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सोनाली फोगाट की बेटी ने मुखाग्नी देने के लिए कितनी हिम्मत की होगी, मां को विदा करना आसान तो नहीं

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 26 अगस्त, 2022 07:39 PM
  • 26 अगस्त, 2022 07:39 PM
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यशोधरा फोगाट का मन कह रहा होगा है कि काश मां कहीं से आकर सिर्फ एक बार मिल जाए तो, वह उससे वो सारी बातें कह दें जो अधूरी रह गईं थीं. दुनिया से जाने वाली सोनाली फोगाट की आखिरी निशानियों को संभालने में अब इस बच्ची की उम्र बीतेगी...

सोनाली फोगाट (Sonali Phogat) की अर्थी को कंधा देते समय आज इस 15 साल की बेटी के कदम शायद लड़खड़ा गए होंगे. मां को मुखाग्नि देते वक्त उसकी आंखों में उसका बचपन उतर आया. उसकी चित्कार सुन आज मां ने उसे कसकर गले भी नहीं लगाया. दिलासा देने वाले तो बहुत अपने थे लेकिन मां तुम सा कोई इस जहां में कहां है?

जाने वाले तो दुनिया छोड़ जाते हैं मगर अपने पीछे ना जाने कितने किस्से और कहानियां छोड़ जाते हैं. उनके अपनों के मन में एक सूनापन हमेशा के लिए बस जाता है. दिल में बनी उस खाली जगह को लाखों लोग मिलकर भी पूरा नहीं कर पाते. कुछ है जो हर पल चुभता रहता है.

किसी अपने को खोने के बाद कभी खुद पर गुस्सा आता है कि तो कभी इस दुनिया पर...ऐसा लगता है कि काश यह कर लिया होता, काश वह कर लिया होता तो आज वो जिंदा होता.

सोनाली फोगाट आज पंचतत्व में विलीन हो गईं. उनकी बेटी यशोधरा फोगाट (yashodhara Phogat) की नजर से हम एक बेटी के एहसास को बयां कर रहे हैं. जो अपनी मां के जाने के बाद एकदम अकेले रह गई हैं. पिता के 6 साल पहले ही दुनिया छोड़कर चले जाने के बाद वह मां ही तो थी जो अपनी बेटी को बड़ी ही मजबूती के साथ संभालती थी.

 यशोधरा फोगाट का तो मन कर रहा होगा कि वह मां की गोद में आखिरी बार लिपटकर सो जाए

बेटियां मां के आंचल में थोड़ी झल्ली हो जाती हैं. मां के लाड़ में किसी को भी आंखें दिखा देती हैं. बेटियां सपने में भी मां के लिए बुरा सपना देख लें तो नींद में रो पड़ती हैं. ऐसे में सोचिए इस बच्ची का आज क्या होल होगा? अपनी मां का अंतिम संस्कार करने वाली यह बेटी आखिर कितनी हिम्मती होगी? यह किसी भी बेटी के लिए आसान नहीं है. बिल्कुल नहीं. बेटी का तो मन कर रहा होगा कि वह मां की गोद में आखिरी बार लिपटकर सो जाए. उसे पता तो होगा कि ममता की इस मूरत को...

सोनाली फोगाट (Sonali Phogat) की अर्थी को कंधा देते समय आज इस 15 साल की बेटी के कदम शायद लड़खड़ा गए होंगे. मां को मुखाग्नि देते वक्त उसकी आंखों में उसका बचपन उतर आया. उसकी चित्कार सुन आज मां ने उसे कसकर गले भी नहीं लगाया. दिलासा देने वाले तो बहुत अपने थे लेकिन मां तुम सा कोई इस जहां में कहां है?

जाने वाले तो दुनिया छोड़ जाते हैं मगर अपने पीछे ना जाने कितने किस्से और कहानियां छोड़ जाते हैं. उनके अपनों के मन में एक सूनापन हमेशा के लिए बस जाता है. दिल में बनी उस खाली जगह को लाखों लोग मिलकर भी पूरा नहीं कर पाते. कुछ है जो हर पल चुभता रहता है.

किसी अपने को खोने के बाद कभी खुद पर गुस्सा आता है कि तो कभी इस दुनिया पर...ऐसा लगता है कि काश यह कर लिया होता, काश वह कर लिया होता तो आज वो जिंदा होता.

सोनाली फोगाट आज पंचतत्व में विलीन हो गईं. उनकी बेटी यशोधरा फोगाट (yashodhara Phogat) की नजर से हम एक बेटी के एहसास को बयां कर रहे हैं. जो अपनी मां के जाने के बाद एकदम अकेले रह गई हैं. पिता के 6 साल पहले ही दुनिया छोड़कर चले जाने के बाद वह मां ही तो थी जो अपनी बेटी को बड़ी ही मजबूती के साथ संभालती थी.

