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पाकिस्तान में बाल-विवाह कानून के आड़े आ गया 'इस्लाम'

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 05 मई, 2019 01:18 PM
  • 05 मई, 2019 01:18 PM
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पाकिस्तान में बाल विवाह को रोकने वाले बिल को लेकर सियासत गर्मा गई है. देश का एक बड़ा तबका इसे जायज ठहरा रहा है तो वहीं ऐसे लोगों की भी बड़ी संख्या है जो इसे गैर इस्लामिक मानते हुए इसका विरोध कर रहे हैं.

एक ऐसे समय में, जब भारत समेत पूरी दुनिया पाकिस्तान समर्पित आतंकवाद और जैश ए मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर के NSC द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित किये जाने पर बात कर रही हो. पाकिस्तान में बहस का मुद्दा कुछ और है. पाकिस्तान की संसद में तमाम आरोप प्रत्यारोपों और भारी गतिरोध के बाद बाल विवाह को रोकने वाले बिल को पारित किया गया. बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी संसद के ऊपरी सदन ने बाल विवाह रोकने वाले इस बिल पर मुहर लगाई है.

आपको बताते चलें कि इस बिल में पाकिस्तानी लड़कियों के निकाह की उम्र को 18 साल तय किया गया है. ऐसा बिल्कुल नहीं था कि इस बिल को सुगमता से पेश किया गया तमाम सांसद ऐसे थे जिन्होंने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि चूंकि मामला इस्लामिक है इसलिए इसमें किसी भी तरह के व्यवधान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

पाकिस्तान की संसद में पारित हुआ एक बिल बन गया है बड़े विवाद की वजह

मामला बढ़ा तो बिल को काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी के पास भेज दिया गया है. अब इस्लामिक काउंसिल ही इस बात का फैसला करेगी कि बिल इस्लामिक है या नहीं. साथ ही इसी के द्वारा इस बात का भी निर्णय लिया जाएगा कि बिल पारित होना चहिये या नहीं होना चाहिए.

ज्ञात हो कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) की सांसद शेरी रहमान ने बाल विवाह रोकथाम अधिनियम, 1929 में संशोधन के लिए बिल पेश किया था. सीनेट में बिल पेश करते हुए शेरी रहमान ने कहा कि  इससे देश में प्रचलित बाल विवाह की प्रथा को समाप्त करने में काफी मदद मिलेगी. अपनी बात को वजन देने के लिए शेरी रहमान ने ओमान, टर्की और सऊदी अरब जैसे देशों का हवाला दिया जहां लड़कियों के लिए विवाह की उम्र 18 साल तय की गई है.

एक ऐसे समय में, जब भारत समेत पूरी दुनिया पाकिस्तान समर्पित आतंकवाद और जैश ए मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर के NSC द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित किये जाने पर बात कर रही हो. पाकिस्तान में बहस का मुद्दा कुछ और है. पाकिस्तान की संसद में तमाम आरोप प्रत्यारोपों और भारी गतिरोध के बाद बाल विवाह को रोकने वाले बिल को पारित किया गया. बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी संसद के ऊपरी सदन ने बाल विवाह रोकने वाले इस बिल पर मुहर लगाई है.

आपको बताते चलें कि इस बिल में पाकिस्तानी लड़कियों के निकाह की उम्र को 18 साल तय किया गया है. ऐसा बिल्कुल नहीं था कि इस बिल को सुगमता से पेश किया गया तमाम सांसद ऐसे थे जिन्होंने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि चूंकि मामला इस्लामिक है इसलिए इसमें किसी भी तरह के व्यवधान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

पाकिस्तान की संसद में पारित हुआ एक बिल बन गया है बड़े विवाद की वजह

मामला बढ़ा तो बिल को काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी के पास भेज दिया गया है. अब इस्लामिक काउंसिल ही इस बात का फैसला करेगी कि बिल इस्लामिक है या नहीं. साथ ही इसी के द्वारा इस बात का भी निर्णय लिया जाएगा कि बिल पारित होना चहिये या नहीं होना चाहिए.

ज्ञात हो कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) की सांसद शेरी रहमान ने बाल विवाह रोकथाम अधिनियम, 1929 में संशोधन के लिए बिल पेश किया था. सीनेट में बिल पेश करते हुए शेरी रहमान ने कहा कि  इससे देश में प्रचलित बाल विवाह की प्रथा को समाप्त करने में काफी मदद मिलेगी. अपनी बात को वजन देने के लिए शेरी रहमान ने ओमान, टर्की और सऊदी अरब जैसे देशों का हवाला दिया जहां लड़कियों के लिए विवाह की उम्र 18 साल तय की गई है.

अपने भाषण में रहमान ने ये भी कहा कि छोटी उम्र में विवाह के परिणाम घातक होते हैं. चूंकि लड़कियां कम उम में मां बनती हैं इसलिए उनकी मृत्यु की संभावनाएं ज्यादा प्रबल होती हैं.

जिस वक़्त बिल पेश हुआ सांसदों के बीच तीखी बहस भी देखने को मिली. बिल पर अपना विरोध दर्ज करते हुए सांसद गफूर हैदरी ने कहा कि, 'निकाह योग्य उम्र 18 साल तय करना शरीयत के खिलाफ है. सांसद गफूर ने खा कि बिल को  इस्लामिक विचारधारा परिषद की हरी झंडी के बाद ही सीनेट में लाना चाहिए.

वहीं धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल हक कादरी ने कहा कि, इस्लाम में शादी की कोई उम्र सीमा नहीं है, सदन को याद दिलाते हुए उन्होंने ये भी कहा कि एक समान बिल को पहले ही सीआईआई द्वारा शरिया के खिलाफ 'समझा' गया था. बिल के आलोचकों को मुंह तोड़ जवाब देते हुए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सीनेटर रजा रब्बानी ने कहा कि यदि बिल इस्लामिक काउंसिल के पास जाता है तो ये बिल को कोल्ड स्टोरेज में भेजने जैसा होगा.

बहरहाल, एक ऐसे वक़्त में जब इमरान खान नए पाकिस्तान की बात कर अपने को मॉडर्न दिखा रहे हों और वाहवाही लूट रहे हों. देखना मजेदार रहेगा कि इस अहम बिंदु पर पाकिस्तान की इस्लामिक काउंसिल क्या फैसला देती है.

फ़िलहाल माना यही जा रहा है कि इस्लामिक काउंसिल इस बिल को इस्लाम के खिलाफ मानकर इसका विरोध करेगी. कह सकते हैं कि इस्लामिक काउंसिल का ये विरोध एक बार फिर दुनिया को बताएगा कि पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है जो कट्टरपंथ की आग में झुलस रहा है. जब कोई उसे इस आग से बचाना चाहता है तो वो खुद बचने के बजाए, इस आग को भड़काने के लिए इसमें पेट्रोल डाल देता है.

खैर जवाब वक़्त देगा. देखना दिलचस्प रहेगा कि पाकिस्तान की लड़कियों को उनका हक मिलेगा या फिर कट्टरता की आग उन हकों को जलाकर स्वाहा कर देगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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