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पिता अपनी बेटियों के हीरो होते हैं, लेकिन शाहिद अफरीदी वो पिता नहीं

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 11 मई, 2019 06:44 PM
  • 11 मई, 2019 06:44 PM
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पूरी दुनिया शाहिद अफरीदी को देश के लिए खेलने वाले एक क्रिकेटर के रूप में जानती है, लेकिन असल में वो एक रूढ़ीवादी पाकिस्तानी पिता हैं. जो सोशल मीडिया पर बेटियों के साथ एक आदर्श पिता नजर आते हैं लेकिन असल में कुछ और हैं.

पाकिस्तान क्रिकेट टीम के शानदार खिलाड़ी शाहिद अफरीदी की हाल ही में 'गेम चेंजर' नामसे ऑटोबायोग्राफी आई है जिसमें उन्होंने ऐसी बहुत सी बातें कही हैं जिसको लेकर शाहिद सुर्खियों में बने हुए हैं. लेकिन अपने बेटियों के लेकर उन्होंने जो कुछ कहा वो न केवल हैरान करने वाला है बल्कि इसे लेकर उनकी हर तरफ आलोचना की जा रही है.

किताब में शाहिद अफरीदी ने कहा है कि- धार्मिक और सामाजिक कारणों की वजह से वो अपनी चारों बेटियों को न तो क्रिकेट में करियर बनाने देंगे और न ही कोई आउटडोर खेल खेलने देंगे.

शाहिद अफरीदी नहीं चाहते कि उनकी बेटियां क्रिकेट खेलें

उन्होंने लिखा है कि- 'धार्मिक और सामाजिक कारणों की वजह से मैंने अपनी बेटियों के लिए निर्णय लिया है कि वो किसी भी तरह का पब्लिक में खेले जाने वाला कोई भी खेल नहीं खेलेंगी. और उनकी मां भी इस बात से सहमत हैं. फेमिनिस्ट को जो कहना है कहें. एक रुढ़िवादी पाकिस्तानी पिता के नाते मैंने अपना फैसला ले लिया है.'

शाहिद अफरीदी का कहना है कि उनकी बेटियां सिर्फ घर के अंदर खेले जाने वाले खेल खेल सकती हैं. शाहिद अफरीदी की इस रूढ़ीवादी सोच पर पाकिस्तानी लोग बड़ा फख्र महसूस कर रहे हैं. वो शाहिद अफरीदी को एक सच्चा मुसलमान बता रहे हैं. और उनके लिए फैसले से बहुत खुश भी हैं. उनका कहना है कि बच्चों के बारे में फैसला लेने का पूरा अधिकार उनके माता-पिता का होता है. कुरान में भी माता-पिता और उनके फैसलों के बारे में कहा गया है. माता-पिता के इस फैसले को सुनकर बहुत खुशी हो रही है.

पाकिस्तान क्रिकेट टीम के शानदार खिलाड़ी शाहिद अफरीदी की हाल ही में 'गेम चेंजर' नामसे ऑटोबायोग्राफी आई है जिसमें उन्होंने ऐसी बहुत सी बातें कही हैं जिसको लेकर शाहिद सुर्खियों में बने हुए हैं. लेकिन अपने बेटियों के लेकर उन्होंने जो कुछ कहा वो न केवल हैरान करने वाला है बल्कि इसे लेकर उनकी हर तरफ आलोचना की जा रही है.

किताब में शाहिद अफरीदी ने कहा है कि- धार्मिक और सामाजिक कारणों की वजह से वो अपनी चारों बेटियों को न तो क्रिकेट में करियर बनाने देंगे और न ही कोई आउटडोर खेल खेलने देंगे.

शाहिद अफरीदी नहीं चाहते कि उनकी बेटियां क्रिकेट खेलें

उन्होंने लिखा है कि- 'धार्मिक और सामाजिक कारणों की वजह से मैंने अपनी बेटियों के लिए निर्णय लिया है कि वो किसी भी तरह का पब्लिक में खेले जाने वाला कोई भी खेल नहीं खेलेंगी. और उनकी मां भी इस बात से सहमत हैं. फेमिनिस्ट को जो कहना है कहें. एक रुढ़िवादी पाकिस्तानी पिता के नाते मैंने अपना फैसला ले लिया है.'

शाहिद अफरीदी का कहना है कि उनकी बेटियां सिर्फ घर के अंदर खेले जाने वाले खेल खेल सकती हैं. शाहिद अफरीदी की इस रूढ़ीवादी सोच पर पाकिस्तानी लोग बड़ा फख्र महसूस कर रहे हैं. वो शाहिद अफरीदी को एक सच्चा मुसलमान बता रहे हैं. और उनके लिए फैसले से बहुत खुश भी हैं. उनका कहना है कि बच्चों के बारे में फैसला लेने का पूरा अधिकार उनके माता-पिता का होता है. कुरान में भी माता-पिता और उनके फैसलों के बारे में कहा गया है. माता-पिता के इस फैसले को सुनकर बहुत खुशी हो रही है.

