• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

सिलबट्टा vs मिक्सी: फेमिनिस्ट बनाम पेट्रिआर्की वाली लड़ाई में नया तड़का

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 24 जून, 2021 02:53 PM
  • 24 जून, 2021 02:51 PM
offline
सिलबट्टा और मिक्सी इंसान की ज़िंदगी में सुगमता लाने की नीयत से निर्मित किये गए ये दोनों उपकरण सोशल मीडिया की बदौलत वहां हैं जहां एक छोर पर फेमिनिस्ट मोर्चा संभाले हैं तो वहीं दूसरी ओर एंटी फेमिनिस्ट हैं. सोशल मीडिया विशेषकर फेसबुक पर जैसे हालात हैं उसके बाद ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि सिलबट्टे और मिक्सी सोशल मीडिया पर फेमिनिस्ट बनाम एन्टी फेमिनिस्ट की रेसिपी में पड़ा नया तड़का हैं.

इंस्टाग्राम को छोड़ दें तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक और ट्विटर बिल्कुल गली मोहल्ले की तरह हैं. हर बीतते दिन के साथ यहां पर मुद्दे अलग होते हैं. पोस्ट उसपर आए कॉमेंट्स और उनके रिप्लाई जनता को चकल्लस का पूरा मौका मिलता है. इंगेजमेंट का लेवल कुछ ऐसा होता है कि न केवल उसमें शामिल लोग बल्कि वो भी जो इसे देख रहे होते हैं उन्हें पूरा मजा मिलता है. अब सिलबट्टे और मिक्सी को ही देख लीजिए इंसान की ज़िंदगी में सुगमता लाने की नीयत से निर्मित किये गए ये दोनों उपकरण सोशल मीडिया की बदौलत वहां हैं जहां एक छोर पर फेमिनिस्ट मोर्चा संभाले हैं तो वहीं दूसरी ओर एंटी फेमिनिस्ट हैं. सोशल मीडिया विशेषकर फेसबुक पर जैसे हालात हैं उसके बाद ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि सिलबट्टे और मिक्सी सोशल मीडिया पर फेमिनिस्ट बनाम एन्टी फेमिनिस्ट की रेसिपी में पड़ा नया तड़का हैं. और स्थिति जब 'तड़के' वाली हो तो फिर लौ तो उठनी ही थी.

सिलबट्टे और मिक्सी ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस का आगाज़ कर दिया है

'सिलबट्टा बनाम मिक्सी' डिबेट तो बरसों से चली आ रही थी मगर नए सिरे से इसका श्री गणेश हुआ है और सेहरा शंभुनाथ शुक्ल नाम के शख्स के सिर बंधा है. माना जा रहा है कि फेसबुक पर ये शंभुनाथ शुक्ल ही थे जिन्होंने सिलबट्टा बनाम मिक्सी कर नारीवादियों को जंग के लुए मजबूर किया.

सिलबट्टा Vs मिक्सी क्या है पूरा मामला

जैसा कि हम पहले ही इस बात से अवगत करा चुके हैं कि फेसबुक पर ये रायता शंभुनाथ शुक्ल नाम के लेखक द्वारा फैलाया गया है. इसलिए हमारे लिए भी पूरा मामला समझ लेना बहुत ज़रूरी है. अभी बीते दिनों ही शंभुनाथ शुक्ल नाम के फेसबुकिया लेखक ने एक पोस्ट लिखी थी जिसमें इस बात का जिक्र था कि औरतों ने किचेन के सुस्वादु भोजन का जायका बिगाड़ दिया है'. भोजन के मद्देनजर शंभुनाथ...

