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दुर्भाग्य, कोरोना की स्थिति को सुप्रीम कोर्ट ने 'आपातकाल' कहा, सरकारों ने नहीं!

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 22 अप्रिल, 2021 07:25 PM
  • 22 अप्रिल, 2021 07:25 PM
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दिल्ली, बॉम्बे, सिक्किम, ओडिशा, कलकत्ता और इलाहाबाद हाईकोर्ट में कोविड से जुड़े जनहित मामले हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि अलग-अलग कोर्ट में मामलों के चलने से भ्रम पैदा हो रहा है. उधर, बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र के प्रतिनिधि को बताया कि वो अभी कोविड मामलों की सुनवाई करता रहेगा.

जब सरकार कड़े फैसलों से बचती दिख रही है सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए महामारी के खिलाफ सरकार की तैयारियों पर चार बिंदुओं (ऑक्सीजन, दवाओं की सप्लाई, टीकाकरण और लॉकडाउन) पर जवाब मांगा है. जन स्वास्थ्य के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी के मौजूदा हालात को लगभग "राष्ट्रीय आपातकाल" करार दिया है. कायदे से सरकार को महामारी की रफ़्तार और चरमराई हेल्थ सिस्टम को देखते हुए राष्ट्रीय आपातकाल की तरह ही काम करना था. विपक्ष को भी इसके लिए दबाव बनाना था. लेकिन राजनीतिक व्यवस्था ने सड़कों पर लोगों को ऑक्सीजन, दवाओं के लिए बिलबिलाने पर छोड़ दिया. जोखिमभरे फैसले लेने वाली मोदी सरकार भी दूसरे सख्त लॉकडाउन की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है. अब तक कोई ठोस एक्शन प्लान नहीं दिखा जिसकी मदद से मौतों और महामारी को एक सीमा पर रोका जा सके. ऐसे हालात में जनता के लिए मोर्चे पर हमारी अदालतों का सामने आना व्यवस्था की कारगर जवाबदेही तय करने में मददगार होगा.

अलग-अलग हाईकोर्ट के आदेशों के बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने वेदांता की याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की बेंच ने कोविड केयर के लिए ऑक्सीजन और दवाओं जैसी अति आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति के लिए केंद्र सरकार को नोटिस दिया. कोविड के खिलाफ जंग को लेकर सरकार की तैयारियों से जुड़ा प्लान भी प्रस्तुत करने को कहा.

इसके साथ ही देश के छह अलग-अलग हाईकोर्ट में चल रहे मामलों को भी सुप्रीम कोर्ट ने खुद ले लिया है. इस वक्त दिल्ली, बॉम्बे, सिक्किम, ओडिशा, कलकत्ता और इलाहाबाद हाईकोर्ट में कोविड से जुड़े जनहित मामले हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि अलग-अलग कोर्ट में मामलों के चलने से भ्रम पैदा हो रहा है. उधर, बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र के प्रतिनिधि को बताया कि वो अभी कोविड मामलों की सुनवाई करता रहेगा.

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किन चार मुद्दों पर केंद्र...

जब सरकार कड़े फैसलों से बचती दिख रही है सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए महामारी के खिलाफ सरकार की तैयारियों पर चार बिंदुओं (ऑक्सीजन, दवाओं की सप्लाई, टीकाकरण और लॉकडाउन) पर जवाब मांगा है. जन स्वास्थ्य के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी के मौजूदा हालात को लगभग "राष्ट्रीय आपातकाल" करार दिया है. कायदे से सरकार को महामारी की रफ़्तार और चरमराई हेल्थ सिस्टम को देखते हुए राष्ट्रीय आपातकाल की तरह ही काम करना था. विपक्ष को भी इसके लिए दबाव बनाना था. लेकिन राजनीतिक व्यवस्था ने सड़कों पर लोगों को ऑक्सीजन, दवाओं के लिए बिलबिलाने पर छोड़ दिया. जोखिमभरे फैसले लेने वाली मोदी सरकार भी दूसरे सख्त लॉकडाउन की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है. अब तक कोई ठोस एक्शन प्लान नहीं दिखा जिसकी मदद से मौतों और महामारी को एक सीमा पर रोका जा सके. ऐसे हालात में जनता के लिए मोर्चे पर हमारी अदालतों का सामने आना व्यवस्था की कारगर जवाबदेही तय करने में मददगार होगा.

अलग-अलग हाईकोर्ट के आदेशों के बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने वेदांता की याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की बेंच ने कोविड केयर के लिए ऑक्सीजन और दवाओं जैसी अति आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति के लिए केंद्र सरकार को नोटिस दिया. कोविड के खिलाफ जंग को लेकर सरकार की तैयारियों से जुड़ा प्लान भी प्रस्तुत करने को कहा.

