• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

वेश्यावृत्ति को कानूनन कह दीजिये, लेकिन फिर समाज से इज्‍जत की भीख मत मांगिए

    • उर्वी कौल
    • Updated: 29 मई, 2022 03:57 PM
  • 29 मई, 2022 03:57 PM
offline
सप्रीम कोर्ट ने ये कहा है कि वेश्यावृत्ति एक क़ानून स्वीकृत व्यवसाय है. तो ठीक है, जिसको जो करना है वो करे. लेकिन समाज उस पत्थर तोड़ने वाली स्त्री के देह घिसने और वेश्या के देह घिसने में फ़र्क़ करेगा, और समाज का ये फ़र्क़ करना न्यायोचित है.

पंचायत सिरीज़ में एक सीन था, जिसने काफ़ी प्रशंसा बटोरी. फूहड़ ग्रामीण नौटंकियों में नाचने वाली एक स्त्री, सचिव जी के ये कहने पर की उसे ये व्यवसाय छोड़ देना चाहिए, उत्तर देती है कि सचिव जी और उसके बीच कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं है क्योंकि ज़िंदगी में नाच तो वो भी रहे हैं. बिलकुल सही बात है! हम सब अपनी अपनी ज़िंदगी में नाचते हैं. कभी मां बाप के कहने पर, कभी प्रेमी के कहने पर, कभी सास ससुर की उंगलियों पर या कभी बस यूं ही ज़िंदगी हाहाकार मचाकर बस नचा रही होती है. पर डिफ़्रेन्स पता है क्या है? डिफ़्रेन्स वही है जो मंदिर में किए जाने भरतनाट्यम् और फूहड़ पूर्वांचली गीत 'लगाय दीया चोलिया में हूक राजाजी' के बीच है. हां अगर आप वोक हैं और इन दोनों नृत्य शैलियों में अंतर नहीं कर पा रहे हैं, या करना ही नहीं चाहते हैं, तो आप परम दर्जे के मूर्ख हैं. वेश्यवृत्ति विश्व का सबसे प्राचीन व्यवसाय है. जी हां. सबसे प्राचीन. पर सबसे प्राचीन व्यवसाय होने से ये आपको इज़्ज़त नहीं दे सकता.

पंचायत के सीन में बता दिया गया है कि अपनी जिंदगी में हम सब नाच रहे हैं

आप जानते हैं कि वेश्याओं को समाज में इज़्ज़त क्यों नहीं मिलती? कई लोगों के अनुसार मिलनी चाहिए. जिस तरह से आप अपनी मेधा बेच रहे हैं, उसी तरह कोई जिस्म बेच रहा है. तो बुरा क्या है? सही ही तो है. ग़लत! ग़लत! इसलिए क्योंकि मेधा कमाने के लिए लगती है मेहनत. और अगर मेधा नहीं है, तो ? तो फिर आती है मज़दूरी. मज़दूर से ज़्यादा मेहनत कौन करता है.

किसी कन्स्ट्रक्शन साइट पर जाइए और आपको ऐसी तमाम महिलाएं मिल जाएंगी, जो अपने दूधमुए बच्चे को पत्थरों, सिमेंट के ढेरों और बालू के बीच छोड़कर, उसी पत्थर, सिमेंट और बालू को, पीठ पर लादकर 14 वी मंज़िल तक उतरती चढ़ती हैं. तमाम ऐसी महिलाएं हैं, जो बेहिस और बोझिल...

पंचायत सिरीज़ में एक सीन था, जिसने काफ़ी प्रशंसा बटोरी. फूहड़ ग्रामीण नौटंकियों में नाचने वाली एक स्त्री, सचिव जी के ये कहने पर की उसे ये व्यवसाय छोड़ देना चाहिए, उत्तर देती है कि सचिव जी और उसके बीच कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं है क्योंकि ज़िंदगी में नाच तो वो भी रहे हैं. बिलकुल सही बात है! हम सब अपनी अपनी ज़िंदगी में नाचते हैं. कभी मां बाप के कहने पर, कभी प्रेमी के कहने पर, कभी सास ससुर की उंगलियों पर या कभी बस यूं ही ज़िंदगी हाहाकार मचाकर बस नचा रही होती है. पर डिफ़्रेन्स पता है क्या है? डिफ़्रेन्स वही है जो मंदिर में किए जाने भरतनाट्यम् और फूहड़ पूर्वांचली गीत 'लगाय दीया चोलिया में हूक राजाजी' के बीच है. हां अगर आप वोक हैं और इन दोनों नृत्य शैलियों में अंतर नहीं कर पा रहे हैं, या करना ही नहीं चाहते हैं, तो आप परम दर्जे के मूर्ख हैं. वेश्यवृत्ति विश्व का सबसे प्राचीन व्यवसाय है. जी हां. सबसे प्राचीन. पर सबसे प्राचीन व्यवसाय होने से ये आपको इज़्ज़त नहीं दे सकता.