इंस्टाग्राम को छोड़ दें तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक और ट्विटर बिल्कुल गली मोहल्ले की तरह हैं. हर बीतते दिन के साथ यहां पर मुद्दे अलग होते हैं. पोस्ट उसपर आए कॉमेंट्स और उनके रिप्लाई जनता को चकल्लस का पूरा मौका मिलता है. इंगेजमेंट का लेवल कुछ ऐसा होता है कि न केवल उसमें शामिल लोग बल्कि वो भी जो इसे देख रहे होते हैं उन्हें पूरा मजा मिलता है. अब सिलबट्टे और मिक्सी को ही देख लीजिए इंसान की ज़िंदगी में सुगमता लाने की नीयत से निर्मित किये गए ये दोनों उपकरण सोशल मीडिया की बदौलत वहां हैं जहां एक छोर पर फेमिनिस्ट मोर्चा संभाले हैं तो वहीं दूसरी ओर एंटी फेमिनिस्ट हैं. सोशल मीडिया विशेषकर फेसबुक पर जैसे हालात हैं उसके बाद ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि सिलबट्टे और मिक्सी सोशल मीडिया पर फेमिनिस्ट बनाम एन्टी फेमिनिस्ट की रेसिपी में पड़ा नया तड़का हैं. और स्थिति जब 'तड़के' वाली हो तो फिर लौ तो उठनी ही थी.

सिलबट्टे और मिक्सी ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस का आगाज़ कर दिया है

'सिलबट्टा बनाम मिक्सी' डिबेट तो बरसों से चली आ रही थी मगर नए सिरे से इसका श्री गणेश हुआ है और सेहरा शंभुनाथ शुक्ल नाम के शख्स के सिर बंधा है. माना जा रहा है कि फेसबुक पर ये शंभुनाथ शुक्ल ही थे जिन्होंने सिलबट्टा बनाम मिक्सी कर नारीवादियों को जंग के लुए मजबूर किया.

सिलबट्टा Vs मिक्सी क्या है पूरा मामला

जैसा कि हम पहले ही इस बात से अवगत करा चुके हैं कि फेसबुक पर ये रायता शंभुनाथ शुक्ल नाम के लेखक द्वारा फैलाया गया है. इसलिए हमारे लिए भी पूरा मामला समझ लेना बहुत ज़रूरी है. अभी बीते दिनों ही शंभुनाथ शुक्ल नाम के फेसबुकिया लेखक ने एक पोस्ट लिखी थी जिसमें इस बात का जिक्र था कि औरतों ने किचेन के सुस्वादु भोजन का जायका बिगाड़ दिया है'. भोजन के मद्देनजर शंभुनाथ शुक्ल का लिखना भर था नारीवादियों ने उन्हें घेर लिया है वहीं उनके समर्थन में वो लोग हैं जो खुद को एंटी फेमिनिस्ट बताते हैं और इसे अपनी शान समझते हैं.

सिलबट्टे के महत्व पर अपने ज्ञान की छींट मारते हुए शंभुनाथ शुक्ल ने लिखा था कि 'अगर आप स्वस्थ रहने के इच्छुक हैं तो योगा या रस्सा कूदने की ज़रूरत नहीं है. स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अच्छे पाकशास्त्री बनिये. घर में सिल-बट्टा और दरतिया ज़रूर रखिए. कैथा, मेथी दाना और नारियल की चटनी सिर्फ सिल-बट्टे से ही बन सकती है.

अपनी पोस्ट के जरिये शंभुनाथ शुक्ल ने नारीवादियों को आहत किया है

यहां तक तो उनकी बातों का सिर पैर था लेकिन इसके बाद जो उन्होंने कहा उसने नारीवादियों को आहत कर दिया. शंभुनाथ शुक्ल ने आगे लिखा कि 'औरतों ने किचेन के सुस्वादु भोजन का जायका बिगाड़ दिया है'. उनके अनुसार, 'मिक्सी की बजाय सिल-बट्टे पर पिसी चटनी का जायका ही अलग है. और अगर दाल बाटनी हो तो इसके लिए सिलबट्टा जरूरी है.'

