा हम स्वामी ओम के साथ एक अन्य निजी चैनल पर देख चुके थे और वहां भी स्वामी ॐ के साथ मामूली धक्का मुक्की ही हुई थी.

ऐसे मंजर पहले हमने पाकिस्तान में देखे थे

जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. ऐसे विजुअल यदि पाकिस्तान से आते तो इसे एक आम बात मान लिया जाता. मगर इन विजुअल्स का भारत से आना न सिर्फ शर्मनाक है बल्कि एक गहरी चिंता का विषय है. इस घटना ने हमें कहीं न कहीं ये बता दिया है अब हमारे बीच से संयम और शर्म दोनों ही पूरी तरह से उठ चुका है और हम उस हद तक पहुंच गए हैं जो हमें गर्त के अंधेरों में ढकेल रही है.

अगर ये शो स्क्रिप्टेड था तो ये वाकई निंदनीय है

कुछ लोग इस शो को स्क्रिप्टेड बता रहे हैं और कह रहे हैं कि इस शो का निर्माण सिर्फ एक दूसरे से आगे निकलने और टीआरपी की भूख को शांत करने के लिए किया गया है. खैर शो के बाद से अब तक चैनल पर इस घटना के एक के बाद एक लगातार अपडेट आ रहे हैं. इन अपडेट्स को देखकर विश्वास हो जाता है कि कहीं न कहीं ये शो स्क्रिप्टेड था. यदि चैनल ने सोच समझ के और अपनी टीआरपी के लिए ऐसा किया है तो ये पूरा मामला और ज्यादा शर्मनाक है और इसने मीडिया को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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