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गर्भपात की वो 5 कहानियां जो आपको सोचने पर मजबूर कर देंगी!

    • ऑनलाइन एडिक्ट
    • Updated: 03 दिसम्बर, 2018 06:33 PM
  • 03 दिसम्बर, 2018 06:33 PM
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गर्भपात करवाना है या नहीं इसके बारे में मां फैसला ले तो बेहतर है. समाज किसी भी तरह से मां को फोर्स करे तो ये बेहद गलत है. एक मां ये बेहतर जान सकती है कि वो क्या कर रही है. उसे गिल्टी फील करवाना सही नहीं है.

गर्भपात या अबॉर्शन शब्द सुनने में तो बहुत सहज लगता है, लेकिन ये कितना असहज है ये उन महिलाओं से पूछा जा सकता है जिनके साथ ये हुआ है. ये किसी भयावह सपने की तरह ही होता है. अजन्मे बच्चे को मारना किसी के लिए भी आसान नहीं होता, लेकिन कई बार उस बच्चे को रखना न सिर्फ मां बल्कि उस बच्चे के लिए भी बहुत खराब होता है. सोशल वेबसाइट्स Quora और Reditt पर कई महिलाओं ने अपने गर्भपात की कहानियां सुनाई हैं. वो महिलाएं जिन्हें अपने फैसले सही लगे. कुछ के लिए ये ऐसा था जैसे अपने शरीर का एक हिस्सा काटकर फेंक देना.

गर्भपात करवाना है या नहीं इसके बारे में मां फैसला ले तो बेहतर है. समाज किसी भी तरह से मां को फोर्स करे तो ये बेहद गलत है

1. एक दर्दनाक अहसास

मेरे लिए अबॉर्शन किसी दर्दनाक अहसास की तरह था. मुझे डॉक्टर ने कई सारी गोलियां दी थीं और कई सारे इंस्ट्रक्शन जो बताते थे कि मुझे कब कौन सी गोली खानी है. मैंने दवाई खाई और कुछ ही देर में मुझे बहुत ज्यादा दर्द महसूस हुआ. इतना दर्द कि खड़े होते, बैठते नहीं बन रहा था. इतना दर्द कि मैं अपने पेट को पकड़ कर रोने लगी थी. मैं अमूमन काफी दर्द बर्दाश्त कर सकती हूं, लेकिन वो जिंदगी का सबसे खतरनाक पहलू था. उस दर्द के कारण कई बार ऐसा लगा जैसे मैं बेहोश हो जाऊंगी. ये दर्द दो-तीन दिन तक रहा और पीरियड्स करीब हफ्ते भर तक. पर जो खराब दौर था वो बीत चुका था. अब मैं बेहतर महसूस कर रही थी और मैं अपने फैसले से खुश थी.

2. 20 साल की उम्र में मां बनना खतरनाक हो जाता..

मैं अपने अबॉर्शन के बारे में सोचती हूं और मुझे गलत नहीं लगता. मैं अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ डेट कर रही थी और मैं जानती नहीं थी कि ऐसा हो जाएगा. मैं शहर में नई थी. उसके माता-पिता बहुत धार्मिक थे और वो मुझे डॉक्टर के क्लीनिक तक भी नहीं ले जा पाया....

गर्भपात या अबॉर्शन शब्द सुनने में तो बहुत सहज लगता है, लेकिन ये कितना असहज है ये उन महिलाओं से पूछा जा सकता है जिनके साथ ये हुआ है. ये किसी भयावह सपने की तरह ही होता है. अजन्मे बच्चे को मारना किसी के लिए भी आसान नहीं होता, लेकिन कई बार उस बच्चे को रखना न सिर्फ मां बल्कि उस बच्चे के लिए भी बहुत खराब होता है. सोशल वेबसाइट्स Quora और Reditt पर कई महिलाओं ने अपने गर्भपात की कहानियां सुनाई हैं. वो महिलाएं जिन्हें अपने फैसले सही लगे. कुछ के लिए ये ऐसा था जैसे अपने शरीर का एक हिस्सा काटकर फेंक देना.

