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बेटी की दूसरी जाति में नहीं कराएंगे शादी, लड़की के दूसरे विवाह में कैसी दिक्कतें आती हैं?

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 23 जून, 2021 03:51 PM
  • 23 जून, 2021 03:51 PM
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घरवाले चिंता करने लगते हैं कि बेटी की आगे की जिंदगी कैसे बीतेगी. समाधान बस एक दिखता है कि दोबारा शादी करा दी जाए, लेकिन इसके बाद भी दिक्कतें कम नहीं होती. आइए हम उन समस्याओं के बारे में बात करते हैं जो एक लड़की की दोबारा शादी कराने के टाइम पर आती हैं.

शादी एक लड़की की जिंदगी का सबसे अहम फैसला होता है. परिवार वाले तो सब अच्छा देखकर ही बेटी की शादी कराते हैं लेकिन कई बार पति और घर-परिवार की सच्चाई बाद में पता चलती है. एक लड़की अपनी शादी को लेकर कितने सपने देखती है लेकिन शादी के बाद जब ससुराल की कड़वी सच्चाई का पता चलता है तो उसके सभी अरमान बिखर जाते हैं.

वह खुद को असहाय और मजबूर महसूस करती है. छोटी-मोटी बातें तो लड़कियां अपने मायके में बताती भी नहीं है. बेटियों को लगता है कि माता-पिता दुखी हो जाएंगे लेकिन कई बार बात इतनी बढ़ जाती है कि उनकी जान पर बन आती है.

ससुराल से बाहर निकाल दिए जाने वाले लड़कियां फिर कहां जाएंगाी

मान लीजिए पति शराबी निकल जाए और रोज दारू पीकर पत्नी को गाली दे, मार-पीट करे तो वह लड़की आखिर कैसे ससुराल में रह पाएगी. शादी के बाद लड़कियों को अगर सही लाइफ पार्टनर ना मिले तो उनकी जिंदगी बर्बाद हो जाती है. वहीं अगर इस बीच उसे ससुराल से निकाल दिया जाता है या फिर वह खुद घर छोड़कर मायके आ जाती है तो उसकी दूसरी शादी कराने की बात चलने लगती है.

घरवाले चिंता करने लगते हैं कि बेटी की आगे की जिंदगी कैसे बीतेगी. समाधान बस एक दिखता है कि दोबारा शादी करा दी जाए, लेकिन इसके बाद भी दिक्कतें कम नहीं होती. आइए हम उन समस्याओं के बारे में बात करते हैं जो एक लड़की की दोबारा शादी कराने के टाइम पर आती हैं.

1- सबसे बड़ी समस्या कि अब लड़का कैसे मिलेगा. हमारे समाज में तलाकसुदा और विधवा महिलाओं की शादी इसलिए नहीं हो पाती क्योंकि लड़के ऐसी लड़कियों को जल्दी अपनाने को तैयार नहीं होते. तलाकशुदा और विधुर पुरूष की शादी आराम से हो जाती है लेकिन लड़कियों के मामले में अगर दूसरी शादी हो रही है तो समझिए यह भाग्य की बात है.

2- लोग ऐसी लड़कियों पर उंगली उठाते हैं कि इसी...

शादी एक लड़की की जिंदगी का सबसे अहम फैसला होता है. परिवार वाले तो सब अच्छा देखकर ही बेटी की शादी कराते हैं लेकिन कई बार पति और घर-परिवार की सच्चाई बाद में पता चलती है. एक लड़की अपनी शादी को लेकर कितने सपने देखती है लेकिन शादी के बाद जब ससुराल की कड़वी सच्चाई का पता चलता है तो उसके सभी अरमान बिखर जाते हैं.

वह खुद को असहाय और मजबूर महसूस करती है. छोटी-मोटी बातें तो लड़कियां अपने मायके में बताती भी नहीं है. बेटियों को लगता है कि माता-पिता दुखी हो जाएंगे लेकिन कई बार बात इतनी बढ़ जाती है कि उनकी जान पर बन आती है.

ससुराल से बाहर निकाल दिए जाने वाले लड़कियां फिर कहां जाएंगाी

मान लीजिए पति शराबी निकल जाए और रोज दारू पीकर पत्नी को गाली दे, मार-पीट करे तो वह लड़की आखिर कैसे ससुराल में रह पाएगी. शादी के बाद लड़कियों को अगर सही लाइफ पार्टनर ना मिले तो उनकी जिंदगी बर्बाद हो जाती है. वहीं अगर इस बीच उसे ससुराल से निकाल दिया जाता है या फिर वह खुद घर छोड़कर मायके आ जाती है तो उसकी दूसरी शादी कराने की बात चलने लगती है.

