• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

Johnny Depp-Amber Heard case में भारतीय फेमिनिस्टों का बचपना देखते ही बनता है!

    • अनु रॉय
    • Updated: 27 मई, 2022 03:43 PM
  • 27 मई, 2022 02:36 PM
offline
भारत जैसे देश में तरह तरह की फेमिनिस्ट हैं इसलिए हमें इस बात को समझना होगा कि पुरुषों से अपनी नफ़रत साधने के लिए फेमिनिज्म को हथियार बनाना मूर्खता है. यही मूर्खता हमें जॉनी डेप और एम्बर हर्ड प्रकरण में भारतीय फेमिनिस्टों से देखने को मिल रही है.

भारत की सो कॉल्ड-फ़ेमिनिस्ट का भी अलग दुःख है. कुछ दलित फ़ेमिनिस्ट हैं तो उनको स्वर्ण-फ़ेमिनिस्ट से दिक़्क़त है. कुछ  स्वर्ण फ़ेमिनिस्ट हैं तो उनको उम्रदराज़ फ़ेमिनिस्ट से परेशानी है. अरे जब फ़ेमिनिस्ट होने में भी इतने किंतु-परंतु हैं तो इस देश में वो स्त्रियां जो अपने हक़ से महरूम हैं उनको कितने हक़ मिल पाएंगे. यहां सबको यही लगता है कि मुझे मेरी दुकान चमकानी है बस. सब अपने-अपने झुंड की फ़ेमिनिस्ट को प्रमोट करने पर तुले हैं. फेमिनिज्म का असली रंग तो कहीं खो सा गया है. किसी चीज़ पर आपकी कोई राय हो सकती है. लेकिन आपकी राय फ़ेमनिज़म है ये बिलकुल ज़रूरी नहीं है. आपके साथ किसी मर्द ने ग़लत किया इसके लिए दुनिया के तमाम मर्द सूली पर नहीं टांगे जा सकते न.

पुरुषों से अपनी नफ़रत साधने के लिए फेमिनिज्म को हथियार बनाना मूर्खता है. अब जैसे देखिए, बिना जॉनी-डेप और एम्बर हर्ड के केस को गहराई से जाने हुए भारत में डेली-सोप देखने वाली एक स्त्री जो खुद को फ़ेमिनिस्ट समझती हैं, कहती हैं कि एम्बर सही हैं. उनको मुहब्बत भेजिए. अरे देवी जी, पहले पूरा केस तो सुनिए, देखिए और समझिए.

भारत में फेमिनिस्ट लॉबी का एक वर्ग जो जॉनी डेप और एम्बर हर्ड के बारे में कह रहा है वो अधकचरे ज्ञान की पराकाष्ठा है

अभी न तो जॉनी अपराधी साबित हुए हैं और न एम्बर मासूम. कल केट मॉस ने अपना स्टेटमेंट दर्ज करवाया. केट मॉस यानि जॉनी डेप की पूर्व प्रेमिका, जिनके लिए एम्बर ने कहा था कि जॉनी ने उन्हें भी सीढ़ियों से ढकेला था, उनके साथ भी जॉनी ने हिंसा को अंजाम दिया था.

कल जज के सामने वही केट ने बड़े ही सौम्य अंदाज में कहा कि जॉनी कभी भी उनके साथ हिंसक नहीं हुए, कभी उन्होंने कोई गाली नहीं दी. एम्बर यहां झूठी साबित हुई न. तो जब तक फ़ैसला नहीं आ जाता तब तक किसी...

भारत की सो कॉल्ड-फ़ेमिनिस्ट का भी अलग दुःख है. कुछ दलित फ़ेमिनिस्ट हैं तो उनको स्वर्ण-फ़ेमिनिस्ट से दिक़्क़त है. कुछ  स्वर्ण फ़ेमिनिस्ट हैं तो उनको उम्रदराज़ फ़ेमिनिस्ट से परेशानी है. अरे जब फ़ेमिनिस्ट होने में भी इतने किंतु-परंतु हैं तो इस देश में वो स्त्रियां जो अपने हक़ से महरूम हैं उनको कितने हक़ मिल पाएंगे. यहां सबको यही लगता है कि मुझे मेरी दुकान चमकानी है बस. सब अपने-अपने झुंड की फ़ेमिनिस्ट को प्रमोट करने पर तुले हैं. फेमिनिज्म का असली रंग तो कहीं खो सा गया है. किसी चीज़ पर आपकी कोई राय हो सकती है. लेकिन आपकी राय फ़ेमनिज़म है ये बिलकुल ज़रूरी नहीं है. आपके साथ किसी मर्द ने ग़लत किया इसके लिए दुनिया के तमाम मर्द सूली पर नहीं टांगे जा सकते न.