गर्भपात करवाना है या नहीं इसके बारे में मां फैसला ले तो बेहतर है. समाज किसी भी तरह से मां को फोर्स करे तो ये बेहद गलत है

1. एक दर्दनाक अहसास

मेरे लिए अबॉर्शन किसी दर्दनाक अहसास की तरह था. मुझे डॉक्टर ने कई सारी गोलियां दी थीं और कई सारे इंस्ट्रक्शन जो बताते थे कि मुझे कब कौन सी गोली खानी है. मैंने दवाई खाई और कुछ ही देर में मुझे बहुत ज्यादा दर्द महसूस हुआ. इतना दर्द कि खड़े होते, बैठते नहीं बन रहा था. इतना दर्द कि मैं अपने पेट को पकड़ कर रोने लगी थी. मैं अमूमन काफी दर्द बर्दाश्त कर सकती हूं, लेकिन वो जिंदगी का सबसे खतरनाक पहलू था. उस दर्द के कारण कई बार ऐसा लगा जैसे मैं बेहोश हो जाऊंगी. ये दर्द दो-तीन दिन तक रहा और पीरियड्स करीब हफ्ते भर तक. पर जो खराब दौर था वो बीत चुका था. अब मैं बेहतर महसूस कर रही थी और मैं अपने फैसले से खुश थी.

2. 20 साल की उम्र में मां बनना खतरनाक हो जाता..

मैं अपने अबॉर्शन के बारे में सोचती हूं और मुझे गलत नहीं लगता. मैं अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ डेट कर रही थी और मैं जानती नहीं थी कि ऐसा हो जाएगा. मैं शहर में नई थी. उसके माता-पिता बहुत धार्मिक थे और वो मुझे डॉक्टर के क्लीनिक तक भी नहीं ले जा पाया. मेरी मां मुझे लेकर गईं. मैं खुश हूं कि वो मेरे साथ थीं. मैं क्लीनिक से वापस आ रही थी तब मैंने उससे ब्रेकअप कर लिया और वो मेरी जिंदगी के सबसे अच्छे फैसलों में से एक था. 7 महीने बाद मैं अपने होने वाले पति से मिली. उसे इस बारे में सब कुछ पता था. हम 7 सालों से साथ हैं और अब मेरी एक बेटी भी है. मैं खुश हूं कि मेरा परिवार उस इंसान के साथ शुरू हुआ जो मुझे समझता है और खुश रख सकता है.

3. अन्य लोगों ने मेरे मन में गिल्ट पैदा कर दिया

मैं अपने अबॉर्शन पर बुरा महसूस नहीं कर रही थी. मुझे मां नहीं बनना था और मैं नहीं बनी. मैं पूरी तरह से बर्थ कंट्रोल का इस्तेमाल करती हूं, लेकिन फिर भी प्रेग्नेंट हो गई. मैं बच्चा नहीं चाहती थी और मैंने अबॉर्शन के बारे में सोचा, लेकिन जब मैं ऐसा करने पहुंची तो वहां क्लीनिक में मौजूद लोगों ने मुझे काफी कुछ समझाने की कोशिश की. उनके हिसाब से बच्चे भगवान का रूप होते हैं और धार्मिक तौर पर बच्चा गिराना पाप है. मेरे परिवार वाले भी बेहद नाराज थे क्योंकि गर्भपात धार्म के खिलाफ है. मैंने किसी की नहीं सुनी, लेकिन मुझे बुरा महसूस करवाने की कोशिश की गई. मैं अपने फैसले से खुश हूं और मैंने जो भी किया वो सही किया.