 यशोधरा फोगाट का तो मन कर रहा होगा कि वह मां की गोद में आखिरी बार लिपटकर सो जाए

बेटियां मां के आंचल में थोड़ी झल्ली हो जाती हैं. मां के लाड़ में किसी को भी आंखें दिखा देती हैं. बेटियां सपने में भी मां के लिए बुरा सपना देख लें तो नींद में रो पड़ती हैं. ऐसे में सोचिए इस बच्ची का आज क्या होल होगा? अपनी मां का अंतिम संस्कार करने वाली यह बेटी आखिर कितनी हिम्मती होगी? यह किसी भी बेटी के लिए आसान नहीं है. बिल्कुल नहीं. बेटी का तो मन कर रहा होगा कि वह मां की गोद में आखिरी बार लिपटकर सो जाए. उसे पता तो होगा कि ममता की इस मूरत को वह कभी नहीं देख पाएगी.

सुबह जगने पर मां, सोने से पहले मां, दर्द में मां, खुशी में मां...बेटियां जब किशोरावस्था में पहुंचती हैं तो मांएं उनकी सबसे खास सहेली बन जाती है. मां ये ड्रेस कैसी है? मां हेयरस्टाइल मुझ पर कैसा लग रहा है? मां आज डिनर क्या करेंगे? यशोधरा की इन तमाम सवालों का जवाब भी तो मां ही देती होगी मगर अब कौन उसे निहारेगा...कौन कहेगा कि अच्छे से खाया कर तुझे डाइट करने की जरूरत नहीं है...

लोग कहते हैं कि समय के साथ हर जख्म भर जाता है लेकिन वे झूठ कहते हैं, क्योंकि दुनिया से जाने वाले की हर रोज याद आती है. उसका जिक्र के बिना एक दिन नहीं कटता. हम उसकी आखिरी निशानियों को संभालने में उम्र बिता देते हैं. फोन में उसकी तस्वीरें, उसकी आवाज की रिकॉर्डिंग, उसके हाथों से बने मसालों की खुशबू, उसका परफ्यूम, उसकी गाड़ी, उसके कपड़े और कमरे में हम हर पल उसे अपने ख्यालों में देखते हैं. वह तो हमें छोड़कर चला जाता है, लेकिन हम जाने वाले के एक हिस्से को अपने अंदर हर जगह लिए घूमते फिरते हैं. घर की मुंडेर उसके बिना अधूरी लगती है. उसके पसंद के खाने की खुशबू हमारे मन को झंझोर देती है.

यशोधरा का मन कह रहा होगा है कि काश मां कहीं से आकर सिर्फ एक बार मिल जाए, तो वह उससे वो सारी बातें कह दें जो अधूरी रह गईं थीं. मां, हमने कितने तो सपने देखे थे, अभी तो मुझे तुम्हें दुनिया की हर खुशी देनी थी जो तुम डिजर्व करती थी. तुम्हारी बेटी अभी इतनी भी बड़ी नहीं हुई, मैं तो एक दिन तुम्हारे बिना घर नहीं संभाल पाती तो फिर अकेले दुनिया कैसे संभालूंगी?

देखो ना, तुम्हारे जाने के बाद घर में कितना अंधेरा भर गया है. देखो मां, मैं तुम्हें आवाज दे रही हूं. सुन रही हो ना... तो फिर मुझे डांट क्यों लगाती? तुम्हारी आवाजें घर के घर कोने में चीख रही हैं, मगर तुम दिख नहीं रही.

तुमने कहा था कि हम सर्दियों में घूमने जाएंगें. फोन में सेव तुम्हारे इस नंबर का क्या करूं और ये इंस्टाग्राम पर तुम्हें अनफ्रेंड कैसे करूं? नहीं ये मुझसे ना हो पाएगा, क्योंकि तुम अभी में मेरे लिए जिंदा है. यही सोचकर तो मैं जी रही हूं. कभी-कभी अचानक से तुम्हार चेहरा आंखों के सामने उभर आता है. कभी लगता है कि तुम मेरा ना पुकार रही है. मैं बैचेन हो जाती हूं. मन करता है कि कहीं से भागकर तुम्हारे गले लग जाऊं. मन में घबराहट होती है लेकिन तुम मेरे पास क्यों नहीं हो?

मेरी मां के दोषियों को सजा मिलनी चाहिए-

 

 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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