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जिंदगी की बैंड बजा रहे हैं ये एप्स, क्या आप भी हैं भुक्तभोगी

    • सोनाक्षी कोहली
    • Updated: 29 मई, 2017 04:15 PM
  • 29 मई, 2017 04:15 PM
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जहां इंस्टाग्राम अविवादित तौर पर लोगों के लाइफ की ऐसी-तैसी करने में सबसे ऊपर है तो वहीं स्नैपचैट और फेसबुक जैसे साइट भी जिंदगी की मिट्टी पलीद करने में कहीं पीछे नहीं हैं. आखिर सब एक ही थैले के चट्टे-बट्टे हैं, हैं ना?

रॉयल सोसाइटी फॉर पब्लिक हेल्थ द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वे में जीवन से जुड़ा एक कड़वा सच सामने आया है. इस सर्वे में पाया गया है कि स्नैपचैट, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हमारी हंसती-खेलती जिंदगी को बर्बाद कर रहे हैं. इतना ही नहीं भरे-पूरे संसार में चिंता और दूसरों की खुशी देखकर दुखी होते रहते हैं.

एक ओर जहां इंस्टाग्राम अविवादित तौर पर लोगों के लाइफ की ऐसी-तैसी करने में सबसे ऊपर है तो वहीं स्नैपचैट और फेसबुक जैसे साइट भी जिंदगी की मिट्टी पलीद करने में कहीं पीछे नहीं हैं. आखिर सब एक ही थैले के चट्टे-बट्टे हैं, हैं ना?

सोशन मीडिया ने निजी जिंदगी की बैंड बजा दी है

एक तरीके से देखें तो सब एक जैसे ही हैं लेकिन फिर भी एक दूसरे से अलग हैं क्योंकि सब अपने-अपने तरीके से लोगों के लाइफ में चरस बोते हैं.

सबसे पहले बात करते हैं स्नैपचैट की-

मुझे तो लगता है कि इसका नाम स्नैपचैट नहीं बल्कि स्लैप-चैट (Slap chat) होना चाहिए था. अगर आपको किसी भी तरीके से इस बात की गलतफहमी है कि चरस बोने के क्रिया की शुरूआत फेसबुक ने किया था और स्नैपचैट के नए नाम का हमने जो सुझाव दिया है वो किसी 'फन' ऐप के लिए बहुत कठोर है, तो फिर आपको इस नफरत के पीछे का कारण जरूर जानना चाहिए. आपको याद है कि जब स्नैपचैट ने दुनिया को अपने तथाकथित कूल लाइफ के लाइव मूमेंट को लोगों के साथ शेयर करने का 'सुनहरा' मौका दिया था? पूरे विश्व में लोगों को मानो कोई अलादीन का चिराग मिल गया था और उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा था. है ना?

इसके बाद तो मानो हर...

रॉयल सोसाइटी फॉर पब्लिक हेल्थ द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वे में जीवन से जुड़ा एक कड़वा सच सामने आया है. इस सर्वे में पाया गया है कि स्नैपचैट, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हमारी हंसती-खेलती जिंदगी को बर्बाद कर रहे हैं. इतना ही नहीं भरे-पूरे संसार में चिंता और दूसरों की खुशी देखकर दुखी होते रहते हैं.

एक ओर जहां इंस्टाग्राम अविवादित तौर पर लोगों के लाइफ की ऐसी-तैसी करने में सबसे ऊपर है तो वहीं स्नैपचैट और फेसबुक जैसे साइट भी जिंदगी की मिट्टी पलीद करने में कहीं पीछे नहीं हैं. आखिर सब एक ही थैले के चट्टे-बट्टे हैं, हैं ना?

सोशन मीडिया ने निजी जिंदगी की बैंड बजा दी है

एक तरीके से देखें तो सब एक जैसे ही हैं लेकिन फिर भी एक दूसरे से अलग हैं क्योंकि सब अपने-अपने तरीके से लोगों के लाइफ में चरस बोते हैं.