पुरुषों से अपनी नफ़रत साधने के लिए फेमिनिज्म को हथियार बनाना मूर्खता है. अब जैसे देखिए, बिना जॉनी-डेप और एम्बर हर्ड के केस को गहराई से जाने हुए भारत में डेली-सोप देखने वाली एक स्त्री जो खुद को फ़ेमिनिस्ट समझती हैं, कहती हैं कि एम्बर सही हैं. उनको मुहब्बत भेजिए. अरे देवी जी, पहले पूरा केस तो सुनिए, देखिए और समझिए.

भारत में फेमिनिस्ट लॉबी का एक वर्ग जो जॉनी डेप और एम्बर हर्ड के बारे में कह रहा है वो अधकचरे ज्ञान की पराकाष्ठा है

अभी न तो जॉनी अपराधी साबित हुए हैं और न एम्बर मासूम. कल केट मॉस ने अपना स्टेटमेंट दर्ज करवाया. केट मॉस यानि जॉनी डेप की पूर्व प्रेमिका, जिनके लिए एम्बर ने कहा था कि जॉनी ने उन्हें भी सीढ़ियों से ढकेला था, उनके साथ भी जॉनी ने हिंसा को अंजाम दिया था.

कल जज के सामने वही केट ने बड़े ही सौम्य अंदाज में कहा कि जॉनी कभी भी उनके साथ हिंसक नहीं हुए, कभी उन्होंने कोई गाली नहीं दी. एम्बर यहां झूठी साबित हुई न. तो जब तक फ़ैसला नहीं आ जाता तब तक किसी एक को गुनहगार और दूसरे को दोषी मानना फेमिनिज्म नहीं सीखाता, ये आप सीखिय न.

अब एक और उदाहरण लेते हैं जैसे अभी किसी लेखक पर उनकी पूर्व प्रेमिका ने बलात्कार का आरोप लगाते हुए कहा कि लेखक ने दस वर्षों तक उनका बलात्कार किया है.  कोई भी इंसान जो थोड़ी भी समझ रखता होगा वो ये कहेगा कि बलात्कार 10 साल तक नहीं हो सकता. बलात्कार शब्द की इंटेन्सिटी को समझिए.

कोई आपका यौन शोषण कर सकता है दस साल क्या? तमाम उम्र लेकिन बलात्कार नहीं. शादी का झांसा देकर यौन शोषण ज़रूर हो सकता है क्योंकि लड़की को उम्मीद रहती है कि एक न एक दिन शादी होगी. तो सेक्स करती हैं अपने प्रेमी के साथ लेकिन देखिए यहां जो सेक्स हो रहा उसमें उम्मीद, रज़ामंदी सब है.

अब जब पुरुष/प्रेमी शादी से मुकर जाता है तो लड़की को धोखा खाया, टूटा हुआ सब महसूस होना लाज़मी है. मगर उससे जो सालों साल शारीरिक सम्बंध बने वो बलात्कार नहीं हो जाता. और आप फ़ेमिनिस्ट मानती हैं खुद को इसलिए कोई लड़की कुछ भी बोलेगी तो आंख मूंद कर उसे समर्थन देंगी तो वो आपकी तार्किक बुद्धि पर सवालिया निशान है.

यहां पुरुष जितना ग़लत है स्त्री भी उतनी ही. प्रेम में होना और अक़्ल से अंधा होने में फ़र्क़ है. चलिए कोई साल दो साल आपको उल्लू बना सकता है, दस साल कैसे. आपको प्रेम, समर्पण कैसे दिखता रहा इतने वर्षों तक उस व्यक्ति में जो आपको धोखा देता रहा.

ख़ैर. मुद्दा किसी व्यक्ति विशेष का नहीं बल्कि फेमिनिज्म की आड़ में हो रहे झुंड वाले खेल का है. जब तक सभी स्त्रियां अपनी निजी महत्वकांशा को छोड़ कर, साथ नहीं आएंगी भारत में फेमिनिज्म का कुछ भी नहीं होने वाला नहीं. लिखवा लीजिए.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