इसके साथ ही देश के छह अलग-अलग हाईकोर्ट में चल रहे मामलों को भी सुप्रीम कोर्ट ने खुद ले लिया है. इस वक्त दिल्ली, बॉम्बे, सिक्किम, ओडिशा, कलकत्ता और इलाहाबाद हाईकोर्ट में कोविड से जुड़े जनहित मामले हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि अलग-अलग कोर्ट में मामलों के चलने से भ्रम पैदा हो रहा है. उधर, बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र के प्रतिनिधि को बताया कि वो अभी कोविड मामलों की सुनवाई करता रहेगा.

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किन चार मुद्दों पर केंद्र सरकार को नोटिस?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो चार मुद्दों के आधार पर केंद्र को नोटिस भेजेगा. जिसमें पहला- ऑक्सीजन की सप्लाई, दूसरा - अतिआवश्यक दवाओं की सप्लाई, तीसरा- टीकाकरण की प्रक्रिया और तरीके और चौथा मुद्दा लॉकडाउन घोषित करने के अधिकार से जुड़ा है. पूरे मामले में कोर्ट ने हरीश साल्वे को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है. ऑक्सीजन और दवाओं की आपूर्ति में हर जगह से लगातार बाधा की खबरें आ रही हैं.

ऑक्सीजन किल्लत के मद्देनजर ही वेदांता ने अपनी याचिका में तमिलनाडु स्थित कॉपर यूनिट में रिपेयर और ऑक्सीजन प्लांट दोबारा शुरू करने की परमिशन मांगी थी. कंपनी का दावा है कि वो प्लांट से हजारों मीट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन कर सकता है, जो मुश्किल वक्त में देश के काम आ सकता है. कंपनी की ओर से हरीश साल्वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हियरिंग में शामिल हुए. साल्वे इस वक्त लंदन में हैं और आगे भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मामले में शामिल होंगे.

लॉकडाउन पर हाईकोर्ट से अलग है योगी सरकार की राय

इससे ठीक पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट ने भी केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि जिन अस्पतालों में कोरोना के गंभीर मरीजों का इलाज चल रहा है, वहां तत्काल ऑक्सीजन मुहैया कराई जाई. हाईकोर्ट ने केंद्र को ऑक्सीजन के इंडस्ट्री इस्तेमाल पर भी रोक लगाने का निर्देश दिया था. उधर, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पांच शहरों की बदहाल हालत को देखते हुए योगी सरकार को आदेश दिया था कि 26 अप्रैल तक वाराणसी, कानपुर नगर, प्रयागराज, लखनऊ और गोरखपुर में लॉकडाउन लगाया जाए.

हालांकि यूपी सरकार आर्थिक वजहों से लॉकडाउन नहीं लगाना चाहती और फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा चुकी है. मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लॉकडाउन को अंतिम विकल्प बताया था और इसे राज्यों के विवेक पर छोड़ दिया था. महाराष्ट्र ने बुधवार की शाम पूरे राज्य में कुछ नियमों के साथ लॉकडाउन लगाया है. जबकि कई और राज्य सरकारों ने अलग-अलग शहरों में नियम आधारित लॉकडाउन लगाए हैं.

क्यों अभी कोविड से जुड़े मामलों की सुनवाई करेगा बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज कहा कि वो कोविड से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करता रहेगा. लाइव लॉ के मुताबिक आज एक मामले की सुनवाई में केंद्र की ओर से शामिल हुए असिस्टेंट सोलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने हाईकोर्ट को बताया कि आज सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग हाईकोर्ट में चल रहे मामलों को खुद ले लिया है. इसलिए हाईकोर्ट में महामारी से जुड़े मामले की सुनवाई रोक दिया जाए. डिविजन बेंच को लीड कर रहे चीफ जस्टिस दीपंकर दत्ता ने कहा- जब तक सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट की प्रोसेडिंग्स पर स्टे नहीं लगा देता तब तक हाईकोर्ट महामारी से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर पहले की तरह सुनवाई करता रहेगा.

दरअसल, किसी मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई का अधिकार सुप्रीम कोर्ट के रोक लगाने के बाद ही ख़त्म होता है. अभी संबंधित PIL पर बॉम्बे हाईकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्टे ऑर्डर नहीं मिला है.

बॉम्बे हाईकोर्ट को केंद्र ने बताया- घर घर जाकर टीका देना क्यों असंभव

उधर, बॉम्बे हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने जानकारी दी है कि घर-घर जाकर कोविड के टीके लगाना संभव नहीं है. केंद्र ने डिविजन कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की बेंच में कई परेशानियों को गिनाया है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव सत्येन्द्र सिंह ने केंद्र की ओर से एक पीआईएल पर हियरिंग के दौरान हलफनामा देकर व्यावहारिक परेशानियां गिनाई.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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