सिलबट्टा वर्सेज मिक्सी मामले में महिलाओं की सेहत का हवाला देकर शंभुनाथ शुक्ल ने बड़ी ही चालाकी से बचने की कोशिश की मगर वो फेमिनिस्टों के जाल में फंस गए. अपनी पोस्ट के केंद्र में उन्होंने लिखा था कि 'इन दोनों (सिल-बट्टा और दरतिया) के इस्तेमाल से गठिया और वात की बीमारी नहीं होगी'. शंभुनाथ शुक्ल की इन बातों के बाद तमाम तरह के सवाल हो रहे हैं. कहा जा रहा है कि क्या औरतों और सिलबट्टे के बीच कोई खास संबंध है? कहीं ऐसा तो नहीं कि पुरुषों और सिलबट्टे के बीच कोई बैर है जो सांप और नेवले की तरह है और उसी के चलते एक सिलबट्टा नहीं चाहता कि पुरूष उसे छुए और दोनों के बीच दूरियां हो गईं.

मामले पर नारीवादियों के तर्क

चूंकि शुक्ल का पोस्ट सीधे सीधे महिलाओं को टारगेट कर रहा था इसलिए मामले पर फेमिनिस्टों का तर्क यही है कि क्या वर्तमान में घरों में वास करने वाली महिलाओं के पास इतना टाइम और ताकत है कि वो अपना समय सिल बट्टे पर मसाले पीसने में बर्बाद कर सकें? नारीवादी मान रहे हैं कि जब मिक्सी जैसा उपकरण हमारे पास मौजूद है तो व्यर्थ में हमें इस मूर्खता में पड़ने की क्या जरूरत. क्या सिल बट्टे पर पिसी चटनी या मसाला महिलाओं को कोई मेडल दिलवा देगा? जवाब सीधा है नहीं.

वहीं सेहत वाली बात पर भी इस एंटी फेमिनिस्ट पोस्ट पर फेमिनिस्टों के अपने तर्क हैं. कहा जा रहा है कि सिलबट्टे पर काम करने से सेहत ठीक रहती है ये अपनी तरह की एक अलग मक्कारी है. असल में पुरुष को यही लगता है कि यदि महिला सिलबट्टे पर काम कर रही है तो उसका वजन कम होगा. आखिर कौन पुरुष नहीं चाहता कि उसकी पत्नी दुबली पतली हो.

शंभुनाथ शुक्ल अपनी बात कहकर निकल चुके हैं मगर इस पूरे मामले में जैसी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं और जिस तरह से लोग तर्क दे रहे हैं साफ़ है कि लोगों और इनमें भी महिलाओं का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो शुक्ल की बात से इत्तेफाक नहीं रखता। फेसबुक पर तमाम महिलाएं ऐसी हैं जिनका मानना है कि ऐसी बातें ये बताने के लिए क़ाफी हैं कि पेट्रिआर्कि हमारी जड़ों में है जो इतनी आसानी से नहीं जाएगी.

बहरहाल विवाद का शुभारंभ हो गया है. जैसा सोशल मीडिया का दस्तूर है लोग भी अगले कुछ दिनों तक मामले के मद्देनजर मौज लेंगे फिर जैसे जैसे दिन आगे बढ़ेंगे सिलबट्टा एक किनारे हो जाएगा और मिक्सी भी अपनी जगह पड़ी रहेगी. कुछ दिनों की मौत है लेते रहिये। यूं भी अलग अलग विषयों को लेकर अआहत होने के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है.  

ये भी पढ़ें -

जिस ट्विटर पर प्रोपोगेंडा फैलाया, उसी ट्विटर पर जली कटी सुन रही हैं स्वरा भास्कर!

बेटी की दूसरी जाति में नहीं कराएंगे शादी, लड़की के दूसरे विवाह में कैसी दिक्कतें आती हैं?

नोरा फतेही की वो बातें, जो उन्हें फीमेल एक्टर्स का रणवीर सिंह बनाती हैं! 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