4. बच्चे को एक दर्दनाक मौत से बचाने के लिए करवाया अबॉर्शन

रेडिट पर एक यूजर ने अपना एक्सपीरियंस शेयर किया. वो अपना इलाज करवा रही थीं ताकि मां बन सके. बहुत लंबे इलाज के बाद उनके और उनके पति (अब एक्स पति) के दरवाजे खुशियां आने वाली थीं. 5 महीने की प्रेग्नेंसी पूरी ठीक चली, लेकिन बाद में एक हफ्ते बाद ही उन्हें अल्ट्रासाउंड के जरिए एक खराब मिली. डॉक्टरों ने एक्सपर्ट के पास जाने की सलाह दी. एक्सपर्ट ने और बेहतर कैमरे से अल्ट्रासाउंड किया और देखा कि बच्चे को anencephaly (एक मेडिकल कंडीशन जिसमें बच्चे की खोपड़ी पूरी नहीं बनती है.) थी. वो या तो डिलिवरी के समय ही मर जाएगा, या फिर कुछ घंटे या कुछ दिनों में. उन्हें जल्दी ये फैसला लेना था कि बच्चे को पैदा करना है या नहीं क्योंकि 6 महीने बाद अबॉर्शन नहीं हो सकता था. बच्चे की खातिर उन्होंने अबॉर्शन की सोची. जब वो ये करवाने गईं तो बच्चा काफी बन चुका था. पर फिर भी उन्होंने ये फैसला लिया. बाद में पता चला कि बच्चे के हाथ और पैर भी पूरे नहीं बने थे और सिर भी. अगर वो कुछ घंटे भी जीता तो उसे बहुत तकलीफ होती. उन्हें मालूम था कि वो फिर कभी मां नहीं बन पाएंगी, लेकिन उन्होंने अपने बच्चे को एक भयानक तकलीफ से बचा लिया.

5. उनकी कहानी जो अबॉर्शन नहीं करवा सके-

रेडिट पर एक थ्रेड में दो ऐसी महिलाओं की कहानी भी थी जो या तो धार्मिक कारणों से या फिर कानूनी तौर पर अबॉर्शन नहीं करवा सकी थीं. पहली थी वो लड़की जिसके साथ रेप हुआ था और वो बहुत धार्मिक थी और इसलिए अबॉर्शन धर्म के हिसाब से गलत मानती थी. उसने खुद को इतनी मानसिक प्रताड़ना दी, शराब पीने की कोशिश की, ताकि खुद ही बच्चा गिर जाए. आखिरकार ऐसा नहीं हुआ और उसने एक रेप से हुए बच्चे को जन्म दिया.

दूसरी महिला का पति महीनों तक विदेश में रहता था और उसका अफेयर हुआ और वो प्रेग्नेंट हो गई. वो ऐसी जगह रहती थी जहां गर्भपात कानूनी तौर पर मान्य नहीं था. उस महिला ने खुद को सीढ़ियों पर से गिराने की कोशिश की, खुद को दीवारों पर पटका, खाना बंद कर दिया ताकि उसका बच्चा गिर जाए.

सोर्स: रेडिट

ये दोनों ही किस्से ये बताते हैं कि महिलाओं के लिए किसी अनचाहे बच्चे को जन्म देना कितना कठिन हो सकता है. ये सच है कि गर्भपात एक भयावह तस्वीर दिखाता है, लेकिन उतना ही सच ये भी है कि एक अनचाहा बच्चा खास तौर पर उस मां पर असर डालता है जो चाहकर भी उसे वो प्यार नहीं दे पाती. कई बार रेप से जन्मे बच्चे मां के लिए एक ऐसी याद की तरह होते हैं जो हमेशा उन्हें अपने साथ हुई वारदात से अवगत करवाते रहे. अबॉर्शन करवाना है या नहीं ये मां पर निर्भर होना चाहिए और यकीनन चाहें कुछ भी हो ये फैसला एक मां ले सकती है कि उसे एक नई जिंदगी को दुनिया में लाना है या नहीं. कोई कुछ भी कहे, लेकिन गर्भपात के मामले में सिक्के के दोनों पहलुओं को देखना जरूरी है. फिर चाहें वो अफेयर के कारण हो, रेप के कारण या फैमिली प्लानिंग के कारण, लेकिन अगर मां नहीं चाहती कि बच्चा हो तो उसे ये फैसला लेने का पूरा हक होना चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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