पंचायत के सीन में बता दिया गया है कि अपनी जिंदगी में हम सब नाच रहे हैं

आप जानते हैं कि वेश्याओं को समाज में इज़्ज़त क्यों नहीं मिलती? कई लोगों के अनुसार मिलनी चाहिए. जिस तरह से आप अपनी मेधा बेच रहे हैं, उसी तरह कोई जिस्म बेच रहा है. तो बुरा क्या है? सही ही तो है. ग़लत! ग़लत! इसलिए क्योंकि मेधा कमाने के लिए लगती है मेहनत. और अगर मेधा नहीं है, तो ? तो फिर आती है मज़दूरी. मज़दूर से ज़्यादा मेहनत कौन करता है.

किसी कन्स्ट्रक्शन साइट पर जाइए और आपको ऐसी तमाम महिलाएं मिल जाएंगी, जो अपने दूधमुए बच्चे को पत्थरों, सिमेंट के ढेरों और बालू के बीच छोड़कर, उसी पत्थर, सिमेंट और बालू को, पीठ पर लादकर 14 वी मंज़िल तक उतरती चढ़ती हैं. तमाम ऐसी महिलाएं हैं, जो बेहिस और बोझिल ज़िंदगी को ढोती हैं, अपने दम पर.

एक स्कूल की प्रधान अध्यापिका हैं. मेरी परिचित हैं. 22 वर्ष की आयु में विधवा हो गयीं. पति पीछे छोड़ गए एक 6 महीने की बच्ची को. पर बच्ची के लालन पालन और उसको अपने पैरों पर खड़ा करने से लेकर, एक सह अध्यापिका से प्रधान अध्यापिका वो स्वयं के अथक परिश्रम से बनी.

तो इज़्ज़त किसकी होगी ?

जिस्म फ़रोशी, सबसे आसान तरीक़ा है जीविकोपार्जन का. कपड़े उतारिए, आंखें मूंदिये और 500 का नोट आपके हाथ में. पर जो महिलाएं वो 500 घर घर चूल्हा चौका कर के, पत्थर ढो कर, या सिलायी कर के कमाती हैं, वो संघर्ष करती हैं. और इज़्ज़त उसी संघर्ष की होती है.

अब कई लोग कहेंगे कि महिला जिस्म बेचती है, तो ख़रीदता कौन है?

पुरुष ख़रीदते हैं. और वो आपको तब तक ख़रीदते रहेंगे जब तक आप उनसे क़ीमत मांगती रहेंगी. ये वैसा ही है, जैसे आप सिगरेट पीना चाहेंगे, तो आप सिगरेट ख़रीदेंगे. फिर आप दोष सरकार को या समाज को नहीं दे सकते की तम्बाकू बैन हो. और चलिए आपको पुरुष ख़रीद रहे हैं. आज से नहीं, सदियों पहले से, तो बंद करिए स्त्रीवाद का ढिंढोरा! बंद करिए ये कोरी बकवास की औरत सशक्त हो गयी है क्योंकि जिस्म वो 100 साल पहले भी बेच रही थी, और अभी भी बेच रही है. तो उखड़ा क्या स्त्रीवाद से ?

मेरे कहने का ये मतलब बिलकुल नहीं है की जो लड़कियां धोखे से इस जाल में फंस गयीं हैं, वो भी ग़लत हैं. उनको अवसर देने चाहिए एक इज़्ज़त भरी ज़िंदगी गुज़ारने के! उनकी ज़िंदगी को बेहतर करने हेतु दरवाज़े खोले जाने चाहिए. समाज को उनसे सहानुभूति रखनी चाहिए. पर ऐसे तमाम एनजीओ हैं जिन्होंने पुष्टि की है, कितनी लड़कियों को इस जिस्म फ़रोशी के जाल से छुड़ाया गया, उनमें से कई सहर्ष वापस उसी दुनिया में चली गयीं.

आज सप्रीम कोर्ट ने ये कहा है कि वेश्यावृत्ति एक क़ानून स्वीकृत व्यवसाय है. तो ठीक है! जिसको जो करना है वो करे. पर फिर समाज से कभी इज़्ज़त की भीख मत मांगिएगा. वो मिलेगी नहीं, चाहे आप जितने स्कूल बनवा लें, जितने अस्पताल खुलवा लें. समाज उस पत्थर तोड़ने वाली स्त्री के देह घिसने और आपके देह घिसने में फ़र्क़ करेगा! और समाज का ये फ़र्क़ करना न्यायोचित है.

ये भी पढ़ें -

IAS Keerthi Jalli को देखिए, कुत्ता घुमाने वाले और घूसखोर अफसरों से मिली निराशा दूर होगी

Johnny Depp-Amber Heard case में भारतीय फेमिनिस्टों का बचपना देखते ही बनता है!

इस्लामिक ताकतें भारत को लगातार रौंदती रही, कहां थे भारतीय शूरवीर?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