लेकिन शाहिद अफरीदी की इस सोच पर पूरी दुनिया के लोग हैरान हैं. हैरानी इसलिए क्योंकि शाहिद जब भी पाकिस्तान के बाहर क्रिकेट खेलने जाते थे तो अपनी बेटियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर किया करते थे. वो बेटियों को संग लेकर जाते थे. वो उन्हें princess जैसे शब्दों से बुलाते, उनके साथ व्यायाम करते और खेल खेलते भी दिखाई देते थे. शाहिद को अपनी चारों बेटियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी शेयर करने में कोई परेशानी नहीं. ये सब देखकर लगता था कि वो मुस्लिम होने के बावजूद भी अपनी बेटियों के लेकर काफी खुली सोच रखते हैं और एक शानदार पिता भी हैं.

शाहिद अफरीदी के अनुसार बेटियां घर के अंदर खेले जाने वाले खेल खेल सकती हैं

उन्हें देखकर यही लगता था कि वो अपनी बेटियों के साथ इसलिए खेलते हैं जिससे वो उन्हें भी खेल के गुण सिखा सकें, उन्हें खेल के प्रचि रुचि लेना सिखा सकें. वो बता सकें कि देश के लिए खेलना क्या होता है, जिससे एक दिन उनकी बेटियां भी कहें कि पापा मुझे बड़े होकर आपके जैसा बनना है. लेकिन शाहिद अफरीदी ने अपनी किताब में सच्चाई लिखकर बहुतों के भ्रम तोड़ दिए.  

एक व्यक्ति ने लिखा कि शाहिद अफरीदी ने अपनी सारी इज्जत खो दी. मुझे लगा था कि वो एक अलग तरह के पिता हैं. आप एक व्यक्ति को तो गांव से बाहर निकाल सकते हैं लेकिन व्यक्ति के अंदर से गांव नहीं निकाल सकते.

पूरी दुनिया शाहिद अफरीदी को देश के लिए खेलने वाले एक क्रिकेटर के रूप में जानती है, लेकिन असल में वो एक रूढ़ीवादी पाकिस्तानी पिता हैं. और ये हम नहीं वो खुद कह रहे हैं. हां इस बात की सफाई भी दे रहे हैं कि उनकी पत्नी का भी यही फैसला है. भला पत्नी के फैसले भी खुद लवेने वाले शख्स की नजरों में एक महिला के फैसले की कीमत क्या होगी.

महिलाओं के लिए शाहिद कैसा सोचते हैं वो इस वीडियो को देखकर समझा जा सकता है. एक बार जब एक इंटरव्यू में शाहिद अफरीदी से पूछा गया कि क्या महिलाओं को भी क्रिकेट में आना चाहिए तो उन्होंने जो जवाब दिया वो बताता है कि शाहिद अफरीदी की सोच आखिर कैसी है.

एक इंटरव्यू में शाहिद अफरीदी ने कहा है कि वो क्रिकेटर के साथ साथ एक पठान भी हैं, उन्हें पता है कि महिलाओं की हद कितनी होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि उनकी एक बेटी उनके चैरिटी का काम संभालने की इच्छुक है, एक डॉक्टर बनना चाहती है एक फैशन डिजाइनर बनना चाहती और वो बेटियों को कुछ भी करने से नहीं रोकेंगे, लेकिन बाहर खेलने वाले खेल नहीं खेलने देंगे.

शाहिद अफरीदी की सोच उनकी शेयर की गई तस्वीरों से अलग नजर आती है

बात ये है ही नहीं कि शाहिद अफरीदी अपने बच्चों के लिए फैसले नहीं ले सकते...ये तो हर माता-पिता करते हैं. लेकिन यहां शाहिद अफरीदी की सोच की आलोचना इसलिए की जा रही है कि उनकी सोच बहुत ही पिछड़ी है. क्योंकि आज के जमाने में पूरी दुनिया घूमने वाला व्यक्ति, अपने खेल के जरिए करोड़ों फैन जुटाने वाला व्यक्ति, जिसे प्लेयर कहते हैं जिससे हमेशा एक्टिव रहने की उम्मीद की जाती है, उसकी सोच निहायती सुस्त और घटिया है. एक तरफ जहां पाकिस्तान की महिला क्रिकेट टीम 1990 से लगातार शानदार प्रदर्शन कर रही है. पाकिस्तानी महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान सना मीर 2018 में ICC ODI bowler ranking में पहले नंबर पर आने वाली पहली पाकिस्तानी महिला हैं. पाकिस्तान में एक तरफ महिलाएं आसमान छू रही हैं, खेलों में रिकॉर्ड बना रही हैं. लेकिन ऐसी पिछड़ी सोच वाले लोग समाज और धर्म के नाम पर महिलाओं के रास्ते और मुश्किल बनाने में लगे हैं. 

हर बेटी का पिता उसके लिए हीरो होता है. अभी शाहिद की चारों बेटियों के लिए उनके पिता एक हीरो हैं, लेकिन कल जब इस खिलाड़ी की बेटियां अपने पापा की तरह खेलने की जिद करेंगी तो उनके पापा उन्हें हिजाब थमाकर घर बैठा देंगे और कहेंगे कि ख्वातीनें खाना बड़ा लजीज बनाती हैं. अफसोस है कि शाहिद अफरीदी वो हीरो नहीं हैं जिनपर उनकी बेटियों को फख्र हो.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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