सबसे पहले बात करते हैं स्नैपचैट की-

मुझे तो लगता है कि इसका नाम स्नैपचैट नहीं बल्कि स्लैप-चैट (Slap chat) होना चाहिए था. अगर आपको किसी भी तरीके से इस बात की गलतफहमी है कि चरस बोने के क्रिया की शुरूआत फेसबुक ने किया था और स्नैपचैट के नए नाम का हमने जो सुझाव दिया है वो किसी 'फन' ऐप के लिए बहुत कठोर है, तो फिर आपको इस नफरत के पीछे का कारण जरूर जानना चाहिए. आपको याद है कि जब स्नैपचैट ने दुनिया को अपने तथाकथित कूल लाइफ के लाइव मूमेंट को लोगों के साथ शेयर करने का 'सुनहरा' मौका दिया था? पूरे विश्व में लोगों को मानो कोई अलादीन का चिराग मिल गया था और उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा था. है ना?

इसके बाद तो मानो हर किसी की जिंदगी का सिर्फ एक ही मकसद हो गया था. और वो ये थी कि दुनिया भर के लोगों को मैंने आज नाश्ते में क्या खाया या फिर लंच में क्या पचाया आदि आदि हो गया. लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है कि जो ऐप डेसपेरेट ब्वॉयफ्रेंड के लिए अपनी गर्लफ्रेंड की न्यूड फोटो देखकर गर्मी शांत करने का माध्यम बना था वही अब लोगों के लिए सिरदर्दी बन गया था.

फेसबुक और कुछ नहीं बल्कि अपने अतीत को देखकर परेशान रहने का एक मशहूर तरीका है-

फेसबुक ने ना सिर्फ हमें लोगों के बलात्कार, आत्महत्याओं और फेसबुक लाइव पर दिखने वाले उटपटांग अपडेट का गवाह बनाया बल्कि हर फेसबुक यूजर की निजी जिंदगी को दुनिया के निशाने पर रख दिया.

हालत ये है कि जैसे ही हम अपनी जिंदगी अपनी पुरानी बातों को भूलकर आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं, तो वो ये जरूर सुनिश्चित करता है कि तुरंत ही पुरानी, भूली-बिसरी यादों को सामने ला पटकता है. फिर चाहे वो याद किसी ऐसे जिगरी दोस्त की है जिससे हमारी दोस्ती पूरी जूतम-पैजार के बाद खत्म हुई है, या फिर उस एक्स की फोटो चमका देगी जिससे आपको ब्रेकअप बड़े ही गंदे नोट पर हुआ था. अगर इतना कम लग रहा हो तो फिर न्यूज फीड के जरिए लोगों की शादी और उनके छुट्टी की मस्तियों की फोटो देखकर कुढ़ते रहें.

Instagram को Insta-damn का नाम देना चाहिए!

क्योंकि हर बार जब भी आप इंस्टाग्राम पर फिटनेस के लिए पागल लोगों की बिल्कुल पिक्चर परफेक्ट बॉडी देखते हैं या फिर कुछ तथाकथित फू़डी लोगों के चने से लेकर बटर चिकन की फोटो देखते हैं तो जलन की सीमा नहीं रहती! हालांकि ये और बात है कि वो फू़डी लोग जरुरी नहीं कि सारा खाना खुद खाते ही हों बल्कि किसी और के खाने की फोटो अपने नाम से लगा देते हैं.

तो अगर आपको खुद पर बड़ा यकीन है और आपको लोग घमंडी समझते हैं तो फिर एक बार इंस्टाग्राम पर जाकर देखिए, पल भर में सारी अकड़ खत्म ना हो जाए तो कहिएगा.

तो, आशा है कि अब आप जान ही गए होंगे कि एक खुशहाल जीवन जीने का मंत्र क्या है? तुरंत इन सारे ऐप्स को अपने फोन और जिंदगी से डिलीट कर दें और उन्हें गंभीरता से लेना बंद करें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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