घरवाले चिंता करने लगते हैं कि बेटी की आगे की जिंदगी कैसे बीतेगी. समाधान बस एक दिखता है कि दोबारा शादी करा दी जाए, लेकिन इसके बाद भी दिक्कतें कम नहीं होती. आइए हम उन समस्याओं के बारे में बात करते हैं जो एक लड़की की दोबारा शादी कराने के टाइम पर आती हैं.

1- सबसे बड़ी समस्या कि अब लड़का कैसे मिलेगा. हमारे समाज में तलाकसुदा और विधवा महिलाओं की शादी इसलिए नहीं हो पाती क्योंकि लड़के ऐसी लड़कियों को जल्दी अपनाने को तैयार नहीं होते. तलाकशुदा और विधुर पुरूष की शादी आराम से हो जाती है लेकिन लड़कियों के मामले में अगर दूसरी शादी हो रही है तो समझिए यह भाग्य की बात है.

2- लोग ऐसी लड़कियों पर उंगली उठाते हैं कि इसी में कुछ कमी होगी. इसलिए तो पति ने छोड़ दिया. कोई तलाकसुदा लड़कियों पर भरोसा नहीं करता. लोगों को लगता है कि जिसका एक घर टूट गया उसका दूसरा घर भी टूट ही जाएगा.

3- लोगों का कहना होता है कि भले बेटी की जिंदगी बर्बाद हो जाए लेकिन उसकी शादी दूसरे बिरादरी यानी दूसरी जाति में नहीं करवाएंगे. इन हालात में शादी के लिए लड़का मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है.

4- समाज के लोग ऐसी लड़कियों को अपने घर की बहू नहीं बनाना चाहते. समाज इस बात के लिए तैयार ही नहीं है कि घर लड़के की वजह से भी टूट सकता है. आज भी समाज के लोग ऐसी लड़कियों को अपनाने के लिए तैयार नहीं है.

5- घरवाले यह मानकर चलते हैं कि ससुराल छोड़कर मायके आ जाने से उनकी बेटी में कुछ कमी हो गई है. इसिलए वे दहेज देने के लिए भी तैयार हो जाते हैं. एक समस्या यह भी है कि अगर तलाकसुदा बेटी का इस बीच कोई संतान हो जाती है तो उसे रिश्ता जोड़ने वाले लोग नहीं अपनाना चाहते. गलती से तलाक के बाद हुई दूसरी शादी में कोई प्रॉबल्म आ जाती है तब तो सारा दोष लड़की के माथे मढ़ दिया जाता है. तलाक के बाद उस लड़की की जैसे वैल्यू ही नहीं रहती.

यह है सच्ची घटना

यूपी के पडरौना में एक लड़की के घरावलों ने खूब धूम-धाम से उसकी शादी कराई. बड़ा मकान, कई एकड़ खेत, खूब सारा पैसा और गुडलुकिंग दामाद देखा, लेकिन शादी के 4 महीने में ही लड़के की सच्चाई सामने आ गई. वह रोज शराब के नशे में रहता. कुछ दिन तो लड़की ने बर्दाश्त किया लेकिन अति होने के बाद उसने जब शराब पीने से पति को मना किया तो वह लड़की को गाली देने लगा.

कुछ दिनों बाद वह रोज दारू पीने लगा और लड़की को मारने पीटने लगा. लड़के के माता-पिता ने भी बेटे को समझाने कोशिश की लेकिन वे खुद हार मान गए. असल में शादी से पहले लड़की वालों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि लड़का रोज शराब पीता है. लड़की ससुराल छोड़कर मायके आ गई. उसके सास-ससुर को लगा था कि बहू के आ जाने के बाद वह सुधर जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. उल्टा लड़की की जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो गया. लड़की के सास-सुसर को भी बहू से मायके जाने से कोई आपत्ति नहीं हुई क्योंकि वे अपने बेटे की आदत को जानते थे.

अब बेटी मायके आ गई इसके बाद उसकी शादी के लिए पिता परेशान हैं, लेकिन उनकी जाति का लड़का नहीं मिल रहा. उनके एक दोस्त ने दूसरी बिरादरी में एक रिश्ता बताया लेकिन वे मानने को तैयार नहीं, क्योंकि उनकी बहन ने इस विवाह के लिए मना कर दिया. लोग क्या कहेंगे, समाज में क्या मुंह दिखाएंगे. समझ नहीं आता कि जब गलती लड़के की है तो लड़की या उसके पिता का सिर क्यों झुके?

अब लड़की कe जो होगा देखा जाएगा, लेकिन दूसरे कास्ट में शादी नहीं करेंगे. अब शादी के बाद कौन कैसा निकलेगा यह तो साथ में रहने से ही समझ आता है. दूर से तो सब अच्छा ही लगता है, बाकी रब जाने लोग कब लड़कियों को अपनाना सीखेंगे. तलाक का ठप्पा लगने से क्या वह इंसान नहीं रहती. भले गलती किसकी भी हो, सजा की हकदार उसे ही क्यों बनाया जाता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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